समस्त दुःख संतापों से रक्षा करने वाली महाविधा माँ त्रिपुर भैरवी त्रिपुर भैरवी साधना दस महाविद्याओं में अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं तीव्र साधनात्मक स्वरूप है, ये माता तारा की तरह उग्र एवं सौम्य दोनों ही रुपों मे हैं। इस साधना से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुरक्षा प्राप्त होेने लगती है और समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। इस साधना के माध्यम से साधक पूर्ण क्षमतावान एवं वेगवान बन सकता है। त्रिपुर भैरवी : त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं। यह बंदीछोड़ माता है। भैरवी के नाना प्रकार के भेद बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी तथा षटकुटा भैरवी आदि। त्रिपुरा भैरवी ऊर्ध्वान्वय की देवता हैं। माता की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। इन्हें षोडशी भी कहा जाता है। षोडशी को श्रीविद्या भी माना जाता है। यह साधक को युक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करती है। इसकी साधना से षोडश कला निपुण सन्तान की प्राप्ति होती है। जल, थल और नभ में उसका वर्चस्व