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हमारा शरीर ब्रह्मांड की एक ईकाई है

शरीर के भीतर के 28 प्राणों को जानकर रह जाएंगे हैरान         हमारा शरीर ब्रह्मांड की एक ईकाई है। जैसा ऊपर, वैसा नीचे। जैसा बाहर, वैसा भीतर। संपूर्ण ब्रह्मांड को समझने के बजाय यदि आप खुद के शरीर की संवरचना को समझ लेंगे तो ब्राह्मांड और उसके संचालित होने की प्रक्रिया को भी समझ जाएंगे। यहां प्रस्तुत है शरीर में स्थित प्राण की स्थिति के बारे में। प्राण के निकल जाने से व्यक्ति को मृत घोषित किया जाता है। यदि प्राणायाम द्वारा प्राण को शुद्ध और दीर्घ किया जा सके तो व्यक्ति की आयु भी दीर्घ हो जाती है। प्राण के विज्ञान को जरूर समझें। व्यक्ति जब जन्म लेता है तो गहरी श्वास लेता है और जब मरता है तो पूर्णत: श्वास छोड़ देता है। प्राण जिस आयाम से आते हैं उसी आयाम में चले जाते हैं। हाथी, व्हेल और कछुए की आयु इसलिए अधिक है क्योंकि उनके श्वास प्रश्वास की गति धीमी और दीर्घ है। वैदिक विज्ञान के अनुसार : जिस तरह हमारे शरीर के बाहर कई तरह की वायु विचरण कर रही है उसी तरह हमारे शरीर में भी कई तरह की वायु विचरण कर रही है। वायु है तो ही प्राण है। अत: वायु को प्राण भी कहा जाता है। वैदिक ऋषि विज्ञान के अनुसार कुल 2