अब योग के दृष्टि से आयु पे नियंत्रण की मनोवैज्ञानिक अथवा आध्यात्मिक प्रभाव एवं स्तर को जान अथवा समझ लेना अवयशक हैं देखो उम्र और स्वाँस का वही सम्बंध होता हैं जो किसी गाड़ी और इधन की होती हैं जैसे जैसे गाड़ी की इधन जहाँ जाकर समाप्त हो जाती हैं वहीं उसका विराम लग जाता फिर चाह कर भी वहाँ से आगे अपनी गाड़ी को नहीं लेकर जा सकता चाहे उसका गंतव्य स्थान आए या नहीं आए और एक बात ये भी हैं की इस शरीर रूपी गाड़ी को प्राणी बिना मतलब इधर उधर चलाते जा रहा हैं उसपे ब्रेक लगाने की कला ही उसे मालूम नहीं हैं जब उसका कोई कार्य नहीं हैं अथवा बिना रास्ते का खबर रहे वो निरंतर अनजान और ग़लत दिशा में भागे जा रहा हैं और जब तक गाड़ी भाग रही हैं चाहे वो किसी भी दिशा में भागे इधन तो कम तटपश्चात समाप्त होगी ही ना उसे क्या मतलब की तुम किस दिशा में जा रहे हो सही दिशा में या ग़लत दिशा में । दूसरा पहलू योग के दृष्टि में जीवन क्या हैं स्वाँस और प्रस्वाँस की क्रिया का निरंतर जारी रहना ही जीवन हैं योग की मतअनुसार परंतु जिस साधक को इस स्वाँस और प्रस्वाँस की क्रिया को विराम देने की ठहराने की कला मालूम हैं उसका स
Varta.tv: Vartabook.com : Vartavideo.com विज्ञान इंडिया डॉट कॉम विज्ञान से संबंधित न्यूज़ वेबसाइट है इसमें प्रकार के भारतीय आध्यात्मिक विज्ञान विज्ञान सत्य सनातन संस्कृति नई नई नई टेक्नोलॉजी आदि की letestजानकारी दी जाती है काम विज्ञान ओशो विभिन्न धार्मिक गुरुओं के सृष्टि उत्पत्ति ईश्वरी परिकल्पना मंत्र विज्ञान तंत्र विज्ञान आधुनिक विज्ञान टाइम ट्रैवलिंग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग नए नए प्रोडक्ट की जानकारी प्रोडक्ट की जानकारी सेक्स संबंधित रोग एवं उपचार की जानकारी दी जाती है धन्यवाद