तंत्र एक विज्ञान है । विज्ञान न राजसिक होता है न तामसिक , न सात्विक , ये मनुष्य की भेद बुद्धि है नतीजा है । रज , तम , सत ये गुण और तत्व है । इसका अर्थ ये हुआ की न अच्छा न बुरे की पारधी मे इनको नहीं रखा जा सकता है ।
विज्ञान को समझो उधरहण से :- नदी पर बांध बनाकर विधुत शक्ति का निर्माण किया ... अलग अलग माध्यमों का प्रयोग करके आप के घर तक पहुंचाया गया आप के घर के उपकरणो के हिसाब से आप के घर तक विधुत शक्ति का प्रभावहा किया गया । ये पूरा प्रयोग विज्ञान के अंतर्गत आता है इसमे राजसिक ,तामसिक , सात्विक कहाँ है ।
अब साधना के परिवेश मे समझो ...... माला रूपी टर्बाइन पर आपने मंत्र रूप पानी का प्रवाहा किया जिसे ऊर्जा उत्तपन हुई संकलप शक्ति द्वारा आप ने उसको दिशा प्रदान कर उस शक्ति का प्रयोग किया । अब ये प्रयोग आप अपने को दीप्तमान करने के लिए भी कर सकते है या भौतिक कामनाओ को पूर्ण करने के लिए .... तंत्र यही है ॥ सही तरीके से सही माध्यम से किया गया कार्य क्रिया होती है उस क्रिया के पीछे लगा सिद्धांत तंत्र होता है । बाकी आप अपने अहं को पुष्ट करने के लिए रज , सत , तम का खेल खेल सकते है ॐ नमः शिवाय साभार फेस बुक
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