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जब शरीर का कोई अंग घिस जाए, उसे बदल डालिए

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दस-पन्द्रह साल के बाद मनुष्य ख़ुद अपने शरीर पर 'थिगलियाँ' लगाना शुरू विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दस-पन्द्रह साल के बाद मनुष्य ख़ुद अपने शरीर पर 'थिगलियाँ' लगाना शुरू कर देगा। वह अपने पुराने और घिस चुके अंगों को और अपनी माँसपेशियों के संयोजी ऊतकों को, जब मन होगा, ख़ुद ही बदल लिया करेगा। जापान में एक क्लीनिकल अनुसंधान के दौरान कोशिका-चिकित्सा (या सेल-थैरेपी) की सहायता से मानव-हृदय के ऊतकों को नया जीवन दिया जाता है। रूस में विशेष जैविक-रिएक्टरों में न सिर्फ़ संयोजी ऊतकों का विकास किया जाता है, बल्कि नए मानव-अंगों को भी विकसित किया जाता है। फ़िलहाल चिकित्सक इस तक्नोलौजी का सिर्फ़ परीक्षण कर रहे हैं। लेकिन जल्दी ही चिकित्सक इस तक्नोलौजी का व्यावहारिक रूप से इस्तेमाल शुरू कर देंगे। आज से दस साल पहले अगर कोई इस तरह की बात कहता तो लोग उसे कपोल-कल्पना ही मानते और उसकी हँसी उड़ाने लगते। लेकिन आज मानव अंगों को कृत्रिम रूप से विकसित करने वाली इस तरह की तक्नोलौजी एक वास्तविकता यानी एक सच्चाई बन चुकी है। आज वैज्ञानिक पुनर्योजी