हमारे अंदर विचार कहा से प्रवेश करते हैं..?
हमारे मन के 16 हिस्से हैं,, थॉट से लेकर लिबरेशन तक की जर्नी के चार हिस्से हैं जो इस प्रकार है मनस, बुद्धि, चित्त और अहंकार इन सभी के फंक्शन अलग-अलग हैं डे टुडे के डिसीजन मानस लेता है
बुद्धि कैलकुलेट करता है और अहंकार जिससे हमारी पर्सनालिटी बनती है हमारी एक आइडेंटिटी बनती है और चौथा है ,चित्त यानी की मेमोरी इस मेलाइफ टाइम की मेमोरी ही नहीं होती इसमें हमारे सारे लाइफ टाइम के मेमोरी होती है
हमारे बायोलॉजिकल शरीर से लेकर मेंटल शरीर के मेमोरी होती है यह सारे मेमोरी नहीं रहेगी तो हम फ्यूचर के बारे में प्लान नहीं कर पाएंगे,,
इसीलिए मन का जो हिस्सा है वह बेहद जरूरी है क्योंकि हम हमारे पास्ट एक्सपीरियंस से ही अपने फ्यूचर को प्लान करते हैं ,,और अपने प्रेजेंट को भी उसी प्रकार से अपने आप से जो भी गलतियां हुई उससे सीख करके आगे काम करते हैं।
इसमें अब सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारे चित्त का स्मृति जब हम किसी याद के बारे में बात करते हैं,, हमारी जो भी करंट थॉट प्रोसेस है वह हमारी स्मृति के ऊपर ही डिपेंड होता है
अगर आप किसी व्यक्ति से मिले दो-तीन साल पहले और उसे व्यक्ति के साथ आपका एक्सपीरियंस अच्छा नहीं रहा है तो वह एक्सपीरियंस आपकी स्मृति में पहले से ही बना हुआ है
अब आप उसे व्यक्ति से दोबारा मिलते हैं तो उसी आधार पर उसे व्यक्ति को आप जज जज करेंगे और कहीं ना कहीं आपका प्रेजेंट मोमेंट प्रभावित होगा आप उसे व्यक्ति से मिलने का मन नहीं करेगा तो यहां पर आपकी स्मृति है वह यहां पर बॉयस थिंकिंग दे सकती है और जो उसे व्यक्ति के साथ रिलेशन है वह अफेक्टेड हो सकता है तो विचारों की जन्मभूमि यही है। साभार Facebook
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