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उपदेवता गन्धर्व

-----------------:उपदेवता गन्धर्व:----------------- *********************************** यक्ष के बाद गन्धर्व का नाम आता है। इनके शरीर का रंग हल्का सिन्दूरी होता है। गन्धर्व भी यक्षों की राजसी प्रवृत्ति के होते हैं। इनका भी क्रीड़ा-क्षेत्र हिमालय है। इनका भी शरीर यक्षों की तरह सुगठित और लम्बा होता है। ऑंखें मोर जैसी होती हैं जो किसी को भी सम्मोहित कर सकने में समर्थ होती हैं। नाक तोते की तरह नुकीली और कान बड़े-बड़े होते हैं। भिन्न भिन्न प्रकार के रत्नजड़ित स्वर्णाभूषण इनको प्रिय हैं। आभूषणों से रूप-सौंदर्य और भी निखर उठता है इनका। सिर के बाल घने और काले होते हैं जो पीठ पर बिखरे रहते हैं। सिर पर रत्नजड़ित नीले रेशमी वस्त्र की गोल पगड़ी भी बांधते हैं जिसमें आगे की ओर बड़ा सा मोर पंख लगा रहता है। ये भगवान शिव के भक्त होते हैं। मस्तक पर त्रिपुण्ड धारण किये रहते हैं। गन्धर्व कन्यायें भी अति सुन्दर होती हैं।इनका व्यक्तित्व अत्यन्त मोहक और आकर्षक होता है। ये भी रत्नजड़ित आभूषण धारण करती हैं। नृत्य और गायन कला में निपुण होती हैं गन्धर्व कन्यायें। जहाँ भी नृत्य और गायन का आयोजन होता है, वहां ये उपस्थ