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75 वर्ष से हवा के दम पर जिंदा प्रहलाद जानी

गुजरात के मेहसाणा जिले में रह रहे 83 वर्षीय प्रहलादजानी उर्फ माताजी चुनरी वाले (पुरुष साधक) पिछले 75 साल से बिना कुछ खाए-पिए रहने तथा दैनिक क्रियाओं को भी योग की शक्ति से रोक देने की वजह से चिकित्सा विज्ञान के लिए एक चुनौती बन गए हैं। इस वक्त उनकी उम्र 83 वर्ष है। प्रहलाद जानी स्वयं कहते हैं कि यह तो दुर्गा माता का वरदान हैं, 'मैं जब 12 साल का था, तब कुछ साधू मेरे पास आए। कहा, हमारे साथ चलो, लेकिन मैंने मना कर दिया। करीब छह महीने बाद देवी जैसी तीन कन्याएं मेरे पास आयीं और मेरी जीभ पर अंगुली रखी। तब से ले कर आज तक मुझे न तो प्यास लगती है और न भूख।'   चराड़ा गांव निवासी प्रहलाद भाई जानी कक्षा तीन तक पढे़ लिखे हैं। जानी का दावा है कि दैवीय कृपा तथा योग साधना के बल पर वे करीब 75 वर्ष से बिना कुछ खाए पिए-जिंदा हैं।      मल मूत्र भी नहीं बनता :  इतना ही नहीं मल-मूत्र त्यागने जैसी दैनिक क्रियाओं को योग के जरिए उन्होंने रोक रखा है। स्टर्लिंग अस्पताल के न्यूरोफिजिशियन डॉ. सुधीर शाह बताते हैं कि जानी के ब्लैडर में मूत्र बनता है, लेकिन कहां गायब हो जाता है इसका पता करने म

तो क्या रोबोट भी हो जाएंगे धार्मिक..?

वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या कृत्रिम बुद्धि से बने एंड्रॉयड्‍स (रोबो) भी धार्मिक हो सकते हैं। उनका कहना है कि संभव है कि एक दिन रोबो की कोई धर्म अपना लें और इसका अर्थ है कि वे मानवता की सेवा कर सकते हैं और इसे नष्ट करने की कोशिश नहीं करेंगे। लेकिन इसका उल्टा भी सच हो सकता है और संभव है कि धार्मिक होने से उनकी ताकत में बढ़ोतरी हो जाए। मैसाचुसेट्‍स इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के मर्विन मिंस्की का कहना है कि किसी दिन कम्प्यूटर्स भी नीति शास्त्र को विकसित कर सकते हैं, लेकिन इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि इन मशीनों को लेकर सारी दुनिया में धार्मिक संघर्ष भी पैदा हो सकता है।     डेलीमेल डॉटकॉम के लिए एल्ली जोल्फागारीफार्ड का कहना है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि कृत्रिम बुद्धि (आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस) दशकों की अपेक्षा वर्षों में एक वास्तविकता हो सकती है। हाल ही में एलन मस्क ने चेतावनी दी है कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस मनुष्यता के लिए परमाणु हथियारों की तरह से घातक हो सकती है। डेलीमेल डॉटकॉम में डिलन लव ने हाल ही में एक सारगर्भित रिपोर्ट पेश की थी जि

टेलीपैथी' तकनीक पर काम रहा है फेसबुक

मल्‍टीमीडिया डेस्‍क।  क्‍या हो, यदि आप अपने फेसबुक पेज की वॉल पर कुछ पोस्‍ट करने के बारे में सोचे यह वह आपके टाइप किए बगैर ही पोस्‍ट हो जाए। यह हवा-हवाई बात नहीं है, बल्कि फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जकरबर्ग की योजना का हिस्‍सा है। वो एक नई तकनीक पर काम कर रहे हैं। दरअसल मार्क फेसबुक को टेलीपैथी से जोड़ना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि लोगों को अपने फेसबुक पेज पर कुछ भी पोस्‍ट करने, लाइक करने या शेयर करने के लिए कम्‍प्‍यूटर, लैपटॉप, स्‍मार्टफोन या टैबलेट की जरूरत ही न पड़े। यह सब केवल सोचने से हो जाए। मार्क अपने फेसबुक पेज पर नियमित रूप से लोगों के सवालों के जवाब देते हैं। हाल ही में उनसे एक सवाल पूछा गया कि भविष्‍य का फेसबुक कैसा होगा। इस पर उन्‍होंने अपनी टेलीपैथी योजना के बारे में बताया। मार्क के मुताबिक वो चाहते हैं कि लोग अपनी भावनाओं को टेलीपैथी के जरिए फेसबुक पर शेयर कर सकें। इसके लिए काफी उन्‍नत तकनीक की जरूरत पड़ेगी, जिस पर कंपनी रिसर्च कर रही है। उन्‍होंने बताया कि इसके लिए अत्‍यधिक उन्‍नत तकनीक के साथ ही खास किस्‍म के डिवाइसेस की जरूरत भी पड़ेगी, जो इंसानी भावनाओं तथ

बेंगलुरू में बन रहा ऐसा रोबोट, 'मां' जैसा रखेगा ख्याल

बेंगलुरू।  जिस तरह मां अपने बच्चे का पूरा ख्याल रखती है, उसी तरह भारत में अनोखा रोबोट बन रहा है, जो अपने मालिक की हर जरूरत को पूरा करेगा। बेंगलुरू स्थित तकनीकी फर्म नोशन इंक ने इस 'मदर' रोबोट को ईव नाम दिया है। यह 2018 से बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। इसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस होगी, यानी यह अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकेगा। कंपनी के सीईओ रोशन श्रवण के अनुसार, ईव में मातृत्व का भाव है। ऐसा होगा यह अनोखा रोबोट ईव का आकार गोल और वजन करीब 100 ग्राम है। यह मशीन 15 मिनट तक उड़ान भरकर 2 किमी दूरी तय करने की क्षमता रखती है। आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस की मदद से यह इनसानों की तरह रोज-रोज के कामों और संदर्भों को समझ सकता है। आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस का फायदा यह होगा कि आम इनसान भी इस मशीन से बात करके अपनी जरूरत के अनुसार एप्लिकेशन बना सकेंगे। उन्हें लंबे प्रोग्राम लिखने की जरूरत नहीं होगी। कंप्युटर के साथ बात करने की कोडिंग की समस्याएं यहां हल कर ली गई हैं। डिवाइस में इसके मालिक के जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी होगी, लेकिन इसे कहीं साझा नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह मशीन किसी स

तकनीकी का जादू

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बुढ़ापे का इलाज रोबॉट्स टेक्नॉलजी

50 सालों में रोबॉट्स से सेक्स करने लगेंगे इंसान, प्यार में भी पड़ सकते हैं: एक्सपर्ट इंसान  जल्द ही रोबॉट्स के साथ यौन संबंध बना सकेंगे। यह दावा एक वैज्ञानिक ने किया है। उनका कहना है कि आने वाले 50 सालों के अंदर रोबॉट से सेक्स हकीकत बन जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ संडरलैंड से ताल्लुक रखने वालीं डॉक्टर हेलन ड्रिस्कल ने कहा कि टेक्नॉलजी अडवांस होने से मशीनों के साथ हमारे इंटरैक्ट करने का तरीका भी बदल जाएगा। सेक्स की साइकॉलजी और रिलेशनशिप का ज्ञान रखने वालीं डॉक्टर ड्रिस्कल ने कहा, 'सेक्स टेक्नॉलजी तेजी से प्रगति कर रही है और 2070 तक शारीरिक रिश्ते बनने लगेंगे।' डॉक्टर ने कहा, 'आप अभी से ही ऑनलाइन एक इंसान जैसे सेक्स टॉय को ऑर्डर कर सकते हैं। आने वाले सालों में रोबॉटिक, मोशन सेसिंग और इंटरैक्टिव टेक्नॉलजी और बेहतर हो जाएगी। इस टेक्नॉलजी की मदद से ये पुतलों जैसे सेक्स टॉय जिंदा हो जाएंगे।' डॉक्टर ड्रिस्कल ने कहा, 'हो सकता है कि लोग अपने वर्चुअल रिऐलिटी पार्टनर्स से मोहब्बत करने लगें।' गौरतलब है कि हाल ही में आई फिल्म 'हर' (Her) में भी इस विषय को उठाया गया थ

अंतरिक्ष में मिला 'घोस्ट पार्टिकल', एलियन्स के होने का सबूत

ज़ी मीडिया ब्यूरो लंदन :   शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष से जुटाए गए मलबे में एक छाया की तरह का 'घोस्ट पार्टिकल' खोजा है, इससे अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी की संभावना बढ़ गई है। बकिंघम एवं शेफील्ड यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोबॉयलोजी केंद्र के शोधकर्ताओं ने एक छोटा सा अंश खोजा है और इसका नाम उन्होंने 'लिविग बैलून' दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका उपयोग कभी एलियन के सूक्ष्म शारीरिक बनावट को ले जाने के लिए किया गया होगा। शोधकर्ताओं का दावा है कि 'घोस्ट पार्टिकल' यह साफ इशारा करता है कि अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी है। शोधकर्ता मिल्टन वेनराइट को कहना है कि ढूंढा गया पार्टिकल जाली वाले दुपट्टे से मिलता-जूलता है जिसकी चौड़ाई मनुष्य के बाल जैसी है। इसे पृथ्वी के समताप मंडल (स्ट्रेटस्फीयर) के 27 किलोमीटर ऊपर पाया गया। यह पार्टिकल अपने प्रकृति में जैविक है औऱ यह कार्बन एवं ऑक्सीजन से बना है।   वेनराइट के मुताबिक वे इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि इस अंतरिक्ष के वातावरण में यह 'घोस्ट पार्टिकल' एक 'लिविंग बैलून' है जिसे एक एलियन एक जगह से दूसरे ज

मिला हमेशा जवान रहने का नुस्खा

एक प्रोफेसर का दावा है कि उसने दक्षिण जापान के लोगों की लंबी उम्र का राज ढूंढ निकाला है. यह राज एक खास पौधे के अर्क में छुपा है, जिसे स्थानीय लोग "गेटो" के नाम से जानते हैं. ओकिनावा की रियूक्यूस यूनिवर्सिटी में कृषि विज्ञान के प्रोफेसर शिंकिचि तवाडा ने दक्षिण जापान के लोगों की लंबी उम्र का राज ढूंढ निकाला है. तवाडा को विश्वास है कि गहरे पीले-भूरे से रंग का दिखने वाला एक खास पौधे "गेटो" का अर्क इंसान की उम्र 20 फीसदी तक बढ़ा सकता है. तवाडा कहते हैं, "ओकिनावा में कई दशक से  लंबी उम्र तक जीने का दर  दुनिया में सबसे ज्यादा रहा है और मुझे लगता है कि इसका कारण जरूर यहां के परंपरागत खान पान में ही छुपा है." काइको उहारा 64 साल की हैं लेकिन अपनी उम्र से कहीं कम की दिखती हैं. इसका राज वह गेटो को बताती हैं. काइको अपनी दुकान में ऐसे सौंदर्य उत्पाद भी बेचती हैं जिनमें गेटो ही मुख्य घटक होता है, "मैं गेटो का काढ़ा पीती हूं, जो मुझे तरो ताजा कर देता है, और मैं इस पौधे के अर्क को पानी में घोल कर लगाती हूं जिससे झुर्रियां भी कम होती हैं." दक्षिण जाप

जब सबको पता होगा हमारे बारे में

कल्पना कीजिए एक दुनिया की जहां निजता जैसी कोई चीज नहीं होगी. मच्छर के साइज का एक रोबोट आए और बिना किसी अदालती आदेश के आपका डीएनए चुरा ले जाए. ऐसा कुछ सच होने वाला है. शुरुआत हो चुकी है. आप खरीदारी के लिए जाएं और दुकानों को पहले से ही पता हो कि आपकी खरीदने की आदतें कैसी हैं. भविष्य की दुनिया की ऐसी कई तस्वीरें हार्वर्ड के कुछ प्रोफेसरों ने दावोस के विश्व आर्थिक फोरम में खींची. यहां दुनिया भर से आए राजनीतिक और आर्थिक जगत के चोटी के प्रतिनिधियों को बताया गया कि अब व्यक्तिगत निजता जैसी कोई धारणा नहीं रही. हार्वर्ड के कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर मार्गो सेल्टजर ने कहा, "आपका आज में स्वागत है. हम उस दुनिया में पहुंच चुके हैं. जिस निजता को हम अब तक जानते आए हैं, वह अब संभव नहीं है." जेनेटिक्स के क्षेत्र में शोध करने वाले एक अन्य हार्वर्ड प्रोफेसर सोफिया रूस्थ ने कहा कि इंसान की व्यक्तिगत जेनेटिक सूचना का सार्वजनिक क्षेत्र में जाना अब अपरिहार्य हो गया है. रूस्थ ने बताया कि खुफिया एजेंटों को विदेशी राजनेताओं की जेनेटिक जानकारी चुराने को कहा जा रहा है ताकि उनकी बीमारियों और जिं

मंगल पर 'एलियन की जांघ की हड्डी' धरती से बाहर जीवन का सबूत?

लंदन नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर को मंगल की सतह पर अकेले चक्कर काटते हुए 2 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। हाल ही में इस रोवर द्वारा खींची गई एक तस्वीर से एलियन्स के वजूद में यकीन रखने वाले बेहद उत्साहित हैं। उन्हें मंगल की सतह पर कुछ ऐसा दिखा है, जिसे वे इस बात का सबूत बता रहे हैं कि हमारे अलावा इस ब्रह्मांड में कोई और भी है। मंगल की सतह पर कुछ ऐसा दिखा है, जिसे 'एलियन की जांघ की हड्डी' बताया जा रहा है।  एलियन की तलाश और उनकी मौजूदगी को साबित करने की कोशिश में नई-नई थिअरीज पेश करने वाले लोग नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर की खींची इस तस्वीर के आधार पर दावा कर रहे हैं कि मंगल ग्रह पर भी किसी वक्त जीवन रहा होगा। उनका दावा है कि रोवर के मैस्टकैम से 14 अगस्त को ली गई इस तस्वीर से साफ होता है कि किसी वक्त मंगल की सतह पर बड़े जानवर और शायद डायनॉसॉर तक घूमा करते थे। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि हडड  'नॉर्दर्न वॉइसेज ऑनलाइन' नाम के पोर्टल पर एक अज्ञात शख्स ने लिखा है, 'इस तस्वीर में दिख रही हड्डी से साफ होता है कि मंगल पर किसी वक्त कुछ तो रहता था।&#