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जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मिल गई कैंसर की दवा

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, एक बहुत ही छोटे क्‍लीनिकल ट्रायल में 18 रोगियों ने तकरीबन छह महीने तक डोस्टारलिमैब (Dostarlimab) नाम की दवा ली और अंत में उन सभी का कैंसर ट्यूमर गायब हो गया. Dostarlimab लैब में बनी मॉलिक्‍यूल (Molecule) वाली दवा है जो इंसान के शरीर में सबस्‍टीट्यूट एंटी बॉडी (Substitute Antibodies) के तौर पर काम करती है. ट्रायल के दौरान सभी 18 मलाशय के कैंसर (Rectal Cancer) पीड़ितों को एक ही दवा दी गई थी. मेडिकल दुनिया में यह एक बड़ी खबर है कि शारीरिक परीक्षण जैसे एंडोस्‍कोपी (endoscopy), पॉजिट्रान एमीशन टोमाग्राफी या पेट स्‍कैन (PET scans) या एमआरआई स्‍कैन (MRI scans) में से किसी में भी कैंसर डिटेक्ट नहीं हुआ डिटेल जानने के लिए इन दोनों यूट्यूब वीडियो को देखें .

ONDC Project Open Network for Digital Commerce (ONDC)

ONDC Project Open Network for Digital Commerce (ONDC) is an initiative aiming at promoting open networks for all aspects of exchange of goods and services over digital or electronic networks. ONDC is to be based on open-sourced methodology, using open specifications and open network protocols independent of any specific platform. The foundations of ONDC are to be open protocols for all aspects in the entire chain of activities in exchange of goods and services, similar to hypertext transfer protocol for information exchange over internet, simple mail transfer protocol for exchange of emails and unified payments interface for payments. These open protocols would be used for establishing public digital infrastructure in the form of open registries and open network gateways to enable exchange of information between providers and consumers. Providers and consumers would be able to use any compatible application of their choice for exchange of information and carrying out transacti

Java Burn

This product is backed by guarantee for 60 full days from your original purchase. If you're not totally and completely satisfied with this product, your results or your experience in the first 60 days from your purchase simply let us know by calling our toll free number or dropping us an email and we'll give you a full refund within 48 hours of the product being returned. That's right, simply return the product, even empty  pouches , anytime within 60 days of your purchase and you'll receive a full, no questions asked refund (less shipping and handling). Introducing... The world’s first and only 100% safe and natural proprietary, patent-pending formula, that when combined with coffee, can increase both the speed and efficiency of metabolism. While instantly boosting your health, energy and well-being at the same time. There’s never been anything even close to Java Burn ever attempted. As myself, my team, my entire family… And tens of thousands of everyday women and men

हम क्या क्या हैं और क्या क्या नहीं हैं

 ---- ********************************                          भाग--05                        ********** परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन गुरुदेव पण्डित अरुण कुमार शर्मा काशी की अद्भुत अलौकिक अध्यात्म-ज्ञानगंगा में पावन अवगाहन पूज्यपाद गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि वन्दन        योग की सर्वोच्च अवस्था है--परमावस्था। इस अवस्था को प्राप्त करने के लिए साधक को समय की एक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। कई जन्म बीत जाते हैं। न जाने कितने मानसिक, वैचारिक और आत्मिक संघर्ष करने पड़ते हैं। साधना-क्रम आगे बढ़ाने के लिए योग्य गर्भ का भी होना आवश्यक है। अन्यथा साधना-क्रम भंग होने की आशंका बनी रहती है। फिर तो इधर-उधर भटकना पड़ता है और साधक को जाने कब और किस जन्म में 'परमावस्था' उपलब्ध  होगी और किस जन्म में उपलब्ध होगा 'आत्म साक्षात्कार' ?        'परमावस्था' आत्मा की अद्वैत अवस्था मानी जाती है। इसी अवस्था में आत्मा को अपने निज स्वरुप का ज्ञान होता है। इसी अवस्था में आत्मा के सामने प्रकट होता है--एक दिव्य ज्योतिर्मय प्रकाश जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। क्योंकि वर्णन योग्य शब्द ही नहीं मिलते

इतिहास के पन्नों से सत्येन्द्रनाथ बोस

 # #सत्येन्द्रनाथ बोस भारत के वह शोधकर्ता थे, जिन्हें 2012 में न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार में "गॉड पार्टिकल" के रूप में वर्णित किया गया था। वह अपने 1924 के शोध के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका यह शोध "बोस-आइंस्टीन क्वांटम" के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। तो चलिए जानते हैं "गॉड पार्टिकल" सत्येन्द्रनाथ बोस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य- 1.भौतिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, विज्ञानी पाल डिरक ने ‘बोसोन पार्टिकल’ का नाम उनके नाम पर रखा था। 2. सत्येंद्रनाथ बोस को बंगाली और अंग्रेजी के अलावा, फ्रेंच, जर्मन और संस्कृत भी आती थी। इसके साथ ही वह लॉर्ड टेनीसन, रबिन्द्रनाथ टैगोर और कालिदास की कविताओं में भी रुचि रखते थे। 3. जब सत्येंद्रनाथ बोस के शोध पत्र 'प्लैंक लॉ एंड द हाइपोथिसिस ऑफ लाइट क्वांटा' को छापने से मना कर दिया गया था, तब बोस ने अपना यह शोध पत्र एल्बर्ट आइंस्टीन को भेजा, जिन्होंने इस शोध पत्र के महत्व को समझा और इसका जर्मनी में ट्रांसलेशन कर बोस के नाम पर इसे छपवाया। 4. बोस ने 1926 में ढाका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन तब

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि

 www.drishtiias.com वेबसाइट पर प्रकाशित कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि लेख इस इस संदर्भ में मैं कहना चाहूंगा आने वाले समय में खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा ड्रोन के द्वारा दवाओं का छिड़काव कंप्यूटराइज ड्रिप आधारित प्रणाली रोग एवं कीटो का  त्वरित उपचार इत्यादि होगा श्रमिक भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रोबोट भी होंगे के द्वारा डेयरी उद्योग कृषि अन्य उद्योगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा दृष्टि डॉट कॉम इस संबंध में काफी अच्छा शोध पत्र प्रकाशित किया है आप लोग इसका अध्ययन कर सकते हैं संदर्भ: विश्व की आबादी के बढ़ने के साथ ही कृषि योग्य भूमि की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, ऐसे में लोगों को कृषि के संदर्भ में अधिक रचनात्मकता और कुशलता आर्जित करने की आवश्यकता है। इसके तहत कम भूमि के उपयोग से ही फसल की उपज और  उत्पादकता को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देना होगा। भारत में स्वतंत्रता के बाद से ही कृषि सुधार के कई बड़े प्रयास के बावज़ूद आज भी यह क्षेत्र मानसून की अनिश्चितता, आधुनिक उपकरणों की कमी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। इस संदर्भ में जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा जैसी समस्य

काम विज्ञान के द्वारा काम ऊर्जा का रूपांतरण

https://youtu.be/GFm172Z8fEo भारतीय अध्यात्म की भगवान शिव के द्वारा रचित विज्ञान भैरव तंत्र में काम ऊर्जा द्वारा कुंडली ऊर्जा को जागृत करने की विधि बताई गई है ध्यान की 112 विधियों में एक विधि भी है अभी भी उन लोगों के लिए सर्वोत्तम है जो दैनिक जीवन में ज्यादा कामुक होते हैं जिनकी कुंडली उर्जा मूल आधार पर स्थित होती है वह लोग काम ऊर्जा होश पूर्वक का प्रयोग कर अपनी कुंडली को सहस्त्रार तक पहुंचा सकते हैं के संबंध में प्रख्यात दार्शनिक आचार्य रजनीश ने संभोग से समाधि की ओर एक पुस्तक लिखी है जिसका लोगों ने गलत अर्थ लगा लिया काम ऊर्जा और कामवासना में अंतर होता है काम ऊर्जा एक क्रिएटिव एनर्जी है जबकि कामवासना स्त्री या पुरुष के शरीर के प्रति आसक्ति काम ऊर्जा स्वयं के भीतर से उठती है और जो आनंद के रूप में महसूस होती है जिसे आत्मानंद या परमानंद कहते हैं क्योंकि हमारा मन सूक्ष्म गतिविधियों से प्रोग्राम होता है आता हम अपने भीतर को ही नहीं बाहरी शरीर को ही आनंद का स्रोत मान लेते हैं जबकि शरीर एक माध्यम है जो क्वांटम प्रोग्राम की तरह से चित रूपी चिप के द्वारा संचालित होती है असली आनंद आत्मा का होता ह

अदृश्य पदार्थ और ऊर्जा

 ब्रह्मांड ब्रह्मांड विज्ञान अभी नहीं जानता कि 23% पदार्थ का रंग रूप क्या है और शेष 73% किस प्रकार की ऊर्जा है अर्थात डब्बी विज्ञान अभी ब्रह्मांड का निर्माण करने वाले पदार्थ तथा पदार्थ का मात्र 4% ही जानता है इस घोर अज्ञान के लिए विज्ञान को कोई खेत प्रकट करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस अज्ञान का जानना भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है ब्रह्मांड विज्ञान ने हमें ज्ञान दिया है कि ब्रह्मांड का उद्भव 13 पॉइंट 7 अरबवर्ष पहले हुआ था  उसका  विकास किस तरह हुआ अर्थात किस तरह ग्रह तारे मंदाकिनी मंदाकिनी यों के समूह और किस तरह से मुंह की चादर निर्मित हुई कि ब्रह्मांड में पदार्थ इतनी दूर दूर क्यों है कि पदार्थ और पति पदार्थ का निर्माण हुआ था कि अब हमारे देखने में केवल पदार्थ ही है दिग और काल निरपेक्ष नहीं वरन बैक के सापेक्ष हैं कि वे चार आयामों में घुसे हुए हैं कि बिक का बैग के साथ संपन्न होता है और काल का वितरण की ब्रह्मांड की रचना स्थाई नहीं है और उसका प्रसार हो रहा है और वह भी त्वरण के साथ एक जगत और है जो हमें दिखता नहीं है क्योंकि वह अत्यंत सूक्ष्म कणों से बना है उस पर आइंस्टाइन के अपेक्षित सिद्धा

मनुष्यों का संभोग में शीघ्रपतन होने का कारण

जब संभोग क्रिया संपादित करते समय शिशु को योनि में प्रवेश करते ही या योनि मुख पर रखते ही वीर्य स्खलित हो जाए तो इसे शीघ्रपतन कहा जाता है 1.30 मिनट से कम स्तंभन शक्ति रखने वाला व्यक्ति शीघ्रपतन का रोगी माना जा सकता है ऐसे पुरुष अपने संबंधित स्त्रियों की काम में क्षणों को तृप्त नहीं कर पाते है बार-बार ऐसा होने पर इसका अभ्यस्त हो जाने के कारण वह उसका कोई प्रभाव नहीं लेते और ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्हें कुछ हुआ ही नहीं इसरो की ओर ध्यान ना करना ऐसे लोगों की भारी भूल हो सकती है क्योंकि लगातार शीघ्रपतन होने से उनकी स्थिति बिगड़ पर किस सीमा तक आ सकती है कि वह पूर्ण नपुंसक बन जाते हैं इस समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों में वीर्य स्खलन के पश्चात से तुरंत ही ढीला पड़ जाता है तथा अगले 10 से 15 मिनट तक बेगुनाह संभोग करने के लिए तैयार नहीं हो पाते बल्कि कुछ लोग जो कई घंटों के पश्चात भी अपने इस कार्य में असमर्थ ही पाते हैं चाहे उनके साथी इस कार्य के लिए कितना तैयार कर ले स्त्रियों पर इसका प्रभाव क्योंकि शीघ्रपतन पोस्ट के लिए लज्जा की बात है जब स्त्री सहवास में आनंद प्राप्त करने ही लगती है कि पुरुष इस क

सीएसए ने राई की नई प्रजाति सुरेखा

*सीएसए ने राई की नई प्रजाति सुरेखा ( के एम आर 16-2) की विकसित* कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के तिलहन अनुभाग द्वारा राई की नई प्रजाति सुरेखा (केएमआर 16-2) विकसित की है। राई वैज्ञानिक डॉ महक सिंह ने बताया कि भारत सरकार द्वारा यह प्रजाति नोटिफाइड हो चुकी है।उन्होंने बताया कि दिनांक 17 जून 2022 को आईसीएआर के उप महानिदेशक फसल विज्ञान डॉ टी आर शर्मा की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय बीज विमोचन समिति की 88 वीं बैठक में राई की सुरेखा प्रजाति को नोटिफाइड किया गया है। डॉक्टर महक सिंह ने बताया कि यह प्रजाति उच्च तापक्रम के प्रति प्रारंभिक अवस्था में सहिष्णु है तथा अगेती एवं समय से बुवाई हेतु संस्तुति है उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी जलवायु क्षेत्रों हेतु सिंचाई दशा के लिए संस्तुति है। उन्होंने बताया कि इस प्रजाति का उत्पादन 25 से 28 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। तथा 125 से 130 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। डॉ सिंह ने कहा कि इस प्रजाति में 41.2 से 42.6% तेल की मात्रा पाई जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रजातिअल्टरनरिया ब्लाइट एवं व्हाइट रस्ट के प्रत

पुनर्जन्म सिद्धान्त समीक्षा

- प्रश्न :- पुनर्जन्म किसे कहते हैं ? उत्तर :- आत्मा और इन्द्रियों का शरीर के साथ बार बार सम्बन्ध टूटने और बनने को पुनर्जन्म या प्रेत्याभाव कहते हैं । प्रश्न :- प्रेत किसे कहते हैं ? उत्तर :- जब आत्मा और इन्द्रियों का शरीर से सम्बन्ध टूट जाता है तो जो बचा हुआ शरीर है उसे शव या प्रेत कहा जाता है । प्रश्न :- भूत किसे कहते हैं ? उत्तर :- जो व्यक्ति मृत हो जाता है वह क्योंकि अब वर्तमान काल में नहीं है और भूतकाल में चला गया है इसी कारण वह भूत कहलाता है । प्रश्न :- पुनर्जन्म को कैसे समझा जा सकता है ? उत्तर :- पुनर्जन्म को समझने के लिये आपको पहले जन्म और मृत्यु के बारे मे समझना पड़ेगा । और जन्म मृत्यु को समझने से पहले आपको शरीर को समझना पड़ेगा । प्रश्न :- शरीर के बारे में समझाएँ । उत्तर :- शरीर दो प्रकार का होता है :- (१) सूक्ष्म शरीर ( मन, बुद्धि, अहंकार, ५ ज्ञानेन्द्रियाँ ) (२) स्थूल शरीर ( ५ कर्मेन्द्रियाँ = नासिका, त्वचा, कर्ण आदि बाहरी शरीर ) और इस शरीर के द्वारा आत्मा कर्मों को करता है । प्रश्न :- जन्म किसे कहते हैं ? उत्तर :- आत्मा का सूक्ष्म शरीर को लेकर स्थूल शरीर के साथ सम्बन्ध हो ज

क्या है ओम की ध्वनि का रहस्य?

NOTE;-महान शास्त्रों और गुरूज्ञान का संकलन...… 1-आधुनिक विज्ञान ने पदार्थ के विश्‍लेषण से निश्चय किया कि यदि हम पदार्थ को खंडित करे या तोड़ते जाए, तो अंत में जो तत्‍व शेष रह जाता है ...जिसे तोड़ा नहीं जा सकता, जो आखिरी इकाई बचती है। वह इकाई विद्युत/इलेक्‍ट्रॉन की है। इसलिए विज्ञान के अनुसार, जगत में जो भी दिखाई पड़ रहा है, वह विद्युत का ही समागम है। विभिन्न-विभिन्न रूपों में विद्युत ही सघन होकर पदार्थ हो गई है। विद्युत मौलिक तत्व है।विज्ञान ने पदार्थ को तोड़ -तोड़कर आखिरी अणु, परमाणु और परमाणु का भी विभाजन करके जिस तत्व को पाया है, वह है विद्युत।पूरब के मनीषियों ने भी एक मौलिक तत्व खोजा था। पर उनकी खोज दूसरी तरह से थी, और दूसरी दिशा से थी।उन्होंने भी चेतना की आत्यंतिक गहराई में उतरकर चेतना का जो आखिरी बिंदु है, उसे पकड़ा था। उस बिंदु को उन्होंने कहा था ...ध्वनि, साउंड। पूरब की खोज है कि सारा अस्तित्व ध्वनि का ही घनीभूत रूप है, शब्द का घनीभूत रूप है। इसलिए वेद को हमने परमेश्वर कहा, क्योंकि वह शब्द है। और ऐसी खोज यही नहीं है, बल्कि जिन्होंने भी आत्मा की तरफ से यात्रा की है, उन्होंने भी

मंत्र साधना

मंत्र साधना से अन्दर की सोई हुई चेतना को जागृत किया जा सकता है।आन्तरिक शक्ति का विकास करके महान बना जा सकता है। मंत्र के जाप से मन की चंचलता नष्ट हो जाती है। जीवन संयमित बनता है ,स्मरण शक्ति में वृद्घि होती है और एकाग्रता प्राप्त होती है। मनन करने पर जो रक्षा करे उसे मंत्र कहते हैं। एक प्रकार से विशेष शब्दों का समूह जप करने पर मन को एकाग्र करके अभिष्ट फल की प्राप्ति कराएं उसे मंत्र कहते हैं। वास्तव में,साधक दो प्रकार की यात्राएं कर सकता है। एक यात्रा है शक्ति की और दूसरी यात्रा है शांति की। शक्ति की यात्रा सत्य की यात्रा नहीं है, शक्ति की यात्रा तो अहंकार की ही यात्रा है। फिर शक्ति चाहे धन से मिलती हो, पद से मिलती हो या मंत्र से। तुम शक्ति चाहते हो, तो सत्य नहीं चाहते हो। तुम्हारे द्वारा अर्जित की गई शक्ति शरीर की हो, मन की हो, या तथाकथित अध्यात्म की हो। तुम्हें मजबूत करेगी। तुम जितने मजबूत हो, परमात्मा से उतने ही दूर हो। तुम्हारी शक्ति परमात्मा के समक्ष तुम्हारे अहंकार की घोषणा है। तुम्हारी शक्ति ही तुम्हारे लिए बाधा बनेगी। तुम्हारी शक्ति ही, वास्तविक अर्थों में, परमात्मा के समक्ष

परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ

परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ!!!!!!!? यह अनंत ब्रह्माण्डअलख-निरंजन परब्रह्म परमात्मा का खेल है। जैसे बालक मिट्टी के घरोंदे बनाता है, कुछ समय उसमें रहने का अभिनय करता है और अंत मे उसे ध्वस्त कर चल देता है। उसी प्रकार परब्रह्म भी इस अनन्त सृष्टि की रचना करता है, उसका पालन करता है और अंत में उसका संहारकर अपने स्वरूप में स्थित हो जाता है। यही उसकी क्रीडा है, यही उसका अभिनय है, यही उसका मनोविनोद है, यही उसकी निर्गुण-लीला है जिसमें हम उसकी लीला को तो देखते हैं, परन्तु उस लीलाकर्ता को नहीं देख पाते। भगवान की इन्हीं निर्गुण-लीला पर विस्मय-विमुग्ध होकर गोस्वामी तुलसीदासजी ने विनय-पत्रिका में लिखा है– केसव! कहि न जाइ का कहिए। देखत तव रचना विचित्र हरि! समुझि मनहिं मन रहिये।। परब्रह्म परमात्मा का प्रकृति के असंख्य ब्रह्माण्डों को बनाने-बिगाड़ने का यह अनवरत कार्य कब प्रारम्भ हुआ और कब तक चलेगा, यह कोई नहीं जान सकता। उनके लिए सृष्टि, पालन एवं संहार–तीनों प्रकार की लीलाएं समान हैं। जब प्रकृति में परमात्मा के संकल्प से विकासोन्मुख परिणाम होता है, तो उसे सृष्टि कहते हैं और जब विना