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रविवार, 28 फ़रवरी 2021

Lenovo Tab M10 FHD प्लस टैबलेट (10.3-इंच, 4GB, 128GB, Wi-Fi + LTE, Volte कॉलिंग), प्लैटिनम ग्रे (स्लेटी)

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advance teblet 8MP AF पीछे का कैमरा | 5MP आगे वाला कैमरा 26.162 सेंटीमीटर (10.3-इंच) 1920 X 1200 पिक्सल रेसोल्यूशन के साथ Android v9 Pie ऑपरेटिंग सिस्टम 4 x A53 @ 2.3GHz, 4 x A53 @ 1.8GHz MediaTek Helio P22T टैब प्रोसेसर, 650MHz PowerVR GE8320 गेमिंग GPU के साथ 4GB RAM, 128GB इंटरनल मेमोरी 128 GB तक एक्सपैंडेबल, सिंगल नैनो सिम 5000 mAH लिथियम-आयन बैटरी 10.3" FHD (1920 x 1200), TDDI टच तकनीक के साथ संकीर्ण बेज़ल अल्ट्राफास्ट 2.3 GHz MediaTek Helio P22T ऑक्टा-कोर प्रोसेसर, 650 MHz PowerVR GE8320 गेमिंग GPU के साथ 3D सराउंड साउंड इफ़ेक्ट के लिए डॉल्बी एटमॉस के साथ ड्युअल साइड स्पीकर ›

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Mi LED TV 4A PRO 108 cm (43) फ़ुल HD एंड्रॉइड TV (काला)

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रेसोल्यूशन: फ़ुल HD (1920 x 1080p) रिफ़्रेश रेट: 60 हर्ट्ज़ कनेक्टिविटी: सेट टॉप बॉक्स, ब्लू रे प्लेयर, गेमिंग कंसोल को कनेक्ट करने के लिए 3 HDMI पोर्ट हार्ड ड्राइव और अन्य USB डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए 3 USB पोर्ट साउंड: 20 W आउटपुट. DTS-HD साउंड स्मार्ट TV विशेषताएं:. Android TV के साथ PatchWall और सेट-टॉप बॉक्स इंटीग्रेशन. Chromecast बिल्ट-इन. 700,000+ hrs के कंटेंट. Mi Remote साथ में Google वॉइस सर्च. 15 भाषाओं में कंटेंट. Play Store, YouTube, मूवी देखें, म्यूज़िक सुनें. Hotstar, Voot, Sony LIV, Hungama, Zee5, Eros Now, Alt Balaji, Sun NXT, Hooq, TVF, Epic ON, Flickstree. Prime Video जल्द ही आ रहा है. Mi रिमोट कंट्रोल TV, सेट-टॉप बॉक्स और स्मार्ट होम डिवाइस जैसे Mi एयर प्यूरीफ़ायर डिस्प्ले: फ़ुल HD डिस्प्ले. 7th जनरेशन ग्राफ़िक्स वारंटी की जानकारी: प्रोडक्ट पर 1 वर्ष की वारंटी और पैनल पर 1 वर्ष की अतिरिक्त वारंटी वारंटी संबंधी समस्या/स्पष्टीकरण के लिए, कृपया सीधा Xiaomi सपोर्ट 18001036286 पर कॉल करें और प्रोडक्ट का मॉडल नंबर और इनवॉइस पर मौजूद विक्रेता की जानकारी दें आसान रिटर्न: अगर प्रोडक्ट में कोई ख़राबी है, कुछ टूटा हुआ है, या फिर इसकी विशेषताएं दिये गए विवरण से मेल नहीं खातीं, तो आपको डिलीवरी के 10 दिनों के भीतर इस प्रोडक्ट का रीप्लेसमेंट/रिफ़ंड कर दिया जायेगा. ›

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qwantam computer

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शरीर और साधना यंत्रमानव

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---------:शरीर और साधना:--------- *********************************** भाग--01 ********** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन विश्वब्रह्माण्ड में तो सब कुछ रहस्यमय है वह भी जो हमारे विचार से परे दिखता है। उन रहस्यों में हमारा यह भौतिक शरीर कम रहस्यमय नहीं है। प्राचीन काल से लेकर आज तक मनुष्य स्वयं को खोज रहा है। यह खोज आध्यात्मिक क्रांति से लेकर विज्ञान-क्रांति तक चल रही है। आज का विज्ञान मानव के आंतरिक और बाह्य रचनाओं का गहन अध्ययन कर रहा है। आज का मानव कल कैसा होगा ? आज का युग एक क्रांति-युग है, मानव जीवन का संक्रमण काल है। आज का मानव आधुनिकता और अध्यात्म--दोनों जीवन को एक साथ जी रहा है। वह आधुनिक जीवन के साथ आध्यात्मिक भी रहना चाहता है। लेकिन आने वाले कल का मानव आधा मशीन और आधा मानव होगा। तब संवेदना कहाँ होगी ? तब क्या वह अध्यात्म और स्वयं के सृजन तथा सृजन करने वाले परमतत्व को भी भूल जाएगा ? वह स्वयं को ही सृजनकर्ता मानने लगेगा ?...आदि आदि ये ऐसे प्रश्न हैं जो उसके मानस-पटल को उद्वेलित करते रहते हैं। आज सब कुछ तीव्रता से बदल रहा है। आज का मानव अति अशान्त होता जा रहा है क्योंकि उसका सारा समय यन्त्र और मशीन से जुड़ता जा रहा है। प्रश्न यह है कि क्या भविष्य का मानव पूर्ण रूप से यांत्रिक हो जाएगा ? उसके अन्दर प्रेम, भावना, मन की निश्छलता आदि खत्म हो जाएगी ? क्या वह मात्र यंत्रमानव (रोबोट) ही रह जायेगा, क्या अध्यात्म से उसका कोई लेना-देना नहीं रह जायेगा ? 21 वीं सदी के बारे में आज के वैज्ञानिकों का कहना है--आगे अब एक ऐसा संसार होगा जो कल्पनाओं से परे होगा। शरीर तो वही होगा, लेकिन उसके हर अंग में चिप लगे होंगे। चमत्कारिक नैनो उपकरण यानी मानव स्वयं में मोबाइल होगा। स्वयं ही इंटरनेट से जुड़ा होगा, खुद ही विचारों की तरंगों के साथ दुनियाँ के किसी कोने में पहुंच जाने की त्रिआयामी प्रोजेक्शन सुविधा होगी। सम्भवतया हज़ारों साल का स्मार्ट मानव 21 वीं सदी का होगा। 21 वीं सदी के अंत होते- होते शायद सब कुछ बदल चुका होगा--जीवन जीने का ढंग, मानवीय आचार-विचार, संस्कृति, सभ्यता, सामाजिकता सभी कुछ। प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक #मिथियो #काकू का कहना है--22 वीं सदी तक पूरी दुनियां में यन्त्रमानवों (रोबोट्स) की भरमार हो जायेगी। दुनियाँ में किसी भी काम के लिए वे कुशल व सिद्धहस्त होंगे। हमारी हर बात उन्हें समझ में आयेगी। उन्होंने आगे बतलाया-- जैसे-जैसे यंत्रमानव में विकास होता जाएगा, वे और भी करामाती होते जाएंगे। वे भावनाओं से भी युक्त होंगे। यानी हमारी-आपकी बगवनाओं को समझेंगे। कहने की आवश्यकता नहीं--अब भावनाओं की प्रकृति को विज्ञान की दृष्टि से वैज्ञानिक देखने-समझने का प्रयास कर रहे हैं। बहुत कुछ सम्भव है कि वे सफल भी हो जाएं। हमारी भावनाएं ही हमसे कहती हैं कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है ? जब हम अपनी पसन्द की भावना महसूस करते हैं तो इसका अर्थ होता है--वह वस्तु हमारे लिए उपयोगी है क्योंकि भावनाओं के कारण ही हम अच्छे-बुरे का निर्णय करते हैं और उन्हीं के आधार पर चयन भी करते हैं। बहुत कुछ सम्भव है कि भावनाओं को तकनीक के साथ मिलाने वाली बात समझने के बाद वैज्ञानिक ऐसे यंत्रमानव बना सकेंगे जो हमारी आवश्यकताओं के साथ-साथ भावनात्मक साथी भी होंगे हमारी हर भावना को समझेंगे। हमारे दुःखों में दुःखी होंगे और हमारी खुशी में खुश होंगे। sabhar shivaram Tiwari Facebook wall

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शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

Noise Colorfit Pro 2 फुल टच कंट्रोल स्मार्ट वाच मिस्ट

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शानदार 1.3" कलर डिस्प्ले अब पूर्ण कैपेसिटिव टच है, जो टैप और स्वाइप को सपोर्ट करता है, इसलिए इसे पढ़ना और संचालित करना आसान है अपने ColorFit Pro 2 पर रिमोट फंक्शन के साथ अपने स्मार्टफ़ोन पर म्यूजिक प्लेबैक को नियंत्रित करें, ब्लूटूथ v5.0 Android 4.4 या iOS 8.0 और ऊपर वाले सभी स्मार्टफ़ोन के साथ इस्तेमाल होने वाला मजबूत पॉलीकार्बोनेट केस आपकी कलाई पर ColorFit Pro 2 फेदरलाइट बनाता है और मैचिंग स्वैपबल स्ट्रैप के साथ 4 सुंदर रंगों में उपलब्ध है 24x7 हृदय गति मॉनीटरिंग बिल्ट-इन ऑप्टिकल HR मॉनीटर के साथ जो आपके हृदय गति को हर पांच मिनट में मापता है आपकी सभी गतिविधियों को कवर करने के लिए 9 स्पोर्ट्स मोड, चाहे आप चलते हैं, दौड़ते हैं, हाइक, बाइक, ट्रेडमिल, वर्क-आउट, क्लाइम्ब, स्पिन, योग प्रदर्शन करते हैं आप जितना चाहें उतना पसीना बहा सकते हैं और बारिश में ColorFit Pro 2 भी पहन सकते हैं, इसकी IP68 जल रोधक रेटिंग के लिए धन्यवाद दस दिन तक की बैटरी लाइफ के साथ, ColorFit Pro 2 शामिल मैग्नेटिक चार्जर के माध्यम से चार्ज किए बिना एक सप्ताह से अधिक समय तक चल सकता है नींद की निगरानी, हृदय गति की निगरानी, कदम ट्रैकिंग, सेडेंटरी अलार्म और बर्न की गई कैलोरी के साथ पूर्ण गतिविधि और स्वास्थ्य ट्रैकिंग. , महिलाओं के लिए वैकल्पिक मासिक धर्म ट्रैकिंग साइकिल ट्रैकिंग से अनुमान लगाती है पिछले 2 सप्ताह के लिए अपने स्वास्थ्य और फिटनेस विवरण ट्रैक करें और NoiseFit स्पोर्ट एप में पिछले 30 दिनों के लिए एक ओवरव्यू देखें अपने ColorFit Pro 2 को मल्टीपल घड़ी फेस के साथ कस्टमाइज़ करें जिसे डिवाइस पर ही बदला जा सकता है

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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

कुण्डलिनी साधना

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------------:कुण्डलिनी साधना की सिद्धि सर्वोच्च सिद्धि है:------------ ******************************** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन कुण्डलिनी साधना योग-तंत्र का सार है जिसमें साधना और मन्त्र-क्रिया दोनों हैं। कुण्डलिनी साधना की सिद्धि सर्वोच्च सिद्धि है। साधक इस साधना के बल पर सर्वोच्च ज्ञान को हो जाता है उपलब्ध। कुण्डलिनी साधना को लोगों ने इतना जटिल और रहस्यमयी बना दिया है कि साधारण लोगों को भ्रम-सा होने लगता है। कहने का तात्पर्य है कि कुण्डलिनी साधना भारतीय साधकों के शोध और कठोर परिश्रम का परिणाम है। यह साधना मानव के लिए जगत में जीने की और जगत पर विजय प्राप्त करने की क्रिया है। इस साधना के बल पर मानव पशुवत जीवन से निकल कर दिव्य मानव बनता है। राग, द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध, लालच, वासना आदि के कारण मानव पशुवत जीवन जीता रहता है। लेकिन कुण्डलिनी साधना से मानव धीरे-धीरे इन वासनाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है। वह सरोवर की तरह शांत हो जाता है। बुद्ध की तरह वीतराग हो जाता है, महावीर की तरह निस्पृह और तटस्थ हो जाता है और हो जाता है कृष्ण की तरह आनंद और प्रफुल्लता का उत्तुंग शिखर। चाहे जितना दुःख मिले, वह साक्षी भाव से समाज में जीता है। चेतना सब जगह व्याप्त है। भारत के ऋषिगण प्राचीन काल से ही इसके महत्व को भलीभांति जानते थे। इसी के बल पर उन्होंने प्रकृति के सत्य को जाना और समझा है। दुर्भाग्य की बात है कि विज्ञान आज भी चेतना के विषय में शोध कर रहा है। उसे चेतना के रहस्य की विराट शक्ति का भान तो है लेकिन तर्क के कारण अभी भी स्वीकार नहीं कर पा रहा है। विज्ञान और अध्यात्म में यही अंतर है। विज्ञान तर्क को लेकर चलता है और अध्यात्म विश्वास को लेकर। वही विश्वास जब घनीभूत हो जाता है, तब वह ज्ञान में रूपांतरित हो जाता है। हमारे ऋषियों ने जब साधना की किसी क्रिया पर शोध किया तो उन्होंने उस क्रिया पर पूर्ण विश्वास रखा। बिना विश्वास के कोई साधना सफल नहीं हो पाती। पूर्ण विश्वास और पूर्ण समर्पण से ही साधना में देवी ऊर्जा का प्रभाव दिखने लगता है, तभी वह साधना 'ज्ञान' रूप में प्रकट हो पाती है। मानवीय संपत्ति है--प्रेम, दया, करुणा, प्रसन्नता, परोपकार और पशुविक प्रवृत्ति है--ईर्ष्या, द्वेष, लालच, घृणा, क्रोध, क्रूरता और स्वयं को ही सब कुछ समझना। कुण्डलिनी साधना हमें धीरे-धीरे मानवीय संपत्ति की ओर अग्रसर करती है। इससे भी आगे चलकर कुण्डलिनी साधना हमें मानवीय संपत्ति और पशुविक प्रवृत्ति-- दोनों के अस्तित्व से परे कर देती है। फिर साधक के भीतर अच्छाई और बुराई का भेद मिट जाता है। वह समदर्शी हो जाता है। समदर्शी होते ही उसके भीतर आत्म-प्रकाश प्रस्फुटित होने लगता है। sabhar siwaram Tiwari Facebook wall

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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

Procus वन वर्चुअल रीयलीटी हेडसेटt 42Mm लेन्सेज़ VR वीडियो गेमिंग, मुवीज़, पिक्चर्स के लिए - काला

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मुफ्त VR गेम - ISOLATED कीमत Rs. 500 || 6 महीनों के कठिन मेहनत के बाद.PROCUS गर्व के साथ आपको पेश करता है ISOLATED. रीढ़ को ठंडा कर देने वाला एक घंटा का HORROR VR GAME PROCUS उपकरण के साथ निशुल्‍क है. गेम का विवरण देखें http://bit.ly/2myQ2Fe | डाउनलोड कैसे करें : http://procusgo.com/register/ पर निबंधन करें और गेम डाउनलोड करने के निर्देशों का पालन करें विशालकाय 42MM लेंसेज़ वर्चुअल रियलीटी हेडसेट बाज़ार में एक खरीदें आपको VR ग्पेलाशेज उपलब्ध विशालतम लेंसेज के साथ पेश करते हुए किसी को भी गर्व की अनुभूति हो सकती है! नाप 42 mm, आप विस्तारित व्यू फिल्ड का आनन्द उठा सकते हैं, 100 डिग्री सप्रेस करते हुए! हमारा हेडसेट पहनकर एक पूरा का पूरा चहुंओर का अवलोकन अनुभव आपको मुवीज और पिक्चर्स को स्ट्रीम करने, वीडियो गेम्स प्ले करने और अपने फोन एप्स का आनन्द लेने जैसा आपने पहले कभी नहीं पाया! ग्राहक सहायता: +91-8968469643 सोमवार से शुक्रवार |||| आंख सुरक्षा और परिदृश्य आराम: आपकी दृष्टि की सुरक्षा के लिए आपके देखने के अनुभव पर कोई समझोता किए बिना हम दूर-दूर तक गये हैं हमारे VR ग्लासेज़ सुपरीयर क्वलिटी के बनते हैं, पोलिश किये हुए HD ओप्टीकल रेजिन लेनसेज 8 लेयर नैनो कोटिंग के साथ, स्पेशल आदेश देकर हमारे हेडसेट से आउटफिट के अनुसार भारत में आयात किये जाते हैं. हमारे ग्लासेज लेन्सेज अद्वितीय FOV का प्रस्ताव करते है, जब कि इनसे आंख पर पड़ने वाले दबाव और चौंधाहट को भी कम करते हैं, लम्बे काल तक सामर्य़्यवान, आरामदायक हेडसेट पहने. पोर्टेबल और सुविधाजनक: यह VR हेडसेट चश्मे के ऊपर भी पहना जा सकता है और नियरसाइटनेस अथवा फारसाइटनेस, दोनों को बिना किसी प्रयास के एडजस्ट करते हैं! बिल्ट-इन IPD के साथ - इंटरप्यूपीलर डिस्टेंस एडजेस्टमेंट फीचर और एडजेस्टेबल स्क्रीन डिस्टेन्स, आप अपने हेडसेट से पूरा कर सकेंगे! इसके आरामदायक, एडजेस्टेबल लेदर-हैडबेंड, हेडसपोर्ट और फ़ोम फेस कस्टमाइजिंग की विशेषता: हमारा VR हेडसेट पूरे परिवार द्वारा आराम से पहना जा सकता है! स्मार्टफ़ोन की बडी अनुकूलता: यह सुपीरीयर हेडसेट अधिकांश लोकप्रिय स्मार्टफोन मै् और मॉडल 3.5"-6" स्क्रीन्स और गायरोस्कोप विशेषताओं के उपयुक्त है! साथ इस्तेमाल होने वाले ब्रंड्स और फोन्स शामिल है, परन्तु Apple iPhones, Android smartphones, Samsung phones, Lenovo K4 Note, HTC, LG, Windows phones बहुत कुछ तक सीमित नहीं है! ›

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Samsung T7 टच USB 3.2 Gen 2 (10Gbps, Type-C) एक्सटर्नल सॉलिड स्टेट ड्राइव (पोर्टेबल SSD)

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एक्सटर्नल HDD की तुलना में 9.5x तक 1,050 MB/s तक का परफॉरमेंस. इंटरफेस: USB 3.2 Gen 2 (Up to 10Gbps). पीछे के साथ इस्तेमाल होने वाला टिकाऊ: शॉक रेज़िस्टेंट इंटरनल फ्रेम T7 को 2 मीटर तक गिरने का सामना करने देता है सुरक्षा: वैकल्पिक पासवर्ड सुरक्षा और AES 256 बिट हार्डवेयर एन्क्रिप्शन Windows 7 और उच्चतर, Mac OS X 10.10 और उच्च, या Android 5.1 (Lollipop) और उच्च. Windows, Mac, और Android ऑपरेटिंग सिस्टम के पुराने संस्करण समर्थित नहीं हो सकते हैं. USB टाइप C से C और USB टाइप C से केबल तक शामिल है

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बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

Mi 10T Pro 5G (Lunar Silver, 8GB RAM, 128GB Storage)

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Country Of Origin - India, China 108MP triple rear camera with 13MP ultra-wide and 5MP macro mode, six long exposure modes, photo clones, timed burst, document mode 2. 0, panorama mode, portrait mode | 20 MP front camera 16.9 centimeters (6.67-inch) FHD+ full screen dot display, FHD+ LCD multi-touch capacitive touchscreen with 2400x1080 pixels resolution, 395 ppi pixel density and 20:9 aspect ratio | 144Hz AdaptiveSync intelligent display Memory, Storage & SIM: 8GB RAM | 128GB storage | Dual SIM (nano+nano) Android v10 operating system with upto 2.84 GHz Qualcomm Snapdragon 865 processor 5000mAH lithium-polymer large battery providing talk-time of 26 hours and standby time of 535 hours with 33W fast charger in-box and type-C connectivity 1 year manufacturer warranty for device and 6 months manufacturer warranty for in-box accessories including batteries from the date of purchase Box also includes: Power adapter, USB cable, sim eject tool, warranty card, user guide, clear soft case, screen protector pre-applied on the phone

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New Apple iPhone 12 Mini (64GB) - Black

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5.4-inch (13.7 cm diagonal) Super Retina XDR display Ceramic Shield, tougher than any smartphone glass A14 Bionic chip, the fastest chip ever in a smartphone Advanced dual-camera system with 12MP Ultra Wide and Wide cameras; Night mode, Deep Fusion, Smart HDR 3, 4K Dolby Vision HDR recording 12MP TrueDepth front camera with Night mode, 4K Dolby Vision HDR recording Industry-leading IP68 water resistance Supports MagSafe accessories for easy attach and faster wireless charging iOS with redesigned widgets on the Home screen, all-new App Library, App Clips and more

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शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

OnePlus Nord 5G (Blue Marble, 12GB RAM, 256GB Storage

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48MP+8MP+5MP+2MP quad rear camera with 1080P Video at 30/60 fps, 4k 30fps | 32MP+8MP front dual camera with 4K video capture at 30/60 fps and 1080 video capture at 30/60 fps 6.44-inch 90Hz fluid Amoled display with 2400 x 1080 pixels resolution | 408ppi Memory, Storage & SIM: 12GB RAM | 256GB internal memory | OnePlus Nord currently support dual 4G SIM Cards or a Single 5G SIM. 5G+4G support will be available via OTA update at a future date. OxygenOS based on Android 10 operating system with 2.4GHz Kryo 475 Prime + 2.2GHz Kryo 475 Gold + 6x1.8GHz Kryo 475 Silver Qualcomm Snapdragon 765G 5G mobile platform octa core processor, Adreno 620 GPU 4115mAH lithium-ion battery | In-Display fingerprint sensor 1 year manufacturer warranty for device and 6 months manufacturer warranty for in-box accessories including batteries from the date of purchase Corning Gorilla Glass 5 | 12GB GB LPDDR4X, 256GB UFS 2.1 S

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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

neuralinks project and hindu philospy

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बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

योग शरीर और विज्ञान

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---------------:योग और मेरुदण्ड:---------------
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परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन

पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि वन्दन

      साधना की दृष्टि से मानव शरीर में जितने महत्वपूर्ण अंग हैं, उनमें सर्वाधिक मूल्यवान, सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है--'मेरुदण्ड'। मेरुदण्ड यानी रीढ़ की हड्डी। जिन हड्डियों के छोटे-छोटे टुकड़ों से मेरुदण्ड का निर्माण होता है, उनकी संख्या 84 है जिनका अगोचर सम्बन्ध जीवात्मा के 84 लाख योनियों से बतलाया गया है। प्रत्येक अस्थि-खण्ड में एक लाख योनियों के संस्कार विद्यमान हैं। 84 अस्थि-खंडों की श्रृंखला वाले इस मेरु-दण्ड के ऊपरी सिरे पर स्थितिशील ऊर्जा (स्टेटिक एनर्जी) यानी परात्पर 'शिवतत्त्व' की स्थिति है। इसी प्रकार इसके नीचे वाले सिरे पर गतिशील ऊर्जा (डायनेमिक एनर्जी) यानी शक्तितत्त्व या पराशक्ति की स्थिति है। योग की भाषा में इन्हीं दोनों सिरों को क्रमशः 'सहस्त्रार चक्र' और 'मूलाधार चक्र' कहते हैं। इन दोनों चक्र-बिंदुओं को तंत्र में ऊर्ध्व त्रिकोण और अधो त्रिकोण के रूप में परिकल्पित किया गया है। प्रथम चक्र-बिंदु पर जहाँ परात्पर शिवतत्त्व की स्थिति है, वहां शरीर और मन का मिलन होता है, इसी प्रकार दूसरे चक्र-बिन्दु पर जहां पराशक्ति तत्व की स्थिति है, वहां शरीर और आत्मा का मिलन होता है।
      मन और आत्मा का मिलन-केंद्र को योग की भाषा में 'अनाहत चक्र' कहते हैं। सहस्त्रार, मूलाधार और अनाहत के अलावा चार और चक्र हैं। तंत्र के अनुसार ये तीनों महत्वपूर्ण चक्र महाचक्र हैं। महाचक्रों का सम्बन्ध ॐ से बतलाया गया है। ॐ का ऊपरी भाग सहस्त्रार है, मध्य भाग अनाहत है और निम्न भाग मूलाधार है। ॐ में तीन ध्वनियां हैं--अ, उ और म्। अ और उ स्वर और म् व्यंजन है। सभी ध्वनियों और वर्णाक्षरों का लय म् में ही होता है। मेरुदण्ड के ऊपर अ, मध्य में उ और नीचे म् की स्थिति है। इस प्रकार पूरा मेरुदण्ड 'ॐ' से युक्त है। इन तीनों की समवेत ध्वनि को योग-तंत्र की भाषा में 'परावाक' कहते हैं। शरीर के भीतर इन तीनों के अपने-अपने केंद्रों से वैसे तो अलग-अलग ध्वनि निकलती है, पर एक स्थान विशेष पर ये तीनों ध्वनियां आपस में मिलकर परावाक का रूप धारण कर लेती हैं।
      वह स्थान विशेष कहाँ है ?
      वह स्थान विशेष है--नाभि (मणिपूरक चक्र) यह परावाक शक्ति का ही स्थान है। पराशक्ति ही परावाक रूप में व्यक्त होकर स्वरों और बाद में वर्णाक्षरों का निर्माण करती है। मगर उस निर्माण का एक क्रम है और उसी क्रम को 'परा', 'पश्यन्ति', 'मध्यमा' और 'बैखरी' कहते हैं। यदि इन चारों को परावाक के चार रूप कहा जाय तो साधुतर होगा।
      स्वर और वर्णाक्षरों की उत्पत्ति की दिशा में परावाक के ये रूप तो हैं ही, इनके अलावा उसके दो और गरिमामय रूप हैं जिन्हें 'भाव' और 'विचार' कहते हैं। प्रथम भाव की उत्पत्ति होती है और फिर बाद में विचार की। भाव कारण है और विचार है उसका परिणाम। sabhar sivram Tiwari Facebook wall

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मानव शरीर का चक्र विज्ञान

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------------------:ज्ञानतन्तु:------------------
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                    भाग--02
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परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन

पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि वन्दन

      तंत्र के मतानुसार मानव शरीर में छः चक्र हैं जो चेतना-शक्ति के केंद्र-स्थल हैं--मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपूरक चक्र, अनाहद चक्र, विशुद्ध चक्र और आज्ञाचक्र। सहस्त्रदल वाला चक्र यानी 'सहस्त्रार' चक्र सातवें और 'सोम' नामक आठवें चक्र का योग में गणना करते हैं जहां अनवरत सोम की वर्षा होती रहती है, अमृत-क्षरण होता रहता है और जीवनी-शक्ति बराबर गतिमान होती रहती है। जब इस अमृत का क्षरण बन्द होने लगता है, तब जीवन-चक्र भी समाप्त होने लगता है। अमृत-क्षरण अनवरत चलता है। यह साधक की साधना पर निर्भर करता है। हज़ारों वर्ष तक जीवित रहने वाले दीर्घजीवी साधकों को इस सोमरस का पान योग द्वारा सम्भव होता है। आज भी हिमालय की कंदराओं में सिद्ध साधक इसी सोमतत्व का पान कर वर्षों से साधना  में लीन हैं।
      देखा जाय तो ज्ञानतंतुओं का समूह शरीर में स्वाभाविक क्रियाएं जैसे रक्त का प्रवाह, श्वांस-प्रश्वांस, चय-अपचय आदि क्रिया करता है। मस्तिष्क के स्मरण बल आदि के कार्य-समूह को पाश्चात्य शरीरशास्त्री ज्ञानतन्तु बल (नर्व फोर्स) कहते हैं भारतीय योग इसे 'प्राणतत्व' कहता है। इसका सामर्थ्य और इसकी तुलना का स्वरूप विद्युत-प्रवाह से मिलता-जुलता है। यदि प्राणतत्व न हो तो हृदय अपनी स्वाभाविक क्रिया नहीं कर सकता और रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाएगा। फेफड़े श्वांस-प्रश्वांस की क्रिया भी नहीं कर सकते, शरीर में सब जगह प्राणों का संचार भी नहीं हो सकता जिसके अभाव में शरीर और मस्तिष्क के अवयव अपना कार्य नहीं कर सकते। शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति और कार्बन डाई ऑक्ससाइड का निष्कासन भी सम्भव नहीं है प्राणतत्व के अभाव में। sabhar Shivram tiwari Facebook wall

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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

chetan aur avchetan man vigyan aur adyatm

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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

पुनः उग आएंगे छतिग्रस्त अंग

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वैज्ञानिको ने मानव शरीर में मौजूद उस खाश जीन का पता लगा लिया है जिसे स्विच ऑफ़ करते ही हमारे छतिग्रस्त अंग नए सिरे से पैदा हो जायेगे अमेरिका के फिलाडेल्फिया स्थित विस्टार संस्थान के वैज्ञानिक की टीम ने पी २१ नामक जीन को तलाशा है यह जीन लाखो वर्षो के विकाश क्रम में स्विच ओंन हो गयी थी पी २१ नामक जीन कोशिकाओं के पुनर्जनम को रोके हुए है जब चूहों के सरीर में में इस जीन को निष्क्री किया गया तो उनके छातीग्रस्त उतक फिर पैदा हुए यह ब्लास्तेमा नाक एक संग्रचना के कारन संभव हुआ वैज्ञानिको ने ये भी बताया की पी२१ हटा देने पर मानव शरीर कोसिकायो में स्टेम सेल कोसिकायो का लगातार निर्माण किया जा सकता है

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क्वांटम कम्प्युटर बनेगा भविष्य का कम्प्युटर

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आगे भविष्य में कम्प्युटर के कार्य करने के तरीके बदल जायेंगे आने वाले भविष्य में आप के कम्प्यूटरों का स्थान क्वांटम कम्प्युटर ले लेगा जो चिप के स्थान पर द्रवों से भरा होगा यह भौतिक नियमो से संचालित नहीं होगा इसके आपरेसन के लिए क्वांटम यांत्रिकी का प्रयोग होगा अर्थात किसी बस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर विना स्थान परिवर्तन के पहुंचाना और समान्तर ब्रह्माण्ड जैसा सिधांत है यह कम्प्युटर पेंटियम -३ से १ अरब गुना ज्यादे तेजी से गड़ना करेगा और यह पलक झपकते पुरे इंटरनेट को खंगालने में सछम होगा यह कम्पूटर २०३० के आस पास आप के पास उपलब्द होगा यह सबसे एडवांस सिकोरिटी कोड को आसानी से तोड़ देगा इसके कम्पूटर चिपों के स्थान पर द्रव भरा होगा जिसमे उपस्थित परमाणु का प्रयोग गड़ना के लिए करेंगे परमाणु प्राकृतिक रूप से सूछ्म कल्कुलेटर है इसकी गति ऊपर नीचे होती है जो डिजिटल तकनीक से मेल खाती है क्वांटम यांत्रिकी के द्वारा सूछ्म अर्थात अणु परमाणु क्वार्ट इत्यादि के संसार को समझा जा सकता है इसके नियम इतने विचित्र है उनको समझना आसान नहीं है लेकिन इनके सिधांत को बार बार सिध्य किया गया है क्योकि किसी परमाणु का चक्रण एक ही समय में ऊपर या नीचे हो सकता है इसलिए पारंपरिक कम्पूटर के एक बिट के बराबर नहीं हो सकता है यह कुछ अलग है वैज्ञानिक इसे क्युबित कहते है यदि आप क्युबित के एक समूह को एक साथ रखे तो वे बर्तमान कम्पूटरों की तरह एक रेखीय गड़नाये नहीं करते वे एक समय सभी संभावितगड़ना करते है एक

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सौर ऊर्जा से चीनी बनाने में सफलता

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वैज्ञानिको ने सौर ऊर्जा से चीनी बनाने में सफलता प्राप्त की है सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता के दल ने सौर ऊर्जा से चीनी बनाने की कोशिश में कृत्रिम फोटो सिंथेटिक के जरिये चीनी बनाने की थी उन्होंने पौधों मेढक फफूद एन्जाएम और बैक्टेरिया को एक फोम के खोल में बंद करके सूरज की रोशनी और कार्बन डाई आक्साइड की मौजूदगी से इस प्रक्रिया में सफलता पाई यह पूरी प्रक्रिया अर्ध विषुवतीय छेत्र के टुंगारा मेडक के फोम से बने घोसले पर आधारित थी इस प्रक्रिया में सूरज की पूरी रोसनी का इस्तमाल चीनी बनाने के लिए होता है जबकि पौधे और फफूद फोटो सिंथेटिक के दौरान प्रकाश का इस्तेमाल अन्य कामो के लिए भी करते है इससे बनाई गयी चीनी को बड़ी आसानी से इथेनाल और दूसरे बायो फ्यूल में बदला जा सकता है यह एक ईधन के छेत्र एक अहम् खोज है

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बायो प्रिंटर से बनेगे इंसानी अंग

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अमेरिकी वैज्ञानिको ने ऐसा बायो प्रिंटर बनाने का दावा किया है जो जरूरतों के मुताबिक इंसानी अंग बना पायेगा कैलिफोर्निया स्थित रीजेनेरेटिव मेडिसिन कंपनी ओरागानोव ने इसी तरह की एक प्रोटोटाईप मशीन बिकसित कर ली है जो खून की नलिया उगाने में कामयाब है इसी से वैज्ञानिक बिरादरी में उम्मीद जगी है की एक दिन वो नए अंग उगा सकेगे यह मशीन थ्री डी लेसर तकनीक पर आधारित है फिलहाल इसकी मदद से मशीनो के पार्ट बनाये जाते है लेकिन बायो प्रिंटर में प्लास्टिक और मेटल की जगह जीवित टिशु प्रयोग किये जायेंगे इसके लिए दो लेसर बेस्ड प्रिंटिग हेड जीते जागते सेल्स को जेल की पतली शीट पर रखेंगे जरूरत के हिसाब से बने ढाचे में एक के ऊपर एक परते बनाती जायेंगी इसके बाद सेल्स आपस में जुड़ जायेंगी

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वैज्ञानिको ने आयु बड़ाने का तरीका प्राप्त किया

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वैज्ञानिको ने आनुवंसिक गुणों के आधार पर ऐसा उपाय ढूढ़ निकाला है जिसकी मदद से न सिर्फ दिर्ग्यायु जीवन संभव है बल्कि कैंसर का खतरा भी पूरी तारा ख़त्म हो जाएगा मेड्रिड स्थित स्पेन के रास्ट्रीय कन्सर शोध केंद्र के वैज्ञानिकों का एक दल चूहों पर प्रयोग के बाद इस निष्कर्ष पर पंहुचा है शोध के दौरान वैज्ञानिको ने तेलोमेरास पी ५३ पी १६ नाम के जिन्श की अतिरिक्त प्रति चूहों के स्टेम सेल में डाल दी तीनो गईं लम्बी आयु और टयूमर की वृद्धि रोकने में महत्वपूर्ण माने जाते है वैज्ञानिको ने पाया की चूहों की आयु ४५फीसदी तक बढ गयी और वे टयूमर से मुक्त रहे असल में इन तीन जीनो की अतिरिक्त प्रती डालने से चूहों के शरीर में अधिक प्रोटीन बनाने लगा और वे अधिक सक्रीय हो गए इस वजह से क्रोमोजोम का सिकुरना बंद होगया यही वो प्रक्रिया है जो किसी जीव या आदमी की उम्र बड़ा देती है क्रोमोजोम के सिकुरने से ही आदमी बूढा होता है इस तरह से मनुष्य के ज्यादे दिनों तक जवान रहने की संभावना बड़ी है इससे आयु भी बढेगी और कैंसर पर भी रोक लगेगी

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चन्द्रमा पर ओक्सीजन का स्रोत मिला

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हबल खौगोल दूरबीन के अत्याधुनिक कैमरे ने चन्द्रमा पर ऐरिस्तैराश ज्वालामुखी के मुहाने की क्लोजप तस्वीर उतारी है यह मुहाना ओक्सिजन हासिल किये जाने वाले खनिज का महत्त्व पूर्ण स्रोत हो सकता है ग्रीन वेल्ट स्थित नासा के गाडार्ड स्पेश फलाईट सेंटर के अनुसार अगस्त में पूर्ण चंद्रमा के दौरान ली गयी ये तस्वीरे बहुमूल्य सिद्य हो सकती है हब्बल ने अल्त्रवैलेट प्रकाश में तस्वीर उतारी है इन तस्वीरों से यह पता चला है की ओक्सिजन का स्रोत इलामेनाईट नाम का खनीज चन्द्रमा पर है विज्ञानियों के अनुसार विदमान लौह टिटेनियम और ओक्सिजन के समिसरण से इल्मेनिते का निर्माण हुआ है इससे भविष्य में चन्द्र अभियानों के लिए और वहा रिहाईश की सूरत में सांस लेने योग्य ओक्सिजन आसानी से हासिल किया जा सकता है यह खनिज बैसल्तिक चट्टानों में पाया जाता है इस चट्टान से ओक्सिजान हासिल करने की प्रक्रिया में पानी भी निकल सकता है

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अमेरीकी वैज्ञानिको ने कृतिम फेफड़ा बनाया

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अमेरिकी वैज्ञानिको ने कृतिम फेफड़ा बनाने का दावा किया है की उन्होंने इंसानी फेफड़ा बनाने की दिशा में प्रगति की है उनका दावा है कि उन्होंने प्रयोगशाला में विकसित कोसिकायो को चूहों के फेफड़े में कामयाबी से लगाकर नया फेफड़ा बनाने कि दिशा में अहम प्रगती कि है उन्होंने इंसानी फेफड़े कि तरह नजर आने वाली माइको चिप पर एक कृत्रिम उपकरण बनाकर इस दिशा में एक अहम प्रगती करने का दावा किया है येल यूनिवर्सिटी के शोध करताओ ने फेफड़े को बनाने में कामयाबी हासिल कि प्रयोगशाला में बिकसित कोसिकायो के इस्तेमाल से इन फेफड़े ने ४५ से १२० मिनट तक कार्य किया और फिर उन्हें चूहों में फिट कर दिया गया

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प्रकृतीक एंटी बायोटिक विटामीन डी

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हाल में किये गए शोधों से यह सिध्य हो गया है की विटामीन डी मनुष्य के शरीर के लिए के लिए एक प्रकृतीक एंटी बायोटिक की तरह कार्य करता है इससे इस विटामीन के कई फायदे सामने आये हैं इससे  की शरीर प्रतिरोधक छमता बड़ती है  जिससे  ह्रदय रोग में बचाव तथा इन्प्लुन्सा बीमारियों से शरीर को बचाता है यहाँ तक दावा किया जा रहा है इससे टी बी एड्स जैसी बीमारियों की थीरेपी इसके एनालोग को प्रयोग किया जा सकता है वैज्ञानिको का यहाँ तक कहना है सही मात्र में विटामीन डी शरीर में नहीं  पहुँच रही  है  तो स्वाथ्य के लिए हानिकारक है |

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क्लोनिंग क्या है

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जीव विज्ञान में क्लोनिंग अनुवांशिक रूप से सामान प्राणियों की जनसंख्या उत्पन्न करने की प्रक्रिया को कहते हैं जो प्रकृति में विभिन्न जीवो जैसे बैक्टीरिया की या पौधों द्वारा अलैंगिक रूप से प्रजनन करने पर घटित होती है बायो टेक्नोलॉजी में क्लोनिंग डीएनए खंड कोशिकाओं या जीवो के क्लोन निर्मित करने की प्रक्रिया को कहते हैं क्लोन निचले जीव में काफी आम है लेकिन उच्च कोटि के जीवो में क्लोन प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते हैं1997 में रोज निल संस्थान एडिनबड़ा ब्रिटेन में सफलतापूर्वक डॉली नामक भीड़ को क्लोन किया गया डोली का जन्म नाभिक स्थानांतरण विधि द्वारा हुआ इस प्रक्रिया में एक भेड़ के स्तन की कोशिका को अलग करके उसे निष्क्रिय कर दिया गया इस कोशिका को एक नाभिक रहित अनिषेचित कोशिका में प्रवेश करा करके उसे भूण कोशिका होने तक एक कल्चर डिस में विकसित होने दिया गया इस प्रक्रिया में दो विभिन्न कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य आपस में मिल जाते हैं कोशिका द्रव्य वह द्रव्य है जिसमें सूत्र कणिकाएं रहती है आपस में मिल जाते हैं सूत्र कोशिका है वह कोशिका है जिनकी जिनावलिया दाता तथा अदाता दोनों में से उत्पन्न हो सकती है यह विभिन्य प्रकार से हो सकती है मॉलिकुलर क्लोनिंग यह क्लोनिंग एक डीएनए क्रम की अनेक प्रतिलिपि या बनाने की प्रक्रिया को कहते हैं अक्सर क्लोनिंग का प्रयोग संपूर्ण जीवनी युक्त डीएनए खंडों के परिवर्धन के लिए किया जाता है लेकिन इसका प्रयोग किसी भी डीएनए क्रम जैसे वह प्रमोटर गैर कोडिंग क्रम और बिना किसी कारण के विखंडित डीएनए के परिवर्तन के लिए किया जाता है जिन्हें जेनेटिक फिंगर प्रिंटिंग से लेकर अनेक बड़े पैमाने पर प्रोटीन उत्पादन तक जैविक प्रयोगों वर्ग व्यावहारिक अनुप्रयोगों की एक व्यापक श्रृंखला में इसका प्रयोग किया जाता है कोशिकीय क्लोनिंग एक कोशिका की क्लोनिंग का मतलब है किसी एकल कोशिका से कई कोशिकाओं का निर्माण करना है उसकी वजह से बैक्टीरिया और खमीर में यह प्रक्रिया काफी सरल होती है और इसमें उपयुक्त माध्यम की आवश्यकता होती है हालांकि बहुकोशिकीय जीवो के कोशिका परिवर्धन के मामले में कोशिकाओं की क्लोनिंग काफी कठिन कार्य होता है क्योंकि यह कोशिकाएं मानक माध्यम में सरलता पूर्वक विकसित नहीं होती है जीव क्लोनिंग यह क्लोनिंग जिसे प्रजननीय क्लोनिंग भी कहा जाता है एककोशकीय जीव के निर्माण की विधि को कहते हैं जो जेनेटिक रूप से किसी अन्य जीव में समान होता है प्रतिरूपण का यह रूप प्रजनन की एक अलंगिक विधि है जिसमें निषेचन नहीं होता अलैंगिक प्रजनन प्राकृतिक रूप से अनेक प्रजातियों में पाई जाने वाली विधि है जिसमें अधिकांश वनस्पतियां व कीट शामिल है वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के साथ कुछ बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं जिनमें भेड़ों और गायों का अलैंगिक प्रजनन शामिल है इस बात पर बड़ी नैतिक बहस जारी है कि क्लोनिंग का प्रयोग किया जाना चाहिए या नहीं हालांकि क्लोनिंग या अलैंगिक प्रजनन हॉर्टिकल्चर में सालों सालों से जारी है इस प्रकार के क्लोन पुर तक संभोग नहीं होते क्योंकि दैहिक कोशिका के नाभिक डीएनए में कुछ परिवर्तन हो सकते हैं कृतिम भूण विभाजन या भ्रूण के जुड़े बनाने की विधि का प्रयोग भी प्रतिरूपण की एक पद्धति के रूप में किया जा सकता है इसमें पूर्ण स्थानांतरण से पहले परिपक्व को विभाजित किया जाता है जिओ की कृतिम क्लोनिंग जेनेटिक तौर पर एक समान जीवो के निर्माण के लिए प्रजनन क्लोनिंग आमतौर पर दैहिक कोशिका परमाणु हस्तांतरण का प्रयोग करता है इस प्रक्रिया में एक डाटाबेस कोशिका से किसी नाभिक बिहीन अंडे में नाभिक का स्थानांतरण करना शामिल होता है यदि अंडा सामान्य रूप से विभाजित हो जाए तो इसे सरोगेट मदर के गर्भाशय में हस्तांतरित कर दिया जाता है डाली भेड़ के क्लोनिंग में प्रति निषेचित अंडे की सफलता दर कम थी मानव क्लोनिंग किसी मानव की जेनेटिक रूप से समान प्रतिलिपि का निर्माण करना मानव क्लोनिंग कहलाता है जुड़वा बच्चों के रूप में मानव क्लोनिंग सामान्य रूप से पाए जाते हैं जिसमें क्लोनिंग प्रजनन के प्राकृतिक प्रक्रिया के दौरान होता है मानव क्लोनिंग के दो प्रकार हो सकते हैं उपचारात्मक क्लोनिंग और प्रजनन क्लोनिंग उपचारात्मक क्लोनिंग में से चिकित्सा में इस्तेमाल के लिए वॉइस कोशिकाओं का कॉलिंग करना शामिल है प्रेग्नेंट लर्निंग मेट लोड मानव का निर्माण शामिल है एक तीसरे प्रकार की क्लोनिंग जिसे प्रतिस्थापन क्लोनिंग कहते हैं यह अभी केवल सिद्धांत के क्षेत्र में ही है और यह उपचारात्मक वह प्रजननिय क्लोनिंग का एक संयोजन होगा

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डायबिटीज की दवा आयु को बढ़ाती है

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टाइप टू डायबिटीज में उपयोग होने वाली दवा मेटफॉर्मिन के कारण आयु भी बढ़ती है यह दवा हृदय की बीमारियों एवं कैंसर को दूर रखती है जनरल डायबिटीज ओबेसिटी व मेटाबॉलिज में छपे शोध के अनुसार वैज्ञानिकों 1.8 lack लोगों पर साडे 5 साल तक अध्ययन किया शोधकर्ताओं के अनुसार सटीक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए यह अवधि बहुत कम है ब्रिटेन स्थित कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्यूरी ने टाइप 2 डायबिटीज में उपयोग की जाने वाली दवा मेटफॉर्मिन पर शोध किया सामान्यता डायबिटीज के रोगियों पर खतरा मंडराता रहता है कि दवाई लेने पर साइड इफेक्ट आते हैं फिर इन्हें नियंत्रित करने के लिए रोगी को अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करने के साथ ही स्थित दवाई भी खानी पड़ती है इस नवीन शोध के अनुसार टाइप टू डायबिटीज की है दवा शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखती है इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है साथ ही यह दवा कैंसर और हृदय रोग को भी दूर रखती है

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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

कामवासना का विज्ञान

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#गुरुदेवकाअभौतकसत्ताकीज्ञानविज्ञानमण्डलीसेसमपर्क6
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परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अध्यात्म-ज्ञानधारा में पावन अवगाहन 

पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमN

      महात्मा महाव्रत एक जटिल आध्यात्मिक विषय को कितनी सरलता से समझा रहे थे--यह मेरे लिए आश्चर्यजनक था। वे थोड़ा ठहरकर आगे बोले--भौतिक जगत् मिथुनजन्य है। उसकी सीमा में जितनी भी सृस्टि है, सब मैथुनी सृष्टि है। इसलिए कि मैथुनी जगत् में 'काम' प्रधान है। उसकी व्यापकता सर्वत्र है। उसका अस्तित्व कण-कण में है और एकमात्र यही कारण है कि उस पर विजय प्राप्त करना अथवा उससे परे होना अति कठिन कार्य है। कामवासना को हम जितना दबाएंगे, उतनी ही वह बढ़ेगी। भले ही हम जननेंद्रिय या कामेन्द्रिय का उपयोग न करें लेकिन हमारा जो मन है, हमारा जो चित्त है, वह सदैव कामवासना से भरा ही रहेगा। इसका एकमात्र कारण है कि हम शरीर से पूर्णतया जुड़े हुए हैं। यदि हमें कामवासना से मुक्त होना है तो दो बातों को सदैव याद रखें। पहली बात--मैं शरीर नहीं हूँ। दूसरी बात--मेरे भीतर जीवन की कामना नहीं है। इन दोनों बातों के प्रति हमारी दृष्टि स्थिर होनी चाहिए।
       कामवासना का विरोध मृत्यु से है। जन्म तो कामवासना से होता है, परन्तु मृत्यु कामवासना का अन्त है। मृत्यु कामवासना विरोधी है। भारतीय मनीषा का कहना है कि यदि वास्तव में कामवासना पर विजय प्राप्त करना है, कामवासना से विमुख होना है तो मृत्युसाधना करनी चाहिए। मृत्युसाधना सबसे बड़ी साधना है। कामवासना से परे जाने के लिए मृत्यु साधना एक परम वैज्ञानिक प्रयोग है।
       इसके लिए हमें मरघट पर, श्मशान पर अधिक से अधिक जाना चाहिए। ध्यान से देखना चाहिए कि जो कभी जीवित था, उसका अंग-अंग कैसे आग की लपटों में जल रहा है ! मरघट ही, श्मशान ही हमारा वास्तविक साधना-स्थल है। मुर्दे आएंगे, बच्चों के, जवानों के, वृद्धों के, उनमें कुछ सुन्दर होंगे, कुछ विकृत होंगे, कुछ कुरूप होंगे, कुछ स्वस्थ होंगे और कुछ होंगे अस्वस्थ भी। इस प्रकार के शव आएंगे, मुर्दे आएंगे, उनको हमें देखना चाहिए, उनकी जलती चिताएं देखनी चाहिए, उन्हें मुट्ठीभर राख में बदलते देखना चाहिए। हमें उन पर अपने मन को एकाग्र करना चाहिए।
       मृत्यु-साधना अध्यात्मसाधना की एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साधना है। क्योंकि मृत्यु हमारे सामने पूर्णतया स्पष्ट हो जाये तो हमारी कामवासना तुरंत नष्ट हो जायेगी। इसी तथ्य को एक उदाहरण के द्वारा समझाता हूँ--महात्मा महाव्रत बोले-- एक अत्यंत सुन्दर तरुणी व्यक्ति के सामने हो और वह कामवासना से भरा हुआ हो। शारीरिक सुख को प्राप्त करने के लिए वह लालायित हो और उसी समय उसके किसी अपराध के दण्ड स्वरूप राज्य की ओर से यह सूचना मिले कि उसे आज शाम को मृत्युदण्ड दिया जायेगा। सोचिये--उस व्यक्ति की उस समय क्या स्थिति होगी ? वह सुन्दर कमनीय तरुणी उसके आँखों से खो जायेगी। वासना का प्रवाह बन्द हो जायेगा। वासना की सारी धारा तिरोहित हो जायेगी। वासना का रस तत्काल समाप्त हो जायेगा क्योंकि उसके मन में एक ही बात स्थायी रूप से बैठ जायेगी कि आज सायंकाल हमें मृत्यु के मुख में हमेशा-हमेशा के लिए समा जाना होगा।
       कहने का तात्पर्य यह है कि कामवासना से मुक्त होने के लिए सदैव मृत्यु का स्मरण करते रहना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि मृत्यु कभी भी आ सकती है। सच भी है--मृत्यु कब आ जाये किसे पता है ? मृत्यु किसी भी पल आ सकती है। हो सकता है जो पल हम जी रहे हैं, वही आखीरी पल हो। हमारा शरीर हमेशा-हमेशा के लिए छूट जाने वाला हो। मृत्यु की धारणा जितनी गहरी होगी, कामवासना उतनी ही कमजोर होती जाएगी और एक समय ऐसा आएगा जब हमें कामवासना से निजात मिल जायेगी। यह मुक्ति न कामवासना के दमन से उपलब्ध् होती है और न ही उपलब्ध् होती है उसके भोग से।
      व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि सभी इंद्रियों का केंद्र कामेन्द्रिय है। व्यक्ति के नेत्रों के माध्यम से कामवासना रूप-सौन्दर्य खोजती है। कानों से मधुर ध्वनि, कामोत्तेजक आवाज, संगीत सुनती है। संगीत से कामवासना ही तृप्त होती है। सुन्दर चित्र, सुन्दर वातावरण, प्राकृतिक सुंदरता, पक्षियों का मनमोहक कलरव, गगन में खिला हुआ पूनम का चाँद, हरे-भरे लहलहाते खेत, हवा में लहराते हुए रंग-विरंगे फूल--ये सब क्या हैं ? कानों और नेत्रों के द्वारा जगत् के साथ एक प्रकार का सम्भोग ही तो है।  नाक के द्वारा सुमधुर  कामोत्तेजक् गन्ध, जीभ के द्वारा मधुर स्वाद, त्वचा के द्वारा कोमल कमनीय काया का स्पर्श --ये सब मैथुन का ही एक प्रकार है। इन सब कामोद्दीपक साधनों से मन में कामवासना ही तो पुष्ट होती है जिनका माध्यम बनती हैं व्यक्ति की ज्ञानेन्द्रियाँ और उपभोग का माध्यम बनती हैं व्यक्ति की कर्मेन्द्रियाँ। बस, इस प्रसंग के अंत में हमें केवल इतना ही कहना है कि कामवासना जीवन वासना का पर्याय है। जीवन वासना ही जीवेषणा है। इससे बड़ा पागलपन जीवन में और क्या है ? क्योंकि जीवन में इससे क्या उपलव्धि होती है? हमारे हाथ क्या लगता है ? फिर भी हम जीना चाहते हैं। जीवन को हम छोड़ने के लिए कदापि तैयार नहीं होते। हमें यह बात ज्ञात होनी चाहिए कि यदि हम स्वेच्छा से जीवन त्यागने के लिए तैयार हैं तो एक नया जीवन हमें उपलब्ध् हो जाता है। मृत्यु-- जिसका एक विश्राम-स्थल होता है और उस विश्राम के बाद हम पुनः एकबार महाजीवन की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। जो व्यक्ति जीवन को दरिद्र की भांति पकड़े रहता है, एक भिखारी की तरह जीवन की भीख मांगता है, उसके हाथ क्या लगता है सिवाय एक पश्चाताप के ? इसके अलावा और कुछ भी नहीं।

आगे के लिए इंतज़ार करें-- sabhar Shiv ram sharma Facebook 

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सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

जीन में बदलाव से दूर होगी बीमारी

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हीमोफीलिया जैसी जन्मजात बीमारी के आगे चिकित्सा जगत भी लाचार है लेकिन अब ऐसे असाध्य रोगों का इलाज मुश्किल नहीं होगा फिलाडेल्फिया स्थित चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जून 2011 में geen में बदलाव कर पहली बार इन बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित करने का दावा किया था  हालांकि उनका शोध शुरुआती दौर में है और उन्हें उन्हें यह सफलता चूहों के इलाज में मिली थी लेकिन शोधकर्ता आने वाले समय में के लिए इसी एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई इस पद्धति को अनुवांशिक संपादन जिनोम एडिटिंग नाम दिया गया है शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक से आनुवंशिक त्रुटियों में सुधार किया जाएगा जिससे आने वाली पीढ़ी में जन्मजात बीमारी होती है शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का प्रयोग चूहों पर किया जो सफल भी रहा इसमें ऐसे चूहों को लिया गया जो हीमोफीलिया बी नामक अनुवांशिक बीमारी से ग्रसित थे इस जन्मजात बीमारी में खून का थक्का बनने की प्रक्रिया रुक जाती है ऐसे में एक बार चोट लगने या कटने पर खून लगातार बहता रहता है जुआ से ज्यादा खून बह जाने पर कई बार मौत भी हो जाती है वैज्ञानिकों ने हीमोफीलिया बी से ग्रसित चूहों के जीनोम को संपादित किया इस प्रक्रिया में उनके खराब इनको बदल दिया गया वैज्ञानिकों ने पाया कि जिलों में बदलाव के बाद चूहे ठीक हो गए काटने पर उनका खून भी सामान्य चूहों की तरह जम गया वह भी बिना किसी negativ प्रभाव की

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बायोनिक चश्मा की सहायता से देख रखेंगे दृष्टिहीन

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 वैज्ञानिक ऐसे बायोनिक चश्मे को विकसित करने की राह पर है जिसके बारे में उनका दावा है कि जल्द ही बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी स्मार्ट चश्मा को ब्रिटेन स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम विकसित कर रही है यह चश्मे दृष्टिहीन लोगों के लिए देखने में मददगार होंगे इन चश्मे के फ्रेम के सिरे पर बेहद छोटे कैमरे लगे होते हैं और जेब में रखने वाला एक पॉकेट कंप्यूटर होता है यह दोनों चीजें दृष्टिहीन को आगे की चीजों और लोगों के बारे में सूचित करती हैं इस तरह के चश्मे बाजार में आने के बाद दृष्टिहीन लोग आसानी से व्यस्त इलाकों में सड़कों पर चल सकेंगे यहां तक की बस नंबर और सड़कों पर लगे संकेत चिन्ह को भी पढ़ सकेंगे इन चश्मा का सबसे अधिक लाभ वृद्ध लोगों को मिलेगा जो बढ़ती उम्र के कारण ठीक से देख नहीं पाते इससे पहले भी इस तरह के उपकरण बनाने के प्रयास हुए हैं लेकिन वे व्यावहारिक तौर पर सटीक नहीं बैठे लेकिन विकसित तकनीक के चलते बायोनिक चश्मे बनाना संभव हो पाया है जो करीब  चश्मों की ही तरह दिखेंगे

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हानि रहित सिगरेट की खोज

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ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसे सुरक्षित सिगरेट का आविष्कार कर लिया है जो सेहत को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएगी यह एक तरह का निकोटीन इनहेलर है जो सामान्य सिगरेट पीने जैसा अनुभव देगा लेकिन इसमें तंबाकू से जुड़ा कोई भी जोखिम नहीं होगा सिगरेट जैसे आकार के इस इनहेलर में किसी प्रकार का तंबाकू नहीं होगा और जब कोई इस का  कब पूछेगा तो यह सिगरेट की तरह जलेगा भी नहीं शोधकर्ताओं का कहना है कि यह किसी भी प्रकार से फेफड़ों को प्रदूषित नहीं करेगा निकोटीन का एहसास कराने वाला यह सिगरेट रूपी उपकरण आम सिगरेट की तरह ही दिखता है उसी तरह का एहसास देता है इसका आविष्कार ऑक्सफोर्ड के 28 वर्षीय ग्रेजुएट एलेक्स हरने ने किया है इस शोध पर ब्रिटेन के कई दौलत मन नहीं उसको ने पैसा लगाया है ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको कंपनी जॉर्डन हिल कैंट लकी स्ट्राइकर और पाल माल जैसे लोकप्रिय ग्रेड ब्रांडों की निर्माता है सिगरेट का लाइसेंस लेने की दौड़ में शामिल है सिगरेट के अविष्कारक हरण अपने उत्पाद को लेकर ब्रिटेन के मेडिसिन एवं हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलर की एजेंसी से बातचीत करने वाले हैं ताकि इसे निकोटिन इनहेलर के तौर पर चिकित्सा उत्पादों में शामिल किया जा सके अमेरिकी अमेरिकी टोबैको के प्रवक्ता के अनुसार यह उत्पाद विकसित होने की आखिरी चरण में है और अगले 2 वर्षों के भीतर दुनिया के बाजारों में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा जो लोग सिगरेट छोड़ना चाहते हैं उनके लिए सुरक्षित विकल्प होगा पिछले कई वर्षों से धूम्रपान का सुरक्षित विकल्प तैयार करने के लिए बहुत प्रयास किए जा रहे थे इस क्रम में कुछ वर्षों से इलेक्ट्रिक सिगरेट बाजार में उपलब्ध है इसका आविष्कार चीन के वैज्ञानिकों ने किया था बैटरी से चलने वाली इस सिगरेट का कश खींचे जाने पर या बात छोड़ दी है यहां तक की जलती हुई है लेकिन सिगरेट के आदि लोगों की शिकायत थी कि यह सिगरेट से पर्याप्त निकोटीन नहीं होता जिससे उनकी तलब पूरी नहीं होती इन शिविरों में तार नहीं होता जो कि सेहत के लिए सबसे ज्यादा घातक होता है वैज्ञानिक अब इस बात से सहमत हैं कि सेहत को निकोटीन बहुत कम नुकसान पहुंचाता है अमेरिका में इन सिग्रेटो को मान्यता है विशेषज्ञ मानते हैं निकोटिन इनहेलर ई सिगरेट का सुरक्षित विकल्प साबित होगा उल्लेखनीय है कि दुनिया में तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों के चलते हर साल 5000000 लोगों की मौत हो जाती है यह संख्या युद्ध सड़क दुर्घटनाओं और एड्स से मरने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा है

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