मन को मनन करने की शक्ति या एकाग्रता प्राप्त करके जप के द्वारा सभी भयों का नाश करके पूरी तरह रक्षा करने वाले शब्दों को मंत्र कहते है। अर्थार्थ मनन करने पर जो रक्षा करे उसे मंत्र कहते है। जो शब्दों का समूह या कोई शब्द विशेष जपने पर मन को एकाग्र करे और प्राण रक्षा के साथ साथ अभीष्ट फल प्रदान करें वे मंत्र होते है। मंत्र शब्द संस्कृत भाषा से है। संस्कृत के आधार पर मंत्र शब्द का अर्थ सोचना , धारणा करना , समझना व् चाहना होता है। मन्त्र जप हमारे यहां सर्वसामान्य है। मन में कहने की प्रणाली दीर्घकाल से चली आ रही है। केवल हिन्दुओ में ही नहीं वरन बौध्द , जैन , सिक्ख आदि सभी धर्मों में मंत्र जप किया जाता है। मुस्लिम भाई भी तस्बियां घुमाते है। सही अर्थ में मंत्र जप का उद्देश्य अपने इष्ट को स्मरण करना है। श्रीरामचरित्र मानस में नवधा भक्ति का जिकर भी आता है। इसमें रामजी शबरी को कहते है की ' मंत्र जप मम दृढ विस्वास , पंचम भक्ति सो वेद प्रकासा ' अर्थार्थ मंत्र जप औ...
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