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अक्तूबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऊर्जा

जिस प्रकार एक पुष्प सर्वप्रथम कली के रूप में प्रकट होता हैं कली जानते हो ना कली से तात्पर्य हैं की वो अब तक खिला नही अर्थात उसकी पंखुडियाँ पूर्ण रूपेन से अब तक खुल नही पाया परंतु अगर लम्बे समय तक यही स्थिति बनी रहे अर्थात वो कली कली ही रह जाए पुष्प के समान खिल ना पाए तो उसकी सुगंध तो मंद मंद होते नष्ट होगी ही स्वयं उसकी अस्तित्व भी ज़र ज़र होकर छिन्न भिन्न हो जाएगी और अल्ल समय में ही वो कली के रूप में ही नष्ट हो जाएगा  अर्थात उसके अंदर भी जीवन हैं परंतु वो जीवन उस प्राण रुकी अनंत विराट जीवन रुकी स्पंदन को मुक्त होने हेतु उसने रास्ता नही दिया अर्थात जब तक खिले नही तब तक वो प्राण अपने निम्न रूप में ही निवास करने लगती हैं अर्थात यहाँ प्रक्रिया बिलकुल उल्टी हो गयीं जीवन देने वाली प्राण ही जीवन का भक्षण करने लगी और धीरे धीरे वो कली जर्जर होने लगा मुरझाने लगा उसकी सुगंध की चरम अवस्था आने से पूर्व वो नष्ट होने लगी  शायद मेरी बातें आप लोग को समझ में अच्छे से नही आ पाए परंतु इस विषय को बताना उतना ही जटिल हैं जैसे समुंदर की  गहराई को नापना परंतु फिर भी साधक तो इसे समझ ही सकते हैं ह...

वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 25 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य

हरदोई। जनपद के एक दिवसीय भ्रमण के दौरान सचिव, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सुधांशु पाण्डेय ने हरियावां चीनी मिल का निरीक्षण किया। उन्होने मिल में लगी डिस्टिलरी को देखा। इस दौरान उन्होने एथेनॉल के उत्पादन पर जोर दिया। उन्होने कहा कि वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 25 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य है इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और चीनी मिलों के सशक्त होने से किसानों के जीवन में भी खुशहाली आयेगी। उन्होने कहा कि चीनी मिल में बनने वाले उक्त उत्पादों से भी किसानो की जिन्दगी में बेहतरी हो रही है। निरीक्षण के अतिरिक्त श्री पाण्डेय ने तीन गॉवों का भी दौरा किया। जहॉ उन्होने स्वच्छ ग्राम पुरस्कार वितरण व शत प्रतिशत कोविड टीकाकरण ग्राम पुरस्कार वितरण समारोह में भाग लिया तथा उन्होने इन क्षेत्रों में विशेष प्रयास करने वाले लोगो को सम्मानित किया। उन्होने कहा कि आज के युवा का बदला हुआ रूप देखकर उन्हे बहुत खुशी होती है। आज की नई पीढ़ी खुद को नई तकनीक व नई सम्भावनाओं के साथ जोड़ रही है। वे स्वयं के अलावा समाज के लिए भी कुछ करने की चाह रखते है। उन्होने आगे कहा कि इन्सान सकारात्मक सोच के साथ कुछ भी करने की क्षमता...

क्या है तंत्र-विद्या?

  07 FACTS;- 1-तंत्र-विद्या, जिसे अंग्रेजी में 'ऑकल्ट' कहते हैं, के लिए अकसर लोगों के मन में शंका और भय जैसी भावनाएं होती है।   तंत्र में बहुत सारी संभावनाएं होती हैं। उन्हीं में से एक है 'ऑकल्ट' यानी गुह्य-विद्या जिसमें तंत्र का भौतिक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।तंत्र का मतलब होता है कि आप कामों को अंजाम देने के लिए अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह के गुह्य-विद्या के अभ्यासों को आमतौर पर तंत्र के लेफ्ट हैंड या वाम मार्ग के रूप में जाना जाता है। इसका एक आध्यात्मिक पहलू भी है, जिसे राइट हैंड या दक्षिण मार्गी तंत्र के रूप में जाना जाता है।जिसे वाम-मार्गी तंत्र कहा जाता है, वह एक स्थूल या अपरिपक्व टेक्नोलॉजी है जिसमें अनेक कर्मकांड होते हैं। जबकि जो दक्षिण-पंथी तंत्र है, उसकी टेक्नोलॉजी अत्यंत सूक्ष्म है। इन दोनों की प्रकृति बिलकुल अलग है।तंत्र विद्या ईश्‍वरीय शक्ति और मनुष्‍य की आत्‍मा के बीच संपर्क जोड़ने का साधन है, जिसकी सही परिभाषा जल्‍दी नहीं मिलती।   2-तंत्र, का संधि- विच्छेद करें तो दो शब्द मिलते हैं - तं- अर्थात फैलाव और त्र अर्थात बिना रुकावट...

ॐ का रहस्य क्या है?

 🕉⚜🕉⚜🕉⚜🕉⚜🕉 🕉*⚜♥ॐ का रहस्य क्या है? ♥⚜*🕉 *मन पर नियन्त्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मन्त्र कहते है। मन्त्र विज्ञान का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मन व तन पर पड़ता है। मन्त्र का जाप एक मानसिक क्रिया है। कहा जाता है कि जैसा रहेगा मन वैसा रहेगा तन। यानि यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य है तो हमारा शरीर भी स्वस्थ्य रहेगा।* *मन को स्वस्थ्य रखने के लिए मन्त्र का जाप करना आवश्यक है। ओम् तीन अक्षरों से बना है। अ, उ और म से निर्मित यह शब्द सर्व शक्तिमान है। जीवन जीने की शक्ति और संसार की चुनौतियों का सामना करने का अदम्य साहस देने वाले ओम् के उच्चारण करने मात्र से विभिन्न प्रकार की समस्याओं व व्याधियों का नाश होता है।* *सृष्टि के आरंभ में एक ध्वनि गूंजी ओम और पूरे ब्रह्माण्ड में इसकी गूंज फैल गयी। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए। इसलिए ओम को सभी मंत्रों का बीज मंत्र और ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है।* *इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि, ओम शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है और रोग ...