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कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि

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वेबसाइट पर प्रकाशित कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि लेख इस इस संदर्भ में मैं कहना चाहूंगा आने वाले समय में खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा ड्रोन के द्वारा दवाओं का छिड़काव कंप्यूटराइज ड्रिप आधारित प्रणाली रोग एवं कीटो का  त्वरित उपचार इत्यादि होगा श्रमिक भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रोबोट भी होंगे के द्वारा डेयरी उद्योग कृषि अन्य उद्योगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होगा दृष्टि डॉट कॉम इस संबंध में काफी अच्छा शोध पत्र प्रकाशित किया है आप लोग इसका अध्ययन कर सकते हैं


संदर्भ:

विश्व की आबादी के बढ़ने के साथ ही कृषि योग्य भूमि की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, ऐसे में लोगों को कृषि के संदर्भ में अधिक रचनात्मकता और कुशलता आर्जित करने की आवश्यकता है। इसके तहत कम भूमि के उपयोग से ही फसल की उपज और  उत्पादकता को बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देना होगा। भारत में स्वतंत्रता के बाद से ही कृषि सुधार के कई बड़े प्रयास के बावज़ूद आज भी यह क्षेत्र मानसून की अनिश्चितता, आधुनिक उपकरणों की कमी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। इस संदर्भ में जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा जैसी समस्याओं के बीच कृत्रिम बुद्धिमत्ता कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक हो सकती है। गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने ‘सामाजिक सशक्तिकरण के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिखर सम्मेलन-2020’ या रेज़-2020 (RAISE 2020) का उद्घाटन करते हुए कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा को सशक्त बनाने, अगली पीढ़ी के शहरी बुनियादी ढाँचे के विकास में कृत्रिम बुद्दिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने की बात कही थी।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) :   

  • कंप्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आशय किसी कंप्यूटर, रोबोट या अन्य मशीन द्वारा मनुष्यों के समान बुद्धिमत्ता के प्रदर्शन से है।
  • दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता किसी कंप्यूटर या मशीन द्वारा मानव मस्तिष्क के सामर्थ्य की नकल करने की क्षमता है, जिसमें उदाहरणों और अनुभवों से सीखना, वस्तुओं को पहचानना, भाषा को समझना और प्रतिक्रिया देना, निर्णय लेना, समस्याओं को हल करना तथा ऐसी ही अन्य क्षमताओं के संयोजन से मनुष्यों के समान ही कार्य कर पाने की क्षमता आदि शामिल है।  
  • वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष विज्ञान, रक्षा, परिवहन और कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।

कृषि क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियाँ:

  • पिछले दो दशकों के दौरान देश में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है, हालाँकि पर्याप्त संसाधनों, वैज्ञानिक परामर्श आदि की कमी के कारण कृषि क्षेत्र में फसलों की विविधता का अभाव रहा है।
  • जनसंख्या में हुई व्यापक वृद्धि के कारण देश के अधिकांश हिस्सों में कृषि जोत का आकार छोटा हुआ है, जिससे कृषि में किसी बड़े निवेश की संभावनाएँ भी कम हुई हैं।
  • कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये हानिकारक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग और कृषि संसाधनों के अनियंत्रित दोहन से मृदा उर्वरता में गिरावट देखी गई है।                

कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ी संभावनाएँ:

  • आपूर्ति शृंखला का संवर्द्धन: वर्तमान में वैश्विक कृषि उद्योग लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर का है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से फसलों के उत्पादन के साथ कीटों पर नियंत्रण, मृदा और फसल की वृद्धि की निगरानी, कृषि से जुड़े डेटा का प्रबंधन, कृषि से जुड़े अन्य कार्यों को आसान बनाने और कार्यभार को कम करने आदि के माध्यम से संपूर्ण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में व्यापक सुधार किया जा सकता है।
    • गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश में कृषि-खाद्य से जुड़े तकनीकी स्टार्ट-अप्स ने 133 सौदों के माध्यम से 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाया।
    • इसके साथ ही वर्ष 2019 में ही भारत के कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़कर 37.4 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। आपूर्ति शृंखला और बेहतर भंडारण तथा पैकेजिंग में निवेश के माध्यम से इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
  • विकास का अवसर: वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर कृषि में AI अनुप्रयोग का निवेश लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक 30% वृद्धि के साथ इसके 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
    • हालाँकि, इस परिदृश्य में, भारतीय कृषि-तकनीक बाज़ार, जिसका मूल्य वर्तमान में 204 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, अपनी कुल अनुमानित क्षमता 24% बिलियन अमेरिकी डॉलर के मात्र 1% स्तर तक ही पहुँच सका है।
  • विशाल कृषि डेटा संसाधन: भारत में मृदा के प्रकार, जलवायु और स्थलाकृति विविधता के कारण यहाँ से प्राप्त डेटा वैज्ञानिकों को कृषि के लिये अत्याधुनिक AI उपकरण तथा अन्य कृषि समाधान विकसित करने में सहायक होगा।  
    • भारतीय खेत और किसान न केवल भारत बल्कि विश्व में बड़े पैमाने पर एआई  समाधान बनाने में सहायता के लिये व्यापक और समृद्ध डेटा प्रदान करते हैं। और यह उन प्रमुख कारकों में से एक है जो भारतीय कृषि में एआई के लिये उपलब्ध अवसरों को अद्वितीय बनाता है।  

कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग:

  • कृषि डेटा का विश्लेषण: कृषि के विभिन्न घटकों में प्रतिदिन सैकड़ों और हज़ारों प्रकार के डेटा (जैसे-मृदा, उर्वरकों की प्रभाविकता, मौसम, कीटों या रोग से संबंधित देता आदि) उपलब्ध होते हैं। AI की सहायता से किसान प्रतिदिन वास्तविक समय में कई तरह  के डेटा (जैसे- मौसम की स्थिति, तापमान, पानी के उपयोग या अपने खेत से एकत्रित मिट्टी की स्थिति आदि) विश्लेषण और समस्याओं की पहचान कर बेहतर निर्णय ले सकेंगे।  
    • विश्व के विभिन्न हिस्सों में कृषि सटीकता में सुधार और उत्पादकता बढ़ाने के लिये किसानों द्वारा मौसम के पूर्वानुमान का मॉडल तैयार करने के लिये AI का उपयोग किया जा रहा है।   
  • कृषि में सटीकता: कृषि में अधिक सटीकता लाने हेतु पौधों में बीमारियों, कीटों और पोषण की कमी आदि का पता लगाने के लिये कृषि एआई तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
    • एआई सेंसर खरपतवारों की पहचान कर सकते हैं और फिर उनकी पहचान के आधार पर उपयुक्त खरपतवारनाशक का चुनाव कर उस क्षेत्र में सटीक मात्रा में खरपतवारनाशक का छिड़काव कर सकते हैं।     
    • यह प्रक्रिया कृषि में विषाक्त पदार्थों के अनावश्यक प्रयोग को सीमित करने में सहायता करती है, गौरतलब है कि फसलों में अत्यधिक कीटनाशक या खरपतवार नाशक के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य के साथ प्रकृति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।  
  • श्रमिक चुनौती का समाधान: कृषि आय में गिरावट के कारण इस क्षेत्र को श्रमिकों द्वारा बहुत ही कम प्राथमिकता दी जाती है, वस्तुतः कृषि क्षेत्र में कार्यबल की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। 
    • श्रमिकों की इस कमी को दूर करने में AI कृषि बाॅट्स  (AI Agriculture Bots) एक उपयुक्त समाधान हो सकते हैं। ये बाॅट मानव श्रमिकों के कार्यों में अतिरिक्त समर्थन प्रदान करते हैं और इन्हें कई प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है, उदाहरण के लिये: 
      • ये बॉट मानव मज़दूरों की तुलना में अधिक मात्रा में और तेज़ गति से फसलों की कटाई कर सकते हैं, ये अधिक सटीक रूप से खरपतवारों को पहचान कर उन्हें हटाने में सक्षम हैं तथा इनके प्रयोग के माध्यम से कृषि लागत में भारी कमी की जा सकती है।   
      • इसके अतिरिक्त, किसानों द्वारा कृषि से जुड़े परामर्श के लिये चैटबॉट की भी सहायता ली जा रही है। कृषि के लिये विशेषज्ञों की सहायता से बनाए गए ये विशेष चैटबॉट विभिन्न प्रकार के सवालों के जवाब देने में मदद करते हैं और विशिष्ट कृषि समस्याओं पर सलाह और सिफारिशें प्रदान करते हैं। 

सरकार के प्रयास: 

  • सरकार द्वारा किसानों को बेहतर परामर्श उपलब्ध कराने के लिये औद्योगिक क्षेत्र के साथ मिलकर एक ‘एआई-संचालित फसल उपज पूर्वानुमान मॉडल’ के विकास पर कार्य किया जा रहा है।
  • प्रणाली फसल उत्पादकता और मिट्टी की पैदावार बढ़ाने, कृषि निवेश के अपव्यय को रोकने तथा कीट या बीमारी के प्रकोप की भविष्यवाणी करने के लिये एआई-आधारित उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
  • इस प्रणाली में इसरो (ISRO) द्वारा प्रदान किये गए रिमोट सेंसिंग डेटा के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड के डेटा, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा मौसम की भविष्यवाणी,  मिट्टी की नमी और तापमान के विश्लेषण संबंधी डेटा का उपयोग किया जाता है।
  • इस परियोजना को असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 10 आकांक्षी ज़िलों में कार्यान्वित किया जा रहा 

निष्कर्ष: 

हाल ही में कृषि क्षेत्र में हुए बड़े सुधारों के परिणामस्वरूप भविष्य में अनुबंध कृषि में बेहतर निवेश के साथ बेहतर पैदावार और उत्पादकता के लिये कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के प्रसार की भी संभावनाएँ है। इन प्रयासों के माध्यम से कृषि में AI को अपनाए जाने की पहलों को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, इन AI समाधानों के विकास के लिये सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों से निवेश की आवश्यकता होगी।  

इस संदर्भ में,  हाल ही में संपन्न हुए RAISE-2020 शिखर सम्मेलन ने सार्वजनिक हितों के तहत AI प्रयोग के रोडमैप को अंतिम रूप देने हेतु वैश्विक हितधारकों को साथ लाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान कियाहै।https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-editorials/artificial-intelligence-agriculture

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