{{{ॐ}}} # कुण्डलिनी साधना से ऐसी कोई चमत्कारिक शक्ति नही मिलेगी कि आप खडे़ खडे़ गायब हो जायें ।आपकी उंगलियों या दृष्टि से कोई लपटें या किरण भी नहीं निकलेंगी। हां आपकी चैतन्य शक्ति में विलक्षण परिवर्तन होगा। aजीवन शक्ति और ताकत बढ़ जायेगी। सम्मोहन, दिव्य दृष्टि, अन्तर्ज्ञान, अन्तर्दृष्टि तीव्रतम होती चली जायेगी। शारीरिक ऊर्जा मे वृद्धि होगी। भविष्य दर्शन होगा। भविष्यवाणीयां फलित होंगी। कुण्डलिनी साधना जितनी सरल है उतनी ही सहजयोग में दुस्कर साधना समझा जाता है । वस्तुत सबसे अधिक परिश्रम मूलाधार पर करना होता है इसके फव्वारे को तीव्र कर लेना या कथित सर्प के फण को उठा देना कठिन नही है । वास्तविक कठिनाई इस फण को ऊपर के स्वाधिष्ठान के नाभिक तक ले जाना है। यह ऋणात्मक उर्जा है और इसका प्रवाह सबसे तीव्र होता है, क्योंकि यह ऊर्जा परिपथ के ऋण बिन्दू से उत्पन्न होती है । सर्वाधिक कठिनाई इसे नीचे की ओर क्षरित या पतित होने से रोकने मे है। यहां के शिवलिंग से उत्पन्न होने वाली उर्जा महिषासुर है। इससे अन्धीं तीव्रता है। काम, क्रोध, कर्कशता
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