{{{ॐ}}} # अन्नादि कोष को पार करके जब साधक विज्ञानमय कोष मे पहुँचता है । तब जीव आत्मा एवं ब्रह्म का भेद समझ जाता है ।a गीता मे श्री कृष्ण ने कहा कि जीव जब सोते है तब योगी जागता है जब जीव जागते है तब योगी सोता है अर्थात योगी की भूमिका जगत क्रिया एवं मोहादि से परे है। वरूण ने भृगु को उद्दालक को श्वेतकेतु ने ब्रह्मा ने इन्द्र को अंगिरा ने विस्वान को तप( कर्म= क्रिया) करने को कहा है । इच्छा कि परिणति क्रिया क्रिया की परिणति ज्ञान होता है अतः तप करने से ही ज्ञान कि प्राप्ति होती है। आत्मसाक्षात्कार के लिए चार सुलभ साधना सें १, #सोहं_साधना २, #आत्ममानुभूति ३, #स्वर_साधना ४, #ग्रंन्थिभेद १, #सोहंसा...
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