वैज्ञानिक ऐसे बायोनिक चश्मे को विकसित करने की राह पर है जिसके बारे में उनका दावा है कि जल्द ही बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी स्मार्ट चश्मा को ब्रिटेन स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम विकसित कर रही है यह चश्मे दृष्टिहीन लोगों के लिए देखने में मददगार होंगे इन चश्मे के फ्रेम के सिरे पर बेहद छोटे कैमरे लगे होते हैं और जेब में रखने वाला एक पॉकेट कंप्यूटर होता है यह दोनों चीजें दृष्टिहीन को आगे की चीजों और लोगों के बारे में सूचित करती हैं इस तरह के चश्मे बाजार में आने के बाद दृष्टिहीन लोग आसानी से व्यस्त इलाकों में सड़कों पर चल सकेंगे यहां तक की बस नंबर और सड़कों पर लगे संकेत चिन्ह को भी पढ़ सकेंगे इन चश्मा का सबसे अधिक लाभ वृद्ध लोगों को मिलेगा जो बढ़ती उम्र के कारण ठीक से देख नहीं पाते इससे पहले भी इस तरह के उपकरण बनाने के प्रयास हुए हैं लेकिन वे व्यावहारिक तौर पर सटीक नहीं बैठे लेकिन विकसित तकनीक के चलते बायोनिक चश्मे बनाना संभव हो पाया है जो करीब चश्मों की ही तरह दिखेंगे
वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके...
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