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Elon Musk says he won’t take coronavirus vaccine, calls Bill Gates a ‘kn...

महाविधा माँ त्रिपुर भैरवी

समस्त दुःख संतापों से रक्षा करने वाली महाविधा  माँ त्रिपुर भैरवी त्रिपुर भैरवी साधना दस महाविद्याओं में अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं तीव्र साधनात्मक स्वरूप है, ये माता तारा की तरह उग्र एवं सौम्य दोनों ही रुपों मे हैं। इस साधना से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुरक्षा प्राप्त होेने लगती है और समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। इस साधना के माध्यम से साधक पूर्ण क्षमतावान एवं वेगवान बन सकता है। त्रिपुर भैरवी : त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं। यह बंदीछोड़ माता है। भैरवी के नाना प्रकार के भेद बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी तथा षटकुटा भैरवी आदि। त्रिपुरा भैरवी ऊर्ध्वान्वय की देवता हैं। माता की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। इन्हें षोडशी भी कहा जाता है। षोडशी को श्रीविद्या भी माना जाता है। यह साधक को युक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करती है। इसकी साधना से षोडश कला निपुण सन्तान की प्राप्ति होती है। जल, थल और नभ में उसका वर्चस्व

AGENDA 21 : WHAT ARE THEY ACTUALLY PLANNING FOR 2030? (Hindi Urdu) | TBV...

अर्जुन के फायदे

अर्जुन के फायदे ========== 1. हृदय के रोग : अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है। 2. हड्डी टूटने पर :अर्जुन के पेड़ के पाउडर की फंकी लेकर दूध पीने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लेप करने से भी दर्द में आराम मिलता है। 3. जलने पर : आग से जलने पर उत्पन्न घाव पर अर्जुन की छाल के चूर्ण को लगाने से घाव जल्द ही भर जाता है। 4. खूनी प्रदर : इसकी छाल का 1 चम्मच चूर्ण, 1 कप दूध में उबालकर पकाएं, आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें, इसे दिन में 3 बार लें। 5. शारीरिक दुर्गंध को दूर करने के लिए : अर्जुन और जामुन के सूखे पत्तों का चूर्ण उबटन की तरह लगाकर कुछ समय बाद नहाने से अधिक पसीना आने के कारण उत्पन्न शारीरिक दुर्गंध दूर होगी। 6. मुंह के छाले : अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर छालों पर लगायें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। 7. पेशाब में धातु का आना : अर्जुन की छाल का 40 म

गिलोय एक वरदान है

  गिलोय के रूप में प्रकृति ने हमें ऐसा वरदान दिया है, जिससे न सिर्फ कोविड वायरस के प्रकोप से बचा जा सकता है, बल्कि शरीर में होने वाले विभिन्न रोगों में भी यह औषधि आश्चर्यजनक फायदा देती है #गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है।  मान्यता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई। #इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं।  #गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम

DISHA-COVID relief initiative ( Providing Medical AID to INDIA)

आदिशक्ति

{{{ॐ}}}                                                                         #आदिशक्ति हमारा शरीर एक ऊर्जा परिपथ से संचालित होता है इसका ऊर्जा चक्र निर्धारित है जो प्रकृति ने किया हुआ है इसी ऊर्जा चक्र के कारण उसे सभी कर्म करने होते हैं ऊर्जा चक्र की इस व्यवस्था से हमारे संघर्षशील कर्म के द्वारा तकनीकी द्वारा ऊर्जा चक्र में परिवर्तित किया जा सकता हैa क्या इसे सिद्ध किया जा सकता है जैसा संस्कृत की हुआ है ऐसे तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि यह विवरण अधूरी हैं यह ऐसे शिष्यों को लिखाएं गये या रटाये गए नियम है जो प्रारंभिक सभी तकनीकों को सीख चुके होते हैं।  जो सभी सिद्धियों के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है। ईष्ट कोई भी हो यदि उसकी आराधना करने वाला उसमें सचमुच डूबता है तो उसी भाव को प्राप्त होगा अर्थात उस भाव की प्रवृत्ति बन जाती है भाव गहन है मानसिक शक्ति है एकाग्र होती है  वह एकाग्र होगी तो शक्तिशाली होगी यह शक्तिशाली हुई तो शरीर कि ऊर्जा तंत्र शक्तिशाली होगा। भाव बिना कोई सिद्धि नहीं होती भाव गहन नहीं है तो विस्मृति नहीं तो सिद्धि भी नहीं कई लाख मंत्र जपने और हजारों यज्ञ साधना करने का भी कोई लाभ