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कोलेस्ट्रोल) हार्टअटैक,अर्जुन की छाल से ऐसे करे कण्ट्रोल

 💥 खून में कचरा (Acidity) की वजह से आता है (कोलेस्ट्रोल) हार्टअटैक,अर्जुन की छाल से ऐसे करे कण्ट्रोल.....!! बागभट्ट जी सुबह दूध पीने को मना करते हैं लेकिन जो सुबह हम चाय पीते हैं उसमें भी दूध का यूज होता है बाग़भट्ट जी के किसी भी सूत्र और शास्त्र में चाय का उल्लेख नहीं किया गया  क्योंकि बाग़भट्ट जी 3500 वर्ष पहले हुए और चाय 250 साल पहले अंग्रेजों के द्वारा लाई गयी । हाँ लेकिन उन्होंने काढ़े का जीक्र किया है वो कहते है जो काढ़ा हमारे वात पित्त और कफ को कम करे ऐसा कोई भी कड़ा सुबह दूध में मिलाकर पिया जा सकता है जैसे कि अर्जुन की छाल का काढ़ा वात को सबसे ज्यादा कम करता है यह रक्त की एसिडिटी को कम करता है जो की शरीर की एसिडिटी से भी ज्यादा खतरनाक होती है और हार्ट अटैक का कारण बनती है अर्जुन की छाल सबसे तेजी से रक्त की एसिडिटी को ख़त्म करता है इसलिए अर्जुन की छाल का काढ़ा पीयें नवम्बर दिसम्बर जनवरी और फ़रवरी में वात सबसे ज्यादा होता है ठण्ड के दिनों में वायु का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है और इस समय में अर्जुन की छाल का काढ़ा गर्म दूध में मिलकर पीयें तो औषधि का काम करेगा. याद रहे की यह काढे क...

स्त्री के स्तनों से जुड़ा होता है स्त्री का सारा व्यक्तित्व

 ईस्वर ने स्तन क्यों दिये....? समझिये... बिना स्तन कोई स्त्री की कल्पना व्यर्थ है..!! इसे फैशन या दिखावा ना बनायें... और अगर दिखाना ही है तो आपका पति है दूसरे को क्यों दिखाना...? स्त्री के स्तनों से जुड़ा होता है स्त्री का सारा व्यक्तित्व । जब तक स्त्री माँ नही बन जाती तब तक उसकी ऊर्जा पूर्णतः स्तनों तक नही पहुँचती..!! शरीर शास्त्री ये प्रश्न उठाते रहते है। कि पुरूष के शरीर में स्तन क्यों होते है। जब कि उनकी कोई आवश्यकता नहीं दिखाई देती है। क्योंकि पुरूष को बच्चे को दूध तो पिलाना नहीं है। फिर उनकी क्या आवश्यकता है। वे ऋणात्‍मक ध्रुव है। इसलिए तो पुरूष के मन में स्त्री के स्तनों की और इतना आकर्षण है। वे धनात्‍मक ध्रुव है। इतने काव्य, साहित्य, चित्र,मूर्तियां सब कुछ स्त्री के स्तनों से जुड़े है। ऐसा लगता है जैस पुरूष को स्त्री के पूरे शरीर की अपेक्षा उसके स्तनों में अधिक रस है। और यह कोई नई बात नहीं है। गुफाओं में मिले प्राचीनतम चित्र भी स्तनों के ही है। स्तन उनमें महत्‍वपूर्ण है। बाकी का सारा शरीर ऐसा मालूम पड़ता है कि जैसे स्तनों के चारों और बनाया गया हो। स्तन आधार भूत है। क्‍योंकि ...

दुनिया का पहला अंतरिक्ष होटल "2027 में,

 दुनिया का पहला अंतरिक्ष होटल "2027 में, पृथ्वी की कक्षा में खुलने की संभावना है। जिसका नाम 'वॉयेजर होटल' होगा। यह होटल 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाएगा और इस होटल में लगभग 400 लोगों के ठहरने का इंतजाम होगा। इस होटल में बार, लाउंज, सिनेमा और स्पा जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद होंगी।" #viralpost2025シ #facthubanup #viralpost2024 #viralphotochallenge #foodblogger #quotes #facts #couple #love #post Sweta Singh Vlogs Rupesh Kumar 

विज्ञान अर्थात विषय का ज्ञान: ऋतु सिसोदिया

 विज्ञान अर्थात विषय का ज्ञान 10 हजार करोड़ की पावर आपके ब्रेन में है इसका सही से उपयोग किया तो आइंस्टीन बन जाओगे आतंकवादी भी बन जाओगे जादूगर भी बन जाओगे लोगो को मोरख भी बनाओगे सोच पर प्रहार  हमारे दिमाग का निर्माण कैसे हुआ ऊर्जा भोजन से प्राय होती है केमिकल रिलीज होते है खोज कीजिये भाई वैदिक scince सनातन वर्ड ही वेद से निकला मंत्र का प्रभाव साइंस के प्रक्रिया है क्योंकि ऊर्जा का ही खेल है सारा इसलिए ही तो हम आज भी मांनासिक गुलाम है क्योंकि ज्ञान को जान नही समझा नही सत्य को धारण कैसे करते जब जानते ही नही थे लड़ो भिड़ा मार काट बस इसे में उलझाए रखा बाकी सभी अन्य जाती उठान क्यों कर गयी ज्ञान कौशल को बढ़ाया हमने अहनकार को इसलिए प्रगति अवरुद्ध हुई एन्टीनाधारी  निहितार्थ स्वर्थी अल्प श्रम जीवी है परजीवी अधिक है तो कोई खतरा मोल ना लेते इधर उधर लुढ़कते रहते है समय काल परिस्थितियों अनुरूप वेश बदल लेते वह लक्षय से भृमित नही थे प्रत्येक जीव स्वतंत्र है भाई तो क्षत्रय बन्धन में क्यों है अब मौके का लाभ उठाओ ज्ञान कौशल से भरो अपने को  साभार ऋतु सिसोदिया 

ब्रह्म और पंचतत्वों का आपस में सामंजस्य-संक्षिप्त विमर्श

 ब्रह्म और पंचतत्वों का आपस में सामंजस्य-संक्षिप्त विमर्श   =====================================   जो भेद दृष्टि रखते हैं न तो वे पूर्णतः शाक्त हैं न वैष्णव न शैव न ही गाणपत्य और न ही सौर्य। चूंकि ब्रह्म है तो एक ही यथा "एकोहि रुद्रं द्वितीयोनाऽस्ति।  किंतु वह अपने कार्य भेद से अनेकों रुपों में विभक्त होकर साकार रूप ग्रहण कर लेता है - एकोऽहंबहुस्याम:।  जिस प्रकार से मनुष्य देह पंचतत्वों में विभक्त है। उसी प्रकार से वह ब्रह्म भी अपने आप को पांच तत्वों (पंच मुख्य स्वरुपों में ) पंचब्रह्म के रूप में विभक्त करता है। यथा: गणपति, सूर्य, विष्णु, शिव और शक्ति। यहां पर शक्ति का तात्पर्य किसी विशेष शक्ति से मत जोड़ लेना। क्योंकि कुछ लोग उस शक्ति को केवल दुर्गा, काली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, महालक्ष्मी, चण्डिका आदि तक ही सीमित समझ बैठते हैं। क्योंकि शक्ति के तो असंख्य, अनगिनत और अनंत रुप हैं। ये सब तो केवल कार्यभेद के अनुसार नामांतर मात्र हैं।  वही ब्रह्म जब ब्रह्माण्डोंं की रचना करता है तो सूर्य कहलाता है। आज का विज्ञान भी इस तथ्य को स्वीकार करता है क...

आध्यात्मिक चिन्तन आपके शब्दो मे अधिक शक्ति होनी चाहिए आवाज में नही

 आपके शब्दो मे अधिक शक्ति होनी चाहिए आवाज में नही क्योंकि फूल हल्की बारिश में ही खिलते है बाढ़ में नही आप किसी की कितना पसंद करते हो उससे कही ज्यादा उस व्यक्ति का आपके प्रति बर्ताव मायने रखता है पसंद आंतरिक गुणवत्ता के आधार परहोनी चाहिए नाकि बाहरी आकर्षण के आधार पर आकर्षण समय के साथ कम हो जाएगा किन्तु गुणवत्ता में और निखार की संभावनाबनी रहती है  जिस प्रकार मानव तन बाहरी चमक दमक देखकर हर्षित व आनंदित होते है,, सुख व दुख का अनुभव करते है क्योंकि अंर्तमन की गहराई में उतरना ही नही चाहते स्वयम को प्राप्त करना ही नही चाहते है जिसनी स्वयम को प्राप्त कर लिया वही परमात्मा को पाप्तकर आनंद व सुख से भर जाता है  जिस पर परमात्मा की कृपा है फिर उसे किसी अन्य की आवस्यकता नही वह आनंदित है सुखी है प्रतिपल प्रतिक्षण परमात्म की शरण मे  उसे बाहरी कोई भी वस्तु वयक्ति प्रभावित नही कर पाता व्यह मुक्ति की ओर अग्रसर हो जाता है वह परमात्मा का दास कहलाता है जिस हेतु ईश्वर ने उसका चह्यन किया ,,वह अपने कर्तव्य कर्म को पूरी निष्ठा व भक्ति से पूर्ण कर इस जगत से अलविदा लेगा यह पावरफुल सोल दिव्य ऊर्जा...

भारत की अधिकतर भाषाओं की जननी संस्कृत ही है

 संस्कृत भारतीय उप महाद्वीप में यह भाषा लगभग छह हजार साल से पहले बोली जाती रही है। भाषाविज्ञान शास्त्री भी विभिन्न अध्ययनों में साफ कर चुके हैं कि भारत की अधिकतर भाषाएं संस्कृत से ही निकली हैं। वेदों की भाषा वैदिक संस्कृत से ही आधुनिक संस्कृत निकली है। संस्कृत से प्राकृत भाषा का उदय हुआ और  प्राकृत से पालि भाषा। भारत की अधिकतर भाषाओं की जननी संस्कृत ही है ।  हालांकि पिछले कुछ समय से भारत में संस्कृत भाषा लेकर एक कुत्सित अभियान चलाया जा रहा है कि संस्कृत तो  पाली से निकली है। जबकि इस दावे को असत्य  साबित करने के लिए एक ही तथ्य काफी है। वह यह कि संस्कृत का व्याकरण अष्टाध्यायी के रचयिता महर्षि पाणिनी के जन्म के कई सदियों बाद तथागत बुद्ध हुए। महर्षि पाणिनी के साहित्य में बुद्ध का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। यानी  तथागत बुद्ध का कालखंड महर्षि पाणिनी के बाद का है। तथागत बुद्ध ने अपने प्रवचन पालि में दिए।उसी दौहरान पालि भाषा अस्तित्व में थी। यह भी तथ्य है कि पालि को संस्कृत से प्राचीन होने का दावा करने वाले  लोग इस बारे में अपना एक भी रिसर्च पेपर  भारतीय इ...

आंतरिक सशक्त होना है तो सत्य के साथ निष्पक्ष रहो:ऋतु सिसोदिया:

 आंतरिक सशक्त होना है तो सत्य के साथ निष्पक्ष रहो कुटिल दुसरो की हानि करकेखुद का भला सोचता है जबकि आद्यात्मिक्ता की राह पर चलने वाला स्वय दुख सहन करके दुसरो को सुख प्रदान करता है जबकि एक समझदार व्यक्तिना स्वयम की ना किसी अन्य का अहित करके बल्कि समाधान की ओर अग्रसर होता है जिससे सबका लाभ हो या लाभ ना होतो हानि तो कदापि ना हो  चालाक" का मतलब बुरी प्रवृत्ति नहीं होता। इसका अर्थ होता है समझदार, चतुर, और परिस्थिति के अनुसार सही निर्णय लेने वाला व्यक्ति। हालाँकि, कभी-कभी यह नकारात्मक रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को अत्यधिक चालाकी या चतुराई से किसी को धोखा देने वाला समझा जाता है। अगर चालाकी का इस्तेमाल सही दिशा में किया जाए, तो यह एक अच्छी विशेषता होती है, क्योंकि यह व्यक्ति को बुद्धिमान और परिस्थितियों को समझने वाला बनाती है। कर्मफल से कोई नही बच पाता अतः सत्कर्म करते रहे  साभार ऋतु सिसोदिया 

संसार में लाखों योनियां हैं। उनमें से सबसे अधिक मूल्यवान और उत्तम योनि मनुष्य की है

 15.3.2025          "संसार में लाखों योनियां हैं। उनमें से सबसे अधिक मूल्यवान और उत्तम योनि मनुष्य की है।" क्योंकि मनुष्य जीवन में बहुत सारी सुख सुविधाएं हैं, जो अन्य प्राणियों को ईश्वर ने लगभग नहीं दी। जैसे कि "ईश्वर ने मनुष्यों को 'विशेष बुद्धि' दी। बोलने के लिए 'भाषा' दी। कर्म करने के लिए 'दो हाथ' दिए। कर्म करने की '24 घंटे की स्वतंत्रता' दी। और 'चार वेदों का ज्ञान' दिया।" ये पांच सुविधाएं अन्य प्राणियों को ईश्वर ने लगभग नहीं दी। "बंदर लंगूर चिंपांजी गोरिल्ला वनमानुष आदि 5/7 प्राणियों को मनुष्यों जैसे हाथ तो दिए, परंतु बाकी सुविधाएं न होने के कारण ये प्राणी हाथ होते हुए भी उनका कोई विशेष लाभ नहीं उठा पाए।"            कहने का सार यह है कि "इतनी उत्तम सुविधाएं सुख साधन स्वतंत्रता आदि जो मनुष्य को मिली हैं, यह मुफ्त में नहीं मिली। यह अनेक उत्तम कर्मों का फल है।" "अब तो सौभाग्य से आपको मनुष्य जन्म मिला है, यह पूर्व जन्म के शुभ कर्मों का फल है। और यह फल ईश्वर की कृपा से प्राप्त हुआ है, अर्थात मनुष्य योनि...

ध्यानम शरणम गच्छामि :ऋतु सिसौदिया आध्यात्मिक एवं सामाजिक चिंतक

 आत्मजागृति से समूल दुखो का नाश होता है जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करना भगवतभक्ति है,,यदि वह कुमार्गगामी है उसे सत्यपथ पर लाने का प्रयाश भी भगवतभक्ति है क्योंकि तुम्हारा प्रत्येक कर्तव्यकर्म ही धर्म है ,,क्यूँकि तुम्हारा दुख ना सुविधा से ना धन से ना पद से ना प्रतिष्ठा से किसी भी विषय बस्तु से नही आत्मजागृति से ही अंधकार मिटेगा जीवन प्रकाशवान हो जाएगा परस्पर अपेक्षा समूल दुखो का कारण है दुसरो को बदलने की बजाय स्वयम में परिवर्तन करें वह कुटिल कपटी क्रोधी आदी है तो यह उसकी प्रकर्ति है यदि आप सत्यपथ पर है तो ईश्वर न्यायकारी है दुष्ट की दुष्टता से जो हानि आपकी हुई उसकी भरपाई किसी ना किसी रूप में अवश्य होती है क्योंकि श्रष्टि का नियम है सन्तुलन जिसका जैसा कर्म वैसा ही फल,,आप सत्यपथ पर निश्चित होकरपरमात्मा को समर्पित होकर चले  माया में ना उलझकर ईशभक्ति मुक्तिको अग्रसर रहे ध्यानम शरणम गच्छामि  लेखक: ऋतु सिसौदिया आध्यात्मिक एवं सामाजिक चिंतक 

पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को गूढ़ साधनाओं में शीघ्र सफलता मिल जाती है: ऋतु सिसोदिया

 भारत में भी महिला सम्मान दिवस मना लिया गया। जबकि भारत मे महिला सम्मान की धारणा सनातन है। वर्ष में छह छह महीने के अंतर से नवरात्रि पर्व मनाये जाते हैं,दीपावली का त्यौहार जिनमें स्त्री स्वरूपिणी देवी की पूजा उपासना करी जाती है। पुरूष स्वरूप ईश्वर के समान ही स्त्री स्वरूपिणी ईश्वरी की मान्यता है।ऐसा गांव शायद ही कोई होगा जिसमें देवी का स्थान न हो।ऐसी जाति भी शायद ही हो जिसकी कुलदेवी न हो।  मां ही वास्तव में पिता से परिचित करा सकती है। महामाया (स्त्रियों) के प्रति हेय भाव रखने वाले साधक कभी सफल नहीं हो पाते हैं। बड़े बड़े तपस्वी ज्ञानी ऋषि जो महामाया के प्रति हेय भाव रखते थे, उन्हें महामाया ने  येन सफलता के क्षणों में भटका दिया था।उनकी तपस्या भंग हो गई थी। जैसा श्री कृष्ण ने अर्जुन से गीता में कहा था -- श्री भगवान उवाच बहुनि मे व्यतितानि जन्मनि तव चार्जुना तन्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परंतप  भगवान ने कहा: हे अर्जुन, तुम्हारे और मेरे अनेक जन्म हुए हैं। हे परंतप, तुम उन्हें भूल गए हो, जबकि मुझे वे सब याद हैं। मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को विस्मरण कर बैठा है। यही विस्म...

भगवान राम की मुख्य शाखा :कार्तिकेय पुर राजवंश

 कार्तिकेय पर राजवंश एक महत्वपूर्ण राजवंश है इसका भारत में काफी समय तक राज्य रहा है यह एक भगवान राम की मुख्य शाखा रही है कार्तिकेयपुर राजवंश उत्तराखंड में इसका निर्माण सर्वप्रथम बसंत देव ने का किया अयोध्या के अंतिम सम्राट सुमित्रा के बाद उनके बड़े पुत्र राजा शालीवाहन देव उत्तराखंड चले गए जहां उन्होंने जोशीमठ में अपना राज्य कायम किया बाद में उनके शासन सामंत के रूप में भी कार्य किया हर्षवर्धन कल के बाद बसंत देने अपने आप सम्राट घोषित कर दिया 

अपने अंदर अथाह शक्ति समाहित है :ऋतु सिसौदिया

 अपने अंदर अथाह शक्ति समाहित है स्वयम को स्वयं से जोड़ो प्रकर्ति के संरक्षण में ध्यान लगाओ अंतर्मन की गहराई में जाओ सभी सनातनी कथा भागवत रामायण महाभारत को सुनते हैं अन्याय अधर्म आदि बड़ने पर क्षत्रियों ने ही आगे आकर धर्म राष्ट्र रक्षा की तो उनकी ही वीरता की कथा सुनते हैं उनकी ही उपेक्षा करते हैं तो कभी धर्म राष्ट्र की रक्षा हो सकेगी कभी नहीं चिंतन अवश्य करें सत्य को गलत साबित करना असंभव है कोई सत्य को नहीं समझे उसकी बुद्धि ,विचार और मन की समझ ,प्रमाण की कठिनता आदि का खेल समझिए न्याय और मर्यादा की मूर्ति क्षत्रिय,चोर, ठगों, लुटेरों को कब रास आयें गे।। सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति को समेटे मानव पहले स्वयम को जानना अति आवश्यक तदुपरांत समाज से जुड़े स्वयम के अस्तित्व को खोकर इन निकृष्ट समाज को पा लेना मूर्खता है इसलिए आत्मज्ञान अनिवार्य आत्मबोध अनिवार्य ऐसे शिक्षा प्रणाली का निर्माण हो झा सबका संगर्क विकाश व आद्यत्मिक ज्ञान प्राप्त हो आत्मकल्याण कर ही मनुस्य लोककल्याण कर सकता है ॐ परमात्मने नमः ममहरि शरणम 🚩जय मां भवानी🚩

स्त्री की योनि: सृजन और सम्मान का प्रतीक

 स्त्री की योनि: सृजन और सम्मान का प्रतीक स्त्री की योनि केवल पुरुषों के सुख का माध्यम नहीं है, बल्कि यह इस संसार में नए जीवन का प्रवेश द्वार भी है। यह वह पवित्र स्थान है, जहाँ से हर नया जीवन जन्म लेता है, जहाँ से हर इंसान की यात्रा प्रारंभ होती है। योनि केवल शारीरिक संरचना नहीं, बल्कि सृजन और मातृत्व की शक्ति का प्रतीक है।   प्रकृति ने स्त्री को इस अद्भुत क्षमता से नवाजा है कि वह एक नए जीवन को जन्म दे सके। जब कोई शिशु जन्म लेता है, तो योनि उसके लिए इस दुनिया में आने का मार्ग बनती है। यह केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि प्रेम, धैर्य और मातृत्व के अद्भुत संगम का प्रतीक है। हर स्त्री अपने शरीर को एक नए जीवन के लिए समर्पित करती है, और यह त्याग किसी भी तरह से कम सम्मान के योग्य नहीं हो सकता। सम्मान का महत्व आज भी समाज में कई लोग महिलाओं के प्रति उचित सम्मान नहीं दिखाते। हम उस स्थान का सम्मान करना तो दूर, उसकी महत्ता को भी नहीं समझते, जिसने हमें इस दुनिया में आने का अवसर दिया। यह एक विडंबना है कि जिस योनि से जन्म लेकर हम इस संसार में आए, उसी का अपमान करने से नहीं चूकते। स्त्रि...

लौकिक व अलौकिक जगत में तारतम्य: ऋतु सिसौदिया

 लौकिक व अलौकिक जगत में तारतम्य बिठाने में बढ़ी असहजता हुई  क्योंकि आत्मज्ञान व आत्मबोध ही ना था शायद यही कारण रहा होगा सत्य की खोज को गौतम बुद्ध ने संसार का परित्याग कर वन गमन किया और ऐसा ही उत्तर चढ़ाव हर  तीसरे चौथे व्यक्ति के जीवन मे घटित हो रहा किन्तु वह मोह का लोभ का लालच का परित्याग नही कर पा रहा  आत्म कल्याण करना है तो आत्मसंयमी बनो त्याग दो उस सभी का जो तुम्हारी उन्नति में बाधक है आत्मकल्याण तुम्हारी प्राथमिकता है  जब आप स्वयं आत्मसन्तुष्ट नही मानसिक मजबूत स्थिति में नही तो तुम किसी के सहयोगी बन ही नही सकते परोपकारी बन ही नही सकते अतः विनम्र निवेदन सन्तानो को विवाह संस्कार से बांधकर जिम्मेदारियों में जकड़कर आप सांसारिक कर्तव्य से मुक्त हो सकते है किंतु इससे अन्य जो नई समस्याए उतपन्न होती है फिर उन जिम्मेदारियों को उठाने से मोह क्यों मोड़ते है इन समस्याओं के जन्मदाता तो आप ही है बुद्धि व विवेक को जाग्रत कीजिये परवरिश सुशिक्षा व संस्कार के साथ कीजिये बहुत बड़ा कर्तव्य है विवाह फिर सन्तान को विशाल बृक्ष बनाना  ना कि तुम्हारी गलतियों की सजा का भुगतान किसी क...

हरीतकी "हरड़" का आयुर्वेदिक महत्व

 🌹 हरीतकी को आयुर्वेद में "हरड़" के नाम से भी जाना जाता है।  इसे "सभी रोगों की दवा" कहा जाता है। क्योंकि यह शरीर को शुद्ध करने, पाचन सुधारने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है। यह त्रिफला (हरीतकी, बिभीतकी और आंवला) का एक मुख्य घटक है। 🌺 हरीतकी के प्रकार :== आयुर्वेद में हरीतकी को सात प्रकारों में बांटा गया है: 1. विजया – शरीर को संतुलित रखती है। 2. रोहिणी – घाव भरने और त्वचा रोगों के लिए फायदेमंद। 3. पूतना – बालों और त्वचा के लिए उपयोगी। 4. अमृता – बुखार और संक्रमण में लाभदायक। 5. अभया – नेत्र रोगों और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद। 6. जीवनी – ऊर्जा और शक्ति बढ़ाने वाली। 7. चेतकी – पाचन तंत्र सुधारने में सहायक। हरीतकी के फायदे :=== 1. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद कब्ज, गैस, अपच और एसिडिटी को दूर करता है। आँतों को साफ करता है और पेट हल्का रखता है। भूख बढ़ाने में मदद करता है। 2. रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाए शरीर से विषाक्त पदार्थ (Toxins) बाहर निकालता है। वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाता है। सर्दी, जुकाम और खांसी में लाभदायक। 3. वजन घटाने में सहाय...

बेल का महत्व

 आयुर्वेद में बेल महत्वपूर्ण औषधि माना गया है जो पाचन संबंधी कई बीमारियों में फायदेमंद है।  इस फल का हर हिस्सा ही सेहत के लिए के लिए गुणकारी है, बाहर से यह फल जितना ही कठोर होता है अंदर से उतना ही मुलायम और गूदेदार होता है। इसके गूदे में मौजूद बीज भी कई बीमारियों के इलाज में फायदा पहुंचाते हैं। सेवन विधि : दो चम्मच बेल के गूदे को आधा गिलास पानी में मिलाकर बेल का जूस (bael juice) बनाएं और इस जूस का दिन में एक से दो बार सेवन करें। किडनी के लिए फायदेमंद : बेल का सेवन किडनी के लिए भी फायदेमंद है और यह किडनी की कार्यक्षमता को और बढ़ाती है। एक शोध के अनुसार बेल की जड़ों और पत्तियों में डायूरेटिक गुण होते हैं जो मूत्र का उत्पादन बढ़ाती हैं। यह ख़ास तौर पर वाटर रिटेंशन की समस्या से आराम दिलाने में बहुत कारगर है। सेवन विधि : आधा चम्मच बेल की पत्तियों के चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर सेवन करें। लीवर के लिए फायदेमंद : ऐसा देखा गया है कि बेल की पत्तियां लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। लीवर से जुड़ी बीमारियां अक्सर तभी होती हैं जब शरीर में टॉक्सिन या हानिकारक विषैले पदार्थ बढ़ जाते हैं या कि...

हमारे अंदर विचार कहा से प्रवेश करते हैं.

 हमारे अंदर विचार कहा से प्रवेश करते हैं..? हमारे मन के 16 हिस्से हैं,, थॉट से लेकर लिबरेशन तक की जर्नी के चार हिस्से हैं जो इस प्रकार है मनस, बुद्धि, चित्त और अहंकार इन सभी के फंक्शन अलग-अलग हैं डे टुडे के डिसीजन मानस लेता है  बुद्धि कैलकुलेट करता है और अहंकार जिससे हमारी पर्सनालिटी बनती है हमारी एक आइडेंटिटी बनती है और चौथा है ,चित्त यानी की मेमोरी इस मेलाइफ टाइम की मेमोरी ही नहीं होती इसमें हमारे सारे लाइफ टाइम के मेमोरी होती है  हमारे बायोलॉजिकल शरीर से लेकर मेंटल शरीर के मेमोरी होती है यह सारे मेमोरी नहीं रहेगी तो हम फ्यूचर के बारे में प्लान नहीं कर पाएंगे,,  इसीलिए मन का जो हिस्सा है वह बेहद जरूरी है क्योंकि हम हमारे पास्ट एक्सपीरियंस से ही अपने फ्यूचर को प्लान करते हैं ,,और अपने प्रेजेंट को भी उसी प्रकार से अपने आप से जो भी गलतियां हुई उससे सीख करके आगे  काम करते हैं। इसमें अब सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारे चित्त का स्मृति जब हम किसी याद के बारे में बात करते हैं,, हमारी जो भी करंट थॉट प्रोसेस है वह हमारी स्मृति के ऊपर ही डिपेंड होता है  अगर आप किसी ...

शाकाहार और मांसाहार तुलनात्मक अध्ययन

 मांस एवं ऋतु का कोई मेल नहीं।शाकाहारी भोजन ऋतु के अनुसार बदल बदल कर खाया जाता है।मांस रोग बढ़ाता है,शाकाहार रोग से मुक्ति दिलाता है। (1)ताकत के लिए-सबसे ताकतवर जानवर हाथी शाकाहारी होता है वो ताकत के लिए कभी मांस नहीं खाता!!किसानों के साथ मेहनत करने वाला बैल कभी मांस खाता।हॉर्सपावर का इस्तेमाल किसी भी मशीन की शक्ति मापने के लिए किया जाता है।वो घोड़ा मांस खाता फिर ये कैसे कहा जा सकता है,कि मांस खाने से ताकत मिलती है? ( 2)जीभ के स्वाद के लिए-मांस में कैसा स्वाद होता है?सारा स्वाद उसमें पड़े बहुउपयोगी मसालों के कारण होता है।अगर वही मसाले इस्तेमाल किए जाएं तो बैंगन आलू की सब्जी में वही स्वाद आएगा!  (3)विटामिन के लिए-हरी पत्तेदार सब्जियों और सूखे मेवों में मांस से कहीं ज्यादा प्रोटीन,विटामिन,पोषक तत्व होते है,तो मांस क्यों खाएं? असल में प्रकृति ने न हमारे दांतों को मांस चबाने के लिए बनाया है, ना ही हमारी आंतों को मांस पचाने के लिए बनाया,मानव शरीर मूलत शाकाहार के लिए बनाया है।यदि ऐसा न होता तो डॉक्टर छोटे बच्चे को चावल खिचड़ी की जगह मांस के टुकड़े चबाने को कहता।इसका मतलब यह हुआ,मनुष...

किसान ने अपने अनोखे नवाचार से बैलों के वजन का भार कम कर दिया

 एक किसान ने अपने अनोखे नवाचार से बैलों के वजन का भार कम कर दिया है, जिससे वे अधिक समय तक बिना थके काम कर सकते हैं। यह तकनीक न केवल बैलों की क्षमता बढ़ाएगी, बल्कि उनकी सेहत और कार्यक्षमता को भी बनाए रखेगी। पारंपरिक रूप से, किसान बैलों का उपयोग खेत जोतने, सामान ढोने और परिवहन के लिए करते हैं, लेकिन भारी बोझ के कारण वे जल्दी थक जाते हैं और उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। इस समस्या को हल करने के लिए एक किसान ने सरल लेकिन प्रभावी तकनीक अपनाई, जिससे बैलों पर पड़ने वाला भार समान रूप से बंट जाता है और उनकी ऊर्जा बचती है। इस नवाचार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बैलों की शारीरिक थकान को कम करता है, जिससे वे लंबी दूरी तक आसानी से यात्रा कर सकते हैं। साथ ही, इससे उनकी सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे अधिक समय तक स्वस्थ रहते हैं। यह पहल पशुओं के प्रति प्रेम और करुणा को दर्शाती है। ऐसे नवाचार न केवल खेती में मददगार होते हैं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। इस किसान की सोच और प्रयासों को सलाम! 👏🌿 साभार Facebook 

लाल मिर्च का सेवन

 बदलती दिनचर्या और अनियमित खानपान की वजह से हर दूसरे-तीसरे शख्स में डायबिटीज और जोड़ों में दर्द की समस्या देखने को मिल रही है. इसकी वजह से अस्पतालों और दवाओं पर खूब पैसे खर्च हो रहे हैं लेकिन, डायबिटीज पर कंट्रोल और जोड़ों में दर्द में जल्दी आराम के लिए लाल बड़ी मिर्च का नियमित सेवन वरदान साबित हो सकता है. डॉक्टरों के अनुसार, लाल बड़ी मिर्च में विटामिन सी और आयरन के अलावा एक विशेष एंटी ऑक्साइड गुण पाया जाता है. हालांकि, यह मिर्च साल के दो महीने ही बाजार में मिलती है. लाल बड़ी मिर्च फरवरी से लेकर मार्च तक मिलती है. इसके बाद धीरे-धीरे कम हो जाती है लेकिन, इसका उपयोग अचार या जाइम के रूप में किया जाए तो 6-8 महीने तक आराम से चल जाता है. सागर में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर और न्यूट्रिशन डॉ. सुमित रावत बताते हैं कि लाल मिर्च केवल दो-ढाई महीने ही बाजार में मिलती है. लेकिन, यह बड़े ही फायदे की चीज है. इसमें कैंसर निवारक गुण पाए जाते हैं. अगर किसी को पेट का कैंसर या आंख का कैंसर होने की संभावना है और वह व्यक्ति नियमित बड़ी वाली लाल मिर्च का सेवन कर रहा है तो यह संभावना बेह...

लवंग के फायदे

 लौंग :-  दो लौंग रोज दो बार चूसिए आजीवन स्वस्थ लीवर स्वस्थ हड्डियां जोड़ स्वस्थ फेफड़े स्वस्थ मुखमंडल  मैंने कोरोना काल में लौंग को बहुत प्रचारित किया था वजह स्पष्ट थी उसका सबसे ज्यादा औरैक वैल्यू और गज़ब की एंटी वायरल क्षमता  *ORAC*           *ORAC* का अर्थ *ऑक्सीजन रेडिकल एब्सॉरबेन्ट केपेसिटी* (Oxygen Radical Absorbance Capacity.)            जितना अधिक ORAC, होगा उतनी ही ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता हमारे *फेफड़ो* को और *रक्त* को होगी। और यही कारण था जिन्होंने मेरी मानकर इसका उपयोग किया उन्हें ऑक्सीजन लेवल में कोई परेशानी नहीं आई अव्वल तो कोरोना काल बहुत सरलता से गुजर गया  सारा खेल रक्त में मौजूद आक्सीजन के स्तर का है शरीर के जिस हिस्से को आक्सीजन अधिक मिलेगी वो तीव्रता से स्वस्थ होगा और कम मिलेगी तीव्रता से बीमार और कमजोर  कैंसर का अगर कोई सबसे बड़ा बचाव है तो लौंग ही है क्योंकि शरीर में जितना ज्यादा आक्सीजन प्रवाह होगा कोशिकाओं में म्युटेशन के चांस उतने ही कम होंगे आटो इम्युन डिज़ीज़ होने की संभावना...

स्त्री पुरुष कि भीतरी ऊर्जा और भक्ति योग

 स्त्री पुरुष कि भीतरी ऊर्जा और भक्ति योग  *पुरुष शरीर के भीतर जो ऊर्जा केन्द्र है वह लिंग से स्त्री है। स्त्री शरीर के भीतरी जो केंद्र मे ऊर्जा हैं वह लिंग से पुरुष है। स्त्री कि भीतर चैतन्य ऊर्जा, शिव सूक्ष्म ऊर्जा हैं ये वास्तविक चेतन उर्जा हैं । पुरुष के भीतर जो ऊर्जा  है वह जड़ प्रधान है इसलिए वह भीतरी तल पर भारी और जड़ उर्जा हैं इसलिए जद स्थूल होने से ये नीचे मूलाधार में स्थित हैं। स्त्री में पुरूष ऊर्जा है शिव है वह रूपांतरण उर्जा हैं उसमें सात्विकता है  वह सत गुण भार में हल्की  सरल उर्जा है । पुरुष के भीतर केंद्र मे उस मूलाधार में जड़ उर्जा हैं जो AC  विद्युत की तरह खतरनाक है, ये विस्फोट झटका वाली उर्जा पुरुष के भीरत है। जो स्त्री शरीर कि परिधि है बाहरी रंग रूप सौंदर्य है वह जड़ ऊर्जा का प्रतिक है जो पुरुष की कुंडलिनी मे मूलाधार में स्थित है, यही पुरुष का मूल अधार हैं। स्त्री के भीतर पुरुष यानि चैतन्य ऊर्जा से उसकी वाणी उसकी चाल चलन नृत्य कूदना शरीर का मोड़ना उसके मुख्य कारण ये कि पुरूष ऊर्जा का उपयोग है ।जो सकारात्मक है , यह परमाणु रचना का प्रोटॉन ...

मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान

 मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान – मेथी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग शायद आप सभी करते हैं। लेकिन मेथी का पानी पीने के फायदे भी कम नहीं हैं,  यह मेथी में मौजूद पोषक तत्‍वों को ग्रहण करने का यह सबसे अच्‍छा तरीका है। मेथी का पानी पीने से कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर किया जा सकता है। मेथी का पानी पीने के लाभ विशेष रूप से वजन कम करने में, रक्‍त शर्करा नियंत्रित करने में, रक्‍त चाप नियंत्रित करने में, पाचन को ठीक करने, पथरी का इलाज करने आदि में होते हैं। इस आर्टिकल में आप मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान जानेगें। आइए इन्‍हें जाने। प्रकृति में गर्म होने के कारण मेथी के दानों का उपयोग भोजन पकाने के दौरान बहुत ही कम मात्रा में किया जाता है। यहां तक की औषधीय उपयोग में भी मेथी की कम मात्रा ली जाती है। लेकिन मेथी के औषधीय गुणों की भरपूर मात्रा प्राप्‍त करने के लिए मेथी के पानी का उपयोग भी किया जाता है।  1 कप मेथी का पानी बनाने के लिए 1 छोटा चम्‍मच मेथी पर्याप्‍त होती है। इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट किया जाना चाहिए साथ इस पानी को गर्म करना अतिरिक्‍त लाभ दिला स...

चमत्कारिक पेय (काढा ) मधुमेह नियंत्रण उच्चरक्तचापऔर कैंसर जैसी बीमारी को भी अलविदा कहने में आपकी मदद करेगा

 यह चमत्कारिक पेय (काढा ) आपको आश्चर्यचकित कर देगा आपके शरीर में विभिन्न रोगों के लिए #मधुमेह नियंत्रण  #उच्चरक्तचापऔर  #कैंसर जैसी बीमारी को भी अलविदा कहने में आपकी मदद करेगा !!!!! सामग्री जिसकी आपको आवश्यकता होगी 1..➡️ 4 तेज पत्ते 2..➡️ मुट्ठी भर सूखे हिबिस्कस फूल (जमैका फूल) 3..➡️ 6 अच्छी तरह धुले हुए अमरूद के पत्ते 4..➡️ 3 कप पानी इस शक्तिशाली हर्बल पेय को कैसे तैयार करें 1.. एक बर्तन  पैन को स्टोव पर रखें। 2.. इसमें तेजपत्ता, गुड़हल के फूल और अमरूद के पत्ते डालें। 3.. इसमें तीन कप पानी डालें। 4.. मिश्रण को उबालें और 15 मिनट तक पकने दें। 5.. मिश्रण को छान लें और कप या कांच के बर्तन में परोसें। इसका उपयोग कैसे करना है इस हर्बल अर्क का एक कप लगातार 10 दिनों तक रोजाना पियें। आप यह देखकर आश्चर्यचकित हो जायेंगे कि यह आपके स्वास्थ्य को कैसे बदल सकता है! ,➡️➡️➡️➡️♈ इस तरह के प्राकृतिक उपचार शक्तिशाली हैं, फिर भी दवा कंपनियाँ नहीं चाहतीं कि आप उनका इस्तेमाल करें । जानिए उनके बारे में. यह हर्बल उपचार क्यों काम करता है? ➡️ #तेजपत्ता: रक्त शर्करा विनियमन और पाचन में सहायता ...

हृदय का राजा अर्जुन छाल

 हृदय  का राजा अर्जुन छाल ।। अर्जुन एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो विशेष रूप से हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है। आयुर्वेद में अर्जुन की छाल को दिल की मांसपेशियों को मजबूत करने, उन्हें टोन करने और हृदय को ऊर्जा देने के लिए एक प्रमुख औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। अर्जुन की छाल का सेवन हृदय के सभी पहलुओं का समर्थन करने और इसके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। शरीर में आई सूजन को घटाने के लिए भी अर्जुन की छाल अच्छी मानी गई है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन घटाते हैं अर्जुन की छाल के मुख्य फायदे: 1. हृदय को मजबूत बनाती है – अर्जुन छाल रक्त संचार को सही रखती है और हृदय की धमनियों को स्वस्थ बनाए रखती है। 2. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है – हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर दोनों को संतुलित करने में मददगार है। 3. कोलेस्ट्रॉल कम करती है – खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में सहायक है। 4. दिल की धड़कन को नियंत्रित करती है – अनियमित धड़कनों (Arrhythmia) को सही करने में मदद करती है। 5. ब्लड शुगर को नियं...

कच्ची इमली खाने के है इतने फायदे लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

 इमली में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है. यह शरीर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है. इसके रोजाना सेवन से शरीर साफ रहता है, पेट और अन्य अंगों  कच्ची इमली खाने के है इतने फायदे लेकिन इन बातों का रखें ध्यान पाचन- इमली में प्राकृतिक फाइबर होता है जो पाचन को सुधारने में मदद करता है. ... इम्यूनिटी- इमली में विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मददगार हैं. ... दिल- हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद है इमली का सेवन. ... मोटापा- ... सूजन- ... स्किन- 6 इमली में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है. यह शरीर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है. इसके रोजाना सेवन से शरीर साफ रहता है, पेट और अन्य अंगों की गंदगी दूर होती है  रोजाना इमली खाने से शरीर में आता है ये बड़ा बदलाव, दूर होती हैं खतरनाक बीमारियां इमली पुरुषों के लिए कई तरह से फ़ायदेमंद होती है. यह पुरुषों की यौन समस्याओं को दूर करने में मदद करती है. साथ ही, यह इम्यूनिटी को भी बढ़ाती है.  इमली के फ़ायदे: इमली में विट...

वंशलोचन स्त्री प्रजाति के बाँस पेड़ों से प्राप्त एक प्रकार की हर्बल सिलिका है

 वंशलोचन स्त्री प्रजाति के बाँस पेड़ों से प्राप्त एक प्रकार की हर्बल सिलिका है,बांस सिलिका (FOLIUM BAMBUSEA) में अन्य सिलिका स्रोतों की तुलना में अधिक सिलिकॉन डाइऑक्साइड होता है। इसमें लगभग 70 से 90% सिलिका होती है। इसमें मुख्य तौर पर सिलिका (सिलिकॉन डाइऑक्साइड) होती है, जो हड्डियों, स्नायुबंधन, tendons और त्वचा के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। 👉इसमें शरीर के लिए आवश्यक अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। यह समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है l वंशलोचन का शरीर के ऊतकों पर पुनर्स्थापनात्मक प्रभाव होता है। वंशलोचन में कई औषधि गुण होते है।👇👇 👉आयुर्वेद के अनुसार, यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, इसलिए यह सितोपलादि चूर्ण का एक मुख्य घटक है जिसका उपयोग इम्युनो-मॉड्यूलेटर के रूप में किया जाता है। 👉यह सर्दी और बहती नाक के लिए बहुत प्रभावी दवा है। 👉वंशलोचन में अल्सर से बचाव करनेवाले गुण हैं। प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी, और यशद भस्म के साथ, यह पेप्टिक अल्सर और आंत्र सूजन के रोगों जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और Crohn's disease में उत्कृष्ट परिणाम देता है। 👉बालों के विकास को प्रोत्साहित कर बालों...

मरने के बाद कौन पहुंचता है देवलोक

 मरने के बाद कौन पहुंचता है देवलोक  ? मरने के बाद व्यक्ति की तीन तरह की गतियां होती हैं ( १ ) : - उर्ध्व गति ( २ ) : - स्थिर गति और ( ३ ) : - अधो गति। व्यक्ति जब देह छोड़ता है तब सर्वप्रथम वह सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाता है। सूक्ष्म शरीर की गति के अनुसार ही वह भिन्न- भिन्न लोक में विचरण करता है और अंत में अपनी गति अनुसार ही पुन: गर्भ धारण करता है। आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं १ ) : - जीवात्मा, ( २ ) : - प्रेतात्मा और ( ३ ) : - सूक्ष्मात्मा जो भौतिक शरीर में वास करता है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। तीसरा स्वरूप है सूक्ष्म स्वरूप। मरने के बाद जब आत्मा सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, तब उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। कमजोर सूक्ष्म शरीर से ऊपर की यात्रा मुश्किल हो जाती है तब ऐसा व्यक्ति नीचे के लोक में स्वत: ही गिर जाता है या वह मृत्युलोक में ही पड़ा रहता है और दूसरे जन्म का इंतजार करता है। उसका यह इंतजार 100 वर्ष से 1000 वर्ष तक की अवधि का भी हो सकता है। पहले बताए गए आत्मा के तीन स्वरूप से अलग ( १) : -...

तंत्र साधना में असम को स्त्री प्रदेश भी कहा जाता हैं

 #कामरू_कामाख्या असम को स्त्री प्रदेश भी कहा जाता हैं। वहां प्राचीन काल से ही तंत्र साधना के क्षेत्र में स्त्री शक्तियों का विशेष प्रभाव मौजूद रहा है। आज भी असम के कामाख्या क्षेत्र में तंत्र साधिकाओ का बहुत बड़ा वर्ग मौजूद है। जो अद्भुत तांत्रिक शक्तियों में  निपुण हैं।असम एक ऐसा क्षेत्र है जहां कामाख्या नामक शक्तिपीठ मौजूद है। शक्तिपीठ के विषय में आप सभी को जानकारी होगी। इसीलिए थोड़ा संक्षेप में विवरण दे रहा हूं। यहां भगवती का गुप्तांग गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां पर कामाख्या मंदिर में उसी की पूजा होती है। वहां कोई भी विग्रह नहीं है बल्कि योनि मंडल बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जून के महीने में 3 दिनों के लिए योनि में रजस्त्राव होता है। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और उस क्षेत्र में पूजा-पाठ का कार्यक्रम रोक दिया जाता है।  उस दौरान यह भी देखा गया कि ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल रंग का हो जाता है।उस समय विशेष में, मंदिर में योनि मंडल के ऊपर वस्त्र  बिछा दिये जाते है।इन वस्त्रों को प्रसाद के रूप में दर्शनार्थियों में बांट दिया जाता है। इसे कामाख्या तार कहते ह...

अमरूद खाने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है

 अमरूद खाने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है ।  अमरूद के फ़ायदेः  ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। वज़न घटाने में मदद करता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है। पाचन को ठीक रखता है। इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है। डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए फ़ायदेमंद होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए फ़ायदेमंद होता है। कब्ज़ से राहत देता है। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही रखता है। थायराइड के मरीज़ों के लिए फ़ायदेमंद होता है। अमरूद में मौजूद पोषक तत्वः  विटामिन-सी, लाइकोपीन, एंटीऑक्सीडेंट, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फ़ाइबर, आयरन, फ़ोलिक एसिड, नियासिन (Vitamin B3), कॉपर. अमरूद के कुछ और फ़ायदेः कैंसर के जोखिम को कम करता है, एनीमिया से राहत दिलाता है, ब्रेन फ़ंक्शनिंग में सुधार करता है, प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देता है। साभार विनोद कुमार facebook wall

जिन खोजा तिन पाईंयां--प्रवचन

 कभी आपने खयाल किया, आपने किसी आदमी को मरते देखा? आप कहेंगे, बहुत लोगों को देखा। पर मैं कहता हूं, नहीं देखा। आज तक किसी व्यक्ति ने किसी को मरते नहीं देखा। मरने की प्रक्रिया आज तक देखी नहीं गई। जो हम देखते हैं, वह केवल जीवन के विदा हो जाने की प्रक्रिया है, मरने की नहीं। बटन दबाई हमने, बिजली का बल्ब बुझ गया। जो नहीं जानता, वह कहेगा, बिजली मर गई। जो जानता है, वह कहेगा, बिजली अभिव्यक्त थी, अब अप्रकट हो गई। प्रकट थी, अप्रकट हो गई। मर नहीं गई। फिर बटन दबेगा, बिजली फिर वापस लौट आएगी। फिर बटन दबाएंगे, बिजली फिर भीतर तिरोहित हो जाएगी। जीवन समाप्त नहीं होता, केवल शरीर से विदा होता है। लेकिन विदाई हमें मृत्यु मालूम पड़ती है। क्यों मालूम पड़ती है? क्योंकि हमने कभी अपने भीतर शरीर से अलग किसी अस्तित्व का अनुभव नहीं किया है। हमारा अनुभव यही है कि मैं शरीर हूं, इसलिए जब शरीर समाप्त होगा, जलाने के योग्य हो जाएगा, तब स्वभावतः निष्कर्ष होगा कि मर गए। शरीर से अलग जिसने अपने भीतर किसी तत्व को नहीं जाना, वह अज्ञानी है। अज्ञानी का मतलब यह नहीं कि जिसे यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं है, विश्वविद्यालय का कोई सर्...

देवीय शक्ति से साक्षात्कार कराते मंत्र

  मंत्रों का प्रयोग मानव ने अपने कल्याण के साथ-साथ दैनिक जीवन की संपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु यथासमय किया है और उसमें सफलता भी पाई है, परंतु आज के भौतिकवादी युग में यह विधा मात्र कुछ ही व्यक्तियों के प्रयोग की वस्तु बनकर रह गई है। मंत्रों में छुपी अलौकिक शक्ति का प्रयोग कर जीवन को सफल एवं सार्थक बनाया जा सकता है। सबसे पहले प्रश्न यह उठता है कि 'मंत्र' क्या है, इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है। इस संदर्भ में यह कहना उचित होगा कि मंत्र का वास्तविक अर्थ असीमित है। किसी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रयुक्त शब्द समूह मंत्र कहलाता है।  जो शब्द जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है उसे उस देवता या शक्ति का मंत्र कहते हैं। मंत्र एक ऐसी गुप्त ऊर्जा है, जिसे हम जागृत कर इस अखिल ब्रह्मांड में पहले से ही उपस्थित इसी प्रकार की ऊर्जा से एकात्म कर उस ऊर्जा के लिए देवता (शक्ति) से सीधा साक्षात्कार कर सकते हैं। ऊर्जा अविनाशिता के नियमानुसार ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है, वरन्‌ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। अतः जब हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं तो उससे उत्पन्न ध्वनि ए...

क्या यह संसार वास्तविकता है या मात्र एक भ्रामक सपना

 क्या यह संसार वास्तविकता है या मात्र एक भ्रामक सपना? कल्पना कीजिए, आप एक फिल्म थिएटर में बैठे हैं। स्क्रीन पर चल रही फिल्म आपको हँसा सकती है, रुला सकती है, यहाँ तक कि आपको उसमें डूब जाने को मजबूर कर सकती है। लेकिन अचानक कोई आपको याद दिलाए कि यह सब केवल एक प्रोजेक्शन है—कुछ भी असली नहीं है! क्या यह संभव नहीं कि हमारी पूरी ज़िंदगी भी वैसी ही हो—एक भव्य फिल्म, जिसे हम वास्तविक मानने की भूल कर रहे हैं? वेदांत कहता है कि यह संसार माया है—एक भ्रम, जो सत्य को छुपाकर हमारे सामने एक आभासी दुनिया प्रस्तुत करता है। शंकराचार्य कहते हैं— "ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः।" (ब्रह्म ही सत्य है, यह संसार मिथ्या है, और जीव ब्रह्म के अलावा कुछ नहीं है।) इसका तात्पर्य यह है कि संसार में जो कुछ भी हमें दिख रहा है, वह परिवर्तनशील और अस्थायी है, इसलिए वह अंतिम सत्य नहीं हो सकता। जैसे कोई सपना वास्तविक प्रतीत होता है, लेकिन जागने के बाद उसकी कोई सच्चाई नहीं होती, वैसे ही यह भौतिक जगत भी एक अस्थायी आभास है। केवल ब्रह्म ही एकमात्र शाश्वत सत्य है, और प्रत्येक जीव भी मूलतः उसी ब्रह्म का ही...