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स्त्री की योनि: सृजन और सम्मान का प्रतीक

 स्त्री की योनि: सृजन और सम्मान का प्रतीक



स्त्री की योनि केवल पुरुषों के सुख का माध्यम नहीं है, बल्कि यह इस संसार में नए जीवन का प्रवेश द्वार भी है। यह वह पवित्र स्थान है, जहाँ से हर नया जीवन जन्म लेता है, जहाँ से हर इंसान की यात्रा प्रारंभ होती है। योनि केवल शारीरिक संरचना नहीं, बल्कि सृजन और मातृत्व की शक्ति का प्रतीक है।

 

प्रकृति ने स्त्री को इस अद्भुत क्षमता से नवाजा है कि वह एक नए जीवन को जन्म दे सके। जब कोई शिशु जन्म लेता है, तो योनि उसके लिए इस दुनिया में आने का मार्ग बनती है। यह केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि प्रेम, धैर्य और मातृत्व के अद्भुत संगम का प्रतीक है। हर स्त्री अपने शरीर को एक नए जीवन के लिए समर्पित करती है, और यह त्याग किसी भी तरह से कम सम्मान के योग्य नहीं हो सकता।


सम्मान का महत्व


आज भी समाज में कई लोग महिलाओं के प्रति उचित सम्मान नहीं दिखाते। हम उस स्थान का सम्मान करना तो दूर, उसकी महत्ता को भी नहीं समझते, जिसने हमें इस दुनिया में आने का अवसर दिया। यह एक विडंबना है कि जिस योनि से जन्म लेकर हम इस संसार में आए, उसी का अपमान करने से नहीं चूकते।


स्त्रियों का सम्मान करना केवल एक नैतिक कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज की उन्नति के लिए भी आवश्यक है। जब हम महिलाओं को उचित सम्मान देंगे, तभी हम एक संतुलित और उन्नत समाज की कल्पना कर सकते हैं। महिलाओं को केवल भोग की वस्तु मानना उनके अस्तित्व और शक्ति का अपमान है।


निष्कर्ष


हर पुरुष को यह समझना चाहिए कि वह भी एक स्त्री की कोख से जन्मा है। महिलाओं का सम्मान करना, उनकी गरिमा को बनाए रखना और उनके अधिकारों की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। यह केवल नारी सम्मान की बात नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की उन्नति से जुड़ा विषय है। अगर हम सच में एक सभ्य समाज बनाना चाहते हैं, तो हमें स्त्रियों को वह सम्मान देना होगा, जिसकी वे वास्तव में अधिकारी हैं।"

 हर हर महादेव साभार Facebook 

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