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किसानों के सरल कृषि यंत्र

महा देव के शिवलिंग की रक्षा विदेशी ऋषि कर रहे हैं

हवाई आइलैंड में विदेशी ऋषि कर रहे हैं शिवलिंग की रक्षा हिंदू ऋषि नाथ संप्रदाय के आईलैंड पर रहते हैं दुनिया के विभिन्न देशों से यहां पर मौजूद ऋषि अपने गुरु के से निर्दशानुसार पवित्र क्रिस्टल निर्मित शिवलिंग की रक्षा कर रहे हैं जो भारत के थे Find writing jobs or start your own writing business. Let our pro writers help you make a full time income at home. Founded by NY Times B  Read more https://db2b9c3-zhz148olvh4d0frhxv.hop.clickbank.net अध्यात्म और विज्ञान ... ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है . कोई माने या ना माने लेकिन कुछ तथ्य आज भी ऐसे है जिनपर विज्ञान हाथ खड़े कर देता है . या यूं कहे आज भी भारत के अध्यात्म से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य है जिनपर विज्ञान भी पूर्ण रूप से शोध करके किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका है.अध्यात्म और ईश्वरीय शक्ति का जोड़ ही सकारात्मक ऊर्जा का एक मात्र सहारा है. ईश्वरीय शक्ति जीवन में वो अनुभव कराती है जो साधारण रूप से संभव नहीं है...आज सोमवार है यानी की साक्षात महादेव का दिन है , महादेव देवों के देव हैं आज भी महादेव से जुड़े कुछ तथ्य हैं जिससे विज्ञान पार नही

मिल गई कैंसर की दवा

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, एक बहुत ही छोटे क्‍लीनिकल ट्रायल में 18 रोगियों ने तकरीबन छह महीने तक डोस्टारलिमैब (Dostarlimab) नाम की दवा ली और अंत में उन सभी का कैंसर ट्यूमर गायब हो गया. Dostarlimab लैब में बनी मॉलिक्‍यूल (Molecule) वाली दवा है जो इंसान के शरीर में सबस्‍टीट्यूट एंटी बॉडी (Substitute Antibodies) के तौर पर काम करती है. ट्रायल के दौरान सभी 18 मलाशय के कैंसर (Rectal Cancer) पीड़ितों को एक ही दवा दी गई थी. मेडिकल दुनिया में यह एक बड़ी खबर है कि शारीरिक परीक्षण जैसे एंडोस्‍कोपी (endoscopy), पॉजिट्रान एमीशन टोमाग्राफी या पेट स्‍कैन (PET scans) या एमआरआई स्‍कैन (MRI scans) में से किसी में भी कैंसर डिटेक्ट नहीं हुआ डिटेल जानने के लिए इन दोनों यूट्यूब वीडियो को देखें .

ONDC Project Open Network for Digital Commerce (ONDC)

ONDC Project Open Network for Digital Commerce (ONDC) is an initiative aiming at promoting open networks for all aspects of exchange of goods and services over digital or electronic networks. ONDC is to be based on open-sourced methodology, using open specifications and open network protocols independent of any specific platform. The foundations of ONDC are to be open protocols for all aspects in the entire chain of activities in exchange of goods and services, similar to hypertext transfer protocol for information exchange over internet, simple mail transfer protocol for exchange of emails and unified payments interface for payments. These open protocols would be used for establishing public digital infrastructure in the form of open registries and open network gateways to enable exchange of information between providers and consumers. Providers and consumers would be able to use any compatible application of their choice for exchange of information and carrying out transacti

Java Burn

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हम क्या क्या हैं और क्या क्या नहीं हैं

 ---- ********************************                          भाग--05                        ********** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अद्भुत अलौकिक अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्यपाद गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि वन्दन        योग की सर्वोच्च अवस्था है--परमावस्था। इस अवस्था को प्राप्त करने के लिए साधक को समय की एक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। कई जन्म बीत जाते हैं। न जाने कितने मानसिक, वैचारिक और आत्मिक संघर्ष करने पड़ते हैं। साधना-क्रम आगे बढ़ाने के लिए योग्य गर्भ का भी होना आवश्यक है। अन्यथा साधना-क्रम भंग होने की आशंका बनी रहती है। फिर तो इधर-उधर भटकना पड़ता है और साधक को जाने कब और किस जन्म में 'परमावस्था' उपलब्ध  होगी और किस जन्म में उपलब्ध होगा 'आत्म साक्षात्कार' ?        'परमावस्था' आत्मा की अद्वैत अवस्था मानी जाती है। इसी अवस्था में आत्मा को अपने निज स्वरुप का ज्ञान होता है। इसी अवस्था में आत्मा के सामने प्रकट होता है--एक दिव्य ज्योतिर्मय प्रकाश जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। क्योंकि वर्णन योग्य शब्द ही नहीं मिलते

इतिहास के पन्नों से सत्येन्द्रनाथ बोस

 # #सत्येन्द्रनाथ बोस भारत के वह शोधकर्ता थे, जिन्हें 2012 में न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार में "गॉड पार्टिकल" के रूप में वर्णित किया गया था। वह अपने 1924 के शोध के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका यह शोध "बोस-आइंस्टीन क्वांटम" के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। तो चलिए जानते हैं "गॉड पार्टिकल" सत्येन्द्रनाथ बोस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य- 1.भौतिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, विज्ञानी पाल डिरक ने ‘बोसोन पार्टिकल’ का नाम उनके नाम पर रखा था। 2. सत्येंद्रनाथ बोस को बंगाली और अंग्रेजी के अलावा, फ्रेंच, जर्मन और संस्कृत भी आती थी। इसके साथ ही वह लॉर्ड टेनीसन, रबिन्द्रनाथ टैगोर और कालिदास की कविताओं में भी रुचि रखते थे। 3. जब सत्येंद्रनाथ बोस के शोध पत्र 'प्लैंक लॉ एंड द हाइपोथिसिस ऑफ लाइट क्वांटा' को छापने से मना कर दिया गया था, तब बोस ने अपना यह शोध पत्र एल्बर्ट आइंस्टीन को भेजा, जिन्होंने इस शोध पत्र के महत्व को समझा और इसका जर्मनी में ट्रांसलेशन कर बोस के नाम पर इसे छपवाया। 4. बोस ने 1926 में ढाका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन तब

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि

 www.drishtiias.com वेबसाइट पर प्रकाशित कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि लेख इस इस संदर्भ में मैं कहना चाहूंगा आने वाले समय में खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा ड्रोन के द्वारा दवाओं का छिड़काव कंप्यूटराइज ड्रिप आधारित प्रणाली रोग एवं कीटो का  त्वरित उपचार इत्यादि होगा श्रमिक भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रोबोट भी होंगे के द्वारा डेयरी उद्योग कृषि अन्य उद्योगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा दृष्टि डॉट कॉम इस संबंध में काफी अच्छा शोध पत्र प्रकाशित किया है आप लोग इसका अध्ययन कर सकते हैं संदर्भ: विश्व की आबादी के बढ़ने के साथ ही कृषि योग्य भूमि की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, ऐसे में लोगों को कृषि के संदर्भ में अधिक रचनात्मकता और कुशलता आर्जित करने की आवश्यकता है। इसके तहत कम भूमि के उपयोग से ही फसल की उपज और  उत्पादकता को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देना होगा। भारत में स्वतंत्रता के बाद से ही कृषि सुधार के कई बड़े प्रयास के बावज़ूद आज भी यह क्षेत्र मानसून की अनिश्चितता, आधुनिक उपकरणों की कमी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। इस संदर्भ में जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा जैसी समस्य

काम विज्ञान के द्वारा काम ऊर्जा का रूपांतरण

https://youtu.be/GFm172Z8fEo भारतीय अध्यात्म की भगवान शिव के द्वारा रचित विज्ञान भैरव तंत्र में काम ऊर्जा द्वारा कुंडली ऊर्जा को जागृत करने की विधि बताई गई है ध्यान की 112 विधियों में एक विधि भी है अभी भी उन लोगों के लिए सर्वोत्तम है जो दैनिक जीवन में ज्यादा कामुक होते हैं जिनकी कुंडली उर्जा मूल आधार पर स्थित होती है वह लोग काम ऊर्जा होश पूर्वक का प्रयोग कर अपनी कुंडली को सहस्त्रार तक पहुंचा सकते हैं के संबंध में प्रख्यात दार्शनिक आचार्य रजनीश ने संभोग से समाधि की ओर एक पुस्तक लिखी है जिसका लोगों ने गलत अर्थ लगा लिया काम ऊर्जा और कामवासना में अंतर होता है काम ऊर्जा एक क्रिएटिव एनर्जी है जबकि कामवासना स्त्री या पुरुष के शरीर के प्रति आसक्ति काम ऊर्जा स्वयं के भीतर से उठती है और जो आनंद के रूप में महसूस होती है जिसे आत्मानंद या परमानंद कहते हैं क्योंकि हमारा मन सूक्ष्म गतिविधियों से प्रोग्राम होता है आता हम अपने भीतर को ही नहीं बाहरी शरीर को ही आनंद का स्रोत मान लेते हैं जबकि शरीर एक माध्यम है जो क्वांटम प्रोग्राम की तरह से चित रूपी चिप के द्वारा संचालित होती है असली आनंद आत्मा का होता ह

अदृश्य पदार्थ और ऊर्जा

 ब्रह्मांड ब्रह्मांड विज्ञान अभी नहीं जानता कि 23% पदार्थ का रंग रूप क्या है और शेष 73% किस प्रकार की ऊर्जा है अर्थात डब्बी विज्ञान अभी ब्रह्मांड का निर्माण करने वाले पदार्थ तथा पदार्थ का मात्र 4% ही जानता है इस घोर अज्ञान के लिए विज्ञान को कोई खेत प्रकट करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस अज्ञान का जानना भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है ब्रह्मांड विज्ञान ने हमें ज्ञान दिया है कि ब्रह्मांड का उद्भव 13 पॉइंट 7 अरबवर्ष पहले हुआ था  उसका  विकास किस तरह हुआ अर्थात किस तरह ग्रह तारे मंदाकिनी मंदाकिनी यों के समूह और किस तरह से मुंह की चादर निर्मित हुई कि ब्रह्मांड में पदार्थ इतनी दूर दूर क्यों है कि पदार्थ और पति पदार्थ का निर्माण हुआ था कि अब हमारे देखने में केवल पदार्थ ही है दिग और काल निरपेक्ष नहीं वरन बैक के सापेक्ष हैं कि वे चार आयामों में घुसे हुए हैं कि बिक का बैग के साथ संपन्न होता है और काल का वितरण की ब्रह्मांड की रचना स्थाई नहीं है और उसका प्रसार हो रहा है और वह भी त्वरण के साथ एक जगत और है जो हमें दिखता नहीं है क्योंकि वह अत्यंत सूक्ष्म कणों से बना है उस पर आइंस्टाइन के अपेक्षित सिद्धा