सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वैज्ञानिकों ने विकसित किया इलेक्ट्रॉनिक पौधा, विज्ञान के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत

लंदन:  वैज्ञानिकों ने पौधे के संवहन तंत्र में सर्किट लगाकर एक इलेक्ट्रॉनिक पौधे का निर्माण किया है। इससे विज्ञान के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत हो सकती है। //--> //--> स्वीडन के लिकोंपिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के दल ने पौधों के अंदर लगाए गए तारों, डिजिटल लॉजिक और प्रदर्शनकारी तत्वों को दिखाया गया है, जो आर्गेनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के नए अनुप्रयोगों और वनस्पति विज्ञान में नए उपकरण विकसित करने में मददगार हो सकते हैं। उमीआ प्लांट साइंस सेंटर के निदेशक और प्लांट रिप्रोडक्शन बायलॉजी के प्रोफेसर ओव निल्सन ने कहा, इससे पहले वैज्ञानिकों के पास जीवित पौधे में विभिन्न अणुओं के सकेंद्रण को मापने के लिए कोई अच्छा उपकरण नहीं था, लेकिन इस शोध के बाद हम पौधों का विकास करने वाले उन विभिन्न पदार्थो की मात्रा को प्रभावित करने में सक्षम हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, पौधों में रासायनिक मार्गो पर नियंत्रण से प्रकाश संश्लेषण आधारित ईंधन सेल, सेंसर्स (ज्ञानेंद्रियों) और वृद्धि नियामकों के लिए रास्ता खुल सकता है। इसके साथ ही ऐसे उपकरण भी तैयार किए जा सकते हैं, जो पौधों की आंतरिक क्रियाओं को व्यवस्थि

घर बैठे चला रहे हैं अपना 'चैनल'

मुख्य रूप से वीडियो देखने और मनोरंजन का साधन मानी जाने वाली यूट्यूब वेबसाइट का इस्तेमाल अब शिक्षा के प्रचार प्रसार में भी हो रहा है. खाना बनाना, गीत संगीत से लेकर सिलाई कढ़ाई तक के कामों को आप वीडियो देख कर ऑनलाईन सीख सकते हैं. यूट्यूब के माध्यम से लोगों के मोबाईल पर पहुंच कर, कुछ 'शिक्षक' न सिर्फ़ आधारभूत शिक्षा ही दे रहे हैं बल्कि एक बेरोज़गार को रोज़गार भी दिला रहे हैं. एग्ज़ाम फ़ीवर Image copyright sangathan palghar school यू-ट्यूब पर ज़्यादातर वीडियो मनोरंजन आधारित होते हैं लेकिन शिक्षाप्रद वीडियो भी अब यहां आपको नज़र आने लगे होंगे. ये वीडियो लोगों को सिर्फ़ शिक्षित ही नहीं कर रहे बल्कि उनको बेहतर स्किल भी दे रहे हैं और ऐसे ही कुछ नि:शुल्क यू-ट्यूब वीडियो चैनल आजकल लोकप्रिय हो रहे हैं. ऐसा ही एक चैनल है 'एग्ज़ाम फ़ीवर' जिसे रोशनी मुखर्जी चलाती हैं और इस चैनल के 83 हज़ार सब्सक्राइबर हैं. झारखंड के धनबाद ज़िले में पली-बढ़ी रोशनी मुखर्जी को बचपन से ही पढ़ाई से लगाव था और बैंगलूरू की एक आई टी कंपनी में विश्लेषक के तौर पर काम कर रही रोशनी ने 2011 में य

डायरेक्टर्स ऑफ बोर्ड की बैठक में 2025 तक रोबोट भी ले सकता है हिस्सा

नई दिल्ली : विज्ञान कथाओं के दायरे से निकलकर अब रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनें कॉरपोरेट निदेशक मंडल में जगह पा सकती हैं। इसके अलावा बहुत उम्मीद है कि पहले रोबोटिक फार्मासिस्ट, 3डी-प्रिंटेड कार और इंप्लांटेबल मोबाइल फोन समेत 11 नई आधुनिक प्रौद्योगिकी 2015 में वास्तविकता बन सकती है। विश्व आर्थिक मंच के साफ्टवेयर एवं समाज के भविष्य पर वैश्विक एजेंडा परिषद द्वारा किए गए 800 कार्यकारियों के सर्वेक्षण में कहा गया ‘करीब आधे उत्तरदाताओं को उम्मीद है कि पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन किसी कंपनी के निदेशक मंडल में 2025 तक होगी जबकि पहला 3डी-प्रिंटेड लीवर 2024 तक प्रवेश करेगा।’ इस सर्वेक्षण में कहा गया कि विश्व क्रांतिकारी बदलाव के दौर से गुजर रहा है और नयी प्रौद्येागिकी जल्दी ही वास्तविकता बन जाएगी जो कुछ साल पहले तक विज्ञान कथाओं तक सीमित थी। सर्वेक्षण में शामिल 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि 2025 तक कम से कम 10 प्रतिशत लोग इंटरनेट से जुड़े कपड़े पहनेंगे। 75 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अमेरिका में पहला रोबोट फार्मासिस्ट होगा जबकि 63 प्रतिशत का मानना है कि पहला ट्रैफिक लाइट मु

75 वर्ष से हवा के दम पर जिंदा प्रहलाद जानी

गुजरात के मेहसाणा जिले में रह रहे 83 वर्षीय प्रहलादजानी उर्फ माताजी चुनरी वाले (पुरुष साधक) पिछले 75 साल से बिना कुछ खाए-पिए रहने तथा दैनिक क्रियाओं को भी योग की शक्ति से रोक देने की वजह से चिकित्सा विज्ञान के लिए एक चुनौती बन गए हैं। इस वक्त उनकी उम्र 83 वर्ष है। प्रहलाद जानी स्वयं कहते हैं कि यह तो दुर्गा माता का वरदान हैं, 'मैं जब 12 साल का था, तब कुछ साधू मेरे पास आए। कहा, हमारे साथ चलो, लेकिन मैंने मना कर दिया। करीब छह महीने बाद देवी जैसी तीन कन्याएं मेरे पास आयीं और मेरी जीभ पर अंगुली रखी। तब से ले कर आज तक मुझे न तो प्यास लगती है और न भूख।'   चराड़ा गांव निवासी प्रहलाद भाई जानी कक्षा तीन तक पढे़ लिखे हैं। जानी का दावा है कि दैवीय कृपा तथा योग साधना के बल पर वे करीब 75 वर्ष से बिना कुछ खाए पिए-जिंदा हैं।      मल मूत्र भी नहीं बनता :  इतना ही नहीं मल-मूत्र त्यागने जैसी दैनिक क्रियाओं को योग के जरिए उन्होंने रोक रखा है। स्टर्लिंग अस्पताल के न्यूरोफिजिशियन डॉ. सुधीर शाह बताते हैं कि जानी के ब्लैडर में मूत्र बनता है, लेकिन कहां गायब हो जाता है इसका पता करने म

तो क्या रोबोट भी हो जाएंगे धार्मिक..?

वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या कृत्रिम बुद्धि से बने एंड्रॉयड्‍स (रोबो) भी धार्मिक हो सकते हैं। उनका कहना है कि संभव है कि एक दिन रोबो की कोई धर्म अपना लें और इसका अर्थ है कि वे मानवता की सेवा कर सकते हैं और इसे नष्ट करने की कोशिश नहीं करेंगे। लेकिन इसका उल्टा भी सच हो सकता है और संभव है कि धार्मिक होने से उनकी ताकत में बढ़ोतरी हो जाए। मैसाचुसेट्‍स इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के मर्विन मिंस्की का कहना है कि किसी दिन कम्प्यूटर्स भी नीति शास्त्र को विकसित कर सकते हैं, लेकिन इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि इन मशीनों को लेकर सारी दुनिया में धार्मिक संघर्ष भी पैदा हो सकता है।     डेलीमेल डॉटकॉम के लिए एल्ली जोल्फागारीफार्ड का कहना है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि कृत्रिम बुद्धि (आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस) दशकों की अपेक्षा वर्षों में एक वास्तविकता हो सकती है। हाल ही में एलन मस्क ने चेतावनी दी है कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस मनुष्यता के लिए परमाणु हथियारों की तरह से घातक हो सकती है। डेलीमेल डॉटकॉम में डिलन लव ने हाल ही में एक सारगर्भित रिपोर्ट पेश की थी जि

टेलीपैथी' तकनीक पर काम रहा है फेसबुक

मल्‍टीमीडिया डेस्‍क।  क्‍या हो, यदि आप अपने फेसबुक पेज की वॉल पर कुछ पोस्‍ट करने के बारे में सोचे यह वह आपके टाइप किए बगैर ही पोस्‍ट हो जाए। यह हवा-हवाई बात नहीं है, बल्कि फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जकरबर्ग की योजना का हिस्‍सा है। वो एक नई तकनीक पर काम कर रहे हैं। दरअसल मार्क फेसबुक को टेलीपैथी से जोड़ना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि लोगों को अपने फेसबुक पेज पर कुछ भी पोस्‍ट करने, लाइक करने या शेयर करने के लिए कम्‍प्‍यूटर, लैपटॉप, स्‍मार्टफोन या टैबलेट की जरूरत ही न पड़े। यह सब केवल सोचने से हो जाए। मार्क अपने फेसबुक पेज पर नियमित रूप से लोगों के सवालों के जवाब देते हैं। हाल ही में उनसे एक सवाल पूछा गया कि भविष्‍य का फेसबुक कैसा होगा। इस पर उन्‍होंने अपनी टेलीपैथी योजना के बारे में बताया। मार्क के मुताबिक वो चाहते हैं कि लोग अपनी भावनाओं को टेलीपैथी के जरिए फेसबुक पर शेयर कर सकें। इसके लिए काफी उन्‍नत तकनीक की जरूरत पड़ेगी, जिस पर कंपनी रिसर्च कर रही है। उन्‍होंने बताया कि इसके लिए अत्‍यधिक उन्‍नत तकनीक के साथ ही खास किस्‍म के डिवाइसेस की जरूरत भी पड़ेगी, जो इंसानी भावनाओं तथ

बेंगलुरू में बन रहा ऐसा रोबोट, 'मां' जैसा रखेगा ख्याल

बेंगलुरू।  जिस तरह मां अपने बच्चे का पूरा ख्याल रखती है, उसी तरह भारत में अनोखा रोबोट बन रहा है, जो अपने मालिक की हर जरूरत को पूरा करेगा। बेंगलुरू स्थित तकनीकी फर्म नोशन इंक ने इस 'मदर' रोबोट को ईव नाम दिया है। यह 2018 से बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। इसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस होगी, यानी यह अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकेगा। कंपनी के सीईओ रोशन श्रवण के अनुसार, ईव में मातृत्व का भाव है। ऐसा होगा यह अनोखा रोबोट ईव का आकार गोल और वजन करीब 100 ग्राम है। यह मशीन 15 मिनट तक उड़ान भरकर 2 किमी दूरी तय करने की क्षमता रखती है। आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस की मदद से यह इनसानों की तरह रोज-रोज के कामों और संदर्भों को समझ सकता है। आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस का फायदा यह होगा कि आम इनसान भी इस मशीन से बात करके अपनी जरूरत के अनुसार एप्लिकेशन बना सकेंगे। उन्हें लंबे प्रोग्राम लिखने की जरूरत नहीं होगी। कंप्युटर के साथ बात करने की कोडिंग की समस्याएं यहां हल कर ली गई हैं। डिवाइस में इसके मालिक के जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी होगी, लेकिन इसे कहीं साझा नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह मशीन किसी स

तकनीकी का जादू

sabhar /www.youtube.com

बुढ़ापे का इलाज रोबॉट्स टेक्नॉलजी

50 सालों में रोबॉट्स से सेक्स करने लगेंगे इंसान, प्यार में भी पड़ सकते हैं: एक्सपर्ट इंसान  जल्द ही रोबॉट्स के साथ यौन संबंध बना सकेंगे। यह दावा एक वैज्ञानिक ने किया है। उनका कहना है कि आने वाले 50 सालों के अंदर रोबॉट से सेक्स हकीकत बन जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ संडरलैंड से ताल्लुक रखने वालीं डॉक्टर हेलन ड्रिस्कल ने कहा कि टेक्नॉलजी अडवांस होने से मशीनों के साथ हमारे इंटरैक्ट करने का तरीका भी बदल जाएगा। सेक्स की साइकॉलजी और रिलेशनशिप का ज्ञान रखने वालीं डॉक्टर ड्रिस्कल ने कहा, 'सेक्स टेक्नॉलजी तेजी से प्रगति कर रही है और 2070 तक शारीरिक रिश्ते बनने लगेंगे।' डॉक्टर ने कहा, 'आप अभी से ही ऑनलाइन एक इंसान जैसे सेक्स टॉय को ऑर्डर कर सकते हैं। आने वाले सालों में रोबॉटिक, मोशन सेसिंग और इंटरैक्टिव टेक्नॉलजी और बेहतर हो जाएगी। इस टेक्नॉलजी की मदद से ये पुतलों जैसे सेक्स टॉय जिंदा हो जाएंगे।' डॉक्टर ड्रिस्कल ने कहा, 'हो सकता है कि लोग अपने वर्चुअल रिऐलिटी पार्टनर्स से मोहब्बत करने लगें।' गौरतलब है कि हाल ही में आई फिल्म 'हर' (Her) में भी इस विषय को उठाया गया थ

अंतरिक्ष में मिला 'घोस्ट पार्टिकल', एलियन्स के होने का सबूत

ज़ी मीडिया ब्यूरो लंदन :   शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष से जुटाए गए मलबे में एक छाया की तरह का 'घोस्ट पार्टिकल' खोजा है, इससे अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी की संभावना बढ़ गई है। बकिंघम एवं शेफील्ड यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोबॉयलोजी केंद्र के शोधकर्ताओं ने एक छोटा सा अंश खोजा है और इसका नाम उन्होंने 'लिविग बैलून' दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका उपयोग कभी एलियन के सूक्ष्म शारीरिक बनावट को ले जाने के लिए किया गया होगा। शोधकर्ताओं का दावा है कि 'घोस्ट पार्टिकल' यह साफ इशारा करता है कि अंतरिक्ष में एलियन की मौजूदगी है। शोधकर्ता मिल्टन वेनराइट को कहना है कि ढूंढा गया पार्टिकल जाली वाले दुपट्टे से मिलता-जूलता है जिसकी चौड़ाई मनुष्य के बाल जैसी है। इसे पृथ्वी के समताप मंडल (स्ट्रेटस्फीयर) के 27 किलोमीटर ऊपर पाया गया। यह पार्टिकल अपने प्रकृति में जैविक है औऱ यह कार्बन एवं ऑक्सीजन से बना है।   वेनराइट के मुताबिक वे इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि इस अंतरिक्ष के वातावरण में यह 'घोस्ट पार्टिकल' एक 'लिविंग बैलून' है जिसे एक एलियन एक जगह से दूसरे ज

मिला हमेशा जवान रहने का नुस्खा

एक प्रोफेसर का दावा है कि उसने दक्षिण जापान के लोगों की लंबी उम्र का राज ढूंढ निकाला है. यह राज एक खास पौधे के अर्क में छुपा है, जिसे स्थानीय लोग "गेटो" के नाम से जानते हैं. ओकिनावा की रियूक्यूस यूनिवर्सिटी में कृषि विज्ञान के प्रोफेसर शिंकिचि तवाडा ने दक्षिण जापान के लोगों की लंबी उम्र का राज ढूंढ निकाला है. तवाडा को विश्वास है कि गहरे पीले-भूरे से रंग का दिखने वाला एक खास पौधे "गेटो" का अर्क इंसान की उम्र 20 फीसदी तक बढ़ा सकता है. तवाडा कहते हैं, "ओकिनावा में कई दशक से  लंबी उम्र तक जीने का दर  दुनिया में सबसे ज्यादा रहा है और मुझे लगता है कि इसका कारण जरूर यहां के परंपरागत खान पान में ही छुपा है." काइको उहारा 64 साल की हैं लेकिन अपनी उम्र से कहीं कम की दिखती हैं. इसका राज वह गेटो को बताती हैं. काइको अपनी दुकान में ऐसे सौंदर्य उत्पाद भी बेचती हैं जिनमें गेटो ही मुख्य घटक होता है, "मैं गेटो का काढ़ा पीती हूं, जो मुझे तरो ताजा कर देता है, और मैं इस पौधे के अर्क को पानी में घोल कर लगाती हूं जिससे झुर्रियां भी कम होती हैं." दक्षिण जाप

जब सबको पता होगा हमारे बारे में

कल्पना कीजिए एक दुनिया की जहां निजता जैसी कोई चीज नहीं होगी. मच्छर के साइज का एक रोबोट आए और बिना किसी अदालती आदेश के आपका डीएनए चुरा ले जाए. ऐसा कुछ सच होने वाला है. शुरुआत हो चुकी है. आप खरीदारी के लिए जाएं और दुकानों को पहले से ही पता हो कि आपकी खरीदने की आदतें कैसी हैं. भविष्य की दुनिया की ऐसी कई तस्वीरें हार्वर्ड के कुछ प्रोफेसरों ने दावोस के विश्व आर्थिक फोरम में खींची. यहां दुनिया भर से आए राजनीतिक और आर्थिक जगत के चोटी के प्रतिनिधियों को बताया गया कि अब व्यक्तिगत निजता जैसी कोई धारणा नहीं रही. हार्वर्ड के कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर मार्गो सेल्टजर ने कहा, "आपका आज में स्वागत है. हम उस दुनिया में पहुंच चुके हैं. जिस निजता को हम अब तक जानते आए हैं, वह अब संभव नहीं है." जेनेटिक्स के क्षेत्र में शोध करने वाले एक अन्य हार्वर्ड प्रोफेसर सोफिया रूस्थ ने कहा कि इंसान की व्यक्तिगत जेनेटिक सूचना का सार्वजनिक क्षेत्र में जाना अब अपरिहार्य हो गया है. रूस्थ ने बताया कि खुफिया एजेंटों को विदेशी राजनेताओं की जेनेटिक जानकारी चुराने को कहा जा रहा है ताकि उनकी बीमारियों और जिं

मंगल पर 'एलियन की जांघ की हड्डी' धरती से बाहर जीवन का सबूत?

लंदन नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर को मंगल की सतह पर अकेले चक्कर काटते हुए 2 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। हाल ही में इस रोवर द्वारा खींची गई एक तस्वीर से एलियन्स के वजूद में यकीन रखने वाले बेहद उत्साहित हैं। उन्हें मंगल की सतह पर कुछ ऐसा दिखा है, जिसे वे इस बात का सबूत बता रहे हैं कि हमारे अलावा इस ब्रह्मांड में कोई और भी है। मंगल की सतह पर कुछ ऐसा दिखा है, जिसे 'एलियन की जांघ की हड्डी' बताया जा रहा है।  एलियन की तलाश और उनकी मौजूदगी को साबित करने की कोशिश में नई-नई थिअरीज पेश करने वाले लोग नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर की खींची इस तस्वीर के आधार पर दावा कर रहे हैं कि मंगल ग्रह पर भी किसी वक्त जीवन रहा होगा। उनका दावा है कि रोवर के मैस्टकैम से 14 अगस्त को ली गई इस तस्वीर से साफ होता है कि किसी वक्त मंगल की सतह पर बड़े जानवर और शायद डायनॉसॉर तक घूमा करते थे। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि हडड  'नॉर्दर्न वॉइसेज ऑनलाइन' नाम के पोर्टल पर एक अज्ञात शख्स ने लिखा है, 'इस तस्वीर में दिख रही हड्डी से साफ होता है कि मंगल पर किसी वक्त कुछ तो रहता था।&#

ऐसे आप खुद बिजली पैदा कर सकेंगे

वैज्ञानिकों ने विश्व के सबसे पतले इलेक्ट्रिक जेनरेटर का किया एक्सपेरिमेंट पीटीआई, न्यू यॉर्क अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने सबसे दुबला जेनरेटर विकसित किया है, जो देखने में ट्रांसपैरेंट, बेहद हल्का, मोड़ा जा सकनेवाला और खींचकर लंबा किए जा सकने की क्षमता से लैस होगा। कोलंबिया इंजीनियरिंग ऐंड जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के रिसर्चर्स ने इसे पीजोइलेक्ट्रिसिटी नाम दिया है और पहली बार इसका एक्सपेरिमेंटल ऑब्जर्वेशन किया है। ये कमाल है मॉलेब्डेनम डाइसल्फाइड (MoS2) का। वैज्ञानिकों ने इसे एटॉमिक रूप से बेहद पतले मैटीरियल में डाला और इसका पीजोट्रॉनिक इफेक्ट देखा। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये एक विशेष तरह के इलेक्ट्रिक जनरेटर की तरह काम कर रहा है। रिसर्चर्स ने पावर प्रोडक्शन कर इसका डिमॉन्सट्रेशन भी किया। क्या है पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट एक खास बात और इस जेनरेटर में कि पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट को इससे पहले केवल थिऑरिटिकली ही समझा गया था। पीजोइलेक्ट्रिसिटी एक ऐसा इफेक्ट है, जिसमें किसी मैटीरियल को खींचने या दबाने से बिजली पैदा होती है। इस प्रयोग से मॉलेब्डेनम डाइसल्फाइड की खासियत का

2014 में साइंस' के टॉप 10 आविष्कार

साइंस पत्रिका ने साल 2014 में सामने आईं ढेरों नई खोजों और आविष्कारों में से चुनी हैं ये 10 खास चीजें. इसमें चूहों में मिले चिरयौवन के राज से लेकर डायनासोर से जुड़े खुलासे शामिल हैं. चांद पर पहला कदम रखने जैसा बड़ा कदम साल 2014 की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि रही यूरोपीय स्पेस एजेंसी के रोजेटा मिशन के नाम. 12 नवंबर को रोजेटा मिशन में ऑर्बिटर फिले को कॉमेट 67पी/चूरियूमोव-गेरासिमेंको पर सफलतापूर्वक लैंड कराया गया. फिले पर कुल 20 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो वहां धरती पर जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड की रचना से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं. इंसानों की बनाई सबसे पहली पेंटिंग अक्टूबर 2014 में साइंस में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में चूना पत्थर की गुफा में करीब 40,000 साल पुरानी पेंटिंग मिली है. इसे मानव इतिहास की सबसे पुरानी पेंटिंग माना जा रहा है. इससे पहले तक सबसे पुरानी पेंटिंग यूरोप में मिली मानी जाती थी. पहला सेमी-सिंथेटिक जीव कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक बैक्टीरिया ई. कोलाई के डीएनए को बढ़ाने में सफलता

पहला मेंढक जो अंडे नहीं बच्चे देता है

वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके