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फ़रवरी, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शाकाहार और मांसाहार तुलनात्मक अध्ययन

 मांस एवं ऋतु का कोई मेल नहीं।शाकाहारी भोजन ऋतु के अनुसार बदल बदल कर खाया जाता है।मांस रोग बढ़ाता है,शाकाहार रोग से मुक्ति दिलाता है। (1)ताकत के लिए-सबसे ताकतवर जानवर हाथी शाकाहारी होता है वो ताकत के लिए कभी मांस नहीं खाता!!किसानों के साथ मेहनत करने वाला बैल कभी मांस खाता।हॉर्सपावर का इस्तेमाल किसी भी मशीन की शक्ति मापने के लिए किया जाता है।वो घोड़ा मांस खाता फिर ये कैसे कहा जा सकता है,कि मांस खाने से ताकत मिलती है? ( 2)जीभ के स्वाद के लिए-मांस में कैसा स्वाद होता है?सारा स्वाद उसमें पड़े बहुउपयोगी मसालों के कारण होता है।अगर वही मसाले इस्तेमाल किए जाएं तो बैंगन आलू की सब्जी में वही स्वाद आएगा!  (3)विटामिन के लिए-हरी पत्तेदार सब्जियों और सूखे मेवों में मांस से कहीं ज्यादा प्रोटीन,विटामिन,पोषक तत्व होते है,तो मांस क्यों खाएं? असल में प्रकृति ने न हमारे दांतों को मांस चबाने के लिए बनाया है, ना ही हमारी आंतों को मांस पचाने के लिए बनाया,मानव शरीर मूलत शाकाहार के लिए बनाया है।यदि ऐसा न होता तो डॉक्टर छोटे बच्चे को चावल खिचड़ी की जगह मांस के टुकड़े चबाने को कहता।इसका मतलब यह हुआ,मनुष...

किसान ने अपने अनोखे नवाचार से बैलों के वजन का भार कम कर दिया

 एक किसान ने अपने अनोखे नवाचार से बैलों के वजन का भार कम कर दिया है, जिससे वे अधिक समय तक बिना थके काम कर सकते हैं। यह तकनीक न केवल बैलों की क्षमता बढ़ाएगी, बल्कि उनकी सेहत और कार्यक्षमता को भी बनाए रखेगी। पारंपरिक रूप से, किसान बैलों का उपयोग खेत जोतने, सामान ढोने और परिवहन के लिए करते हैं, लेकिन भारी बोझ के कारण वे जल्दी थक जाते हैं और उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। इस समस्या को हल करने के लिए एक किसान ने सरल लेकिन प्रभावी तकनीक अपनाई, जिससे बैलों पर पड़ने वाला भार समान रूप से बंट जाता है और उनकी ऊर्जा बचती है। इस नवाचार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बैलों की शारीरिक थकान को कम करता है, जिससे वे लंबी दूरी तक आसानी से यात्रा कर सकते हैं। साथ ही, इससे उनकी सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे अधिक समय तक स्वस्थ रहते हैं। यह पहल पशुओं के प्रति प्रेम और करुणा को दर्शाती है। ऐसे नवाचार न केवल खेती में मददगार होते हैं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। इस किसान की सोच और प्रयासों को सलाम! 👏🌿 साभार Facebook 

लाल मिर्च का सेवन

 बदलती दिनचर्या और अनियमित खानपान की वजह से हर दूसरे-तीसरे शख्स में डायबिटीज और जोड़ों में दर्द की समस्या देखने को मिल रही है. इसकी वजह से अस्पतालों और दवाओं पर खूब पैसे खर्च हो रहे हैं लेकिन, डायबिटीज पर कंट्रोल और जोड़ों में दर्द में जल्दी आराम के लिए लाल बड़ी मिर्च का नियमित सेवन वरदान साबित हो सकता है. डॉक्टरों के अनुसार, लाल बड़ी मिर्च में विटामिन सी और आयरन के अलावा एक विशेष एंटी ऑक्साइड गुण पाया जाता है. हालांकि, यह मिर्च साल के दो महीने ही बाजार में मिलती है. लाल बड़ी मिर्च फरवरी से लेकर मार्च तक मिलती है. इसके बाद धीरे-धीरे कम हो जाती है लेकिन, इसका उपयोग अचार या जाइम के रूप में किया जाए तो 6-8 महीने तक आराम से चल जाता है. सागर में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर और न्यूट्रिशन डॉ. सुमित रावत बताते हैं कि लाल मिर्च केवल दो-ढाई महीने ही बाजार में मिलती है. लेकिन, यह बड़े ही फायदे की चीज है. इसमें कैंसर निवारक गुण पाए जाते हैं. अगर किसी को पेट का कैंसर या आंख का कैंसर होने की संभावना है और वह व्यक्ति नियमित बड़ी वाली लाल मिर्च का सेवन कर रहा है तो यह संभावना बेह...

लवंग के फायदे

 लौंग :-  दो लौंग रोज दो बार चूसिए आजीवन स्वस्थ लीवर स्वस्थ हड्डियां जोड़ स्वस्थ फेफड़े स्वस्थ मुखमंडल  मैंने कोरोना काल में लौंग को बहुत प्रचारित किया था वजह स्पष्ट थी उसका सबसे ज्यादा औरैक वैल्यू और गज़ब की एंटी वायरल क्षमता  *ORAC*           *ORAC* का अर्थ *ऑक्सीजन रेडिकल एब्सॉरबेन्ट केपेसिटी* (Oxygen Radical Absorbance Capacity.)            जितना अधिक ORAC, होगा उतनी ही ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता हमारे *फेफड़ो* को और *रक्त* को होगी। और यही कारण था जिन्होंने मेरी मानकर इसका उपयोग किया उन्हें ऑक्सीजन लेवल में कोई परेशानी नहीं आई अव्वल तो कोरोना काल बहुत सरलता से गुजर गया  सारा खेल रक्त में मौजूद आक्सीजन के स्तर का है शरीर के जिस हिस्से को आक्सीजन अधिक मिलेगी वो तीव्रता से स्वस्थ होगा और कम मिलेगी तीव्रता से बीमार और कमजोर  कैंसर का अगर कोई सबसे बड़ा बचाव है तो लौंग ही है क्योंकि शरीर में जितना ज्यादा आक्सीजन प्रवाह होगा कोशिकाओं में म्युटेशन के चांस उतने ही कम होंगे आटो इम्युन डिज़ीज़ होने की संभावना...

स्त्री पुरुष कि भीतरी ऊर्जा और भक्ति योग

 स्त्री पुरुष कि भीतरी ऊर्जा और भक्ति योग  *पुरुष शरीर के भीतर जो ऊर्जा केन्द्र है वह लिंग से स्त्री है। स्त्री शरीर के भीतरी जो केंद्र मे ऊर्जा हैं वह लिंग से पुरुष है। स्त्री कि भीतर चैतन्य ऊर्जा, शिव सूक्ष्म ऊर्जा हैं ये वास्तविक चेतन उर्जा हैं । पुरुष के भीतर जो ऊर्जा  है वह जड़ प्रधान है इसलिए वह भीतरी तल पर भारी और जड़ उर्जा हैं इसलिए जद स्थूल होने से ये नीचे मूलाधार में स्थित हैं। स्त्री में पुरूष ऊर्जा है शिव है वह रूपांतरण उर्जा हैं उसमें सात्विकता है  वह सत गुण भार में हल्की  सरल उर्जा है । पुरुष के भीतर केंद्र मे उस मूलाधार में जड़ उर्जा हैं जो AC  विद्युत की तरह खतरनाक है, ये विस्फोट झटका वाली उर्जा पुरुष के भीरत है। जो स्त्री शरीर कि परिधि है बाहरी रंग रूप सौंदर्य है वह जड़ ऊर्जा का प्रतिक है जो पुरुष की कुंडलिनी मे मूलाधार में स्थित है, यही पुरुष का मूल अधार हैं। स्त्री के भीतर पुरुष यानि चैतन्य ऊर्जा से उसकी वाणी उसकी चाल चलन नृत्य कूदना शरीर का मोड़ना उसके मुख्य कारण ये कि पुरूष ऊर्जा का उपयोग है ।जो सकारात्मक है , यह परमाणु रचना का प्रोटॉन ...

मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान

 मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान – मेथी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग शायद आप सभी करते हैं। लेकिन मेथी का पानी पीने के फायदे भी कम नहीं हैं,  यह मेथी में मौजूद पोषक तत्‍वों को ग्रहण करने का यह सबसे अच्‍छा तरीका है। मेथी का पानी पीने से कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर किया जा सकता है। मेथी का पानी पीने के लाभ विशेष रूप से वजन कम करने में, रक्‍त शर्करा नियंत्रित करने में, रक्‍त चाप नियंत्रित करने में, पाचन को ठीक करने, पथरी का इलाज करने आदि में होते हैं। इस आर्टिकल में आप मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान जानेगें। आइए इन्‍हें जाने। प्रकृति में गर्म होने के कारण मेथी के दानों का उपयोग भोजन पकाने के दौरान बहुत ही कम मात्रा में किया जाता है। यहां तक की औषधीय उपयोग में भी मेथी की कम मात्रा ली जाती है। लेकिन मेथी के औषधीय गुणों की भरपूर मात्रा प्राप्‍त करने के लिए मेथी के पानी का उपयोग भी किया जाता है।  1 कप मेथी का पानी बनाने के लिए 1 छोटा चम्‍मच मेथी पर्याप्‍त होती है। इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट किया जाना चाहिए साथ इस पानी को गर्म करना अतिरिक्‍त लाभ दिला स...

चमत्कारिक पेय (काढा ) मधुमेह नियंत्रण उच्चरक्तचापऔर कैंसर जैसी बीमारी को भी अलविदा कहने में आपकी मदद करेगा

 यह चमत्कारिक पेय (काढा ) आपको आश्चर्यचकित कर देगा आपके शरीर में विभिन्न रोगों के लिए #मधुमेह नियंत्रण  #उच्चरक्तचापऔर  #कैंसर जैसी बीमारी को भी अलविदा कहने में आपकी मदद करेगा !!!!! सामग्री जिसकी आपको आवश्यकता होगी 1..➡️ 4 तेज पत्ते 2..➡️ मुट्ठी भर सूखे हिबिस्कस फूल (जमैका फूल) 3..➡️ 6 अच्छी तरह धुले हुए अमरूद के पत्ते 4..➡️ 3 कप पानी इस शक्तिशाली हर्बल पेय को कैसे तैयार करें 1.. एक बर्तन  पैन को स्टोव पर रखें। 2.. इसमें तेजपत्ता, गुड़हल के फूल और अमरूद के पत्ते डालें। 3.. इसमें तीन कप पानी डालें। 4.. मिश्रण को उबालें और 15 मिनट तक पकने दें। 5.. मिश्रण को छान लें और कप या कांच के बर्तन में परोसें। इसका उपयोग कैसे करना है इस हर्बल अर्क का एक कप लगातार 10 दिनों तक रोजाना पियें। आप यह देखकर आश्चर्यचकित हो जायेंगे कि यह आपके स्वास्थ्य को कैसे बदल सकता है! ,➡️➡️➡️➡️♈ इस तरह के प्राकृतिक उपचार शक्तिशाली हैं, फिर भी दवा कंपनियाँ नहीं चाहतीं कि आप उनका इस्तेमाल करें । जानिए उनके बारे में. यह हर्बल उपचार क्यों काम करता है? ➡️ #तेजपत्ता: रक्त शर्करा विनियमन और पाचन में सहायता ...

हृदय का राजा अर्जुन छाल

 हृदय  का राजा अर्जुन छाल ।। अर्जुन एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो विशेष रूप से हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है। आयुर्वेद में अर्जुन की छाल को दिल की मांसपेशियों को मजबूत करने, उन्हें टोन करने और हृदय को ऊर्जा देने के लिए एक प्रमुख औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। अर्जुन की छाल का सेवन हृदय के सभी पहलुओं का समर्थन करने और इसके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। शरीर में आई सूजन को घटाने के लिए भी अर्जुन की छाल अच्छी मानी गई है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन घटाते हैं अर्जुन की छाल के मुख्य फायदे: 1. हृदय को मजबूत बनाती है – अर्जुन छाल रक्त संचार को सही रखती है और हृदय की धमनियों को स्वस्थ बनाए रखती है। 2. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है – हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर दोनों को संतुलित करने में मददगार है। 3. कोलेस्ट्रॉल कम करती है – खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में सहायक है। 4. दिल की धड़कन को नियंत्रित करती है – अनियमित धड़कनों (Arrhythmia) को सही करने में मदद करती है। 5. ब्लड शुगर को नियं...

कच्ची इमली खाने के है इतने फायदे लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

 इमली में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है. यह शरीर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है. इसके रोजाना सेवन से शरीर साफ रहता है, पेट और अन्य अंगों  कच्ची इमली खाने के है इतने फायदे लेकिन इन बातों का रखें ध्यान पाचन- इमली में प्राकृतिक फाइबर होता है जो पाचन को सुधारने में मदद करता है. ... इम्यूनिटी- इमली में विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मददगार हैं. ... दिल- हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद है इमली का सेवन. ... मोटापा- ... सूजन- ... स्किन- 6 इमली में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है. यह शरीर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है. इसके रोजाना सेवन से शरीर साफ रहता है, पेट और अन्य अंगों की गंदगी दूर होती है  रोजाना इमली खाने से शरीर में आता है ये बड़ा बदलाव, दूर होती हैं खतरनाक बीमारियां इमली पुरुषों के लिए कई तरह से फ़ायदेमंद होती है. यह पुरुषों की यौन समस्याओं को दूर करने में मदद करती है. साथ ही, यह इम्यूनिटी को भी बढ़ाती है.  इमली के फ़ायदे: इमली में विट...

वंशलोचन स्त्री प्रजाति के बाँस पेड़ों से प्राप्त एक प्रकार की हर्बल सिलिका है

 वंशलोचन स्त्री प्रजाति के बाँस पेड़ों से प्राप्त एक प्रकार की हर्बल सिलिका है,बांस सिलिका (FOLIUM BAMBUSEA) में अन्य सिलिका स्रोतों की तुलना में अधिक सिलिकॉन डाइऑक्साइड होता है। इसमें लगभग 70 से 90% सिलिका होती है। इसमें मुख्य तौर पर सिलिका (सिलिकॉन डाइऑक्साइड) होती है, जो हड्डियों, स्नायुबंधन, tendons और त्वचा के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। 👉इसमें शरीर के लिए आवश्यक अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। यह समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है l वंशलोचन का शरीर के ऊतकों पर पुनर्स्थापनात्मक प्रभाव होता है। वंशलोचन में कई औषधि गुण होते है।👇👇 👉आयुर्वेद के अनुसार, यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, इसलिए यह सितोपलादि चूर्ण का एक मुख्य घटक है जिसका उपयोग इम्युनो-मॉड्यूलेटर के रूप में किया जाता है। 👉यह सर्दी और बहती नाक के लिए बहुत प्रभावी दवा है। 👉वंशलोचन में अल्सर से बचाव करनेवाले गुण हैं। प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी, और यशद भस्म के साथ, यह पेप्टिक अल्सर और आंत्र सूजन के रोगों जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और Crohn's disease में उत्कृष्ट परिणाम देता है। 👉बालों के विकास को प्रोत्साहित कर बालों...

मरने के बाद कौन पहुंचता है देवलोक

 मरने के बाद कौन पहुंचता है देवलोक  ? मरने के बाद व्यक्ति की तीन तरह की गतियां होती हैं ( १ ) : - उर्ध्व गति ( २ ) : - स्थिर गति और ( ३ ) : - अधो गति। व्यक्ति जब देह छोड़ता है तब सर्वप्रथम वह सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाता है। सूक्ष्म शरीर की गति के अनुसार ही वह भिन्न- भिन्न लोक में विचरण करता है और अंत में अपनी गति अनुसार ही पुन: गर्भ धारण करता है। आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं १ ) : - जीवात्मा, ( २ ) : - प्रेतात्मा और ( ३ ) : - सूक्ष्मात्मा जो भौतिक शरीर में वास करता है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। तीसरा स्वरूप है सूक्ष्म स्वरूप। मरने के बाद जब आत्मा सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, तब उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। कमजोर सूक्ष्म शरीर से ऊपर की यात्रा मुश्किल हो जाती है तब ऐसा व्यक्ति नीचे के लोक में स्वत: ही गिर जाता है या वह मृत्युलोक में ही पड़ा रहता है और दूसरे जन्म का इंतजार करता है। उसका यह इंतजार 100 वर्ष से 1000 वर्ष तक की अवधि का भी हो सकता है। पहले बताए गए आत्मा के तीन स्वरूप से अलग ( १) : -...

तंत्र साधना में असम को स्त्री प्रदेश भी कहा जाता हैं

 #कामरू_कामाख्या असम को स्त्री प्रदेश भी कहा जाता हैं। वहां प्राचीन काल से ही तंत्र साधना के क्षेत्र में स्त्री शक्तियों का विशेष प्रभाव मौजूद रहा है। आज भी असम के कामाख्या क्षेत्र में तंत्र साधिकाओ का बहुत बड़ा वर्ग मौजूद है। जो अद्भुत तांत्रिक शक्तियों में  निपुण हैं।असम एक ऐसा क्षेत्र है जहां कामाख्या नामक शक्तिपीठ मौजूद है। शक्तिपीठ के विषय में आप सभी को जानकारी होगी। इसीलिए थोड़ा संक्षेप में विवरण दे रहा हूं। यहां भगवती का गुप्तांग गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां पर कामाख्या मंदिर में उसी की पूजा होती है। वहां कोई भी विग्रह नहीं है बल्कि योनि मंडल बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जून के महीने में 3 दिनों के लिए योनि में रजस्त्राव होता है। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और उस क्षेत्र में पूजा-पाठ का कार्यक्रम रोक दिया जाता है।  उस दौरान यह भी देखा गया कि ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल रंग का हो जाता है।उस समय विशेष में, मंदिर में योनि मंडल के ऊपर वस्त्र  बिछा दिये जाते है।इन वस्त्रों को प्रसाद के रूप में दर्शनार्थियों में बांट दिया जाता है। इसे कामाख्या तार कहते ह...

अमरूद खाने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है

 अमरूद खाने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है ।  अमरूद के फ़ायदेः  ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। वज़न घटाने में मदद करता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है। पाचन को ठीक रखता है। इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है। डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए फ़ायदेमंद होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए फ़ायदेमंद होता है। कब्ज़ से राहत देता है। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही रखता है। थायराइड के मरीज़ों के लिए फ़ायदेमंद होता है। अमरूद में मौजूद पोषक तत्वः  विटामिन-सी, लाइकोपीन, एंटीऑक्सीडेंट, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फ़ाइबर, आयरन, फ़ोलिक एसिड, नियासिन (Vitamin B3), कॉपर. अमरूद के कुछ और फ़ायदेः कैंसर के जोखिम को कम करता है, एनीमिया से राहत दिलाता है, ब्रेन फ़ंक्शनिंग में सुधार करता है, प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देता है। साभार विनोद कुमार facebook wall

जिन खोजा तिन पाईंयां--प्रवचन

 कभी आपने खयाल किया, आपने किसी आदमी को मरते देखा? आप कहेंगे, बहुत लोगों को देखा। पर मैं कहता हूं, नहीं देखा। आज तक किसी व्यक्ति ने किसी को मरते नहीं देखा। मरने की प्रक्रिया आज तक देखी नहीं गई। जो हम देखते हैं, वह केवल जीवन के विदा हो जाने की प्रक्रिया है, मरने की नहीं। बटन दबाई हमने, बिजली का बल्ब बुझ गया। जो नहीं जानता, वह कहेगा, बिजली मर गई। जो जानता है, वह कहेगा, बिजली अभिव्यक्त थी, अब अप्रकट हो गई। प्रकट थी, अप्रकट हो गई। मर नहीं गई। फिर बटन दबेगा, बिजली फिर वापस लौट आएगी। फिर बटन दबाएंगे, बिजली फिर भीतर तिरोहित हो जाएगी। जीवन समाप्त नहीं होता, केवल शरीर से विदा होता है। लेकिन विदाई हमें मृत्यु मालूम पड़ती है। क्यों मालूम पड़ती है? क्योंकि हमने कभी अपने भीतर शरीर से अलग किसी अस्तित्व का अनुभव नहीं किया है। हमारा अनुभव यही है कि मैं शरीर हूं, इसलिए जब शरीर समाप्त होगा, जलाने के योग्य हो जाएगा, तब स्वभावतः निष्कर्ष होगा कि मर गए। शरीर से अलग जिसने अपने भीतर किसी तत्व को नहीं जाना, वह अज्ञानी है। अज्ञानी का मतलब यह नहीं कि जिसे यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं है, विश्वविद्यालय का कोई सर्...

देवीय शक्ति से साक्षात्कार कराते मंत्र

  मंत्रों का प्रयोग मानव ने अपने कल्याण के साथ-साथ दैनिक जीवन की संपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु यथासमय किया है और उसमें सफलता भी पाई है, परंतु आज के भौतिकवादी युग में यह विधा मात्र कुछ ही व्यक्तियों के प्रयोग की वस्तु बनकर रह गई है। मंत्रों में छुपी अलौकिक शक्ति का प्रयोग कर जीवन को सफल एवं सार्थक बनाया जा सकता है। सबसे पहले प्रश्न यह उठता है कि 'मंत्र' क्या है, इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है। इस संदर्भ में यह कहना उचित होगा कि मंत्र का वास्तविक अर्थ असीमित है। किसी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रयुक्त शब्द समूह मंत्र कहलाता है।  जो शब्द जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है उसे उस देवता या शक्ति का मंत्र कहते हैं। मंत्र एक ऐसी गुप्त ऊर्जा है, जिसे हम जागृत कर इस अखिल ब्रह्मांड में पहले से ही उपस्थित इसी प्रकार की ऊर्जा से एकात्म कर उस ऊर्जा के लिए देवता (शक्ति) से सीधा साक्षात्कार कर सकते हैं। ऊर्जा अविनाशिता के नियमानुसार ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है, वरन्‌ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। अतः जब हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं तो उससे उत्पन्न ध्वनि ए...

क्या यह संसार वास्तविकता है या मात्र एक भ्रामक सपना

 क्या यह संसार वास्तविकता है या मात्र एक भ्रामक सपना? कल्पना कीजिए, आप एक फिल्म थिएटर में बैठे हैं। स्क्रीन पर चल रही फिल्म आपको हँसा सकती है, रुला सकती है, यहाँ तक कि आपको उसमें डूब जाने को मजबूर कर सकती है। लेकिन अचानक कोई आपको याद दिलाए कि यह सब केवल एक प्रोजेक्शन है—कुछ भी असली नहीं है! क्या यह संभव नहीं कि हमारी पूरी ज़िंदगी भी वैसी ही हो—एक भव्य फिल्म, जिसे हम वास्तविक मानने की भूल कर रहे हैं? वेदांत कहता है कि यह संसार माया है—एक भ्रम, जो सत्य को छुपाकर हमारे सामने एक आभासी दुनिया प्रस्तुत करता है। शंकराचार्य कहते हैं— "ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः।" (ब्रह्म ही सत्य है, यह संसार मिथ्या है, और जीव ब्रह्म के अलावा कुछ नहीं है।) इसका तात्पर्य यह है कि संसार में जो कुछ भी हमें दिख रहा है, वह परिवर्तनशील और अस्थायी है, इसलिए वह अंतिम सत्य नहीं हो सकता। जैसे कोई सपना वास्तविक प्रतीत होता है, लेकिन जागने के बाद उसकी कोई सच्चाई नहीं होती, वैसे ही यह भौतिक जगत भी एक अस्थायी आभास है। केवल ब्रह्म ही एकमात्र शाश्वत सत्य है, और प्रत्येक जीव भी मूलतः उसी ब्रह्म का ही...

अर्जुन की छाल और दालचीनी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में लाभकारी होती है

 # अर्जुन की छाल और दालचीनी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में लाभकारी होती है । नियमित रूप से इसका काढ़ा पीने से खून को पतला किया जा सकता है, जिससे शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या होने का खतरा भी नहीं होता। शरीर में ब्लड का फ्लो बेहतर तरीके से काम करता है, जिससे हृदय की हेल्थ भी अच्छी होती है। # अर्जुन की छाल शरीर में सूजन कम करती है और जोड़ों के दर्द में भी आराम पहुंचाती है। हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद- अर्जुन की छाल का उपयोग दिल को स्वस्थ रखने और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए भी किया जाता है। इसमें फाइटोकेमिकल्स खासतौर से टैनिन होता है, जो कार्डियोप्रोटेक्टिव असर दिखाता है। # अर्जुन की छाल का काढ़ा पोषक तत्वों से भरपूर है. इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहते हैं. ये खून को पतला बनाने का काम करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा दूर रहता है। अर्जुन की छाल लिवर और किडनी की सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है। अर्जुन की छाल में फ्लेवोनोइड्स, टैनिन्स, ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोस्टेरॉल मौजूद होता है जो लिवर और किडनी को हेल्दी रखता है। अर्जुन क...

तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत,

 तिल का तेल ... पृथ्वी का अमृत, यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं. 🔹 क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है. और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे. 🔹तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें....  🔹आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा...  🔹लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों...

गिलोय का औषधीय गुण

अरंडी का व्यवसायिक महत्व  अरंडी का महत्व गिलोय (Tinospora Cordifolia) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे संस्कृत में "अमृता" और "गुडुची" कहा जाता है। यह बेलनुमा पौधा है, जिसकी पत्तियां दिल के आकार की होती हैं और इसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। गिलोय का उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से विभिन्न रोगों के उपचार में किया जा रहा है। औषधीय गुण 1. इम्यूनिटी बढ़ाना: गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। 2. डायबिटीज में फायदेमंद: यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। 3. ज्वर नाशक: डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार में इसका उपयोग बुखार कम करने के लिए किया जाता है। 4. पाचन सुधारना: यह अपच, गैस और पेट की अन्य समस्याओं को ठीक करता है। 5. डिटॉक्सिफायर: गिलोय रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा संबंधी रोगों में लाभकारी है। 6. एंटीऑक्सिडेंट गुण: यह शरीर में मुक्त कणों को कम करता है और एंटी-एजिंग गुण प्रदान करता है। 7. संधि रोगों में उपयोगी: गिलोय जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देता है। 8. तनाव और चिंता: यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव कम करता है। उपयोग की विधि 1. काढ़ा...

आपका मस्तिष्क एक रहस्यमयी यात्रा पर होता है

 क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप गहरी नींद में होते हैं, तब भी आपका मस्तिष्क एक रहस्यमयी यात्रा पर होता है? एक ऐसी यात्रा, जो जागृत संसार से परे, आपके अवचेतन मन (Subconscious Mind) के गहरे गलियारों में प्रवेश करती है। इस रहस्य की चाबी छुपी है मेलाटोनिन में—वह दिव्य रसायन, जो न केवल शरीर को विश्राम देता है, बल्कि आत्मा को भी ज्ञान, अंतर्ज्ञान और आध्यात्मिक जागरण के द्वार तक ले जाता है। विज्ञान इसे नींद का हार्मोन कहता है, परंतु शास्त्रों में इसे ‘आज्ञाचक्र का अमृत’ कहा गया है। यह वह पुल है, जो बाहरी संसार से हमें भीतर की रहस्यमयी दुनिया तक पहुँचाता है—वह जगह, जहाँ आपके विचार, भावनाएँ और छुपे हुए संस्कार संचित होते हैं। आधुनिक न्यूरोसाइंस की दृष्टि से देखें, तो मेलाटोनिन मस्तिष्क की जैविक घड़ी (Circadian Rhythm) को नियंत्रित करता है और शरीर को गहरी नींद के लिए तैयार करता है। लेकिन इसके प्रभाव यहीं खत्म नहीं होते! यह गहरी निद्रा के दौरान हमारे अवचेतन मन को सक्रिय करता है, जहाँ स्मृतियाँ संचित होती हैं, विचारों की सफाई होती है और मानसिक ऊर्जाओं का पुनर्निर्माण होता है। जब मेलाटोनिन पर्य...

सभी गैर-भौतिक आयाम अस्तित्व के स्तर हैं

 "सभी गैर-भौतिक आयाम अस्तित्व के स्तर हैं जो ज्ञात भौतिक ब्रह्मांड की तुलना में उच्च आवृत्ति पर कंपन करते हैं। यह उन्हें सामान्य पाँच इंद्रियों और आज उपलब्ध सभी वैज्ञानिक साधनों के लिए अदृश्य और अगोचर बनाता है। जिस तरह विभिन्न प्रकार की ऊर्जाएँ - प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण, एक्स-रे, ऊष्मा, माइक्रोवेव, आदि। - सामान्य भौतिक ब्रह्मांड में एक ही समय में एक ही स्थान पर एक दूसरे के साथ किसी भी बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किए बिना रहती हैं, उसी तरह ये विभिन्न आयामी स्तर एक ही समय में एक ही स्थान पर सह-अस्तित्व में रहते हैं। प्रत्येक पूरी तरह से अलग प्रकार का है, जिसके अपने विशिष्ट गुण और आवृत्तियों का स्पेक्ट्रम है। लेकिन गैर-भौतिक आयामों के रूप और अनुभव को बताने वाला आसानी से समझने योग्य विवरण देना बहुत मुश्किल है। उदाहरण के लिए, सूक्ष्म विमान अपेक्षाकृत पूर्वानुमानित और स्थिर भौतिक आयाम की तुलना में एक अविश्वसनीय रूप से जटिल गैर-भौतिक आयामी स्तर का हिस्सा हैं। सूक्ष्म विमानों की कई जटिलताएँ लगभग अज्ञात हैं।  इस आयाम को नियंत्रित करने वाले गैर-भौतिक नियम {इन्हें सूक्ष्म भौतिकी कहते हैं} अत्...

चीनी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है

 चीनी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। मीठा खाना लगभग हर किसी को पसंद होता है, यह जानते हुए भी कि आजकल के दौर में हम शारीरिक तौर पर ज्यादा मेहनत नहीं करते, फिर भी मीठा तो बहुत से लोगों की कमजोरी है।          खाने के बाद मीठा तो जरूर चाहिए, मौसम अच्छा हो तो मीठा चाहिए, गर्मी ज्यादा हो तो मिल्कशेक चाहिए, ठंड हो तो जलेबी या गर्मागर्म हलवा चाहिए। बाकी बिना किसी अवसर के भी कभी-कभी मीठा खाया जाए तो कोई क्या परेशानी है।         लेकिन क्या कभी हमने यह सोचा है अगर खाने से मीठे की मात्रा हटा ली जाए, तो शरीर पर किस तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं? नहीं सोचा, तो चलिए हम ही बता देते हैं कि अगर एक महीने तक चीनी को अलविदा कह देते हैं तो इससे हमारे शारीरिक या मानसिक रूप से क्या अंतर देखने को मिलता है।         १. हमारे दिल की सेहत बहुत अच्छी रहती है, हमारा दिल शरीर का सबसे संवेदनशील भाग होता है। इस वजह से उसे कहीं ज्यादा हमारे केयर की जरूरत होती है। अगर हम अपनी दिनचर्या से चीनी को हटा देंगे तो ...

रहस्यमय ‘डूबे हुए संसार’ (Sunken World) की खोज

 वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की आंतरिक संरचना की नई मैपिंग तकनीक का उपयोग करके प्रशांत महासागर के नीचे एक रहस्यमय ‘डूबे हुए संसार’ (Sunken World) की खोज की है। यह खोज पृथ्वी के मेंटल (Mantle) में लगभग 2,900 किलोमीटर गहराई में की गई है, जहां भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) की गति अचानक धीमी हो जाती है। यह क्षेत्र लो-वेलोसिटी ज़ोन (Low-Velocity Zone) कहलाता है, जो वैज्ञानिकों को संकेत देता है कि यहाँ कोई असामान्य और अति-प्राचीन परत मौजूद हो सकती है। ‼️क्या है यह डूबा हुआ संसार? यह संरचना पृथ्वी के शुरुआती इतिहास की एक बची हुई परत हो सकती है, जो संभवतः  4 अरब साल पुरानी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी प्राचीन महाद्वीप या थिया (Theia) नामक एक प्राचीन ग्रह के अवशेष हो सकते हैं, जो अरबों साल पहले पृथ्वी से टकराया था और जिससे चंद्रमा का निर्माण हुआ था। ‼️कैसे हुआ यह खुलासा? शोधकर्ताओं ने एक अत्याधुनिक सेस्मिक इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया, जिससे पता चला कि यह परत आसपास के मेंटल की तुलना में घनी और गर्म है। इसका मतलब यह हो सकता है कि यह पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में गहरे मेंटल ...

हृदय का राजा अर्जुन छाल

 🇮🇳 हृदय  का राजा अर्जुन छाल  अर्जुन की छाल को आयुर्वेद में एक शक्तिशाली औषधि माना गया है, खासकर हृदय (दिल) से जुड़ी समस्याओं के लिए। इसे "हार्ट का राजा" कहा जाता है क्योंकि यह हृदय को मजबूत बनाने और कई हृदय रोगों को ठीक करने में मदद करता है। अर्जुन की छाल के मुख्य फायदे: 1. हृदय को मजबूत बनाती है – अर्जुन छाल रक्त संचार को सही रखती है और हृदय की धमनियों को स्वस्थ बनाए रखती है। 2. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है – हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर दोनों को संतुलित करने में मददगार है। 3. कोलेस्ट्रॉल कम करती है – खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में सहायक है। 4. दिल की धड़कन को नियंत्रित करती है – अनियमित धड़कनों (Arrhythmia) को सही करने में मदद करती है। 5. ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है – मधुमेह के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है। 6. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर – शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करके एंटी-एजिंग प्रभाव डालती है। 7. लिवर और किडनी के लिए लाभकारी – यह लिवर को डिटॉक्स करने और किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है। 8. तनाव और चिंता को क...

भोग का अर्थ है – सुख-दुःख का अनुभ

 भोगायतन ----+ भोग का अर्थ है – सुख-दुःख का अनुभव। यह अनुभव शरीरी आत्मा का होता है (वस्तुतः सुख-दुःख का प्रत्यक्ष सम्बन्ध बुद्धि से ही है; निर्गुण आत्मा में सुख-दुःख का आरोपमात्र किया जाता है)। भोग की शरीर-सापेक्षता के कारण शरीर (स्थूल-सूक्ष्म) को भोग का आयतन (आश्रय) कहा जाता है। सांख्यसूत्र (5/114; 6/60) में इस दृष्टि से भोगायतन शब्द का प्रयोग भी किया गया है। भोगायतन को भोगाधिष्ठान भी कहा जाता है (व्यासभाष्य 2/5)। भौतिकसर्ग भौतिक = पंचभूतविकार; पर ‘भौतिक सर्ग’ के प्रसंग में भौतिक का अर्थ है – भूतनिर्मित शरीर (शरीर चूंकि शरीरी क्षेत्रज्ञ के बिना नहीं रहता, अतः ‘भौतिक सर्ग’ वस्तुतः देही आत्मा के भेदों को लक्ष्य करता है)। सांख्य के अनुसार देहधारी जीवों की चौदह योनियाँ ही भौतिक सर्ग हैं (सांख्यका. 53) – देवयोनि आठ प्रकार की, तिर्यक्-योनि पाँच प्रकार की तथा मनुष्ययोनि एक प्रकार की है। ये जीव सत्त्व-रजः-तमः के प्राधान्य के अनुसार ऊर्ध्वलोक-मध्यलोक-अधोलोक के निवासी होते हैं – यह ज्ञातव्य है। पाँच भूतों के परस्पर संमिश्रण से जो स्थूल वस्तु बनती है, वह भी भौतिक कहलाती है (घट आदि पदार्थ भौत...