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क्या ब्रमांड मे अनेक विश्व है

photo : google photo photo : google photo हमारे पौराणिक एवं धार्मिक पुस्तको  मे अनन्त सृष्टि की कल्पना की  गयी है | ईश्वर को अनन्त माना गया है , और उसकी लीलाओ को अनन्त कहा गया है | धर्म के अनुसार ईश्वर का वास हर कण मे है और उसकी माया अनन्त है  विज्ञान भी अब एक से ज्यादे विश्‍व को मानने लगा है | राजर पेनरोज़ जो की गणितग्य है  लेकिन खगौल विज्ञान मे उनका महत्वा पूर्ण योगदान है | उन्होने अपनी पिछली पुस्तक "द एम्पर्स न्यू माएंड " मस्तिष्क और चेतना को लेकर थी , जी बहूत चर्चित हुई थी | उनकी नयी किताब " साएकल्स आफ टाईम : एन  एक्सट्रा आर्डनरी न्यू आफ द यूनिवर्स " मे नयी अवधारणा के मुताबिक  ब्रमांड अनन्त है वह कभी नष्ट नहीं होता उसमे उसमे अनन्त कल्पो के चक्र एक  के बाद आते रहते है  | आम तौर पर विज्ञान मे प्रचलित है की  सृष्टि का आरंभ एक विग बैक  या बड़े विस्फोट से हुई है , इसके बाद ब्रमांड फैलता गया  जो अब भी फैल रहा है  एक समय के बाद ब्रमांड के फैलने की उर्जा समाप्त हो जायेगी और ब्रमांड पुनः छोटे से बिन्दु पे आ जायेगी |   पेनरोज़ की अवधारणा इससे विल्कुल अलग है  वह समय

कॉम्बिनेशन थेरेपी से खत्म होंगे कैंसर सेल्स

वॉशिंगटन .  वैज्ञानिकों ने एक नयी ड्रग कॉम्बिनेशन थेरेपी (दवा संयोजन चिकित्सा) तैयार की है, जो कोलोन, लिवर, फेफड़ा, गुर्दा, स्तन और ब्रेन कैंसर सेल्स को असरदार तरीके से खत्म कर देती है और ऐसा करते हुए वह शरीर के स्वस्थ सेल्स को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाती है. सबसे अहम यह है कि इस थेरपी में कैंसर सेल्स के जिंदा रहने के सभी रास्तों को खत्म किया जाता है और ऐसे में उनके पास दूसरे कैंसर सेल्स को खाकर जिंदा रहने का विकल्प ही बचता है. ऐसे में एक कैंसर सेल जिंदा रहने के लिए दूसरे को आहार बनाती है और इस तरह खुद ब खुद शरीर से कैंसर का खात्मा हो जाता है. इस तरह की स्थिति को ऑटोफेगी कहते हैं, जब सेल्स जिंदा रहने के लिए खुद को ही खाने लगते हैं. वर्जिनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी मेसी कैंसर सेंटर की ओर से करायी गयी एक हालिया प्री-क्लिनिकल स्टडी में इस थेरेपी को ईजाद किया गया और अब इसका पहली बार इनसानों पर ट्रायल किया जायेगा. वीसीयू स्कूल ऑफ मेडिसिन में असिस्टेंट प्रोफेसर ऐंड्रयू पोकलेपोविक के मुताबिक, क्लिनिकल ट्रायल कब शुरू होगा यह कहना अभी जल्दबाजी होगी मगर नतीजों से हम उत्साहित हैं और इसकी

अब अंतरिक्ष में सब्जियां उगाना संभव होगा

© फ़ोटो:  www.imbp.ru रूसी विज्ञान अकादमी के मेडिको-बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए ग्रीनहाउस तैयार किया है और मंगल ग्रह को भेजे जानेवाले अंतरिक्ष यान में सब्जियां उगाने के लिए ग्रीनहाउस का डिज़ाइन-आइडिया तैयार किया है| लगभग तीन घन मीटर आयतन के ग्रीनहाउस में चार हिस्से होंगे जिनमें से प्रत्येक में सलाद, टमाटर, गाजर और मिर्च उगाई जा सकेगी,” इस इंस्टीट्यूट की पचासवीं वर्षगाँठ के अवसर पर तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया है| इंजीनियरों के मत में ऐसा ग्रीनहाउस छह सदस्यों के कर्मीदल के लिए प्रति दिन दो किलो ताज़ी सब्जी मुहैया करवा सकता है| sabhar : http://hindi.ruvr.ru/ और पढ़ें:  http://hindi.ruvr.ru/news/2013_11_04/248859824/

चिकित्सा विज्ञान ने पूरी की युवती की शादी की चाहत

© फ़ोटो: Flickr.com/SarahMcD ॐ/cc-by राधिका (परिवर्तित नाम) गुड़गांव की एक कंपनी की सीइओ हैं। तमाम सुख सुविधाएं होने के बावजूद उन्हें मलाल था कि वह शादी नहीं रचा सकती थी। क्योंकि भगवान ने बचपन से जननांग नहीं दिया, किन्तु चिकित्सा विज्ञान ने उसकी जिंदगी की चाहत पूरी कर दी। दिल्ली स्थित एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने लेप्रोस्कोपी से दो घंटे के आपरेशन में जननांग बनाकर उसका नारित्व लौटा दिया। अब वह शादी की तैयारी में हैं। इसी महीने शहनाई भी बजने वाली है। सनराइज अस्पताल का दावा है कि लेप्रोस्कोपी से जननांग बनाने का यह देश में पहला सफल ऑपरेशन है। अस्पताल की गायनेकोलॉजिस्ट व लेप्रोस्कोपी सर्जन डॉ. निकिता त्रेहान ने कहा कि 25 नवम्बर को उसकी शादी होने वाली है। गुड़गांव के ही एक साफ्टवेयर इंजीनियर से शादी कर रही है और वह बहुत खुश है। जब वह अस्पताल पहुंची थी तो हीन भावना से ग्रस्त थी। इसलिए दो महीने तक उसकी काउंसलिंग की गई। उसके होने वाले पति ने भी बहुत साथ दिया। राधिका सोचती थी कि शादी के बाद पत्नी होने का फर्ज नहीं निभा पाएगी। इसके चलते मां बनने का सुख भी नहीं उठा पाएगी। पह

ओफियूशस नामक तारामंडल में मिला एक ब्लैक होल

वाशिंगटन : इसे एक अप्रत्याशित खोज ही कहा जा सकता है कि वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से करीब 22,000 प्रकाश वर्ष दूर, ओफियूशस नामक तारामंडल में एक ब्लैक होल देखा है। पिछले साल जब मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर की अगुवाई में खगोलविदों ने ग्लोबुलर क्लस्टर नामक तारों के समूह में दो ब्लैक होल की खोज की थी तब दल को यह अनुमान नहीं थी कि ब्लैक होल की मौजूदगी सामान्य है या फिर एक दुर्लभ प्रक्रिया है। अनुसंधानकर्ताओं ने ग्लोबुलर क्लस्टर में एक और ब्लैक होल ‘एम 62’ के सबूत खोजे हैं। एमएसयू में भौतिकी और खगोल विज्ञान की सहायक प्रोफेसर और टीम की सदस्य लॉरा चौकियुक ने बताया ‘सचमुच, ग्लोबुलर क्लस्टर्स में ब्लैक होल सामान्य बात हो सकती है।’ ब्लैक होल वास्तव में तारे होते हैं जो खत्म हो जाते हैं, विघटित हो जाते हैं और उनका गुरूत्व क्षेत्र बहुत मजबूत होता है। (एजेंसी) sabhar  http://zeenews.india.com/

स्विच बदलते हैं चेहरे की बनावट

वैज्ञानिकों ने अलग-अलग लोगों के चेहरों में अंतर पाए जाने के कारणों को समझने में आरंभिक सफलता प्राप्त कर ली है. चूहों पर हुए अध्ययन में वैज्ञानिकों को डीएनए में मौजूद हज़ारों ऐसे छोटे-छोटे हिस्सों का पता चला है जो चेहरे की बनावट के विकास में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. शोधपत्रिका साइंस में छपे इस शोध से चेहरे में आने वाली जन्मजात विकृतियों का कारण समझने में भी मदद मिल सकती है.इस शोध में यह भी पता चला कि आनुवांशिक सामग्री में परिवर्तन चेहरे की बनावट में बहुत बारीक़ अंतर ला सकते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह प्रयोग जानवरों पर किया गया है, लेकिन पूरी संभावना है कि मनुष्य के चेहरे का विकास भी इसी तरह होता है. कैलीफोर्निया स्थित लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी के ज्वाइंट जीनोम इंस्टीट्यूट के प्रोफ़ेसर एक्सेल वाइसेल ने बीबीसी से कहा, "हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि चेहरे की बनावट के निर्माण के निर्देश मनुष्यों के डीएनए में कैसे मौजूद होते हैं. इन डीएनए में ही कहीं न कहीं हमारे चेहरे की बनावट का राज़ छिपा है." क्लिक करें जीन स्विच " इससे हमें पता चलता है क

हाथ लग सकता है ताउम्र जवां रहने का नुस्खा

हम हमेशा जवान रहना चाहते हैं। यही वजह है कि जवान रहने के लिए हम नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं। कभी किसी टॉनिक में, तो कभी किसी क्रीम या फिर कॉस्मेटिक सर्जरी में। हालांकि सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं, क्योंकि बाहर से हम कितने भी जवां दिखें, लेकिन अंदर से शरीर कमजोर और बूढ़ा होता जाता है। लेकिन अगर अमेरिकी वैज्ञानिकों की कोशिश सफल रहती है, तो सदा जवान बने रहने का नुस्खा हमारे हाथ लग सकता है। दरअसल वैज्ञानिकों को पता चल गया है कि असल में जवानी का राज बाहर नहीं, बल्कि शरीर के डीएनए में छिपा है। वैज्ञानिकों ने इसे समझने के लिए डीएनए से जुड़ी ह्यूमन बॉडी क्लॉक (जैविक घड़ी) को खोज लिया है। यह घड़ी शरीर में मौजूद कोशिकाओं, टिश्यू और अंगों के उम्र की गणना करती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस घड़ी से किसी तरह बढ़ती उम्र के प्रोसेस को उल्टा किया जा सके, तो ताउम्र जवान रहने का सपना हकीकत में बदल सकता है।  सदा जवान बने रहने का राज : हालांकि अब भी वैज्ञानिकों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या यह जैविक घड़ी सदा जवान बने रहने के राज को खोल पाएगी। क्या यही घड़ी उन फैक्टर्स को कंट्रोल करती है, जिससे