सब-कांसियस मन से दूरी है तनाव और फ्रस्ट्रेशन का कारण -
swami ji kbhi mastishk me vicharo ka silsila kabhi bhav me kabhi sannata kabhi nirvichar kabhi savpn pura din yeh chaker chalta h ek kona yeh sab dekh rha h apne bas me kuchh bhi nhi yeh sab kya ho rha h swami ji
margdrashen kre🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
मष्तिष्क में कभी विचार, कभी निर्विचार, कभी भाव, कभी सन्नाटा, कभी सपने यह सब चल रहा होता है और कभी एक कोना यह सब देखता रहता है और यह भी लगता है कि हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। यही हमारी स्थिति है। हम दिन में चेतन अवस्था में जब होते हैं तो विचार हमें घेरे रहते हैं, भाव हमे प्रभावित करते हैं। और कभी-कभी निर्विचार में भी हमारा प्रवेश होता है जब हम अपने प्रेमी के साथ होते हैं।
जाग्रत, सपने और गहरी नींद, इन तीन तलों पर ही हमारा जीवन डोलता रहता है। दिन भर हमारा चेतन मन काम करता है, हम जागे हुए काम करते हैं, विचार करते हैं। फिर हम रात को नींद में प्रवेश कर जाते हैं तो हमारा चेतन मन सो जाता है और अचेतन मन काम करने लगता है। वह हमें सपने दिखाने लगता है। और फिर आधी रात के बाद गहरी नींद में हमारा प्रवेश होता है। यानि अतिचेतन मन में हमारा प्रवेश होता है। गहरी नींद में हम अतिचेतन मन में प्रवेश कर जाते हैं। और सुबह जागने पर फिर हम चेतन मन में लौट आते हैं।
चेतन, अचेतन और अतिचेतन, हमारा सारा जीवन इन तीनों तलों पर डोलता रहता है। जिसमें हम चेतन मन और अचेतन मन का तो बहुत उपयोग करते हैं लेकिन अतिचेतन का उपयोग नहीं कर पाते हैं। सारे तनाव सारी परेशानियां अतिचेतन से दूरी बनाने के कारण से ही हैं। जब तक हम मन के तीनों तलों का उपयोग नहीं करेंगे हम तनाव में रहेंगे।
हम चेतन मन का पूरा उपयोग करते हैं और हमारा अचेतन मन भी अपना पूरा काम करता है लेकिन हमारा अतिचेतन काम नहीं कर पाता है। क्योंकि हम गहरी नींद में प्रवेश नहीं कर पाते हैं क्योंकि गहरी नींद में ही हमारा अतिचेतन से संपर्क होता है। और हमें उससे उर्जा मिल पाती है। हम दिनभर काम करते हैं और रात गहरी नींद में हमें अतिचेतन से पुनः फिर उर्जा मिल जाती है।
हम जो भोजन लेकर जो ऊर्जा, जो शक्ति अपने शरीर में डालते हैं उस ऊर्जा को हम पूरी तरह से खर्च नहीं कर पाते हैं। और वह उर्जा हमें तनाव और परेशानियां देती है। वह उर्जा हमें गहरी नींद में प्रवेश नहीं करने देती है। हमारे शरीर की अतिरिक्त उर्जा हमें गहरी नींद में प्रवेश नहीं करने देती है, गहरी नींद जहां पर हम अतिचेतन मन में प्रवेश करते हैं। जैसे पूर्णिमा की रात को हम अपने कमरे में बल्ब जला दें और खिड़की खोल देते हैं तो चंद्रमा की रोशनी कमरे के भीतर प्रवेश नहीं करेगी। जब तक कि हम बल्ब को बंद नहीं करते हैं। ज्योंही हम बल्ब को बंद करते हैं, कमरे में अंधेरा हो जाता है और खिड़की से चंद्रमा की रोशनी कमरे में प्रवेश कर जाती है। ठीक इसी भांति हमारे शरीर की उर्जा ने प्रकृति की उर्जा को हमारे भीतर आने से रोक दिया है। जब तक हम अपनी ऊर्जा को खर्च नहीं कर पाते हैं तब तक प्रकृति की उर्जा हमारे भीतर प्रवेश नहीं करती है। और प्रकृति की उर्जा प्रवेश करती है गहरी नींद में प्रवेश करने पर, जहां अतिचेतन जागता है।
इसके लिए हमें अपनी ऊर्जा को अतिरिक्त श्रम करके खर्च करना होगा। सुबह दौड़कर पसीना बहाकर और दिन में श्रम करके जब हम रात नींद में प्रवेश करते हैं तो नींद में प्रवेश करते ही अचेतन मन हमें सपने दिखाने लगता है। सपने हमारे स्वास्थ्य के लिए सहायक होते हैं। हमने महसूस किया था कि जिस रात प्रेमिका सपने में आई है सुबह सारा दिन उसकी याद और मस्ती में बीता है। जो काम, जो हमारी इच्छाएं, जो हमारी कामनाएँ दिन में पूरी नहीं हो पाती है, हमारा अचेतन मन उन्हें रात को नींद से सपना दिखाकर पूरी करता है।
अचेतन में सपने देखने के बाद हमारा शरीर गहरी नींद में प्रवेश करता है। गहरी नींद में अतिचेतन में प्रवेश करता है और हमें अतिचेतन से उर्जा मिलने लगती है और हम उर्जावान होकर बाहर निकलते हैं।
अतिचेतन मन जागता है रात को दो बजे से पांच बजे के बीच में, जब हमारा शरीर गहरी नींद में प्रवेश करता है। तब हमारे शरीर का तापमान कम हो जाता है और गर्मी के मौसम में भी हमें हल्की सी ठंड लगने लगती है और हमारा शरीर गहरी नींद में प्रवेश करता है। गहरी नींद में सपने नहीं होते हैं क्योंकि सपने अचेतन मन के अंदर चलते हैं जबकि हम अतिचेतन मन पर खड़े होते हैं। जहां विचार और स्वप्न दोनों नहीं होते हैं क्योंकि विचार चेतन मन में चलते हैं और सपने अचेतन मन में चलते हैं और अतिचेतन निर्विचार का केंद्र है जहां पर सिर्फ उर्जा का भंडार है। हम दिन में काम करते हैं और रात को अतिचेतन मन से फिर उर्जा ले लेते हैं।
हम दिन में श्रम नहीं करते हैं। काम नहीं करते हैं, सारा काम मशिनें करती है, हम अपने शरीर को थकाते नहीं हैं इसलिए हम गहरी नींद में प्रवेश नहीं कर पाते हैं और गहरी नींद में प्रवेश नहीं कर पाते हैं तो हमें अतिचेतन से उर्जा नहीं मिल पाती है और हम थकान, तनाव और कमजोरी महसूस करते हैं।
यही कारण है कि कभी-कभी विचार खूब आते हैं और कभी-कभी हम निर्विचार हो जाते हैं जब घर में उत्सव हो या हमारा प्रेमी हमारे पास होता है, तब हमें निर्विचार का सन्नाटा सुनाई देता है। कभी-कभी गहरी नींद आती है उस दिन हमारे भीतर का कोई कोना जागते हुए यह सब देखता रहता है और उर्जा की कमी से ऐसा लगता है जैसे यह सब अपने से ही हो रहा है और लगता है जैसे चिजें हमारे हाथ से बाहर निकल गई हों।
सब-कांसियस के तल पर प्रवेश नहीं करने पर, गहरी नींद नहीं लेने पर ज्यादा ऊर्जा नहीं मिलने के कारण कभी-कभी हम भाव में बहने लगते हैं। क्योंकि उर्जा नहीं होने के कारण हम भावों के साक्षी नहीं हो पाते हैं, भाव को देख नहीं पाते हैं और उसमें बह जाते हैं। यदि हम गहरी नींद में जाकर अतिचेतन मन को छूते हैं तो हमें अतिरिक्त उर्जा मिलती है और हम साक्षी होने लगते हैं।
अतः यदि हम अपनी ऊर्जा को मेहनत करके, खर्च करते हैं। दिन में श्रम करते हैं और पसीना बहाते हैं तो हमारा गहरी नींद में सब-कांसियस मन के तल पर प्रवेश हो जाता है और वहां से हमें भरपूर उर्जा मिलती है। वह उर्जा हमें तनाव मुक्त करते हुए ध्यान में प्रवेश करवाती है।
स्वामी ध्यान उत्सव
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
vigyan ke naye samachar ke liye dekhe