सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमारा विज्ञानऔर हमारी धरोहर

जब हमारे देश में बड़ी बड़ी  राइस मील नहीं थी तो धान को घर पर ही कूटकर भूसे को अलग कर चावल प्राप्त किया जाता था... असलियत में वही चावल था जिसे  whole rise कहते हैं... चावल का प्राकृतिक रंग सुनहरा भूरा ही होता है... सुर्ख लाल काला भी होता है लेकिन इंसानी फितरत है उसे सहज प्राकृतिक  चीजों से नफरत होती है...सफेद चमड़ी रंगत की तरह सफेद वस्तुओं से उसका अलग ही आकर्षण होता है | इसे समझने के लिए आपको चावल  दाने की संरचना को समझना होगा... चावल  ही क्या प्रत्येक खाद्यान्न ज्वार मक्का बाजरा सभी की सरचना  4 स्तरीय होती है... सबसे बाहरी संरचना  जिसे हस्क बोला जाता है या भूसी कहते हैं वह होती है... दूसरा स्तर ब्रेन का होता है जिसे चोकर भी कह देते हैं... इसमें कैल्शियम मैग्नीशियम सहित जरूरी मिनरल होते हैं.. तीसरा स्तर  ग्रेन का होता है... यह चावल या किसी दाने  भूर्ण होता है इसमें विटामिन प्रोटीन अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में होते हैं..  चावल या किसी दाने की जीवनी शक्ति परमात्मा ने इसी हिस्से में डाल दी है यहीं से किसी वृक्ष , पौधे का अंकुर निकलता है.. मोटे तौर पर चौथा व अंतिम स्तर एंडोस्पर्

6G सिर्फ मोबाइल फोंस को नहीं बल्कि आम ज़िंदगी को एडवांस और फास्ट बनाएगा

6जी सिर्फ तेज इंटरनेट ही नहीं बल्कि इससे बहुत ही ज्यादा व्यापक तकनीक लेकर आएगा। 6G सिर्फ मोबाइल फोंस को नहीं बल्कि आम ज़िंदगी को एडवांस और फास्ट बनाएगा। VR और AR नॉमर्ल दिनचर्या को अहम हिस्सा बनकर सामने आएंगे तथा कम्यूनिकेशन के साथ ही इंटेलिजेंस और IOT यानि इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में बड़ी क्रांति होगी। ऐसा भी माना जा सकता है कि 6G आने के बाद रोबोट्स का चलन भी सार्वजनिक किया जा सकता है। जिस तरीके से आज स्मार्टफोन और स्मार्ट टीवी के अलावा स्मार्ट होम अप्लायंस जैसे फ्रिज, लाईट, फैन्स, सीसीटीवी, स्पीकर इत्यादि घर का हिस्सा बनते जा रहे हैं, इसी तरह 6G तकनीक रोबोट्स को भी नॉमर्ल लाइफ का हिस्सा बना सकती है।

वासना क्या है और प्रार्थना क्या है?

** मेरे देखे, एक ही सीढ़ी के दो छोर: जैसे बीज और वृक्ष; जैसे अंडा और मुर्गी। वासना ही एक दिन पंख पा लेती है इसलिए मेरे मन में वासना की कोई निंदा नहीं है। मेरे मन में निंदा है ही नहीं; किसी भी बात की निंदा नहीं है। मेरे मन में सर्व स्वीकार है क्योंकि मैं देखता हूं, जब सब परमात्मा को स्वीकार है तो उसमें से कुछ भी अस्वीकार करना परमात्मा को अस्वीकार करना है। मैंने सुना है, सूफी फकीर बायजीद एक पड़ोसी से बहुत परेशान था। सालभर से उसके पड़ोस में था। वह बड़ा उपद्रवी था पड़ोसी। जब बायजीद ध्यान करने बैठता तब वह ढोल बजाने लगता; या बायजीद नमाज पढ़ता तो वह गालियां बकने लगता। बायजीद शिष्यों को समझाता तो वह कुछ उपद्रव मचा देता। कूड़ा—करकट इकट्ठा करके बायजीद के झोंपड़े में फेंक देता। एक रात बायजीद प्रार्थना करा, प्रार्थना करके उठ रहा था, परमात्मा की झलक से भरा था। झलक इतनी स्पष्ट थी कि उसने कहा, हे प्रभु! इतनी कृपा की है कि मुझे आज झलक दी है, इतना और कर दो कि इस पड़ोसी से छुटकारा करो। और पता है परमात्मा की क्या आवाज बायजीद को सुनाई पड़ी? उसने कहा, बायजीद, इस आदमी को मैं पचास साल से बर्दाश्त कर रहा हूं और तू तो अ

केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट

Kuch Facts  केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है। इसको  बनाने मे कम  से कम  40-45 दिन का समय लगता हैं  नही से ये कच्चा गोबर ही रेहता हैं  वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते जिससे वातावरण स्वस्थ रहता है। इससे सूक्ष्म पोषित तत्वों के साथ-साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश मिलता है। आप के यंहा अलग अलग तरह के packets available होंगे कुछ सस्ते तो कुछ म्हेंगे.. दोनो मे फर्क समझे  सस्ता या महेंगे से फर्क  नही पड़ता सिर्फ आप quality को समझे .. pure Vermicompost -  कभी भी हाथों मे  नही  चिपकेगा  उसका रंग  Dark Brown होगा  उसमे से बदबू नही आयेगी - इसका मतलब पानी में घोल कर भी नही  इसमे earthworm नही होना चाहिये अगर है  तो वो सिर्फ  दिखाने के लिए हैं क्यो  की हर एक earthworm किसान  के लिए important हैं.. उसमे earthworm eggs ज़रूर आ सकते हैं क्योकी छलनी का size इतना होता हैं .. अगर आप धूप मे  देखो तो उसमे शिशे  जैसी झ

काशी एक यंत्र है एक असाधारण यंत्र!!

क्यूं कहते हैं कि "काशी जमीन पर नहीं है, वह शिव के त्रिशूल के ऊपर है!" Jai ho....            Jai Mhakal.... क्योंकि #काशी #एक_यंत्र है एक असाधारण यंत्र!! मानव शरीर में जैसे नाभी का स्थान है, वैसे ही पृथ्वी पर वाराणसी का स्थान है.. शिव ने साक्षात धारण कर रखा है इसे! शरीर के प्रत्येक अंग का संबंध नाभी से जुड़ा है और पृथ्वी के समस्त स्थान का संबंध भी वाराणसी से जुड़ा है। धरती पर यह एकमात्र ऐसा यंत्र है!! काशी की रचना सौरमंडल की तरह की गई है, इस यंत्र का निर्माण एक ऐसे विशाल और भव्य मानव शरीर को बनाने के लिए किया गया,  जिसमें भौतिकता को अपने साथ लेकर चलने की मजबूरी न हो, और जो सारी आध्यात्मिक प्रक्रिया को अपने आप में समा ले। आपके अपने भीतर ११४ चक्रों में से ११२ आपके भौतिक शरीर में हैं, लेकिन जब कुछ करने की बात आती है, तो केवल १०८ चक्रों का ही इस्तेमाल आप कर सकते हैं। इसमें एक खास तरीके से मंथन हो रहा है। यह घड़ा यानी मानव शरीर इसी मंथन से निकल कर आया है, इसलिए मानव शरीर सौरमंडल से जुड़ा हुआ है और ऐसा ही मंथन इस मानव शरीर में भी चल रहा है।  सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी सूर्य के व्

काम और ध्यान

🥸 जब दो प्रेमी काम से निकट आते हैं, जब वे संभोग से गुजरते हैं, तब सच में ही वे परमात्मा के मंदिर के निकट से गुजर रहे हैं। वहीं परमात्मा काम कर रहा है, उनकी उस निकटता में। वहीं परमात्मा की सृजन शक्ति काम कर रही है। और मेरी अपनी दृष्टि यह है कि मनुष्य को समाधि का, ध्यान का जो पहला अनुभव मिला हो कभी भी मनुष्य के इतिहास में, तो वह संभोग के क्षण में मिला है और कभी नहीं। संभोग के क्षण में ही पहली बार यह स्मरण आया है आदमी को कि इतने आनंद की वर्षा हो सकती है। और जिन्होंने सोचा, जिन्होंने मेडिटेट किया, जिन लोगों ने काम के संबंध पर और मैथुन पर चिंतन किया और ध्यान किया, उन्हें यह दिखाई पड़ा कि काम के क्षण में, मैथुन के क्षण में, संभोग के क्षण में मन विचारों से शून्य हो जाता है। एक क्षण को मन के सारे विचार रुक जाते हैं। और वह विचारों का रुक जाना और वह मन का ठहर जाना ही आनंद की वर्षा का कारण होता है। तब उन्हें सीक्रेट मिल गया, राज मिल गया कि अगर मन को विचारों से मुक्त किया जा सके किसी और विधि से भी, तो भी इतना ही आनंद मिल सकता है। और तब समाधि और योग की सारी व्यवस्थाएं विकसित हुईं, जिनमें ध्यान और स