आपके शब्दो मे अधिक शक्ति होनी चाहिए आवाज में नही क्योंकि फूल हल्की बारिश में ही खिलते है बाढ़ में नही
आप किसी की कितना पसंद करते हो उससे कही ज्यादा उस व्यक्ति का आपके प्रति बर्ताव मायने रखता है
पसंद आंतरिक गुणवत्ता के आधार परहोनी चाहिए नाकि बाहरी आकर्षण के आधार पर
आकर्षण समय के साथ कम हो जाएगा किन्तु गुणवत्ता में और निखार की संभावनाबनी रहती है
जिस प्रकार मानव तन बाहरी चमक दमक देखकर हर्षित व आनंदित होते है,, सुख व दुख का अनुभव करते है क्योंकि अंर्तमन की गहराई में उतरना ही नही चाहते स्वयम को प्राप्त करना ही नही चाहते है
जिसनी स्वयम को प्राप्त कर लिया वही परमात्मा को पाप्तकर आनंद व सुख से भर जाता है
जिस पर परमात्मा की कृपा है फिर उसे किसी अन्य की आवस्यकता नही वह आनंदित है सुखी है प्रतिपल प्रतिक्षण परमात्म की शरण मे
उसे बाहरी कोई भी वस्तु वयक्ति प्रभावित नही कर पाता व्यह मुक्ति की ओर अग्रसर हो जाता है
वह परमात्मा का दास कहलाता है जिस हेतु ईश्वर ने उसका चह्यन किया ,,वह अपने कर्तव्य कर्म को पूरी निष्ठा व भक्ति से पूर्ण कर इस जगत से अलविदा लेगा
यह पावरफुल सोल दिव्य ऊर्जा होती है जो किसी भी सांसारिक मोहमाया के चक्रव्यूह से प्रभावित नही होती
आलोचना प्रशंशा व विवेचना से कोई लेना देना नही सत्यपथानुगामी परमात्मस्वरूप है वह दिव्य आत्मा
मानव की आवाज मधुर और शब्द ज्ञान सम्मत प्रभावशाली होने चाहिए।
मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाने हेतु शुक्रिया ब्रह्मांड मुझे ज्ञान विज्ञान से भर प्रज्ञावान बनाने हेतु शुक्रिया अपने असीमित प्रेम से पुष्ट करने हेतु शुक्रिया सुंदर संतुष्ट जीवन हेतु शुक्रिया,,
ॐ परमात्मने नमः
शुभम करोति कल्याणम साभार ऋतु सिसोदिया
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