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इंसानी दिमाग में लगेगा चिप !

क्या एक दिन ऐसा भी आएगा जब दिमाग में प्रत्यारोपित किए गए चिप की बदौलत इंसान सीधे संपूर्ण मानव ज्ञान का उपयोग करने में सक्षम हो पाएगा? आपको शायद ये बात मज़ाक लगे, शायद सोच से परे भी, लेकिन अमरीकी लेखक और आविष्कारक रे कुरुजविल का मानना है कि ऐसा भविष्य में ज़रुर संभव होगा. हाल ही में सैनफ्रांसिस्को में हुए एक सम्मेलन में  रे कुरुजविल ने बीबीसी फ्यूचर  को बताया कि किस तरह से भविष्य में महत्वपूर्ण बदलाव जन्म लेंगे और इंसानों व समाज पर इनका क्या असर होगा. ये परिवर्तन मानव इतिहास का सबसे बड़ा परिवर्तन होगा. रे कुरुजविल का तर्क है कि  क्लिक करें कंप्यूटर की ताकत  आज जिस तरह से बढ़ गई है, उस देखते हुए कहा जा सकता है कि 2029 में मशीनें इंसानों की तरह ही स्मार्ट हो जाएगी. चिप को तंत्रिका तंत्र से जोड़ कर हम मानव को और स्मार्ट बनाया जा सकता हैं. " सूचना प्रौद्योगिकी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, दशक पहले जितना कंप्यूटर इस्तेमाल में आता था, उसकी तुलना में आज हम दोगुनी तेजी़ से कंप्यूटर की ताकत का इस्तेमाल करते हैं, भविष्य में इसकी ताकत और इस्तेमाल लगातार बढ़ता जाएग

"रिसर्च का तरीका अलग है"

अभिजीत बोरकर माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट में एस्ट्रोफिजिक्स विभाग में शोध कर रहे हैं. शर्मीले और शांत दिखने वाले अभिजीत को जर्मनी आए अभी कुछ ही समय हुआ है. वह शोध पूरा कर भारत लौटना पसंद करेंगे. अभिजीत कहते हैं कि अगर वह भारत में विज्ञान को किसी तरह बढ़ावा दे पाएं और हाईस्कूल के बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा कर पाएं तो उनहें बहुत अच्छा लगेगा. मंथन में इस बार उन्होंने ब्लैक होल और उल्कापिंडों पर रोशनी डाली. पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश. डॉयचे वेलेः   अभिजीत जर्मनी में आपने अपने शोध के लिए   कहां कहां आवेदन किया? अभिजीत बोरकरः  जी मैंने सिर्फ माक्स प्लांक संस्थान के लिए ही अप्लाई किया था. मेरा चयन यहां सबसे पहले हो गया, तो जुलाई 2012 में मैं यहां पीएचडी के लिए जर्मनी आ गया. यहां शोध करने के लिए आपने कैसे आवेदन किया? पीएचडी के लिए आप दो तरह से अप्लाई कर सकते हैं, या तो सीधे प्रोफेसर से संपर्क कीजिए और उन्हें ईमेल या फोन के जरिए अपना प्रोजेक्ट बताइए, या फिर आप उनके कॉलेजों में आवेदन कर सकते हैं. फिर बाकायदा इंटरव्यू होने के बाद छात्रों को चुना जाता है. मे

लास वेगास में टीवी की बदलती तस्वीर

अमेरिका के लास वेगास को आलीशान होटलों और कसीनो के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक मेला भी लगता है. इस बार इस मेले में एचडी और ओएलईडी टीवी का जादू बिखरा हुआ है. एक टीवी की कीमत छह लाख तक है. अमेरिका के लास वेगास को आलीशान होटलों और कसीनो के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक मेला भी लगता है. इस बार यहां एचडी और ओएलईडी टीवी का जादू बिखरा हुआ है. एक टीवी की कीमत 60 लाख रुपये तक है. तकनीक में दो मजेदार चलन हैं: एक तो हर मुमकिन उपकरण के आकार को छोटा करने का और दूसरा फोन और टीवी की स्क्रीन को बड़ा करने का. कंप्यूटर छोटे हो कर टैबलेट की शक्ल ले चुके हैं, तो टीवी की स्क्रीन अब 90 इंच तक हो गई है. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो यानी सीईएस में दुनिया भर की टीवी बनाने वाली कंपनियों ने शिरकत की है. इनमें सैमसंग, सोनी, एलजी, शार्प और पैनासोनिक शामिल हैं. खास तौर से सैमसंग और पैनासोनिक का पलड़ा इस शो में भारी लग रहा है. 89" का स्मार्ट टीवी सैमसंग के एस9 को देखने के लिए यहां काफी भीड़ जमा हो रही है. यह टीवी यूएचडी यानी अल्ट्रा हाई डेफिनिशन तकनी

लास वेगास में टीवी की बदलती तस्वीर

अमेरिका के लास वेगास को आलीशान होटलों और कसीनो के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक मेला भी लगता है. इस बार इस मेले में एचडी और ओएलईडी टीवी का जादू बिखरा हुआ है. एक टीवी की कीमत छह लाख तक है. अमेरिका के लास वेगास को आलीशान होटलों और कसीनो के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक मेला भी लगता है. इस बार यहां एचडी और ओएलईडी टीवी का जादू बिखरा हुआ है. एक टीवी की कीमत 60 लाख रुपये तक है. तकनीक में दो मजेदार चलन हैं: एक तो हर मुमकिन उपकरण के आकार को छोटा करने का और दूसरा फोन और टीवी की स्क्रीन को बड़ा करने का. कंप्यूटर छोटे हो कर टैबलेट की शक्ल ले चुके हैं, तो टीवी की स्क्रीन अब 90 इंच तक हो गई है. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो यानी सीईएस में दुनिया भर की टीवी बनाने वाली कंपनियों ने शिरकत की है. इनमें सैमसंग, सोनी, एलजी, शार्प और पैनासोनिक शामिल हैं. खास तौर से सैमसंग और पैनासोनिक का पलड़ा इस शो में भारी लग रहा है. 89" का स्मार्ट टीवी सैमसंग के एस9 को देखने के लिए यहां काफी भीड़ जमा हो रही है. यह टीवी यूएचडी यानी अल्ट्रा हाई डेफिनिशन तकनी

2012 की सबसे बड़ी खोज ‘गॉड पार्टिकल’, जानिए इस साल की टॉप 10 खोज

लंदन.  साइंस मैगजीन ने वर्ष 2012 की 10 सबसे बड़ी खोज की सूची जारी की है। इसमें हिग्स बोसोन की खोज शीर्ष स्थान पर रही है। वैज्ञानिक पिछले 4 दशकों से ‘गॉड पार्टिकल’  की तलाश में थे।  यह है 2012 की टॉप-10 उपलब्धियां- हिग्स बोसोन जुलाई 2012 में यूरोपीय न्यूक्लीयर रिसर्च टीम ने जिनेवा के सर्न में घोषणा की कि उन्होंने एक ऐसे कण को खोज लिया है जो ‘गॉड पार्टिकल’ की अवधारणा पर खरा उतरता है। वैज्ञानिकों ने उस पार्टिकल की खोज में स्विस-फ्रांस बॉर्डर पर दुनिया की सबसे बड़ी एटम स्मेशिंग मशीन स्थापित की। साइंस न्यूज जर्नलिस्ट एड्रियन चो ने लिखा- बोसोन ने ही अंतरिक्ष में विद्यमान‘हिग्स फील्ड’ के जरिए तत्वों को घनत्व प्रदान किया। घनत्व के बिना ब्रह्मांड की अस्तित्व नामुमकिन है। डेनिसोवान जीन विलुप्त मानव प्रजाति ‘डेनिसोवांस’ के डीएनए ब्लूप्रिंट के सीक्वेंस को खोजना। ये 41 हजार साल पहले साइबेरिया में रहते थे। स्टेम सेल से अंडा बनाना जापानी रिसर्चर ने चूहे के एंब्रायोनिक स्टेम सेल से अंडे का निर्माण किया। जिससे नए चूहे की उत्पत्ति हुई। भविष्य में नि:संतान दंपत्ति के लिए वरदान

वायु से बनेगा शुद्ध जल और ऊर्जा

  अबू धाबी। फ्रांसीसी इंवेटर और ईओलवाटर के संस्थापक मार्क पेरेंट ने कई वर्षो तक हवा में घुली वाष्प को संघनन करने की चेष्टी की और अंत में सफलता भी पाई। उन्होंने जिस एयर कंडीशनर को तैयार किया है, वह विंड टरबाइन के साथ वाणिज्यिक स्तर पर वायुमंडलीय नमी को संघनीभूत कर सकता है। पिछले साल उनके इस उपकरण से अबू धाबी में करीब 500-800 लीटर शुद्ध व ताजे जल को एक दिन में तैयार किया। इनके उपकरण ईओलवाटर डब्ल्यूएमएस1000 को केवल मरूभूमि में ही नहीं लगाया जा सकता है। यह उन स्थानों पर भी भूमिका निभा सकता है, जहां पानी की आपूर्ति के लिए आधारभूत व्यवस्थाएं नहीं है। पांचवीं पीढ़ी के इस उपकरण के लिए 19.7 फीट गुणा 6.5 फीट की जगह चाहिए, जहां वाटर कंडेंसर सिस्टम शीर्ष पर करीब 78 फीट पर स्थापित किया जा सके। इसे 30 केवी का विंड टरबाइन संचालित करता है, जिसके लिए हवा की रफ्तार 24 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए। टरबाइन में रोटर का व्यास 42 फीट है। वाष्प की संघनीभूत होने के बाद पानी फिल्टर होकर स्टेनलैस स्टील के टैंक में संग्रह हो जाता है। sabhar :patrika.com

निजी विमान से अंतरिक्ष की सैर

वो दिन दूर नहीं जब हम और आप अंतरिक्ष में सैर के लिए जाएंगे. वजह है अंतरिक्ष यान का आसानी से उपलब्ध होना. एक निजी कंपनी ने पहली बार आसमान में अपना निजी रॉकेट छोडने की पहल की है. अमेरिका के कैलिफोर्निया की इस कंपनी का नाम है स्पेस एक्स. इस कंपनी की शनिवार को अपना निजी रॉकेट अंतरिक्ष के लिए रवाना करने की योजना थी, लेकिन उसे अंतिम समय में मोटर में तकनीकी समस्या के कारण रोक दिया गया है. इतिहास में ये पहली बार है जब कोई निजी कंपनी अपना रॉकेट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र आईएसएस के लिए रवाना कर रही है. हालांकि ये टेस्ट उड़ान है. लेकिन कहा जा रहा है कि इसकी सफलता या असफलता से अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर काफी असर पड़ेगा. चालीस साल में यह पहला मौका है जब यान भेजने का ठेका गैर सरकारी कंपनी को मिला है. राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार जॉन हाल्ड्रेन इसे नासा का एक और व्यापारिक अभियान मानते हैं. गौरतलब है कि इस अभियान में नासा की ओर से भी पैसा लगाया गया है. अभियान में नासा ने 38 करोड़ डॉलर खर्च किया है जबकि कंपनी की ओर से 1 अरब डॉलर का खर्चा किया गया है. नास