मांस एवं ऋतु का कोई मेल नहीं।शाकाहारी भोजन ऋतु के अनुसार बदल बदल कर खाया जाता है।मांस रोग बढ़ाता है,शाकाहार रोग से मुक्ति दिलाता है। (1)ताकत के लिए-सबसे ताकतवर जानवर हाथी शाकाहारी होता है वो ताकत के लिए कभी मांस नहीं खाता!!किसानों के साथ मेहनत करने वाला बैल कभी मांस खाता।हॉर्सपावर का इस्तेमाल किसी भी मशीन की शक्ति मापने के लिए किया जाता है।वो घोड़ा मांस खाता फिर ये कैसे कहा जा सकता है,कि मांस खाने से ताकत मिलती है? ( 2)जीभ के स्वाद के लिए-मांस में कैसा स्वाद होता है?सारा स्वाद उसमें पड़े बहुउपयोगी मसालों के कारण होता है।अगर वही मसाले इस्तेमाल किए जाएं तो बैंगन आलू की सब्जी में वही स्वाद आएगा! (3)विटामिन के लिए-हरी पत्तेदार सब्जियों और सूखे मेवों में मांस से कहीं ज्यादा प्रोटीन,विटामिन,पोषक तत्व होते है,तो मांस क्यों खाएं? असल में प्रकृति ने न हमारे दांतों को मांस चबाने के लिए बनाया है, ना ही हमारी आंतों को मांस पचाने के लिए बनाया,मानव शरीर मूलत शाकाहार के लिए बनाया है।यदि ऐसा न होता तो डॉक्टर छोटे बच्चे को चावल खिचड़ी की जगह मांस के टुकड़े चबाने को कहता।इसका मतलब यह हुआ,मनुष...
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