साइंस पत्रिका ने साल 2014 में सामने आईं ढेरों नई खोजों और आविष्कारों में से चुनी हैं ये 10 खास चीजें. इसमें चूहों में मिले चिरयौवन के राज से लेकर डायनासोर से जुड़े खुलासे शामिल हैं.

चांद पर पहला कदम रखने जैसा बड़ा कदम
साल 2014 की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि रही यूरोपीय स्पेस एजेंसी के रोजेटा मिशन के नाम. 12 नवंबर को रोजेटा मिशन में ऑर्बिटर फिले को कॉमेट 67पी/चूरियूमोव-गेरासिमेंको पर सफलतापूर्वक लैंड कराया गया. फिले पर कुल 20 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो वहां धरती पर जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड की रचना से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं.

इंसानों की बनाई सबसे पहली पेंटिंग
अक्टूबर 2014 में साइंस में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में चूना पत्थर की गुफा में करीब 40,000 साल पुरानी पेंटिंग मिली है. इसे मानव इतिहास की सबसे पुरानी पेंटिंग माना जा रहा है. इससे पहले तक सबसे पुरानी पेंटिंग यूरोप में मिली मानी जाती थी.

पहला सेमी-सिंथेटिक जीव
कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक बैक्टीरिया ई. कोलाई के डीएनए को बढ़ाने में सफलता पाई. उन्होंने एक सूक्ष्मजीव के डीएनए में दो सिंथेटिक बेस पेयर जोड़ने में कामयाबी पाई. यह बेस पेयर जेनेटिक्स की दुनिया के अक्षर जैसे हैं जिनके क्रम से ही किसी जीव के लक्षण बनते हैं. इस प्रयोग के माध्यम से उन्होंने एक जीते जागते जीव के जीनोटाइप में परिवर्तन ला दिया.

डायनासोर से चिड़िया
कई रिसर्चरों ने चिड़ियों और डायनासोरों के बीच संबंधों पर काम किया. ऐसी एक खोज में पाया गया कि जैसे जैसे डायनासोरों में हल्की हड्डियां विकसित होने लगीं, वे खाना और आश्रय ढूंढने में बेहतर होने लगे. विकास के क्रम में आगे चलकर पंख विकसित हुए और वे उड़ कर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने लगे और इस तरह पक्षी बने.

डायबिटीज का इलाज
रिसर्चरों ने ऐसी थेरेपी विकसित की जिसमें इंसुलिन पैदा कर सकने वाली बीटा कोशिकाओं का पुनर्निर्माण किया जा सके. बीटा कोशिकाएं ही इंसान के पैंक्रियाज य अग्नाशय में पर्याप्त इंसुलिन पैदा करवाती हैं जिससे ब्लड शुगर का स्तर सामान्य बना रहे. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में बीटा कोशिकाएं नहीं पाई जातीं और इसीलिए उन्हें इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. इस खोज से डायबिटीज का इलाज मिलने की उम्मीद जगी है.

चिरयौवन का स्रोत
रिसर्चरों ने एक युवा चूहों के रक्त से जीडीएफ11 नाम का एक प्रोटीन अलग किया और उसे बूढ़े चूहों में इंजेक्ट कर दिया. नतीजे चौंकाने वाले थे. बूढ़े चूहों में मांसपेशियों और मस्तिष्क का फिर से विकास होने लगा. इस तरह रक्त और प्लाज्मा की मदद से वैज्ञानिक चूहों में याददाश्त को सुधारने में सफल रहे. अब इस तरह के परीक्षण किए जा रहे हैं जिससे रक्त प्लाज्मा ट्रीटमेंट कर अल्जाइमर्स जैसी बीमारियां रोकी जा सके.

मस्तिष्क की प्रोग्रामिंग
2014 में ऑप्टोजेनेटिक्स के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई. रिसर्चरों ने अनुवांशिक रूप से बदले गए खास चूहों के दिमाग में लेजर लाइटों की बीम फेंक कर उनकी बुरी यादों को अच्छी यादों में बदल दिया. अब स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिक इस तरीके का इस्तेमाल कर कई तरह की दिमागी परेशानियों को दूर करने के उपाय खोज रहे हैं.

कंप्यूटर चिप में इंसानी दिमाग के गुण
आईबीएम के इंजीनियरों ने न्यूरोमॉर्फिक चिप्स बनाने में कामयाबी पाई, जो इंसानी दिमाग की नकल कर सकने वाली एक सेमीकंडक्टर डिवाइस होती है. ट्रूनॉर्थ नाम की एक नई तरह की चिप पैटर्नस् को पहचानने और अलग तरह की चीजों के बीच भेद कर पाने में बहुत अच्छी साबित हुई है.

रेंगने वाले रोबोट
कई कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने रोबोटों में 'स्वॉर्म इंटेलिजेंस' को बेहतर बनाने पर काम किया है. इसका अर्थ है बिना इंसानी मदद के कई सारे रोबोटों के बीच एक दूसरे के साथ मिलकर कुछ बना पाने की क्षमता.

छात्रों के सैटेलाइट
इस तस्वीर में छात्र अपने खुद बनाई मिनी-सैटेलाइट पर काम पूरा कर रहे हैं. साल 2014 में ही करीब 75 ऐसी सैटेलाइटों को धरती के पास वाले ऑर्बिट में भेजा गया. इनमें से हर सैटेलाइट किसी खास शोध को करने में बहुत अच्छी रही लेकिन इनमें बहुत सारे उपकरणों को लगाने की संभावना नहीं.
sabhar : http://www.dw.de/
चांद पर पहला कदम रखने जैसा बड़ा कदम
साल 2014 की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि रही यूरोपीय स्पेस एजेंसी के रोजेटा मिशन के नाम. 12 नवंबर को रोजेटा मिशन में ऑर्बिटर फिले को कॉमेट 67पी/चूरियूमोव-गेरासिमेंको पर सफलतापूर्वक लैंड कराया गया. फिले पर कुल 20 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो वहां धरती पर जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड की रचना से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं.
इंसानों की बनाई सबसे पहली पेंटिंग
अक्टूबर 2014 में साइंस में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में चूना पत्थर की गुफा में करीब 40,000 साल पुरानी पेंटिंग मिली है. इसे मानव इतिहास की सबसे पुरानी पेंटिंग माना जा रहा है. इससे पहले तक सबसे पुरानी पेंटिंग यूरोप में मिली मानी जाती थी.
पहला सेमी-सिंथेटिक जीव
कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक बैक्टीरिया ई. कोलाई के डीएनए को बढ़ाने में सफलता पाई. उन्होंने एक सूक्ष्मजीव के डीएनए में दो सिंथेटिक बेस पेयर जोड़ने में कामयाबी पाई. यह बेस पेयर जेनेटिक्स की दुनिया के अक्षर जैसे हैं जिनके क्रम से ही किसी जीव के लक्षण बनते हैं. इस प्रयोग के माध्यम से उन्होंने एक जीते जागते जीव के जीनोटाइप में परिवर्तन ला दिया.
डायनासोर से चिड़िया
कई रिसर्चरों ने चिड़ियों और डायनासोरों के बीच संबंधों पर काम किया. ऐसी एक खोज में पाया गया कि जैसे जैसे डायनासोरों में हल्की हड्डियां विकसित होने लगीं, वे खाना और आश्रय ढूंढने में बेहतर होने लगे. विकास के क्रम में आगे चलकर पंख विकसित हुए और वे उड़ कर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने लगे और इस तरह पक्षी बने.
डायबिटीज का इलाज
रिसर्चरों ने ऐसी थेरेपी विकसित की जिसमें इंसुलिन पैदा कर सकने वाली बीटा कोशिकाओं का पुनर्निर्माण किया जा सके. बीटा कोशिकाएं ही इंसान के पैंक्रियाज य अग्नाशय में पर्याप्त इंसुलिन पैदा करवाती हैं जिससे ब्लड शुगर का स्तर सामान्य बना रहे. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में बीटा कोशिकाएं नहीं पाई जातीं और इसीलिए उन्हें इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. इस खोज से डायबिटीज का इलाज मिलने की उम्मीद जगी है.
चिरयौवन का स्रोत
रिसर्चरों ने एक युवा चूहों के रक्त से जीडीएफ11 नाम का एक प्रोटीन अलग किया और उसे बूढ़े चूहों में इंजेक्ट कर दिया. नतीजे चौंकाने वाले थे. बूढ़े चूहों में मांसपेशियों और मस्तिष्क का फिर से विकास होने लगा. इस तरह रक्त और प्लाज्मा की मदद से वैज्ञानिक चूहों में याददाश्त को सुधारने में सफल रहे. अब इस तरह के परीक्षण किए जा रहे हैं जिससे रक्त प्लाज्मा ट्रीटमेंट कर अल्जाइमर्स जैसी बीमारियां रोकी जा सके.
मस्तिष्क की प्रोग्रामिंग
2014 में ऑप्टोजेनेटिक्स के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई. रिसर्चरों ने अनुवांशिक रूप से बदले गए खास चूहों के दिमाग में लेजर लाइटों की बीम फेंक कर उनकी बुरी यादों को अच्छी यादों में बदल दिया. अब स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिक इस तरीके का इस्तेमाल कर कई तरह की दिमागी परेशानियों को दूर करने के उपाय खोज रहे हैं.
कंप्यूटर चिप में इंसानी दिमाग के गुण
आईबीएम के इंजीनियरों ने न्यूरोमॉर्फिक चिप्स बनाने में कामयाबी पाई, जो इंसानी दिमाग की नकल कर सकने वाली एक सेमीकंडक्टर डिवाइस होती है. ट्रूनॉर्थ नाम की एक नई तरह की चिप पैटर्नस् को पहचानने और अलग तरह की चीजों के बीच भेद कर पाने में बहुत अच्छी साबित हुई है.
रेंगने वाले रोबोट
कई कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने रोबोटों में 'स्वॉर्म इंटेलिजेंस' को बेहतर बनाने पर काम किया है. इसका अर्थ है बिना इंसानी मदद के कई सारे रोबोटों के बीच एक दूसरे के साथ मिलकर कुछ बना पाने की क्षमता.
छात्रों के सैटेलाइट
इस तस्वीर में छात्र अपने खुद बनाई मिनी-सैटेलाइट पर काम पूरा कर रहे हैं. साल 2014 में ही करीब 75 ऐसी सैटेलाइटों को धरती के पास वाले ऑर्बिट में भेजा गया. इनमें से हर सैटेलाइट किसी खास शोध को करने में बहुत अच्छी रही लेकिन इनमें बहुत सारे उपकरणों को लगाने की संभावना नहीं.
sabhar : http://www.dw.de/
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
vigyan ke naye samachar ke liye dekhe