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जब एक किसान को मिला दोमुंहा सांप

तुर्की के उत्तर पश्चिमी इलाके में एक किसान को एक दोमुंहा सांप मिलने की ख़बर है. क्लिक करें तुर्की के अख़बार रैडिकल  में छपी रिपोर्ट के मुताबिक गिरेसन के ब्लैक सी प्रांत में यह सांप पाया गया है. अंताल्या शहर में रेंगने वाले जीवों को रखने की एक जगह पर इसे रखा गया है. सांप की देख-भाल कर रहे ओज़गुर एरेल्दी कहते हैं कि इसके आकार के कारण इस पर लगातार नज़र रखने की जररूत है. वे कहते हैं, "चूंकि सांप के दो मुंह हैं इसलिए इसकी गर्दन सामान्य सांपों की तुलना में पतली है. ये सांप अपने शिकार को पूरी तरह से निगल कर पचा लेता है. अगर आप इस सांप को बड़ी खुराक देते हैं तो इसका दम घुट सकता है इसलिए हम इसे छोटी छोटी खुराकों में खाना दे रहे हैं." हालांकि ये सांप अभी कम उम्र है और तेज भागने वाले सांपों की नस्ल का लगता है. शिकारियों की नज़र अंताल्या एक्वेरियम के रेंगने वाले जीवों को रखने की जगह पर काम करने वाले कुनेयत एल्पगुवेन बताते हैं कि दोमुंहे सांप के जंगल में बचने के आसार बहुत कम होते हैं. वे कहते हैं, "दोमुंहा होना इसके लिए मुसीबत है. शरीर के इस तरह के ढांचे की वजह

समूचे ब्रह्मांड को तबाह कर सकता है ‘गॉड पार्टिकल’: स्टीफन हॉकिंग

लंदन : भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग ने आगाह किया है कि महज दो साल पहले वैज्ञानिकों ने जिस मायावी कण ‘गॉड पार्टिकल’ की खोज की थी उसमें समूचे ब्रह्मांड को तबाह-बरबाद करने की क्षमता है। एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार हॉकिंग ने एक नई किताब ‘स्टारमस’ के प्राक्कथन में लिखा कि अत्यंत उच्च उर्जा स्तर पर हिग्स बोसोन अस्थिर हो सकता है। इससे प्रलयकारी निर्वात क्षय की शुरुआत हो सकती है जिससे दिक् और काल ढह जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इस ब्रह्मांड में हर जो चीज अस्तित्व में है हिग्स बोसोन उसे रूप और आकार देता है। हॉकिंग ने बताया, हिग्स क्षमता की यह चिंताजनक विशिष्टता है कि यह 100 अरब गिगा इलेक्ट्रोन वोल्ट पर अत्यंत स्थिर हो सकती है। वह कहते हैं, इसका यह अर्थ हो सकता है कि वास्तविक निर्वात का एक बुलबुला प्रकाश की गति से फैलेगा जिससे ब्रह्मांड प्रलयकारी निर्वात क्षय से गुजरेगा। हॉकिंग ने आगाह किया, यह कभी भी हो सकता है और हम उसे आते हुए नहीं देखेंगे। बहरहाल, उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रलय के निकट भविष्य में होने की उम्मीद नहीं है। लेकिन उच्च उर्जा में हिग्स के अस्थिर ह

हिम मानव की संभावना

फोटो : गूगल हिमालय पे मिले हिम मानव के  बालों  का डीएनए  का  जांच करने के बाद ब्रिटिश वैज्ञानिको ने ये दावा किया की  धुव्रीय  भालू जैसा एक प्राणी हिमालय पे मौजूद है ।धुव्रीय  भालुओं की की इस प्रजाति को अभी तक विलुप्त माना जाता था  40 हजार पहले का इसका जीवाश्म पाया गया था । जी हाँ, दुनिया में हिममानव भी है यह कहना है उस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सहभागियों का, जो रूस के दक्षिणी साइबेयाई इलाके के केमेरेवा प्रदेश में यह कहना है उस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सहभागियों का, जो रूस के दक्षिणी साइबेयाई इलाके के केमेरेवा प्रदेश में सम्पन्न हुआ। पहाड़ी शोरिया या गोरनाया शोरिया अभियान से वापिस लौटने वाले वैज्ञानिक कुछ एसी चीज़ें लेकर वापिस लौटे हैं, जिन्हें कोई मानव ही तैयार कर सकता है। और अब उनका मानना है कि ये चीज़ें उस बात में कोई संदेह नहीं रहने देतीं कि साइबेरिया में येती यानी हिममानव भी रहता है...  साभार :http://hindi.ruvr.ru/

महिला की पीठ में उगी नाक..!

FILE पुर्तगाल  में एक महिला का  स्टेम सेल  के जरिए पक्षाघात का इलाज किया जाना था, लेकिन आठ वर्ष बाद महिला की  पीठ में नाक  उग आई। डॉक्टर ने उसका इलाजा करने के लिए उसकी पीठ में एक स्टेम सेल इस उम्मीद से छोड़ दी थी कि क्षतिग्रस्त नर्व का इलाज हो जाएगा। लेकिन इलाज सफल नहीं हुआ और महिला ने शिकायत की कि उसकी पीठ में लगातार दर्द रहता है। उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस घटना के आठ वर्ष बाद उसकी पीठ में एक नाक उग आई थी जो कि तीन सेमी लम्बी थी और इसमें हड्‍डियां भी थीं।  उल्लेखनीय है कि डॉक्टर ने महिला की पीठ में नेजल टिशू डाल दिया था। डेली मेल ऑन लाइन डॉट कॉम में छपी एक खबर के मुताबिक अब अमेरिकी नागरिक इस अज्ञात महिला का पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन के ‍हास्पिटल द इगेज मोनिज में इलाज किया गया था। तब डॉक्टर ने उसकी रीढ़ की हड्‍डी में एक स्टेम सेल टिशू डाल दिया था। तब डॉक्टरों ने सोचा था कि ऐसा करने से न्यूरल सेल्स विकसित हो जाएंगी और महिला की रीढ़ की हड्‍डी में जो क्षति हुई थी, वह ठीक हो जाएगी, लेकिन यह इलाज सफल नहीं हो सका था।  पर पिछले वर्ष आठ वर्षों में इस 36 वर्षीय महिला न

इंसान 2040 तक खोज निकालेगा एलियन

न्यूयॉर्क। इंसान आगामी 25 वर्षो के अंदर अंतरिक्ष में एलियन निर्मित विद्युत चुंबकीय तरंगों का पता लगाकर कुशाग्र अलौकिक जीवन को खोज निकालने में सक्षम हो जाएगा। यह दावा एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने किया है। कैलीफोर्निया के माउंटेन व्यू स्थित एसईटीआइ [सर्च फॉर एक्ट्राटरेस्ट्रियल इंटेलीजेंस] इंस्टीट्यूट के सेठ शोस्तक के अनुसार, 2040 या इसके बाद तक खगोलविद एलियन निर्मित विद्युत चुंबकीय तरंगों का पता लगाने के लिए तारा मंडलों की बारीकी से पर्याप्त जांच कर चुके होंगे। उन्होंने यह बात पिछले सप्ताह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में नासा के 2014 अभिनव उन्नत अवधारणा विषयक संगोष्ठी में चर्चा के दौरान कही। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, शोस्तक ने कहा कि मुझे लगता है कि हम इस प्रकार के प्रयोगों का इस्तेमाल कर दो दर्जन सालों के अंदर अलौकिक जीवन का पता लगा लेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक कुछ हजार तारा मंडलों को देखने के बावजूद हमें अब से अगले 24 वर्षो तक हो सकता है कि दस लाख तारा मंडलों पर गौर करना होगा। कुछ पाने के लिए दस लाख की संख्या सही है। शोस्तक की यह भविष्यवाणी नासा के अंतरिक्ष दूरबीन केपलर की

अब जूते बताएंगे सही रास्ता

  यह भी बताते हैं कि कितनी कैलरी खर्च हुई। ये खास जूते सितंबर से बिक्री के लिए बाजार में आएंगे। इनमें ब्लूटूथ ट्रांसरिसीवर लगा है जो पहनने वाले के स्मार्टफोन के ऐप से जुड़ा है। गूगल मैप के जरिए जूते सही दिशा बताने के लिए वाइब्रेट करते हैं और यूजर को बताते हैं कि दांएं या बाएं किस ओर मुड़ना है।  इस तरह के जूते बनाने का आइडिया 30 वर्षीय क्रिस्पियान लॉरेंस और 28 साल के अनिरुद्ध शर्मा को आया। जूते की कीमत 6,000 से लेकर 9,000 रुपये के बीच है। 2011 में दोनों ने एक अपार्टमेंट से छोटी सी टेक कंपनी की स्थापना की और अब इसमें 50 लोग काम करते हैं। लॉरेंस बताते हैं, हमें यह विचार आया और हमने महसूस किया कि यह नेत्रहीन लोगों के लिए काफी मददगार साबित होंगे, यह बिना ऑडियो और फिजिकल डिस्ट्रैक्शन के काम करेगा। sabhar : http://navbharattimes.indiatimes.com/

छिपकली की पूंछ जैसे उगेंगे मनुष्य के अंग!

न्यूयॉर्क। अपनी विशेषता के कारण  छिपकली की पूंछ  प्राचीन समय से मानव जाति के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। विदित हो कि छिपकली की पूंछ का अपने आप अलग हो जाना और फिर इसके स्थान पर नई पूंछ उग आना मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रहा है। लेकिन, अब ऐसा दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने अब इस पहेली का रहस्य सुलझा लिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी हो गई है कि आखिर कैसे छिपकली नई पूंछ उगा सकती है। वैज्ञानिकों ने वह आनुवांशिक नुस्खा खोज निकाला है जो छिपकली में अंग के पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है।  अमेरिका की एरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंसेज की प्रोफेसर डॉ. केनरो कुसुमी का कहना है किछिपकली में भी 326 वही जीन होते हैं जो मनुष्यों में भी पाए जाते हैं। वे मनुष्यों की शारीरिक संरचना से सबसे ज्यादा मेल खाने वाले जीव हैं। जर्नल 'पीएलओएस वन' में बीस अगस्त को प्रकाशित शोध में कहा गया है कि इस खोज से कई रोगों को ठीक करने में मदद मिल सकती है।  इस आनुवांशिक नुस्खे का पता लगाकर उन्हीं जीन को मानव कोशिका में आरोपित कर उपास्थि, मांसपेशी और रीढ़ की हड्डी क