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स्त्री-पुरुष क्यों दूसरे स्त्री-पुरुषों के प्रति आकर्षित हैं आजकल

 [[[नमःशिवाय]]]              श्री गुरूवे नम:                                                                              #प्राण_ओर_आकर्षण  स्त्री-पुरुष क्यों दूसरे स्त्री-पुरुषों के प्रति आकर्षित हैं आजकल इसका कारण है--अपान प्राण। जो एक से संतुष्ट नहीं हो सकता, वह कभी संतुष्ट नहीं होता। उसका जीवन एक मृग- तृष्णा है। इसलिए भारतीय योग में ब्रह्मचर्य आश्रम का यही उद्देश्य रहा है कि 25 वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करे। इसका अर्थ यह नहीं कि पुरष नारी की ओर देखे भी नहीं। ऐसा नहीं था --प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्य को अभ्यास कराता था जिसमें अपान प्राण और कूर्म प्राण को साधा जा सके और आगे का गृहस्थ जीवन सफल रहे--यही इसका गूढ़ रहस्य था।प्राचीन काल में चार आश्रमों का बड़ा ही महत्व था। इसके पीछे गंभीर आशय था। जीवन को संतुलित कर स्वस्थ रहकर अपने कर्म को पूर्ण करना उद्देश्य रहता था। लेकिन आज के मनुष्य का जीवन ताश के पत्तों की तरह बिखरा-बिखरा रहता है। वह समेटना चाहता है लेकिन जीवन है कि समेटने में नहीं आता। यही अशांति का कारण है। जीवन में प्राण का महत्व है।समान प्राण और कृकल प्राण का महत्व अपान प्राण

The Synergy Between Agriculture and Digital Marketing: A New Age of Farming

Dizital marketing   By akhileshbahadurpal.com / May 19, 2024 The Role of Digital Marketing in Modern Agriculture In the digital age, traditional farming methods are being augmented by innovative digital marketing strategies, revolutionizing the agricultural industry. Modern farmers and agribusinesses are increasingly turning to digital marketing to enhance their reach and profitability. Utilizing various platforms and tools, they are finding new ways to connect with consumers, promote their products, and drive sales. Social media platforms like Facebook, Instagram, and Twitter have become vital channels for farmers to showcase their products and engage with a broader audience. By sharing visually appealing content, such as images and videos of their produce, farming processes, and behind-the-scenes activities, farmers can build a loyal customer base. Campaigns like #FarmToTable and #SupportLocalFarmers have gained substantial traction, encouraging consumer awareness and support for loc

The Rise of Digital Technologies in Agriculture

Dizital marketing The Intersection of Agriculture and Digital Expertise: Transforming the Future of Farming The Intersection of Agriculture and Digital Expertise: Transforming the Future of Farming By akhileshbahadurpal.com / May 19, 2024 The Rise of Digital Technologies in Agriculture The agricultural sector has witnessed a dramatic transformation with the integration of digital technologies over the past few decades. The journey began with the mechanization of farming practices, which laid the foundation for the adoption of more advanced technological solutions. Early mechanization involved the use of simple machinery to enhance productivity and reduce manual labor. However, the advent of the Internet of Things (IoT), Artificial Intelligence (AI), and big data analytics has propelled agriculture into a new era of precision and efficiency.

The Intersection of Agriculture and Digital Expertise: Revolutionizing Farming Practices

  By akhileshbahadurpal.com / May 19, 2024 The Evolution of Agriculture Through Digital Technology Agriculture has been a cornerstone of human civilization for millennia, relying heavily on traditional methods such as manual labor and rudimentary tools. These conventional farming practices, though effective in their time, often faced significant challenges including unpredictable weather conditions, pest infestations, and limited access to resources. As a result, crop yields were frequently inconsistent, and resource management was far from optimal. With the advent of the digital era, agriculture has undergone a transformative evolution. The introduction of precision farming has enabled farmers to use data-driven insights to optimize crop management. Precision farming leverages technologies such as GPS and remote sensing to monitor soil conditions, weather patterns, and crop health in real-time. This granular level of monitoring ensures that resources such as water, fertilizers, and pe

टर्बाइन को समझना: प्रकार, अनुप्रयोग और दक्षता

टरबाइन , विभिन्न उपकरणों में से कोई भी जो तरल पदार्थ की धारा में ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है । रूपांतरण आम तौर पर तरल पदार्थ को स्थिर मार्ग या वेन की एक प्रणाली के माध्यम से पारित करके पूरा किया जाता है जो रोटर से जुड़े पंख जैसे ब्लेड वाले मार्ग के साथ वैकल्पिक होता है। प्रवाह को व्यवस्थित करके ताकि रोटर ब्लेड पर एक स्पर्शरेखा बल, या टोक़ लगाया जाए, रोटर घूमता है, और काम निकाला जाता है।  टर्बाइनों को समझना: प्रकार, अनुप्रयोग और दक्षता टर्बाइन उल्लेखनीय मशीनें हैं जो बिजली उत्पादन से लेकर विमानन तक विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे पानी, भाप या गैस जैसे गतिशील तरल पदार्थों की गतिज ऊर्जा का उपयोग करते हैं और इसे यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। इस ऊर्जा का उपयोग काम करने के लिए किया जा सकता है, जैसे बिजली पैदा करना या विमान चलाना। इस लेख में, हम विभिन्न प्रकार के टर्बाइनों, उनके अनुप्रयोगों और उनकी दक्षता को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में विस्तार से जानेंगे। टर्बाइनों के प्रकार: 1. भाप टरबाइन: बिजली पैदा करने के लिए बिजली संयंत्रों में भ

सनातन धर्म की जानकारी

अब खुद ही रिपेयर हो जाएंगे डैमेज दांत विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान) ■ काष्ठा = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग ■ 1 त्रुटि  = सैकन्ड का 300 वाँ भाग ■ 2 त्रुटि  = 1 लव , ■ 1 लव = 1 क्षण ■ 30 क्षण = 1 विपल , ■ 60 विपल = 1 पल ■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) , ■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा ) ■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार) ■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी , ■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग , ■ 3 युग = 1 त्रैता युग , ■ 4 युग = सतयुग ■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग ■ 72 महायुग = मनवन्तर , ■ 1000 महायुग = 1 कल्प ■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ ) ■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म ) ■ महालय  = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म ) सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यहीं है जो हमारे देश भारत में बना हुआ है । ये हमारा भारत

नई बदलाव बदलावकरते विश्व में आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की क्या संभावना है

नई बदलाव करते विश्व में आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की क्या संभावना है नई बदलाव करते विश्व में आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की क्या  संभावना है   दुनियाभर में AI यानी Artificial Intelligence को लेकर लोगों के बीच जॉब सिक्योरिटी को लेकर बहस छिड़ चुकी है. एआई के बढ़ते प्रभुत्व ने 'व्हाइट कॉलर जॉब्स' को भी इसकी जद में ला दिया है. हालांकि, इसे लेकर लोग दो मतों में बंटे हैं. एक का कहना है कि इससे नौकरियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगीं. वहीं, कुछ का कहना है कि AI लोगों के जीवन में कई मौके लेकर आने वाला है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या एआई भविष्य में नौकरियों की संभावनाएं पैदा करेगा या फिर नौकरियों के लिए खतरा बन जाएगा जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है AI सवाल उठ रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किस तरह के काम लिए जा सकते हैं? दरअसल, एआई से हर तरह के काम लिए जा सकते हैं. चिंता इसी बात की है. अभी से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. बहुत से ऐसे काम हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ही हो रहे हैं. मसलन, सेल्फ ड्राइविंग कार आ रही है. गूगल मैप तो पहले से ही हमारी जिं

कामवासना भी एक उपासना, साधना है।

 कामवासना भी एक उपासना, साधना है। काम पूर्ति से दिमाग की गन्दगी निकलकर जिन्दगी सुधर जाती है। अगर इस ब्लॉग से पूरी बात या सार समझ नही आया हो, तो टिप्पणी करें। किस्सा ओर भी बढ़ सकता है। काम, जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में से एक है। प्रत्येक प्राणी के भीतर रागात्मक प्रवृत्ति की संज्ञा काम है। वैदिक दर्शन के अनुसार काम सृष्टि के पूर्व में जो एक अविभक्त तत्व था वह विश्वरचना के लिए दो विरोधी भावों में आ गया। इसी को भारतीय विश्वास में यों कहा जाता है कि आरंभ में प्रजापति अकेला था। उसका मन नहीं लगा। उसने अपने शरीर के दो भाग। वह आधे भाग से स्त्री और आधे भाग से पुरुष बन गया। तब उसने आनंद का अनुभव किया। स्त्री और पुरुष का युग्म संतति के लिए आवश्यक है और उनका पारस्परिक आकर्षण ही कामभाव का वास्तविक स्वरूप है। प्रकृति की रचना में प्रत्येक पुरुष के भीतर स्त्री और प्रत्येक स्त्री के भीतर पुरुष की सत्ता है। ऋग्वेद में इस तथ्य की स्पष्ट स्वीकृति पाई जाती है, जैसा अस्यवामीय सूक्त में कहा है—जिन्हें पुरुष कहते हैं वे वस्तुत: स्त्री हैं; जिसके आँख हैं वह इस रहस्य को देखता है; अंधा इसे

शक्ति की उपासना ही अघोर की अपनी क्रिया है

     ब्रम्हांड की जो परा अपरा शक्ति है उससे जुडना ही अपने आप को जोड़ना ही योग है।सभी सूर्यांन्शियो को अपने क्षात्र धर्म के पताका तर आना चाहिए। हमारे देश में जो एक सौ आठ शक्ति पीठेंहैं।वह परा अपरा इसी विद्या के पाठशाला और उच्च विद्या के विद्यालय है।जिसे स्वयं शिव ने स्थापित किया था।जो शिव शिवा वंशजों को पूर्णत्व प्राप्त करने हेतु ही थे।तथा ग्यारह शिव लिंगो की स्थापना ब्रम्हवंशियो को वैष्णव विद्या ब्रम्ह विद्या को प्राप्त करने के केन्द्र स्थापित किए थे।पर अब विद्या शिक्षा दीक्षा का आडंबर मात्र रह गया है। धनोपार्जन हेतु लोग गुरु गद्दी तिकड़म से अपने लेते हैं।ऐसा में आचरण नहीं होता।सनातन बहुत सी विद्याओं का लोप हो गया है।अब विद्वानों द्वारा उन विद्याओं का शोध कर प्रगट करना अनिवार्य हो गया है। वैदिक मंत्रों के रहस्य को जाने शोध करें। प्रत्येक गांव तथा ब्लाक में एक पीठ स्थापित कर वहां पांच वर्ष से दस वर्ष के बच्चों को क्षात्रावास में प्राकृतिक परिवेश में रखकर उत्तम गुरुओ द्वारा संस्कारिक ्शारीरिक व्यवहारिक वआध्यात्मिक भाषाओ ज्ञान विज्ञान की शिक्षा देनी चाहिए।योग का संयम नियम का प्रारम्भिक ज्

भैरव रहस्य

 [[[नमःशिवाय]]]                 श्री गुरूवे नम                            भैरव रहस्य    अनेक साधक भैरव को शिव का अवतार मानते दार्शनिक दृष्टि से यह कथन उसी प्रकार का है कि जिस प्रकार प्रणाम को विष्णु और रुद्र को शिव के रूप में समझा जाता है इस दृष्टिकोण में प्रत्येक साधक की है और प्रत्येक शक्ति का भगवती गुण की दृष्टि से इस भैरव शिव की प्रचंड शक्तियों के नायक है इन्हें उनके गुणों का नायक माना जाता है इनका रूप बड़ा भयंकर है किंतु यह स्मरण रखना चाहिए कि जीव में स्थित यह गुण भी कार्य सिद्धि एवं मनोनुकूल ता प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है ब्रह्मांड में इनकी व्यापक सकता है इनके अनेक रूप हैं जैसे काल भैरव रूद्र भैरव बटुक भैरव आदि। इनकी साधना अर्धरात्रि में मां काली की साधना की भांति शमशान में जाकर करनी चाहिए भैरव की साधना से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं व्यक्तिगत में प्रभाव दृष्टि में सम्मोहन ललाट में वशीकरण विद्या का वास होता है शरीर में असाधारण बल उत्पन्न होता है । वामाचारी साधना ओं के लिए मुख्य देवी देवता यही है पिछली पोस्टों में इनकी साधना की अत्यंत सरल विधि बताई गई है त्राटक ध्यान साधना य