आने वाली दुनिया कैसी होगी। सबकी अपनी कल्पनाएं और अंदाजे हैं। विज्ञान दुनिया को नए तरीके से देख रहा है। फिल्मी दुनिया की अपनी फंतासियां हैं। बात हो रही है 2050 की। आज की कल्पनाएं निश्चित तौर पर आने वाले वक्तके धरातल पर होंगी। संभव है दिमाग को कम्प्यूटर की फाइल के तौर पर सुरक्षित रखा जाए। यह भी मुमकिन है कि आदमी गायब होना सीख ले।
यह है फ्यूचरोलॉजी
ऎसा नहीं है कि भविष्य दर्शन केवल फिल्मकारों की कल्पना तक सीमित है। वैज्ञानिक भी इसमें खासी रूचि ले रहे हैं। तथ्यों और पूर्वानुमानों के सामंजस्य को विज्ञान की कसौटी पर परख कर भविष्य की कल्पना एक नए विज्ञान की राह खोल रही है। यह विज्ञान है फ्यूचरोलॉजी यानी भविष्य विज्ञान। क्या भविष्य में चांद पर बस्ती बसेगी। क्या हमारा परिचय धरती से परे किसी दूसरी दुनिया के प्राणियों से होगा। क्या इंसान मौत पर विजय पाने में कामयाब हो जाएगा। नामुमकिन सी लगने वाली ऎसी कल्पनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन भी फ्यूचरोलॉजी के तहत किया जा रहा है। जिस तरह से मौसम-विज्ञानी भविष्य में मौसम का, अर्थशास्त्री भविष्य की विकास दर और इतिहासकार अतीत की घटनाओं का तार्किक आकलन पेश करते हैं, उसी तरह से भविष्यविद् भविष्य में होने वाले बदलाव की तस्वीर उकेरते हैं।
भविष्यविदों की साल 2050 पर खास नजर है। कारण यह है कि 2050 ऎसा वक्तहै, जिसे वर्तमान पीढ़ी के अधिकतर लोग देख सकेंगे और तब तक तकनीकी रूप से उन्नत 21वीं सदी का आधा वक्तगुजर चुका होगा। अमरीका और ब्रिटेन के कुछ विश्वविद्यालयों में फ्यूचरोलॉजी सेंटर स्थपित हो चुके हैं। 2050 की दुनिया की तस्वीर का अनुमान लगाने के प्रयास चल रहे हैं। भविष्यविद् हर संभव तरीके से भविष्य का सटीक आकलन करने में जुटे हैं। अपने अनुमानों को दुनिया के सामने रख रहे हैं।
दिमाग होगा डाउनलोड
वैज्ञानिकों की मानें तो 2050 तक इंसान मौत को चुनौती देने में कामयाब हो सकता है। शारीरिक रूप से भले ही यह संभव न हो सके। लेकिन, दिमागी रूप से ऎसा मुमकिन है। ऎसी तकनीक विकसित हो सकती है, जिसके जरिए इंसान के दिमाग को कम्प्यूटर से जोड़कर उसे हार्ड डिस्क में सेव किया जा सकना संभव होगा। इसके बाद दिमाग का डाटा कम्प्यूटर में एक फाइल के रूप में होगा और उसे कभी भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। अभी तक इंसान के संवेदी तंत्र को कम्प्यूटर से जोड़कर एनिमेशन तैयार करने के प्रयोग हो चुके हैं। ऎसे में इस सोच को कपोल कल्पना मानकर ठुकराया नहीं जा सकता। इसके अलावा 2050 में सुपर कम्प्यूटर आज के मुकाबले में एक हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली होंगे। साथ ही इनके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के स्तर में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
नए लुक में टेलीविजन
चार दशक बाद वर्तमान टेलीविजन पूरी तरह से गायब हो जाएंगे। इनकी जगह लेगा इंटरेक्टिव होलोग्राम टीवी, जिस पर दर्शक मनचाहे समय पर कोई भी कार्यक्रम अपनी सुविधा से देख सकेंगे। दर्शक त्रिआयामी तस्वीरों के साथ सुगंध का मजा भी ले सकेंगे। वर्तमान प्रसारण व्यवस्था बदलेगी और कार्यक्रम के प्रसारण के बजाय दर्शक को सूचना दी जाएगी, अमुक कार्यक्रम प्रसारण के लिए उपलब्ध है। दर्शक अपनी सुविधा से चैनल डायरेक्ट्री में जाकर कार्यक्रम देख सकेंगे। फिलहाल इंटरनेट पर कार्यक्र्रम इसी तरह उपलब्ध रहते हैं और दर्शक जब चाहे उन्हें देख सकता है। कुछ खास सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन के साथ खुशबू बिखेरने के प्रयोग हो चुके हैं। इनके अलावा आईपीटीवी भी हर घर में होंगे, जो टेलीफोन, इंटरनेट और केबल टेलीविजन जैसी सभी जरूरतों को वायरलैस तरीके से पूरा करेंगे। तो टेलीविजन को अपना सबसे प्यारा दोस्त बनाने के लिए तैयार रहिए।
एलियंस हमारे दोस्त
फिलहाल दूसरे ग्रह पर जीवन के संकेत ढूंढने में लगे वैज्ञानिक इस कल्पना को नकार नहीं सकते कि किसी अन्य ग्रह पर धरती से विकसित सभ्यता का अस्तित्व हो सकता है। कई बार वैज्ञानिकों की ओर से उड़न तश्तरियां देखे जाने के दावे किए जाते हैं। लेकिन, अभी तक प्रामाणिक रूप से किसी और ग्रह पर जीवन की पुष्टि नहीं हुई है। भविष्यवक्ताओं के मुताबिक साल 2050 तक दूसरे किसी ग्रह पर जीवन का पता लग सकता है और उस ग्रह के प्राणियों यानी एलियंस के साथ इंसान का संपर्क भी स्थापित हो सकता है। फिलहाल दुनिया में कई एजेंसियां कथित यूएफओ संकेतों के विश्लेषण में जुटी हैं। इसी तरह की सेटी नामक एक परियोजना में हजारों कम्प्यूटरों की मदद से संकेतों का विश्लेषण किया जा रहा है।
उड़न कार है ना
आप मानकर चलिए कि 2050 तक निजी उड़न कारें बहुतायत में होंगी और आवागमन के लिए वायुमार्ग का सबसे ज्यादा प्रयोग होगा। उड़न कारों के आंशिक प्रयोग फिलहाल सफल रहे हैं। उम्मीद है कि अगले दशक तक उड़न कारों का प्रयोग शुरू हो जाएगा। ये कारें-टू-सीटर और फोर-सीटर होंगी। उन्हें उतारने के लिए किसी खास हवाई पट्टी की जरूरत नहीं होगी। सड़कों पर दुर्घटना की आशंका नगण्य हो जाएगी। क्योंकि, सभी वाहन कम्प्यूटर संचालित होंगे। उनके सेंसर दूसरे वाहन की मौजूदगी या किसी अन्य बाधा को समय रहते भांप लेंगे और वाहन को रोक देंगे। आवागमन के दौरान रफ्तार में इजाफा होगा। आज मैंगलेव टे्रन 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ चुकी है। उम्मीद है कि 2050 तक यह रफ्तार 1000 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
भूल जाएंगे पेट्रोल
हैरत मत कीजिए हो सकता है साल 2050 तक वर्तमान पेट्रोलियम ईधन का प्रयोग बंद हो जाए और इसका स्थान हाइड्रोजन चलित कार ले ले। जिसका प्रयोग सफल रहा है और इसे भविष्य के ईधन के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा कुछ अन्य रासायनिक तत्वों को भी ईधन के रूप में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं। असीमित ईधन के रूप में वायु एवं सौर ऊर्जा को भी परखा जा रहा है। कुछ भी हो, चार दशक बाद का समय पर्यावरण प्रेमियों के लिए जश्न का समय होगा। क्योंकि, उन्हें पेट्रोलियम गुबार के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का डर नहीं होगा। साथ ही आम जनता को भी सस्ता और स्वच्छ ईधन मुहैया हो सकेगा।
आबादी में इजाफा
सहज जीवनशैली और चिकित्सा के निरंतर विकास के कारण मृत्युदर कम होगी और जनसंख्या बढ़ेगी। औसत उम्र 65 साल से 80 तक पहुंच जाएगी। सबसे ज्यादा संकट जापान जैसे देशों के लिए होगा, जहां वर्तमान औसत उम्र दुनिया में सर्वाधिक है। तकनीकी विकास के चलते चिकित्सा सेवाएं बेहतर होंगी और आज की कई बीमारियों का नामों-निशान तक नहीं रहेगा। सभी बीमारियों की रोकथाम के लिए एक ही टीका पर्याप्त होगा। कृत्रिम खून का प्रयोग होने लगेगा और कोई भी मरीज खून की कमी के कारण जान नहीं गंवाएगा। एड्स जैसे असाध्य रोगों का इलाज संभव हो सकता है। लेकिन, नई तरह की बीमारियों के प्रकट होने की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
रोबोट्स का बोलबाला
माना जा रहा है कि घरों में नौकर 2050 तक गायब हो चुके होंगे। उनकी जगह लेंगे रोबोट्स। फिलहाल होंडा कंपनी का असीमो नामक रोबोट समझदारी के साथ कई काम निपटाने में माहिर है। घर साफ करने से लेकर कपड़े सुखाने तक का काम यह रोबोट कर सकता है। भविष्य में रोबोट तकनीक में काफी सुधार होगा और ये वहन करने लायक कीमत पर जनता को मुहैया होंगे। मशीनों को कुछ स्तर तक संवेदनशील बनाने के प्रयास भी चल रहे हैं। भावनात्मक दोस्तनुमा रोबोट बनाने में कामयाबी मिल चुकी है। चार दशक बाद अधिकतर दुकानें मशीनों से ही संचालित होंगी। बिल्कुल उसी तरह, जैसा आज चाय या कॉफी वेंडिंग मशीन का संचालन होता है। मानवीय श्रम लगभग गायब हो चुका होगा। वर्तमान श्रमिक रोबोट संचालन के रूप में नजर आएंगे। फिर तो इंसानी ओलंपिक के साथ ही रोबोट ओलंपिक का भी आयोजन होगा।
हाइटेक आशियाने
मकानों की ऊंचाई 2050 तक लगभग बढ़ेगी। लेकिन, भविष्य में बनने वाली इमारतें आज के मुकाबले सुरक्षित होंगी। बड़े शहरों में सौ-मंजिला इमारतें आम होंगी। ऊंची इमारतों का संचालन कम्प्यूटराइज्ड होगा। मकान में फाइबर, स्टील और लकड़ी का इस्तेमाल आज के मुकाबले में ज्यादा होगा। भूकंप संभावित क्षेत्र में निर्माण में विशेष्ाज्ञ एहतियात बरतने का काम शुरू हो चुका है। चार दशक में इमारतें सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरी उतरेंगी। हरियाली और सिकुड़ेगी और उनकी जगह कंकरीट के जंगल लेंगे। आज की कुछ दुर्लभ वन्य प्रजातियां 2050 में केवल तस्वीरों तक सिमट सकती हैं। बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवासीय भूमि में बढ़ोतरी होगी।
यह है फ्यूचरोलॉजी
ऎसा नहीं है कि भविष्य दर्शन केवल फिल्मकारों की कल्पना तक सीमित है। वैज्ञानिक भी इसमें खासी रूचि ले रहे हैं। तथ्यों और पूर्वानुमानों के सामंजस्य को विज्ञान की कसौटी पर परख कर भविष्य की कल्पना एक नए विज्ञान की राह खोल रही है। यह विज्ञान है फ्यूचरोलॉजी यानी भविष्य विज्ञान। क्या भविष्य में चांद पर बस्ती बसेगी। क्या हमारा परिचय धरती से परे किसी दूसरी दुनिया के प्राणियों से होगा। क्या इंसान मौत पर विजय पाने में कामयाब हो जाएगा। नामुमकिन सी लगने वाली ऎसी कल्पनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन भी फ्यूचरोलॉजी के तहत किया जा रहा है। जिस तरह से मौसम-विज्ञानी भविष्य में मौसम का, अर्थशास्त्री भविष्य की विकास दर और इतिहासकार अतीत की घटनाओं का तार्किक आकलन पेश करते हैं, उसी तरह से भविष्यविद् भविष्य में होने वाले बदलाव की तस्वीर उकेरते हैं।
भविष्यविदों की साल 2050 पर खास नजर है। कारण यह है कि 2050 ऎसा वक्तहै, जिसे वर्तमान पीढ़ी के अधिकतर लोग देख सकेंगे और तब तक तकनीकी रूप से उन्नत 21वीं सदी का आधा वक्तगुजर चुका होगा। अमरीका और ब्रिटेन के कुछ विश्वविद्यालयों में फ्यूचरोलॉजी सेंटर स्थपित हो चुके हैं। 2050 की दुनिया की तस्वीर का अनुमान लगाने के प्रयास चल रहे हैं। भविष्यविद् हर संभव तरीके से भविष्य का सटीक आकलन करने में जुटे हैं। अपने अनुमानों को दुनिया के सामने रख रहे हैं।
दिमाग होगा डाउनलोड
वैज्ञानिकों की मानें तो 2050 तक इंसान मौत को चुनौती देने में कामयाब हो सकता है। शारीरिक रूप से भले ही यह संभव न हो सके। लेकिन, दिमागी रूप से ऎसा मुमकिन है। ऎसी तकनीक विकसित हो सकती है, जिसके जरिए इंसान के दिमाग को कम्प्यूटर से जोड़कर उसे हार्ड डिस्क में सेव किया जा सकना संभव होगा। इसके बाद दिमाग का डाटा कम्प्यूटर में एक फाइल के रूप में होगा और उसे कभी भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। अभी तक इंसान के संवेदी तंत्र को कम्प्यूटर से जोड़कर एनिमेशन तैयार करने के प्रयोग हो चुके हैं। ऎसे में इस सोच को कपोल कल्पना मानकर ठुकराया नहीं जा सकता। इसके अलावा 2050 में सुपर कम्प्यूटर आज के मुकाबले में एक हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली होंगे। साथ ही इनके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के स्तर में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
नए लुक में टेलीविजन
चार दशक बाद वर्तमान टेलीविजन पूरी तरह से गायब हो जाएंगे। इनकी जगह लेगा इंटरेक्टिव होलोग्राम टीवी, जिस पर दर्शक मनचाहे समय पर कोई भी कार्यक्रम अपनी सुविधा से देख सकेंगे। दर्शक त्रिआयामी तस्वीरों के साथ सुगंध का मजा भी ले सकेंगे। वर्तमान प्रसारण व्यवस्था बदलेगी और कार्यक्रम के प्रसारण के बजाय दर्शक को सूचना दी जाएगी, अमुक कार्यक्रम प्रसारण के लिए उपलब्ध है। दर्शक अपनी सुविधा से चैनल डायरेक्ट्री में जाकर कार्यक्रम देख सकेंगे। फिलहाल इंटरनेट पर कार्यक्र्रम इसी तरह उपलब्ध रहते हैं और दर्शक जब चाहे उन्हें देख सकता है। कुछ खास सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन के साथ खुशबू बिखेरने के प्रयोग हो चुके हैं। इनके अलावा आईपीटीवी भी हर घर में होंगे, जो टेलीफोन, इंटरनेट और केबल टेलीविजन जैसी सभी जरूरतों को वायरलैस तरीके से पूरा करेंगे। तो टेलीविजन को अपना सबसे प्यारा दोस्त बनाने के लिए तैयार रहिए।
एलियंस हमारे दोस्त
फिलहाल दूसरे ग्रह पर जीवन के संकेत ढूंढने में लगे वैज्ञानिक इस कल्पना को नकार नहीं सकते कि किसी अन्य ग्रह पर धरती से विकसित सभ्यता का अस्तित्व हो सकता है। कई बार वैज्ञानिकों की ओर से उड़न तश्तरियां देखे जाने के दावे किए जाते हैं। लेकिन, अभी तक प्रामाणिक रूप से किसी और ग्रह पर जीवन की पुष्टि नहीं हुई है। भविष्यवक्ताओं के मुताबिक साल 2050 तक दूसरे किसी ग्रह पर जीवन का पता लग सकता है और उस ग्रह के प्राणियों यानी एलियंस के साथ इंसान का संपर्क भी स्थापित हो सकता है। फिलहाल दुनिया में कई एजेंसियां कथित यूएफओ संकेतों के विश्लेषण में जुटी हैं। इसी तरह की सेटी नामक एक परियोजना में हजारों कम्प्यूटरों की मदद से संकेतों का विश्लेषण किया जा रहा है।
उड़न कार है ना
आप मानकर चलिए कि 2050 तक निजी उड़न कारें बहुतायत में होंगी और आवागमन के लिए वायुमार्ग का सबसे ज्यादा प्रयोग होगा। उड़न कारों के आंशिक प्रयोग फिलहाल सफल रहे हैं। उम्मीद है कि अगले दशक तक उड़न कारों का प्रयोग शुरू हो जाएगा। ये कारें-टू-सीटर और फोर-सीटर होंगी। उन्हें उतारने के लिए किसी खास हवाई पट्टी की जरूरत नहीं होगी। सड़कों पर दुर्घटना की आशंका नगण्य हो जाएगी। क्योंकि, सभी वाहन कम्प्यूटर संचालित होंगे। उनके सेंसर दूसरे वाहन की मौजूदगी या किसी अन्य बाधा को समय रहते भांप लेंगे और वाहन को रोक देंगे। आवागमन के दौरान रफ्तार में इजाफा होगा। आज मैंगलेव टे्रन 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ चुकी है। उम्मीद है कि 2050 तक यह रफ्तार 1000 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
भूल जाएंगे पेट्रोल
हैरत मत कीजिए हो सकता है साल 2050 तक वर्तमान पेट्रोलियम ईधन का प्रयोग बंद हो जाए और इसका स्थान हाइड्रोजन चलित कार ले ले। जिसका प्रयोग सफल रहा है और इसे भविष्य के ईधन के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा कुछ अन्य रासायनिक तत्वों को भी ईधन के रूप में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं। असीमित ईधन के रूप में वायु एवं सौर ऊर्जा को भी परखा जा रहा है। कुछ भी हो, चार दशक बाद का समय पर्यावरण प्रेमियों के लिए जश्न का समय होगा। क्योंकि, उन्हें पेट्रोलियम गुबार के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का डर नहीं होगा। साथ ही आम जनता को भी सस्ता और स्वच्छ ईधन मुहैया हो सकेगा।
आबादी में इजाफा
सहज जीवनशैली और चिकित्सा के निरंतर विकास के कारण मृत्युदर कम होगी और जनसंख्या बढ़ेगी। औसत उम्र 65 साल से 80 तक पहुंच जाएगी। सबसे ज्यादा संकट जापान जैसे देशों के लिए होगा, जहां वर्तमान औसत उम्र दुनिया में सर्वाधिक है। तकनीकी विकास के चलते चिकित्सा सेवाएं बेहतर होंगी और आज की कई बीमारियों का नामों-निशान तक नहीं रहेगा। सभी बीमारियों की रोकथाम के लिए एक ही टीका पर्याप्त होगा। कृत्रिम खून का प्रयोग होने लगेगा और कोई भी मरीज खून की कमी के कारण जान नहीं गंवाएगा। एड्स जैसे असाध्य रोगों का इलाज संभव हो सकता है। लेकिन, नई तरह की बीमारियों के प्रकट होने की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
रोबोट्स का बोलबाला
माना जा रहा है कि घरों में नौकर 2050 तक गायब हो चुके होंगे। उनकी जगह लेंगे रोबोट्स। फिलहाल होंडा कंपनी का असीमो नामक रोबोट समझदारी के साथ कई काम निपटाने में माहिर है। घर साफ करने से लेकर कपड़े सुखाने तक का काम यह रोबोट कर सकता है। भविष्य में रोबोट तकनीक में काफी सुधार होगा और ये वहन करने लायक कीमत पर जनता को मुहैया होंगे। मशीनों को कुछ स्तर तक संवेदनशील बनाने के प्रयास भी चल रहे हैं। भावनात्मक दोस्तनुमा रोबोट बनाने में कामयाबी मिल चुकी है। चार दशक बाद अधिकतर दुकानें मशीनों से ही संचालित होंगी। बिल्कुल उसी तरह, जैसा आज चाय या कॉफी वेंडिंग मशीन का संचालन होता है। मानवीय श्रम लगभग गायब हो चुका होगा। वर्तमान श्रमिक रोबोट संचालन के रूप में नजर आएंगे। फिर तो इंसानी ओलंपिक के साथ ही रोबोट ओलंपिक का भी आयोजन होगा।
हाइटेक आशियाने
मकानों की ऊंचाई 2050 तक लगभग बढ़ेगी। लेकिन, भविष्य में बनने वाली इमारतें आज के मुकाबले सुरक्षित होंगी। बड़े शहरों में सौ-मंजिला इमारतें आम होंगी। ऊंची इमारतों का संचालन कम्प्यूटराइज्ड होगा। मकान में फाइबर, स्टील और लकड़ी का इस्तेमाल आज के मुकाबले में ज्यादा होगा। भूकंप संभावित क्षेत्र में निर्माण में विशेष्ाज्ञ एहतियात बरतने का काम शुरू हो चुका है। चार दशक में इमारतें सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरी उतरेंगी। हरियाली और सिकुड़ेगी और उनकी जगह कंकरीट के जंगल लेंगे। आज की कुछ दुर्लभ वन्य प्रजातियां 2050 में केवल तस्वीरों तक सिमट सकती हैं। बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवासीय भूमि में बढ़ोतरी होगी।
sabhar :www.patrika.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
vigyan ke naye samachar ke liye dekhe