सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

How Climate Change Is Leaving Some Species with ‘Nowhere Left to Go’

 https://www.scientificamerican.com/ From the depths of the ocean to the peaks of mountains, species are moving out of their historical homes in search of cooler conditions By  Fionna M. D. Samuels  on  July 5, 2022 For millennia, many animals and plants have coped with occasional climate changes by moving into new areas. But humans’ relatively recent burning of fossil fuels is pushing global temperatures upward at an exceptionally rapid rate, placing many species on what a new book by science journalist Benjamin von Brackel notes has been called an “escalator to extinction”—and raising the question of whether migration can save them this time. It is estimated that land-dwelling animals are now moving toward the poles at a rate of an average of about 17 kilometers (more than 10 miles) per decade and that the front line of ocean dwellers is now doing so at a rate of 72 kilometers (45 miles) per decade. Some plant and animal species—such as the Edith’s checkerspot butterfly and the Scots

Science and spriculality

 विज्ञान  की निगाह में प्रकृति एक मशीन है जिसे पूरी तरीके से समझ लिया जाए तो इसको बहुत अच्छी तरीके से ऑपरेट किया जा सकता है परंतु आध्यात्मिक की निगाह में सृष्टि एक माया है ईश्वरी परिकल्पना का एक दृश्य मात्र है सभी कुछ ब्रह्म है परंतु अहंकार की वजह से हमें इसका भान नहीं होता हम ईश्वर से अपने आप को पृथक महसूस करते हैं परंतु वास्तव में हम ईश्वर के अंश है विज्ञान क्रम क्रमबद्ध  तरीके से विकसित होते हुए गॉड पार्टिकल तक पहुंच गया है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा इमोशन पर आधारित रोबोट का भी निर्माण करने लगा सभी कुछ मानव के हाथ में आ गया है सृष्टि से सृष्टि करने वाला बन गया है ऐसा हो भी क्यों नहीं मनुष्य में भी तो परमात्मा का ही अंश है मनुष्य ही परमात्मा की सर्वोत्तम  कृति है जिसके अंदर विवेक है और समझ है बाकी किसी के अंदर इस पृथ्वी पर मनुष्य इतना समझ नहीं है  अन्य सभी चेतना अपने विकास के दौड़ में हैं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अपनी चेतना को ही परम चेतना से जोड़ देते हैं तो हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है मन के द्वारा मंत्र है मंत्र से फ्रीक्वेंसी है फ्रीक्वेंसी स्ट्रिंग है स्प्रिंग से ही से

गायों की वजह से मिली थी दुनिया को चेचक से मुक्ति

https://www.dw.com/ विज्ञान की सबसे महान उपलब्धियों में से एक 8 मई 1980 हासिल हुई थी को जिस दिन चेचक के वायरस का खात्मा हुआ था. उससे पहले, चेचक ने मानव इतिहास की एक अलग ही शक्ल बना दी थी. दुनिया भर में लाखों लोग मारे गए थे. अकेले 20वीं सदी में चेचक वायरस से कोई 30 करोड़ लोगों की जान गई थी. वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने वालों की लंबी और कठिन कोशिशों के सैकड़ों साल बाद 1970 के दशक मे विश्वव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किए गये जिसने चेचक का अंत किया. एक सवाल सवाल यह भी है कि  दुनिया का पहला टीका कैसे बनाया गया था?   इन टीके को बड़ी मात्रा में बचाए रखना और मंकीपॉक्स जैसी बीमारियों में इस्तेमाल करना क्यों जरूरी है? काउपॉक्स- लोक कथाओं के सबक टीकों का वैज्ञानिक आधार वास्तव में लोककथाओं से आता है. 18वीं सदी में यह अफवाह थी कि इंग्लैंड में ग्वालिनों को अक्सर काउपॉक्स हो जाता है लेकिन चेचक उनसे दूर रहता है.  काउपॉक्स यानी गोशीतला, चेचक जैसी ही बीमारी है लेकिन उससे हल्की है और मौत की आशंका भी कम रहती है. अब माना जाता है कि चेचक के वायरस जैसे ही एक वायरस से यह भी फैलती है. जब ए

जड़ी बूटियों के द्वारा बुढ़ापे को दूर भगाया जाए

 केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ में आयोजित  अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला  के दौरान वैज्ञानिकों ने इस तथ्य को उजागर किया। सेक्सीफ्रागा लिग्युलता (भारतीय नाम पासानिभिड़ा), वुडफोर्डिया फ्रुटीकोसा (शिनाजितिया) व रोडोमायरटस टोमेन्टोसा हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले ऐसे पौधे हैं जिनमें मौजूद तत्व हमें जवान रहने में मदद करते हैं। हिमालयन ड्रग की शोधकर्ता डॉ. एकता सक्सेना ने बताया कि आंतरिक और बाहरी दो कारणों से हम उम्र दराज दिखने लगते हैं। त्वचा पर झुर्रियां पड़ना, लचीलापन कम होना, आंखों के नीचे काले धब्बे होना बढती उम्र के लक्षण हैं, लेकिन भारत में पाए जाने वाले सेक्सीफ्रागा लिग्युलता में कुछ ऐसे तत्व हैं जो त्वचा के कालेपन को रोकते हैं। इसके अलावा रोडोमायरटस टोमेन्टोसा त्वचा के लचीलेपन को कम करता है। हमारे शरीर में कोलेजन प्रोटीन का बनना भी हमें उम्र दराज दिखाता है। वुड फोर्डिया फ्रुटीकोसा इस प्रोटीन के बनने को कम करता है। इस प्रकार हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय पौधों में बुढ़ापा दूर करने की ताकत है तथा ये पौधे त्वचा के कालेपन और झुर्रियों को कम करने में भी मददगार हैं। राष्ट्रीय

6G आने पर खत्म हो जाएंगे स्मार्टफोन? Nokia CEO की भविष्यवाणी, 2030 में ऐसे चलेगा लोगों का काम

 6G Technology: दुनिया के कई देशों में 5G टेक्नोलॉजी आ चुकी है और अब 6G की तैयारी हो रही है. Nokia के CEO Pekka Lundmark ने 6G और स्मार्टफोन्स के फ्यूचर को लेकर एक भविष्यवाणी की है. उनका मानना है कि साल 2030 तक स्मार्टफोन खत्म हो जाएंगे. जानिए क्या है पूरा मामला. फोन से मोबाइल फोन और फिर स्मार्टफोन तक का सफर बहुत छोटा है. बातचीत के लिए तैयार किए गए इस डिवाइस का इतिहास आम लोगों के बीच मुश्किल से कुछ दशक का है. कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही यह इतिहास का हिस्सा भी बन सकते हैं. स्मार्टफोन तेजी से विकसित होने वाले प्रोडक्ट्स में से एक है. दरअसल, Nokia के CEO Pekka Lundmark का मानना है कि साल 2030 तक 6G टेक्नोलॉजी शुरू हो चुकी होगी, लेकिन तब तक स्मार्टफोन 'कॉमन इंटरफेस' नहीं होंगे. उन्होंने ये बात दावोस में चल रहे World Economic Forum में कही है.  Pekka Lundmark ने कहा कि कॉमर्शियल मार्केट में 2030 तक 6G की एंट्री हो जाएगी. उन्होंने कहा कि 6G के आने से पहले ही लोग स्मार्टफोन की तुलना में स्मार्ट ग्लासेस और दूसरे डिवाइस को यूज करने लगेंगे. नोकिया सीईओ ने बताया, 'तब तक, हम जिन स्

Why Do Astronomers Seek the Most Distant Galaxies?

https://www.scientificamerican.com Earlier this year, an international team of astronomers, of which I am part,  presented to the world a galaxy named HD1.  If confirmed, this galaxy would be the most distant astronomical object yet found. HD1 was shining only  320 million years  after the universe’s birth in the big bang—breathtakingly close to the origin of the cosmos. The galaxy’s light made an incredible journey to reach our telescopes, one that lasted about 13.4 billion years. For perspective, dinosaurs were roaming our planet only 0.2 billion years ago, and the entire history of the Earth started 4.5 billion years ago. When the photons that would eventually be registered in our telescopes left HD1, our planet did not yet exist—the emergence of the solar system itself lay almost nine billion years in the future.

Amazon Prime Days सेल का ऐलान, आधी कीमत पर मिलेंगे TV और मोबाइल, 80% तक होगा डिस्काउंट

  Amazon Prime Days Sale 2022: ऐमेजॉन ने प्राइम डेज सेल का ऐलान कर दिया है. इस सेल में कंज्यूमर्स को स्मार्टफोन, टीवी , रेफ्रिजरेटर और दूसरे आइटम्स पर आकर्षक डिस्काउंट मिलेगा. आप बेहद कम कीमत पर कई प्रोडक्ट्स खरीद सकेंगे. Amazon Prime Days सेल का हुआ ऐलान 23 जुलाई से शुरू हो रही है सेल 80 परसेंट तक डिस्काउंट पर मिलेंगे प्रोडक्ट्स ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Amazon पर जल्द ही Prime Days सेल शुरू होने वाली है. ऐमेजॉन ने सेल की डेट्स का ऐलान कर दिया है. इस सेल में यूजर्स को फ्लैगशिप स्मार्टफोन आकर्षक कीमत पर मिल सकते हैं. स्मार्टफोन ही नहीं आपको इस सेल में कई दूसरे बेनिफिट्स भी मिलेंगे. दो दिनों तक चलने वाली इस सेल में ICICI Bank और SBI कार्ड्स पर 10 परसेंट का एक्स्ट्रा डिस्काउंट मिलेगा. सेल में 40 परसेंट का डिस्काउंट मोबाइल और एक्सेसरीज पर मिलेगा. इतना ही नहीं यूजर्स को नो-कॉस्ट EMI और एक्सचेंज ऑफर का भी फायदा मिलेगा. वहीं आप 75 परसेंट का डिस्काउंट लैपटॉप, हेडफोन और दूसरे प्रोडक्ट्स पर मिलेगा. कई नए प्रोडक्ट्स भी इस सेल में लॉन्च हो सकते हैं. Amazon Prime Days सेल का हुआ ऐलान 23 जुलाई से शुरू हो

बहुत मुश्किल है फिर से पत्तल की पंगत पर लौटना

 बहुत मुश्किल है फिर से #पत्तल की #पंगत पर लौटना परन्तु #फायेदमंद है खाना बर्बाद नहीं होता है और संतोषपूर्वक सभी का पेट भरता है मजे से प्लेटों में भर भर के जो आपकी दाबतों में आपके मेहमान खाना फेंकते हैं दरअसल वो आपकी मेहनत की कमाई होती है💥🏌 हमने कभी वेदों का अध्ययन नही किया, हमने कभी गीता पढ़कर उसे अमल में लाने का प्रयास नही किया, हमने योग विद्या को कभी नही अपनाया, हमने आयुर्वेद में कोई अनुसंधान नही किया, हमने संस्कृत भाषा को कोई महत्व नही दिया ऐसी बहुत सी अच्छी और महत्वपूर्ण चीजें है जो हमारे पूर्वज हमारे बुजुर्ग हमे विरासत में दे गए पर हम पाश्चात्य संस्कृति अपनाने में अंधे हो गए हमने धीरे धीरे हमारी संस्कृति को ही छोड़ने का काम किया. अब एक बहुत छोटी सी बात है पर हमने उसे विस्मृत कर दिया हमारी भोजन संस्कृति इस भोजन संस्कृति में बैठकर खाना और उस भोजन को "दोने पत्तल" पर परोसने का बड़ा महत्व था कोई भी मांगलिक कार्य हो उस समय भोजन एक पंक्ति में बैठकर खाया जाता था और वो भोजन पत्तल पर परोसा जाता था जो विभिन्न प्रकार की वनस्पति के पत्तो से निर्मित होती थी. क्या हमने कभी जानने की कोश

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव के लिए खतरा है

आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है मशीनी बुद्धिमत्ता मानव की बुद्धिमत्ता से भी ज्यादा किसी दिन हो जाएगी क्या तब मशीन और मानव में युद्ध होगा मानव समाप्त हो जाएंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अच्छे या बुरे रोबोट मौजूद होंगे विचारों के आधार पर बेरोजगारी बढ़ेगी सारे काम रोबोट करेंगे रिसर्च का काम भी रोबोट करेंगे तो उपयोगिता क्या रहेगी जानवरों की उपयोगिता हमारे सामने हैं उसी प्रकार हम रोबोट के सामने छोटे हो जाएंगे दुनिया में रोबोट्स का ही राज चलेगा भारतीय अध्यात्मिक दर्शन या विश्व के किसी भी दर्शन में दानव और देवता का वर्णन किया गया है और मानव इन दोनों के बीच की कड़ी है मानव तभी देव दानव देवता को प्रकट करता था मंत्रों के द्वारा मानव को ही व शक्ति प्राप्त है जो ध्यान योग के द्वारा कर्म योग के द्वारा परमात्मा को जान सके जो आजविज्ञान कर रहा है उसका वर्णन बहुत पहले ही हमारे पुराणों में दे दिया गया है अंतर केवल इतना है मंत्र के द्वारा सिद्ध होते थे जो स्ट्रिंग का ही एक रूप है और आज यंत्रों के द्वारा कंप्यूटर प्रोग्राम के द्वारा वीडियो में हार्ड आने वाले समय में इंटेलिजेंस के विषय में काफी

Earn more USD Monthly from Youtube SEO V2 googale key word

"If you build it, they will come." That famous line from the classic movie Field of Dreams applies to baseball fields built to attract the spirits of famous ball players, but it doesn't apply to websites. To increase your page views (the number of unique visitors who pop over to your website), you need to create content designed to drive interest across social media and search engines like Google. full courses contect coomment  Jawaburn for weight loss  JAWABURN FOR WIGHT LOSS https://hop.clickbank.net/?vendor=javaburn&affiliate=Gramswaraj &lid=1