https://youtu.be/GFm172Z8fEoभारतीय अध्यात्म की भगवान शिव के द्वारा रचित विज्ञान भैरव तंत्र में काम ऊर्जा द्वारा कुंडली ऊर्जा को जागृत करने की विधि बताई गई है ध्यान की 112 विधियों में एक विधि भी है अभी भी उन लोगों के लिए सर्वोत्तम है जो दैनिक जीवन में ज्यादा कामुक होते हैं जिनकी कुंडली उर्जा मूल आधार पर स्थित होती है वह लोग काम ऊर्जा होश पूर्वक का प्रयोग कर अपनी कुंडली को सहस्त्रार तक पहुंचा सकते हैं के संबंध में प्रख्यात दार्शनिक आचार्य रजनीश ने संभोग से समाधि की ओर एक पुस्तक लिखी है जिसका लोगों ने गलत अर्थ लगा लिया काम ऊर्जा और कामवासना में अंतर होता है काम ऊर्जा एक क्रिएटिव एनर्जी है जबकि कामवासना स्त्री या पुरुष के शरीर के प्रति आसक्ति काम ऊर्जा स्वयं के भीतर से उठती है और जो आनंद के रूप में महसूस होती है जिसे आत्मानंद या परमानंद कहते हैं क्योंकि हमारा मन सूक्ष्म गतिविधियों से प्रोग्राम होता है आता हम अपने भीतर को ही नहीं बाहरी शरीर को ही आनंद का स्रोत मान लेते हैं जबकि शरीर एक माध्यम है जो क्वांटम प्रोग्राम की तरह से चित रूपी चिप के द्वारा संचालित होती है असली आनंद आत्मा का होता है संभोग के समय ऊर्जा थोड़े समय के लिए रूपांतरित होती है और समस्त चक्रों को भेद कर ऊपर की ओर गमन करती है पता हमें आनंद की अनुभूति होती है स्त्री पुरुष का संभोग यदि मन के तल पर और आत्मा के तल पर हो तो यह मुक्ति का भी साधन बन सकता है आप समाधि में भी जा सकते हैं इसके संबंध में एक वीडियो क्वेश्चन वर्ड द्वारा बनाई गई है इसमें डिटेल रूप से दिया गया है जो आप समझ सकते हैं latest news
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