रूसी विशेषज्ञ अब मेडिकल नैनोरोबोट बनाने की कगार पर पहुँच गए हैं| उन्होंने नैनो और सूक्ष्मकणों को जैव-रासयनिक प्रतिक्रियाओं (बायोकेमिकल रिएक्शनों) की मदद से तर्कसम्मत निष्कर्ष निकालना सिखा दिया है| यह नई पीढी के डाक्टरी उपकरणों की मदद से जैव-प्रक्रियाओं का विश्वसनीय संचालन करने का रास्ता है| ऐसे उपकरण आवश्यक औषधियां ठीक समय पर और ऐन सही ठिकाने पर शरीर में पहुंचाएंगे|
ये नैनोरोबोट निर्धारित ठिकाने पर “जादुई गोलियां” “दागेंगे”| स्नाइपरों की तरह बिलकुल सही निशाना लगाने वाली जैव-संरचनाओं (बायोस्ट्रक्चरों) को ही वैज्ञानिक ऐसी “जादुई गोलियां” कहते हैं| ये मानव-शरीर में अणुओं के स्तर पर बिलकुल सही समय पर और सही स्थान पर आवश्यक औषधि पहुंचा सकती हैं| इस प्रकार मानव-शरीर का “संचालन” किया जा सकेगा और उसमें आनेवाली समस्याएं शीघ्रातिशीघ्र हल की जा सकेंगी, साथ ही इस प्रकार मानव-शरीर पर कोई कुप्रभाव भी नहीं पड़ेगा| |
रूसी वैज्ञानिकों के दल ने वस्तुतः ऐसे “स्नाइपरी” डाक्टरी उपकरण बना लिए हैं| रूसी विज्ञानं अकादमी के बायो-ऑर्गनिक कैमिस्ट्री इन्स्टीट्यूट और सामान्य भौतिकी इन्स्टीट्यूट तथा मास्को के भौतिकी-तकनीकी इन्स्टीट्यूट के विशेषज्ञ जैव-अणुओं की सहायता से गणनाओं की विधि विकसित कर रहे हैं जिसे बायोकम्प्यूटिंग का नाम दिया गया है| इसकी मदद से नैनोरोबोटों को यह सिखाया जा सकेगा कि कैसी स्थिति होने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए|
रूसी टीम ने जो रास्ता अपनाया है उसकी खासियत यह है कि यहाँ बायोकम्प्यूटिंग कोशिकाओं (सेलों) के भीतर नहीं, उनके बाहर होती है| ऐसा करना कहीं अधिक जटिल है| कोशिकाओं के भीतर तो कोशिकाओं के जैव-अणु तत्वों (उदाहरण के लिए डीएनए) का उपयोग किया जा सकता है, किंतु कोशिकाओं से बाहर ऐसी कोई नैसर्गिक संरचनाएं (नेचुरल स्ट्रक्चर) नहीं हैं जो गणनाएँ करने, निष्कर्ष पर पहुँचने में मदद दे सकें| किंतु कोशिका-इतर बायोकम्प्यूटिंग से ही “जादुई गोली” बन सकती है जोकि शरीर की दृष्टि से एक बाहरी “उपकरण” है किंतु इसके बावजूद वही ऊतकों (टीशू) पर सबसे सही तरीके से प्रभाव डालता है|
रूसी प्रोजेक्ट में नैनोकण अपनी गणनाओं के लिए अपनी बाहरी परत से काम लेते हैं जिसकी संरचना ख़ास तौर पर चुनी जाती है| बाहरी पदार्थों के सम्पर्क में आने पर इस परत की प्रतिक्रया अलग-अलग होती है| इन पदार्थों के अणु तर्कसंगत क्रियाओं के लिए संकेतों का काम करते हैं – निश्चित संकेत मिलने पर नैनोकण पहले से तय एल्गोरिथम के अनुसार निश्चित कार्य करते हैं|
यह पहला ऐसा प्लेटफार्म है जो कोई भी तर्कसंगत फंक्शन पूरा कर सकता है, नेचर नैनोटेक्नोलॉजी पत्रिका ने लिखा है|
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और पढ़ें: http://hindi.ruvr.ru/2014_08_26/276373886/
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