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नासा ने खोजा पृथ्वी का जुड़वां ग्रह !

पृथ्वी के बाहर जीवन की चाह फिर से परवान चढ़ रही है. दुनिया की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्था नासा ने बिलकुल पृथ्वी जैसा ग्रह खोज निकाला है. वह अपने सूर्य का चक्कर लगाता है. न बहुत ठंडा, न बहुत गर्म और पानी की पूरी संभावना. कोई तीन साल पहले अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नए ग्रहों की तलाश में केपलर नाम का टेलीस्कोप पृथ्वी से बाहर अनजान दुनिया की खोज में भेजा था. दो साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों को वे तस्वीरें मिल गईं, जो अब तक की सबसे उत्साहित करने वाली बताई जा रही हैं. ऐसे ग्रह का पता चल रहा है, जो पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा होगा. तापमान 22 डिग्री के आस पास यानी पानी न तो जमेगा और न ही खौलेगा. दिन वसंत ऋतु के किसी दिन की तरह खुशगवार होगा. उसकी स्थिति ऐसी जगह है, जहां पानी होने की पूरी संभावना दिख रही है यानी उस ग्रह में वह सारे गुण हैं, जो पृथ्वी में हैं और जिसके आधार पर जीवन की कल्पना की जा सकती है. केपलर को सम्मान देते हुए ग्रह का नाम रखा गया है, केपलर-22बी. घर के बाहर घर नए ग्रहों की तलाश के मामले में बड़ा योगदान देने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के ज्यॉफ मार्सी का कहना है,
पृथ्वी के बाहर जीवन की चाह फिर से परवान चढ़ रही है. दुनिया की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्था नासा ने बिलकुल पृथ्वी जैसा ग्रह खोज निकाला है. वह अपने सूर्य का चक्कर लगाता है. न बहुत ठंडा, न बहुत गर्म और पानी की पूरी संभावना.   कोई तीन साल पहले अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नए ग्रहों की तलाश में केपलर नाम का टेलीस्कोप पृथ्वी से बाहर अनजान दुनिया की खोज में भेजा था. दो साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों को वे तस्वीरें मिल गईं, जो अब तक की सबसे उत्साहित करने वाली बताई जा रही हैं. ऐसे ग्रह का पता चल रहा है, जो पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा होगा. तापमान 22 डिग्री के आस पास यानी पानी न तो जमेगा और न ही खौलेगा. दिन वसंत ऋतु के किसी दिन की तरह खुशगवार होगा. उसकी स्थिति ऐसी जगह है, जहां पानी होने की पूरी संभावना दिख रही है यानी उस ग्रह में वह सारे गुण हैं, जो पृथ्वी में हैं और जिसके आधार पर जीवन की कल्पना की जा सकती है. केपलर को सम्मान देते हुए ग्रह का नाम रखा गया है, केपलर-22बी. घर के बाहर घर नए ग्रहों की तलाश के मामले में बड़ा योगदान देने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के ज्यॉफ मार्सी का कहना है, &q

गॉड पार्टिकल के बहुत पास पहुंचा मानव

दशकों की मशक्कत के बाद मानव सभ्यता का दावा है कि वह उस कण के बहुत पास पहुंच गई है, जिसने इस सृष्टि की उत्पत्ति की है. हिग्स बोसोन यानी गॉड पार्टिकल की तलाश लगभग पूरी हो गई और वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका अस्तित्व है. दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला स्विट्जरलैंड के सर्न में चल रहे बरसों के प्रयोग के बाद मंगलवार को दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि हिग्स बोसोन कण अब पहुंच से दूर नहीं रहा. इस कण के बारे में करीब चार दशक पहले चर्चा शुरू हुई और विज्ञान का दावा है कि इसकी वजह से ही बिग बैंग विस्फोट हुआ, जिसके बाद यह पूरी कायनात बनी. हालांकि वैज्ञानिकों ने जोर देकर कहा कि अभी यह खोज पूरी नहीं हुई है. इंग्लैंड में लीवरपूल यूनिवर्सिटी के थेमिस बोकॉक ने कहा, "अगर हिग्स की बात सही साबित हो जाती है, तो निश्चित तौर पर यह इस सदी की सबसे बड़ी खोजों में होगा. भौतिक विज्ञानियों ने धरती की रचना के बारे में अहम कड़ी को सुलझा लिया है, जिसका असर हमारे रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है." सर्न की महाप्रयोगशाला अद्भुत नजारा कई मीटर लंबे हाइड्रॉन कोलाइडर में प्रयोग के बाद सर्न ने सनसनीखेज ख

2050 की दुनिया

आने वाली दुनिया कैसी होगी। सबकी अपनी कल्पनाएं और अंदाजे हैं। विज्ञान दुनिया को नए तरीके से देख रहा है। फिल्मी दुनिया की अपनी फंतासियां हैं। बात हो रही है 2050 की। आज की कल्पनाएं निश्चित तौर पर आने वाले वक्तके धरातल पर होंगी। संभव है दिमाग को कम्प्यूटर की फाइल के तौर पर सुरक्षित रखा जाए। यह भी मुमकिन है कि आदमी गायब होना सीख ले।  यह है फ्यूचरोलॉजी ऎसा नहीं है कि भविष्य दर्शन केवल फिल्मकारों की कल्पना तक सीमित है। वैज्ञानिक भी इसमें खासी रूचि ले रहे हैं। तथ्यों और पूर्वानुमानों के सामंजस्य को विज्ञान की कसौटी पर परख कर भविष्य की कल्पना एक नए विज्ञान की राह खोल रही है। यह विज्ञान है फ्यूचरोलॉजी यानी भविष्य विज्ञान। क्या भविष्य में चांद पर बस्ती बसेगी। क्या हमारा परिचय धरती से परे किसी दूसरी दुनिया के प्राणियों से होगा। क्या इंसान मौत पर विजय पाने में कामयाब हो जाएगा। नामुमकिन सी लगने वाली ऎसी कल्पनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन भी फ्यूचरोलॉजी के तहत किया जा रहा है। जिस तरह से मौसम-विज्ञानी भविष्य में मौसम का, अर्थशास्त्री भविष्य की विकास दर और इतिहासकार अतीत की घटनाओं का तार्किक आकलन पेश क

भविष्य में संकर जीवों का आस्तित्व होगा

प्राचीन धार्मिक ग्रंथो में ऐसे जीवों का वर्णन मिलता है, जैसे नरसिंह, असलान, कामधेनु ,यानी सदियों पहले इस तरह के अस्तित्व की कल्पना रही है इसी कल्पना को साकार करने के लिए वैज्ञानिक दशको से प्रयास कर रहे है| इस दिशा में पहली सफलता २००३ में मिली थी चीन के शंघाई स्थित सेकेण्ड मेडिकल युनिवर्सिटी में सफलता पूर्वक खरगोश के अन्डो में मानव कोशिका प्रत्यारोपित कर दी थी उन्होंने इस अन्डो को स्टेम सेल पाने के लिए इस्तेमाल किया| इससे संकर जीवों के अस्तित्व का सपना साकार होते दिखा पूरी दुनिया में इस समय १० संकर जीव बनाने के प्रयास किये जा रहे है २००४ में चीनी वैज्ञानिको ने दावा किया की की उन्होंने ऐसा सूअर बनाया है जिसकी रगो में इंसान का खून बहता है | युनिवर्सिटी ऑफ़ नेवादा रेनो के वैज्ञानिकों ने दावा किया की उन्होंने ऐसी भेंड बना ली है जिसमे २० फीसदी कोशिकाए मानव की है ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मानव और गाय से भ्रूण बनाने का दावा किया है ऐसे ही कुछ वैज्ञानिक चूहे में ऐसे लीवर का प्रत्यारोपण किया जो ९५ फीसदी मानव कोसिकाओ से बना था इसी तरह स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी के इरविन वाएयास म

कैसे हुआ ब्रह्माण्ड का निर्माण

photo : vigyanpragti वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग्स का कहना है की ब्रह्माण्ड की संग्रचना के पीछे भौतिक के नियम है न कि कोई ईश्वरीय सरीखी कोई सर्व सक्ति इस पर विभिन्य वैज्ञानिकों धर्मगुरूओं या स्वयं ब्यक्ति कि भिन्य राय हो सकती है परन्तु इस सदी के महान इस वैज्ञानिक कि राय को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता यह बयान उनकी जल्दी ही प्रकाशित होने वाली पुस्तक ' द ग्रैंड डिजाईनर के आगमन से पहले आये है ब्रमांड का निर्माण बिग बैंक यानी महा विस्फोट से हुआ है इस अवधारणा के मुताबिक बिग बैंक १३.७ अरब साल पहले हुआ १९८८ में अपनी पुस्तक ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम में इन्होने ईश्वर को स्वीकार किया था ये लिखे थे कि यदि हम प्रकृति के बुनियादी नियमो को तलाश लेते है तो हमें ईश्वर के मस्तिष्क का पता चल सकता है ब्रमांड के निर्माण में जो सिधांत सबसे ज्यादा प्रचलित है वो है बिग बैंक का सिधांत इसके अनुसार १३.७ अरब साल पहले ब्रमांड एक छोटे बिंदु के रूप में था इसमे अचानक महा विस्फोट हुआ और ब्रमांड कि उत्पत्ति हुई तो द्रब्य और ऊर्जा का फैलाव हुआ द्रब्य और ऊर्जा के साथ- साथ स

कैंसर रहित वातावरण देने वाले जीव की खोज

आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने माएक्रोब्स के एक ऐसे समूह की खोज की है जो प्रदूषित वातावरण में मौजूद कैंसर के लिए जिम्मेदार पदार्थो को खाकर नष्ट कर देते है साऊथ आस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के मेघमल्लावरापू ने पता लगाया मिट्टी में रहने वाला यह बैक्ट्रिया बीटेक्स नमक केमिकल को खाकर नष्ट कर देता है यह केमिकल मनुष्य में कैंसर तंत्रिका सम्बंधित और दूसरे प्रकार के बीमारियों से सम्बंधित है मल्लावारापू के अनुसार यह केमिकल पुराने सर्विश स्टेसन वर्कशाप के पास पाया जाता है यह रिपोर्ट वर्ल्ड इन्वायरमेंटल टाक्सिकोलोजी और केमिस्ट्री कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया था