जब संभोग क्रिया संपादित करते समय शिशु को योनि में प्रवेश करते ही या योनि मुख पर रखते ही वीर्य स्खलित हो जाए तो इसे शीघ्रपतन कहा जाता है 1.30 मिनट से कम स्तंभन शक्ति रखने वाला व्यक्ति शीघ्रपतन का रोगी माना जा सकता है ऐसे पुरुष अपने संबंधित स्त्रियों की काम में क्षणों को तृप्त नहीं कर पाते है बार-बार ऐसा होने पर इसका अभ्यस्त हो जाने के कारण वह उसका कोई प्रभाव नहीं लेते और ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्हें कुछ हुआ ही नहीं इसरो की ओर ध्यान ना करना ऐसे लोगों की भारी भूल हो सकती है क्योंकि लगातार शीघ्रपतन होने से उनकी स्थिति बिगड़ पर किस सीमा तक आ सकती है कि वह पूर्ण नपुंसक बन जाते हैं इस समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों में वीर्य स्खलन के पश्चात से तुरंत ही ढीला पड़ जाता है तथा अगले 10 से 15 मिनट तक बेगुनाह संभोग करने के लिए तैयार नहीं हो पाते बल्कि कुछ लोग जो कई घंटों के पश्चात भी अपने इस कार्य में असमर्थ ही पाते हैं चाहे उनके साथी इस कार्य के लिए कितना तैयार कर ले स्त्रियों पर इसका प्रभाव क्योंकि शीघ्रपतन पोस्ट के लिए लज्जा की बात है जब स्त्री सहवास में आनंद प्राप्त करने ही लगती है कि पुरुष इस क्लिप हो जाता है ऐसी दशा में स्त्री की स्थिति बड़ी विचित्र हो जाती है उसे समझ में नहीं आता है कि क्या करें ऐसे पुरुष को वह अपने दे संपर्क करने पर ज्ञानी प्रतीत होने लगती है वह उसके लिए घोर अपमान की बात होती है ऐसा होने से उसकी भड़की हुई वासना शांत नहीं हो पाती तथा वह बीच में ही सुलगती अतृप्त रह जाती है ऐसा जब बार-बार होने लगता है तो उसके स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगता है इतना तनाव के कारण उसे हिस्टीरिया के दौरे पड़ने लगते हैं ल्यूकोरिया अधिक और अपूर्ण काम इच्छा काम शीतलता संभोग से खेड़ा जिला पंचायत का खराब रहना आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं बार-बार के अतिरिक्त वासना को शांत करने के लिए कई स्त्रियां गलत रास्ते की तलाश कर लेती है
शीघ्र पतन के कारण छोटी आयु से ही संभोग का आदी होना हस्तमैथुन गुदामैथुन जॉन विकृतियों से ग्रस्त होना उतावलापन से संभोग करना चाहिए या घबराहट में वातावरण में संभोग रथ होना संभोग के पश्चात तुरंत पेशाब करना नकली उत्तेजना उत्पन्न करके संभोग रथ होना माइली को शैली दुर्गंध वरप्रधा स्त्रियों से संभोग करना कामोत्तेजक चित्र चलचित्र अधिक देखना अश्लील साहित्य पढ़ना वासना में प्रेमा लाभ करना वीर्य वीर्य पतला होना स्वप्नदोष का होना वीर्य की अधिकता अत्यधिक वीर्य वर्धक वस्तुओं का प्रयोग करना वीर्य की गर्मी अधिक मैथुन करना कभी कभी शीघ्र स्खलित हो जाने पर स्त्रियों द्वारा छिड़क दिया जाना कामकला में अनाड़ी होना स्त्री की यौन अंगों का अधिकतम और उसको होना लिस्ट मुंडका अत्यधिक संवेदनशील होना मूत्र क्षेत्र का बड़ा होना मानसिक तनाव चिंता भय पेट में कीड़े मूत्राशय में रेप होना काम शीतल स्त्री से संभोग करना मूत्र मार्ग में और उसी में शुद्ध होना खटाई चाय काफी आदि का सीमा से अधिक प्रयोग करना कब्ज पैदा करने वाला भोजन खाना नशीले पदार्थों का लंबे समय तक सेवन करना शरीर का मोटापा आज शीघ्रपतन के मुख्य कारण है
? ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''। ''सौंदर्य लहरी''की महिमा ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ सौन्दर्य का
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