सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

चीनी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है

 चीनी का सेवन हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है


और हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। मीठा खाना लगभग हर किसी को पसंद होता है, यह जानते हुए भी कि आजकल के दौर में हम शारीरिक तौर पर ज्यादा मेहनत नहीं करते, फिर भी मीठा तो बहुत से लोगों की कमजोरी है।

         खाने के बाद मीठा तो जरूर चाहिए, मौसम अच्छा हो तो मीठा चाहिए, गर्मी ज्यादा हो तो मिल्कशेक चाहिए, ठंड हो तो जलेबी या गर्मागर्म हलवा चाहिए। बाकी बिना किसी अवसर के भी कभी-कभी मीठा खाया जाए तो कोई क्या परेशानी है।

        लेकिन क्या कभी हमने यह सोचा है अगर खाने से मीठे की मात्रा हटा ली जाए, तो शरीर पर किस तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं? नहीं सोचा, तो चलिए हम ही बता देते हैं कि अगर एक महीने तक चीनी को अलविदा कह देते हैं तो इससे हमारे शारीरिक या मानसिक रूप से क्या अंतर देखने को मिलता है।

        १. हमारे दिल की सेहत बहुत अच्छी रहती है, हमारा दिल शरीर का सबसे संवेदनशील भाग होता है। इस वजह से उसे कहीं ज्यादा हमारे केयर की जरूरत होती है। अगर हम अपनी दिनचर्या से चीनी को हटा देंगे तो यकीन मानिए इससे हमारे दिल को बहुत आराम मिलेगा और साथ ही वह और जवान रहेगा।

        २. हमारी त्वचा पर भी इसका स्पष्ट असर नजर आएगा। वह स्वस्थ और चमकदार तो बनेगी ही साथ ही साथ अगर हमारे चेहरे पर गड्ढे हैं तो वह भी गायब हो जाएंगे। हम जितनी चाहे क्रीम, लोशन या फिर अन्य दवाइयां उपयोग कर लें, पर सबसे बेहतरीन असर हमें चीनी छोड़ने के बाद ही मिलेगा।

        ३. मीठा ज्यादा खा लेने की वजह से नींद भी सही से नहीं आती। जिस रात मीठा ज्यादा खा लेते हैं, उस रात नींद आने में परेशानी होती है, इसलिए हमें मीठा कम से कम ही खाना चाहिए।

        ४. जो लोग अपने भोजन में मीठे की मात्रा कम रखते हैं उनके चेहरे पर उम्र की परछाई बहुत देर से पड़ती है। ज्यादा चीनी खाने से चेहरे की त्वचा में सूजन आने लगती है, हमारा चेहरा झुर्रियों से मुक्त तभी रहेगा जब हम मीठा खाने की आदत को कम कर देंगे।

        ५. मीठा छोड़ने से वजन भी कम होता है अतः जो अपना वजन कम करना चाहते हैं उन्हें आज से ही मीठे खाद्य पदार्थों से दूरी रखनी शुरू कर देनी चाहिए।

        ६. मीठा छोड़ने के बाद हमारी याद्दाश्त भी बढ़ती है तथा बोलचाल का तरीका प्रभावी होता है। हम सामने वाले की बात बड़ी आसानी और स्पष्ट तरीके से समझ सकते हैं। 

        ७. मीठे की मात्रा कम रखने से हम मधुमेह से भी बचते हैं, अगर कभी मीठा खाने का मन करे तो मेवे खाकर इसकी पूर्ति कर सकते हैं।

        ८. मीठा छोड़ने से हमारी आंतें अच्छे तरीके से काम करने लगती हैं, इससे न सिर्फ खाना आसानी से पचता है बल्कि वह हमारे पेट और आंतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। 

        ९. मीठा छोड़ने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बस हमें एक बार अपने मस्तिष्क को इस बात के लिए राजी करना है कि अब से हम मीठा नहीं खाएंगे। हम पायेंगे कि किस तरह हम संक्रमण और अन्य बीमारियों से खुद को बचा लेते हैं।

        १०. मीठा छोड़ने के बाद न सिर्फ हमें मानसिक रूप से सुकून मिलेगा बल्कि हमारे दांत और मसूड़े भी ज्यादा स्वस्थ रहेंगे। एक बात का ध्यान हमें अवश्य रखना चाहिए कि मीठा खाने के तुरंत बाद कभी भी ब्रश न करें क्योंकि इस समय हमारे मसूड़े बहुत ज्यादा सॉफ्ट होते हैं। उन्हें नुकसान पहुंच सकता है। 

        ११. अगर हमारे जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है तो एक बार चीनी छोड़कर अवश्य देखना चाहिए, हम पायेंगे कि दर्द में हमें  बहुत फर्क नजर आयेगा। साभार फेसबुक वॉल शिव कुमार

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पहला मेंढक जो अंडे नहीं बच्चे देता है

वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है. एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है. इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके...

क्या है आदि शंकर द्वारा लिखित ''सौंदर्य लहरी''की महिमा

?     ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥  अर्थ :'' हे! परमेश्वर ,हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों  (गुरू और शिष्य) को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो। हम दोनों परस्पर द्वेष न करें''।      ''सौंदर्य लहरी''की महिमा   ;- 17 FACTS;- 1-सौंदर्य लहरी (संस्कृत: सौन्दरयलहरी) जिसका अर्थ है “सौंदर्य की लहरें” ऋषि आदि शंकर द्वारा लिखित संस्कृत में एक प्रसिद्ध साहित्यिक कृति है। कुछ लोगों का मानना है कि पहला भाग “आनंद लहरी” मेरु पर्वत पर स्वयं गणेश (या पुष्पदंत द्वारा) द्वारा उकेरा गया था। शंकर के शिक्षक गोविंद भगवदपाद के शिक्षक ऋषि गौड़पाद ने पुष्पदंत के लेखन को याद किया जिसे आदि शंकराचार्य तक ले जाया गया था। इसके एक सौ तीन श्लोक (छंद) शिव की पत्नी देवी पार्वती / दक्षिणायनी की सुंदरता, कृपा और उदारता की प्रशंसा करते हैं।सौन्दर्यलहरी/शाब्दिक अर्थ...

स्त्री-पुरुष क्यों दूसरे स्त्री-पुरुषों के प्रति आकर्षित हैं आजकल

 [[[नमःशिवाय]]]              श्री गुरूवे नम:                                                                              #प्राण_ओर_आकर्षण  स्त्री-पुरुष क्यों दूसरे स्त्री-पुरुषों के प्रति आकर्षित हैं आजकल इसका कारण है--अपान प्राण। जो एक से संतुष्ट नहीं हो सकता, वह कभी संतुष्ट नहीं होता। उसका जीवन एक मृग- तृष्णा है। इसलिए भारतीय योग में ब्रह्मचर्य आश्रम का यही उद्देश्य रहा है कि 25 वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करे। इसका अर्थ यह नहीं कि पुरष नारी की ओर देखे भी नहीं। ऐसा नहीं था --प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्य को अभ्यास कराता था जिसमें अपान प्राण और कूर्म प्राण को साधा जा सके और आगे का गृहस्थ जीवन सफल रहे--यही इसका गूढ़ रहस्य था।प्राचीन काल में चार आश्रमों का बड़ा ही महत्व था। इसके पीछे गंभीर आशय था। जीवन को संतुलित कर स्वस्थ रहकर अपने कर्म को पूर्ण करना ...