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छिपकली की पूंछ जैसे उगेंगे मनुष्य के अंग!

न्यूयॉर्क। अपनी विशेषता के कारण  छिपकली की पूंछ  प्राचीन समय से मानव जाति के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। विदित हो कि छिपकली की पूंछ का अपने आप अलग हो जाना और फिर इसके स्थान पर नई पूंछ उग आना मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रहा है। लेकिन, अब ऐसा दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने अब इस पहेली का रहस्य सुलझा लिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी हो गई है कि आखिर कैसे छिपकली नई पूंछ उगा सकती है। वैज्ञानिकों ने वह आनुवांशिक नुस्खा खोज निकाला है जो छिपकली में अंग के पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है।  अमेरिका की एरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंसेज की प्रोफेसर डॉ. केनरो कुसुमी का कहना है किछिपकली में भी 326 वही जीन होते हैं जो मनुष्यों में भी पाए जाते हैं। वे मनुष्यों की शारीरिक संरचना से सबसे ज्यादा मेल खाने वाले जीव हैं। जर्नल 'पीएलओएस वन' में बीस अगस्त को प्रकाशित शोध में कहा गया है कि इस खोज से कई रोगों को ठीक करने में मदद मिल सकती है।  इस आनुवांशिक नुस्खे का पता लगाकर उन्हीं जीन को मानव कोशिका में आरोपित कर उपास्थि, मांसपेशी और रीढ़ की हड्डी क