आगे भविष्य में कम्प्युटर के कार्य करने के तरीके बदल जायेंगे आने वाले भविष्य में आप के कम्प्यूटरों का स्थान क्वांटम कम्प्युटर ले लेगा जो चिप के स्थान पर द्रवों से भरा होगा यह भौतिक नियमो से संचालित नहीं होगा इसके आपरेसन के लिए क्वांटम यांत्रिकी का प्रयोग होगा अर्थात किसी बस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर विना स्थान परिवर्तन के पहुंचाना और समान्तर ब्रह्माण्ड जैसा सिधांत है यह कम्प्युटर पेंटियम -३ से १ अरब गुना ज्यादे तेजी से गड़ना करेगा और यह पलक झपकते पुरे इंटरनेट को खंगालने में सछम होगा यह कम्पूटर २०३० के आस पास आप के पास उपलब्द होगा यह सबसे एडवांस सिकोरिटी कोड को आसानी से तोड़ देगा इसके कम्पूटर चिपों के स्थान पर द्रव भरा होगा जिसमे उपस्थित परमाणु का प्रयोग गड़ना के लिए करेंगे परमाणु प्राकृतिक रूप से सूछ्म कल्कुलेटर है इसकी गति ऊपर नीचे होती है जो डिजिटल तकनीक से मेल खाती है क्वांटम यांत्रिकी के द्वारा सूछ्म अर्थात अणु परमाणु क्वार्ट इत्यादि के संसार को समझा जा सकता है इसके नियम इतने विचित्र है उनको समझना आसान नहीं है लेकिन इनके सिधांत को बार बार सिध्य किया गया है क्योकि किसी परमाणु का चक्रण एक ही समय में ऊपर या नीचे हो सकता है इसलिए पारंपरिक कम्पूटर के एक बिट के बराबर नहीं हो सकता है यह कुछ अलग है वैज्ञानिक इसे क्युबित कहते है यदि आप क्युबित के एक समूह को एक साथ रखे तो वे बर्तमान कम्पूटरों की तरह एक रेखीय गड़नाये नहीं करते वे एक समय सभी संभावितगड़ना करते है एक
? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
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