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अर्जुन की छाल और दालचीनी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में लाभकारी होती है

 # अर्जुन की छाल और दालचीनी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में लाभकारी होती है । नियमित रूप से इसका काढ़ा पीने से खून को पतला किया जा सकता है, जिससे शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या होने का खतरा भी नहीं होता। शरीर में ब्लड का फ्लो बेहतर तरीके से काम करता है, जिससे हृदय की हेल्थ भी अच्छी होती है। # अर्जुन की छाल शरीर में सूजन कम करती है और जोड़ों के दर्द में भी आराम पहुंचाती है। हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद- अर्जुन की छाल का उपयोग दिल को स्वस्थ रखने और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए भी किया जाता है। इसमें फाइटोकेमिकल्स खासतौर से टैनिन होता है, जो कार्डियोप्रोटेक्टिव असर दिखाता है। # अर्जुन की छाल का काढ़ा पोषक तत्वों से भरपूर है. इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहते हैं. ये खून को पतला बनाने का काम करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा दूर रहता है। अर्जुन की छाल लिवर और किडनी की सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है। अर्जुन की छाल में फ्लेवोनोइड्स, टैनिन्स, ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोस्टेरॉल मौजूद होता है जो लिवर और किडनी को हेल्दी रखता है। अर्जुन क...

तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत,

 तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत, यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं. 🔹 क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है. और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे. 🔹तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें....  🔹आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा...  🔹लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों...

गिलोय का औषधीय गुण

अरंडी का व्यवसायिक महत्व  अरंडी का महत्व गिलोय (Tinospora Cordifolia) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे संस्कृत में "अमृता" और "गुडुची" कहा जाता है। यह बेलनुमा पौधा है, जिसकी पत्तियां दिल के आकार की होती हैं और इसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। गिलोय का उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से विभिन्न रोगों के उपचार में किया जा रहा है। औषधीय गुण 1. इम्यूनिटी बढ़ाना: गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। 2. डायबिटीज में फायदेमंद: यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। 3. ज्वर नाशक: डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार में इसका उपयोग बुखार कम करने के लिए किया जाता है। 4. पाचन सुधारना: यह अपच, गैस और पेट की अन्य समस्याओं को ठीक करता है। 5. डिटॉक्सिफायर: गिलोय रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा संबंधी रोगों में लाभकारी है। 6. एंटीऑक्सिडेंट गुण: यह शरीर में मुक्त कणों को कम करता है और एंटी-एजिंग गुण प्रदान करता है। 7. संधि रोगों में उपयोगी: गिलोय जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देता है। 8. तनाव और चिंता: यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव कम करता है। उपयोग की विधि 1. काढ़ा...

आपका मस्तिष्क एक रहस्यमयी यात्रा पर होता है

 क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप गहरी नींद में होते हैं, तब भी आपका मस्तिष्क एक रहस्यमयी यात्रा पर होता है? एक ऐसी यात्रा, जो जागृत संसार से परे, आपके अवचेतन मन (Subconscious Mind) के गहरे गलियारों में प्रवेश करती है। इस रहस्य की चाबी छुपी है मेलाटोनिन में—वह दिव्य रसायन, जो न केवल शरीर को विश्राम देता है, बल्कि आत्मा को भी ज्ञान, अंतर्ज्ञान और आध्यात्मिक जागरण के द्वार तक ले जाता है। विज्ञान इसे नींद का हार्मोन कहता है, परंतु शास्त्रों में इसे ‘आज्ञाचक्र का अमृत’ कहा गया है। यह वह पुल है, जो बाहरी संसार से हमें भीतर की रहस्यमयी दुनिया तक पहुँचाता है—वह जगह, जहाँ आपके विचार, भावनाएँ और छुपे हुए संस्कार संचित होते हैं। आधुनिक न्यूरोसाइंस की दृष्टि से देखें, तो मेलाटोनिन मस्तिष्क की जैविक घड़ी (Circadian Rhythm) को नियंत्रित करता है और शरीर को गहरी नींद के लिए तैयार करता है। लेकिन इसके प्रभाव यहीं खत्म नहीं होते! यह गहरी निद्रा के दौरान हमारे अवचेतन मन को सक्रिय करता है, जहाँ स्मृतियाँ संचित होती हैं, विचारों की सफाई होती है और मानसिक ऊर्जाओं का पुनर्निर्माण होता है। जब मेलाटोनिन पर्य...

सभी गैर-भौतिक आयाम अस्तित्व के स्तर हैं

 "सभी गैर-भौतिक आयाम अस्तित्व के स्तर हैं जो ज्ञात भौतिक ब्रह्मांड की तुलना में उच्च आवृत्ति पर कंपन करते हैं। यह उन्हें सामान्य पाँच इंद्रियों और आज उपलब्ध सभी वैज्ञानिक साधनों के लिए अदृश्य और अगोचर बनाता है। जिस तरह विभिन्न प्रकार की ऊर्जाएँ - प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण, एक्स-रे, ऊष्मा, माइक्रोवेव, आदि। - सामान्य भौतिक ब्रह्मांड में एक ही समय में एक ही स्थान पर एक दूसरे के साथ किसी भी बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किए बिना रहती हैं, उसी तरह ये विभिन्न आयामी स्तर एक ही समय में एक ही स्थान पर सह-अस्तित्व में रहते हैं। प्रत्येक पूरी तरह से अलग प्रकार का है, जिसके अपने विशिष्ट गुण और आवृत्तियों का स्पेक्ट्रम है। लेकिन गैर-भौतिक आयामों के रूप और अनुभव को बताने वाला आसानी से समझने योग्य विवरण देना बहुत मुश्किल है। उदाहरण के लिए, सूक्ष्म विमान अपेक्षाकृत पूर्वानुमानित और स्थिर भौतिक आयाम की तुलना में एक अविश्वसनीय रूप से जटिल गैर-भौतिक आयामी स्तर का हिस्सा हैं। सूक्ष्म विमानों की कई जटिलताएँ लगभग अज्ञात हैं।  इस आयाम को नियंत्रित करने वाले गैर-भौतिक नियम {इन्हें सूक्ष्म भौतिकी कहते हैं} अत्...

चीनी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है

 चीनी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। मीठा खाना लगभग हर किसी को पसंद होता है, यह जानते हुए भी कि आजकल के दौर में हम शारीरिक तौर पर ज्यादा मेहनत नहीं करते, फिर भी मीठा तो बहुत से लोगों की कमजोरी है।          खाने के बाद मीठा तो जरूर चाहिए, मौसम अच्छा हो तो मीठा चाहिए, गर्मी ज्यादा हो तो मिल्कशेक चाहिए, ठंड हो तो जलेबी या गर्मागर्म हलवा चाहिए। बाकी बिना किसी अवसर के भी कभी-कभी मीठा खाया जाए तो कोई क्या परेशानी है।         लेकिन क्या कभी हमने यह सोचा है अगर खाने से मीठे की मात्रा हटा ली जाए, तो शरीर पर किस तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं? नहीं सोचा, तो चलिए हम ही बता देते हैं कि अगर एक महीने तक चीनी को अलविदा कह देते हैं तो इससे हमारे शारीरिक या मानसिक रूप से क्या अंतर देखने को मिलता है।         १. हमारे दिल की सेहत बहुत अच्छी रहती है, हमारा दिल शरीर का सबसे संवेदनशील भाग होता है। इस वजह से उसे कहीं ज्यादा हमारे केयर की जरूरत होती है। अगर हम अपनी दिनचर्या से चीनी को हटा देंगे तो ...

रहस्यमय ‘डूबे हुए संसार’ (Sunken World) की खोज

 वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की आंतरिक संरचना की नई मैपिंग तकनीक का उपयोग करके प्रशांत महासागर के नीचे एक रहस्यमय ‘डूबे हुए संसार’ (Sunken World) की खोज की है। यह खोज पृथ्वी के मेंटल (Mantle) में लगभग 2,900 किलोमीटर गहराई में की गई है, जहां भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) की गति अचानक धीमी हो जाती है। यह क्षेत्र लो-वेलोसिटी ज़ोन (Low-Velocity Zone) कहलाता है, जो वैज्ञानिकों को संकेत देता है कि यहाँ कोई असामान्य और अति-प्राचीन परत मौजूद हो सकती है। ‼️क्या है यह डूबा हुआ संसार? यह संरचना पृथ्वी के शुरुआती इतिहास की एक बची हुई परत हो सकती है, जो संभवतः  4 अरब साल पुरानी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी प्राचीन महाद्वीप या थिया (Theia) नामक एक प्राचीन ग्रह के अवशेष हो सकते हैं, जो अरबों साल पहले पृथ्वी से टकराया था और जिससे चंद्रमा का निर्माण हुआ था। ‼️कैसे हुआ यह खुलासा? शोधकर्ताओं ने एक अत्याधुनिक सेस्मिक इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया, जिससे पता चला कि यह परत आसपास के मेंटल की तुलना में घनी और गर्म है। इसका मतलब यह हो सकता है कि यह पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में गहरे मेंटल ...