ओशो विचार (45) (1) 0sh0 - नर्क एक दुख का सपना है और स्वर्ग एक सुख का सपना है लेकिन दोनों ही सपना मात्र हैं। (2) 0sh0 - शान्ति और अशान्ति हमारे लिए द्वन्द है लेकिन सिद्ध पुरुष के लिए मुक्ति है। (3) 0sh0 - जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता, जिसका आचरण ब्रह्म जैसा हो जाए वही ब्राह्मण है। (4) 0sh0 - सिद्ध के लिए सिद्धावस्था का प्रारंभ तो है पर अन्त नहीं है, सिद्धावस्था में समय नहीं (5) 0sh0 - प्रशनों का उत्तर नहीं खोजना है लेकिन सारे प्रशन गिर जाएं ऐसी चित्त की दशा खोजनी है। (6) 0sh0 - मृत्यु शरीर मोह का परिणाम है, अमरत्व का बोध शरीर मुक्ति का परिणाम है। (7) 0sh0 - पहले अपने भीतर के सोने को खोज लो फिर उसे साधना की अग्नि में शुद्ध करो। (8)0sh0 - जब तक जीवन है तब तक दुख रहेगा, यदि दुख से मुक्ति पानी हो तो दुख को स्वीकार कर लो। . (9) 0sh0 - जिस आदत को बदलना हो उसे स्वीकार कर लो, ध्यान ना देने से आदतें छूट जाती हैं। (10) 0sh0 - पाप और पुन्य कृत्य में नही होते, पाप और पुन्य कृत्य
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