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बेंगलुरू में बन रहा ऐसा रोबोट, 'मां' जैसा रखेगा ख्याल

बेंगलुरू।  जिस तरह मां अपने बच्चे का पूरा ख्याल रखती है, उसी तरह भारत में अनोखा रोबोट बन रहा है, जो अपने मालिक की हर जरूरत को पूरा करेगा। बेंगलुरू स्थित तकनीकी फर्म नोशन इंक ने इस 'मदर' रोबोट को ईव नाम दिया है। यह 2018 से बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। इसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस होगी, यानी यह अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकेगा। कंपनी के सीईओ रोशन श्रवण के अनुसार, ईव में मातृत्व का भाव है। ऐसा होगा यह अनोखा रोबोट ईव का आकार गोल और वजन करीब 100 ग्राम है। यह मशीन 15 मिनट तक उड़ान भरकर 2 किमी दूरी तय करने की क्षमता रखती है। आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस की मदद से यह इनसानों की तरह रोज-रोज के कामों और संदर्भों को समझ सकता है। आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस का फायदा यह होगा कि आम इनसान भी इस मशीन से बात करके अपनी जरूरत के अनुसार एप्लिकेशन बना सकेंगे। उन्हें लंबे प्रोग्राम लिखने की जरूरत नहीं होगी। कंप्युटर के साथ बात करने की कोडिंग की समस्याएं यहां हल कर ली गई हैं। डिवाइस में इसके मालिक के जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी होगी, लेकिन इसे कहीं साझा नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह मशीन किसी स

तकनीकी का जादू

sabhar /www.youtube.com

बुढ़ापे का इलाज रोबॉट्स टेक्नॉलजी

50 सालों में रोबॉट्स से सेक्स करने लगेंगे इंसान, प्यार में भी पड़ सकते हैं: एक्सपर्ट इंसान  जल्द ही रोबॉट्स के साथ यौन संबंध बना सकेंगे। यह दावा एक वैज्ञानिक ने किया है। उनका कहना है कि आने वाले 50 सालों के अंदर रोबॉट से सेक्स हकीकत बन जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ संडरलैंड से ताल्लुक रखने वालीं डॉक्टर हेलन ड्रिस्कल ने कहा कि टेक्नॉलजी अडवांस होने से मशीनों के साथ हमारे इंटरैक्ट करने का तरीका भी बदल जाएगा। सेक्स की साइकॉलजी और रिलेशनशिप का ज्ञान रखने वालीं डॉक्टर ड्रिस्कल ने कहा, 'सेक्स टेक्नॉलजी तेजी से प्रगति कर रही है और 2070 तक शारीरिक रिश्ते बनने लगेंगे।' डॉक्टर ने कहा, 'आप अभी से ही ऑनलाइन एक इंसान जैसे सेक्स टॉय को ऑर्डर कर सकते हैं। आने वाले सालों में रोबॉटिक, मोशन सेसिंग और इंटरैक्टिव टेक्नॉलजी और बेहतर हो जाएगी। इस टेक्नॉलजी की मदद से ये पुतलों जैसे सेक्स टॉय जिंदा हो जाएंगे।' डॉक्टर ड्रिस्कल ने कहा, 'हो सकता है कि लोग अपने वर्चुअल रिऐलिटी पार्टनर्स से मोहब्बत करने लगें।' गौरतलब है कि हाल ही में आई फिल्म 'हर' (Her) में भी इस विषय को उठाया गया थ

अंतरिक्ष में मिला 'घोस्ट पार्टिकल', एलियन्स के होने का सबूत

ज़ी मीडिया ब्यूरो लंदन :   शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष से जुटाए गए मलबे में एक छाया की तरह का 'घोस्ट पार्टिकल' खोजा है, इससे अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी की संभावना बढ़ गई है। बकिंघम एवं शेफील्ड यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोबॉयलोजी केंद्र के शोधकर्ताओं ने एक छोटा सा अंश खोजा है और इसका नाम उन्होंने 'लिविग बैलून' दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका उपयोग कभी एलियन के सूक्ष्म शारीरिक बनावट को ले जाने के लिए किया गया होगा। शोधकर्ताओं का दावा है कि 'घोस्ट पार्टिकल' यह साफ इशारा करता है कि अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी है। शोधकर्ता मिल्टन वेनराइट को कहना है कि ढूंढा गया पार्टिकल जाली वाले दुपट्टे से मिलता-जूलता है जिसकी चौड़ाई मनुष्य के बाल जैसी है। इसे पृथ्वी के समताप मंडल (स्ट्रेटस्फीयर) के 27 किलोमीटर ऊपर पाया गया। यह पार्टिकल अपने प्रकृति में जैविक है औऱ यह कार्बन एवं ऑक्सीजन से बना है।   वेनराइट के मुताबिक वे इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि इस अंतरिक्ष के वातावरण में यह 'घोस्ट पार्टिकल' एक 'लिविंग बैलून' है जिसे एक एलियन एक जगह से दूसरे ज

मिला हमेशा जवान रहने का नुस्खा

एक प्रोफेसर का दावा है कि उसने दक्षिण जापान के लोगों की लंबी उम्र का राज ढूंढ निकाला है. यह राज एक खास पौधे के अर्क में छुपा है, जिसे स्थानीय लोग "गेटो" के नाम से जानते हैं. ओकिनावा की रियूक्यूस यूनिवर्सिटी में कृषि विज्ञान के प्रोफेसर शिंकिचि तवाडा ने दक्षिण जापान के लोगों की लंबी उम्र का राज ढूंढ निकाला है. तवाडा को विश्वास है कि गहरे पीले-भूरे से रंग का दिखने वाला एक खास पौधे "गेटो" का अर्क इंसान की उम्र 20 फीसदी तक बढ़ा सकता है. तवाडा कहते हैं, "ओकिनावा में कई दशक से  लंबी उम्र तक जीने का दर  दुनिया में सबसे ज्यादा रहा है और मुझे लगता है कि इसका कारण जरूर यहां के परंपरागत खान पान में ही छुपा है." काइको उहारा 64 साल की हैं लेकिन अपनी उम्र से कहीं कम की दिखती हैं. इसका राज वह गेटो को बताती हैं. काइको अपनी दुकान में ऐसे सौंदर्य उत्पाद भी बेचती हैं जिनमें गेटो ही मुख्य घटक होता है, "मैं गेटो का काढ़ा पीती हूं, जो मुझे तरो ताजा कर देता है, और मैं इस पौधे के अर्क को पानी में घोल कर लगाती हूं जिससे झुर्रियां भी कम होती हैं." दक्षिण जाप

जब सबको पता होगा हमारे बारे में

कल्पना कीजिए एक दुनिया की जहां निजता जैसी कोई चीज नहीं होगी. मच्छर के साइज का एक रोबोट आए और बिना किसी अदालती आदेश के आपका डीएनए चुरा ले जाए. ऐसा कुछ सच होने वाला है. शुरुआत हो चुकी है. आप खरीदारी के लिए जाएं और दुकानों को पहले से ही पता हो कि आपकी खरीदने की आदतें कैसी हैं. भविष्य की दुनिया की ऐसी कई तस्वीरें हार्वर्ड के कुछ प्रोफेसरों ने दावोस के विश्व आर्थिक फोरम में खींची. यहां दुनिया भर से आए राजनीतिक और आर्थिक जगत के चोटी के प्रतिनिधियों को बताया गया कि अब व्यक्तिगत निजता जैसी कोई धारणा नहीं रही. हार्वर्ड के कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर मार्गो सेल्टजर ने कहा, "आपका आज में स्वागत है. हम उस दुनिया में पहुंच चुके हैं. जिस निजता को हम अब तक जानते आए हैं, वह अब संभव नहीं है." जेनेटिक्स के क्षेत्र में शोध करने वाले एक अन्य हार्वर्ड प्रोफेसर सोफिया रूस्थ ने कहा कि इंसान की व्यक्तिगत जेनेटिक सूचना का सार्वजनिक क्षेत्र में जाना अब अपरिहार्य हो गया है. रूस्थ ने बताया कि खुफिया एजेंटों को विदेशी राजनेताओं की जेनेटिक जानकारी चुराने को कहा जा रहा है ताकि उनकी बीमारियों और जिं

मंगल पर 'एलियन की जांघ की हड्डी' धरती से बाहर जीवन का सबूत?

लंदन नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर को मंगल की सतह पर अकेले चक्कर काटते हुए 2 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। हाल ही में इस रोवर द्वारा खींची गई एक तस्वीर से एलियन्स के वजूद में यकीन रखने वाले बेहद उत्साहित हैं। उन्हें मंगल की सतह पर कुछ ऐसा दिखा है, जिसे वे इस बात का सबूत बता रहे हैं कि हमारे अलावा इस ब्रह्मांड में कोई और भी है। मंगल की सतह पर कुछ ऐसा दिखा है, जिसे 'एलियन की जांघ की हड्डी' बताया जा रहा है।  एलियन की तलाश और उनकी मौजूदगी को साबित करने की कोशिश में नई-नई थिअरीज पेश करने वाले लोग नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर की खींची इस तस्वीर के आधार पर दावा कर रहे हैं कि मंगल ग्रह पर भी किसी वक्त जीवन रहा होगा। उनका दावा है कि रोवर के मैस्टकैम से 14 अगस्त को ली गई इस तस्वीर से साफ होता है कि किसी वक्त मंगल की सतह पर बड़े जानवर और शायद डायनॉसॉर तक घूमा करते थे। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि हडड  'नॉर्दर्न वॉइसेज ऑनलाइन' नाम के पोर्टल पर एक अज्ञात शख्स ने लिखा है, 'इस तस्वीर में दिख रही हड्डी से साफ होता है कि मंगल पर किसी वक्त कुछ तो रहता था।&#

ऐसे आप खुद बिजली पैदा कर सकेंगे

वैज्ञानिकों ने विश्व के सबसे पतले इलेक्ट्रिक जेनरेटर का किया एक्सपेरिमेंट पीटीआई, न्यू यॉर्क अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने सबसे दुबला जेनरेटर विकसित किया है, जो देखने में ट्रांसपैरेंट, बेहद हल्का, मोड़ा जा सकनेवाला और खींचकर लंबा किए जा सकने की क्षमता से लैस होगा। कोलंबिया इंजीनियरिंग ऐंड जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के रिसर्चर्स ने इसे पीजोइलेक्ट्रिसिटी नाम दिया है और पहली बार इसका एक्सपेरिमेंटल ऑब्जर्वेशन किया है। ये कमाल है मॉलेब्डेनम डाइसल्फाइड (MoS2) का। वैज्ञानिकों ने इसे एटॉमिक रूप से बेहद पतले मैटीरियल में डाला और इसका पीजोट्रॉनिक इफेक्ट देखा। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये एक विशेष तरह के इलेक्ट्रिक जनरेटर की तरह काम कर रहा है। रिसर्चर्स ने पावर प्रोडक्शन कर इसका डिमॉन्सट्रेशन भी किया। क्या है पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट एक खास बात और इस जेनरेटर में कि पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट को इससे पहले केवल थिऑरिटिकली ही समझा गया था। पीजोइलेक्ट्रिसिटी एक ऐसा इफेक्ट है, जिसमें किसी मैटीरियल को खींचने या दबाने से बिजली पैदा होती है। इस प्रयोग से मॉलेब्डेनम डाइसल्फाइड की खासियत का

2014 में साइंस' के टॉप 10 आविष्कार

साइंस पत्रिका ने साल 2014 में सामने आईं ढेरों नई खोजों और आविष्कारों में से चुनी हैं ये 10 खास चीजें. इसमें चूहों में मिले चिरयौवन के राज से लेकर डायनासोर से जुड़े खुलासे शामिल हैं. चांद पर पहला कदम रखने जैसा बड़ा कदम साल 2014 की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि रही यूरोपीय स्पेस एजेंसी के रोजेटा मिशन के नाम. 12 नवंबर को रोजेटा मिशन में ऑर्बिटर फिले को कॉमेट 67पी/चूरियूमोव-गेरासिमेंको पर सफलतापूर्वक लैंड कराया गया. फिले पर कुल 20 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो वहां धरती पर जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड की रचना से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं. इंसानों की बनाई सबसे पहली पेंटिंग अक्टूबर 2014 में साइंस में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में चूना पत्थर की गुफा में करीब 40,000 साल पुरानी पेंटिंग मिली है. इसे मानव इतिहास की सबसे पुरानी पेंटिंग माना जा रहा है. इससे पहले तक सबसे पुरानी पेंटिंग यूरोप में मिली मानी जाती थी. पहला सेमी-सिंथेटिक जीव कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक बैक्टीरिया ई. कोलाई के डीएनए को बढ़ाने में सफलता

पहला मेंढक जो अंडे नहीं बच्चे देता है

वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके