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मन का विज्ञान

  ध्यानी और शराबी में सिर्फ होश और बेहोशी का ही फर्क होता है -  Ek dhyani shrab pi le to kya hoga? ध्यान में प्रवेश करने के बाद ध्यानी के लिए शराब पीना तो दूर की बात है, शराब पीने का विचार करना ही कठिन होगा। ध्यानी शराब पीने के विषय में सोच भी नहीं सकता है। यदि ध्यानी है। यदि सही में साधक है तो उसे शराब पीने की जरूरत ही नहीं रहेगी। क्योंकि शराब में हमारा जिस भावदशा में प्रवेश होता है, ध्यानी उस भावदशा में जी रहा होता है। यानि शराब पीने के बाद हमें थोड़ी देर के लिए जो मस्ती आती है उसी मस्ती में ध्यानी जी रहा होता है। अर्थात ध्यानी चौबिस घंटे नशे वाली मस्ती में रहता है। और होश में जी रहा होता है। इसलिए उसे शराब पीने की जरूरत ही नहीं रहेगी।  शराब हमारे शरीर में क्या परिवर्तन करती है?  जब हम शरीर में शराब को डालते हैं तो हमारा शरीर तनाव मुक्त होने लगता है। शिथिल होने लगता है, रिलेक्स होने लगता है। क्योंकि शराब हमारे शरीर को सुलाने का काम करती है। नींद में ले जाने का काम करती है। शराब पीने के बाद हमारी श्वास गहरी होकर नाभि तक जाने लगती है और शरीर नींद की भावदशा में आ जाता है।  और जैसे ही शर

आज के भौतिक विज्ञानऔर शिव संप्रदाय

{{{ॐ}}}                                                                 #शाक्त_संप्रदाय आज के भौतिक विज्ञान की विकास परंपरा का भी यदि शैली से में इतिहास लिखा जाए तो अनेक अविष्कार को के नाम ऋषि की श्रेणी में आ जाए अंतर यह रहे कि इनके सूत्रों को ने वेद मंत्रों की तरह गाया जा सकता है ना व्यवहार का विषय बनाया जा सकता है यह उस युग की विशेषता हुई रही है कि वह ज्ञान के गूढ़ रहस्यों को सजीव रखने के लिए प्राण करने की परंपरा पर आ चुका है aइतना अवश्य ताकि इस स्थल को प्राप्त करने वाले के लिए तपस्या एक सती प्रथा का पालन करने वाला ही ऋषि कहलाता था हमारे यहां ज्ञान विज्ञान का इतिहास वेदों से प्रारंभ हुआ या शैवकाल ज्ञान की उत्कण्ठापूर्ण  ऑकुलता की अवस्था है जिसमें मानव अपने इतस्तत व्याप्त प्राकृतिक क्रियाओं को देखकर चमत्कृत होता था संभव है कि देव शब्द इसी युग का सामना सर्वमान्य स्तर रहा हो जो व्यक्ति की क्षमताओं से अधिक अथवा लोकप्रकृति के व्यवहार को चक्षु विस्फारण के साथ देखता रहा था और उसमें विलास से विभोर  होता रहा था। इन प्राकृतिक स्थितियों से वह भयभीत नहीं होता था सागर के दृष्टिविहीन विस्तार बादलो

ध्यान का रहस्य” – ओशो

******************************************* ध्यान कोई भारतीय विधि नहीं है और यह केवल एक विधि मात्र भी नहीं है। तुम इसे सीख नहीं सकते। तुम्हारी संपूर्ण जीवन चर्या का, तुम्हारी संपूर्ण जीवन चर्या में यह एक विकास है। ध्यान कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे, जैसे कि तुम हो, उसमें जोड़ा जा सके। यह एक मौलिक रूपांतरण है जो कि तुम्हारे स्वयं के उपर उठने के द्वारा ही आ सकता है। यह एक खिलावट है, यह विकसित होना है। विकास सदा ही पूर्ण होने से होता है, यह कुछ और जोड़ना नहीं है। तुम्हें ध्यान की ओर विकसित होना पड़ेगा। व्यक्ति की इस समग्र खिलावट को ठीक से समझ लेना चाहिए। अन्यथा कोई अपने साथ खेल, खेल सकता है, वह अपने ही मन की तरकीबों में उलझ सकता है। और बहुत सी तरकीबें है। उनके द्वारा न केवल तुम मूर्ख बनोगे, उनके द्वारा न केवल तुम कुछ नहीं पाओगे, बल्कि वास्तविक अर्थ में तुम्हें उनसे नुकसान ही होगा। यह मान लेना कि ध्यान की कोई तरकीब है- ध्यान की एक विधि के रूप में कल्पना करना- आधारभूत रूप से गलत है। और जब कोई व्यक्ति मन की चालाकियों में रस लेने लगता है तब मन की गुणवत्ता नष्ट होने लगती है। जैसे कि मन है, यह गैर-ध

मच्छर भगाने का तरीका खोजा गया

मच्छर भगाने का तरीका मंथनहब पर जारी एक वीडियो में घर में मच्छर को घुसने ही न देने के लिए तरीके का इजाद किया गया है  इसमें कमरे में जालीदार ट्यूब लगा कर उसमें उसमें कीटनाशक का प्रयोग किया गया है ताकि मच्छर घर में घुस ही ना सके

सूक्ष्म शरीर

-----:पृथ्वी के कक्ष के बाहर एक 'प्रभा मण्डल' है जो बुद्धिजीवी आत्माओं का केंद्र है:----- ****************************** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन        पूर्व सोवियत संघ के एक इलेक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ वैज्ञानिक #समायोन #कर्लीयान ने फोटोग्राफी की एक विशेष विधि का अविष्कार कर प्राणियों और पौधों के सान्निध्य में होने वाले सूक्ष्म विद्युत् सम्बन्धी कार्य-कलापों का सफल छायांकन किया है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि प्रत्येक प्राणी के दो शरीर होते हैं। पहला-- भौतिक शरीर जो आँखों से दिखलायी देता है और दूसरा--सूक्ष्म शरीर जिसकी सारी विशेषतायें प्राकृतिक शरीर जैसी ही होती हैं, पर वह आँखों से नहीं दिखलायी देता। वैज्ञानिकों के अनुसार सूक्ष्म शरीर किसी ऐसे सूक्ष्मीकृत पदार्थ से बना होता है जिसके इलेक्ट्रोन्स ठोस शरीर के इलेक्ट्रोन्स की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से चलायमान होते हैं। उनके अनुसार सूक्ष्म शरीर अस्थायी तौर पर भौतिक शरीर से अलग होकर कहीं भी विचरण कर सकता है।        भू

निमोनिया के विरुद्ध भारत का पहला स्वदेशी टीका

भारत ने निमोनिया पर नियंत्रण करने के लिए पहला स्वदेशी टीका लॉन्च किया है न्यू मोसिल नामक इस टीके का निर्माण सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर किया गया है दुनिया भर में प्रतिवर्ष 5 साल से कम उम्र के लगभग 1000000 बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण निमोनिया है भारत में प्रति वर्ष 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत में लगभग 14% मौतों का कारण निमोनिया है निमोनिया के कारण कारण होने वाली कुल मौतों में लगभग आधी मौतें निम्नलिखित 5 देशों में होती है जिसमें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो इथोपिया भारत नाइजीरिया पाकिस्तान सम्मिलित है निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है तथा खांसी सांस लेने में परेशानी और बुखार इसके सबसे आम लक्षण है या एक संक्रामक रोग है जो खांसी  के माध्यम से हो सकता है  निमोनिया से होने वाली मौतों के कारण में कुपोषण टीका तक पहुंच में कमी वायु प्रदूषण आदि सम्मिलित है यदि हम उसे सही हाथ धोया जाए तो  खतरे को 50% तक कम किया जा सकता है

3D प्रिंटर के द्वारा घर बनाया जा रहा है

आने वाले समय में घरों का निर्माण 3D प्रिंटर से बहुतायत यह जाने की संभावना है इसमें लागत मूल्य कम और शीघ्र तैयार होता है मैं कंप्यूटर के प्रयोग से डिजाइनिंग की जाती है उसके बाद 3D प्रिंटर के द्वारा तैयार कर दिया जाता है