गुजरात के मेहसाणा जिले में रह रहे 83 वर्षीय प्रहलादजानी उर्फ माताजी चुनरी वाले (पुरुष साधक) पिछले 75 साल से बिना कुछ खाए-पिए रहने तथा दैनिक क्रियाओं को भी योग की शक्ति से रोक देने की वजह से चिकित्सा विज्ञान के लिए एक चुनौती बन गए हैं। इस वक्त उनकी उम्र 83 वर्ष है। प्रहलाद जानी स्वयं कहते हैं कि यह तो दुर्गा माता का वरदान हैं, 'मैं जब 12 साल का था, तब कुछ साधू मेरे पास आए। कहा, हमारे साथ चलो, लेकिन मैंने मना कर दिया। करीब छह महीने बाद देवी जैसी तीन कन्याएं मेरे पास आयीं और मेरी जीभ पर अंगुली रखी। तब से ले कर आज तक मुझे न तो प्यास लगती है और न भूख।' चराड़ा गांव निवासी प्रहलाद भाई जानी कक्षा तीन तक पढे़ लिखे हैं। जानी का दावा है कि दैवीय कृपा तथा योग साधना के बल पर वे करीब 75 वर्ष से बिना कुछ खाए पिए-जिंदा हैं। मल मूत्र भी नहीं बनता : इतना ही नहीं मल-मूत्र त्यागने जैसी दैनिक क्रियाओं को योग के जरिए उन्होंने रोक रखा है। स्टर्लिंग अस्पताल के न्यूरोफिजिशियन डॉ. सुधीर शाह बताते हैं कि जानी के ब्लैडर में मूत्र बनता है, लेकिन कहां गायब हो जाता है...
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