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जल्दी ही खुद के अंग विकसित कर सकेंगे आप

वैज्ञानिकों के मुताबिक पांच साल के भीतर मानव अपने खुद के अंग जैसे जोड़, रीढ़ की हड्डी और हृदय आदि को विकसित कर सकेगा, जिससे बुजुर्ग लोग अधिक उम्र में भी स्वस्थ रह सकेंगे। लीड्स विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड बायलॉजिकल इंजीनियरिंग का एक दल इस परियोजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत बुजुर्ग लोग अपने क्षतिग्रस्त जोड़ों और हृदय को फिर से विकसित कर सकेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस परियोजना का उद्देश्य शरीर में इच्छानुरूप अंगों को बदल सकना है और अनुसंधान केंद्रों का प्रमुख ध्यान टिश्यू और मेडिकल इंजीनियरिंग की एक प्रणाली के इर्दगिर्द लगाना है। प्रतिरक्षा विज्ञानी प्रोफेसर ऐलीन इंघम के नेतृत्व में वैज्ञानिक मनुष्य तथा जंतुओं के अंगों से जीवित कोशिकाओं को निकालने की तकनीक पर काम कर रहे हैं। जीवित कोशिकाएं स्नायुओं, जोड़ों और रक्त वाहिकाओं का पांच प्रतिशत से कम विकास करती हैं और इन्हें विशेष एंजाइमों तथा डिटर्जेंटों के साथ हटाया जा सकता है। द डेली टेलीग्राफ की खबर के अनुसार इन जैविक कोशिकाओं को रोगियों के शरीर में प्रतिरोपित किया जाता है, जिसके बाद शरीर खुद ब खुद कोशिकाओं को बद

जापान के वैज्ञानिक करेंगे सपनों की वीडियों रिकॉर्डिंग

आप लिखी गयी कहानियों की फिल्में देखते रहें, टीवी पर अपना मनपसन्द धारावाहिक देखते हैं, लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि यदि सोते वक्त आपके द्वारा देखे गये सपनों को स्क्रीन पर देखने का मौका मिले तो कैसा लगेगा? बेशक ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। जापानी वैज्ञानिक मानव मसितष्क की अवचेतन अवस्था निद्रा में देखें गये सपनों में घुसपैठ करने और, उनकी यूसबी, फ्लैश ड्राइव या वीडियो डिस्क पर रिकार्डिग करने में जी-जान से जुटें है। कहने-सुनने में में यह काल्पनिक जरूर लग रहा होगा, लेकिन इस समय जापान के नारा नगर के वैज्ञानिक स्वप्नों में घुसपैठ कर उसकी वीडियो रिकार्डिंग की तैयारी में लगे हुए हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल करने में सोये हुये व्यकित को किसी भी प्रकार कोर्इ दिक्कत नहीं होगी।इस विषय पर वहां के तकोलोजी संस्थान के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मनुष्य के अवचेतन में झांककर यह देखा जा सकता है कि सोया हुआ व्यकित किस तरह के सपने देख रहा है। फिलहाल अब उनका अगला टारगेट है कि मनुष्य द्वारा देखे गये सपनों की वीडियो रिकार्डिंग करना। जापानी वैज्ञानिकों का यह शोध अपने-आप में अदभुत है। वें नींद के अन्य चरणों

भारत में रूसी टेकनोलाजी से सस्ती बिजली ऊर्जा

भारत में जो बिजली घर रूसी टेकनोलाजी पर बनाये गये हैं उनके द्वारा उत्पादित बिजली ऊर्जा अमरीका की भागीदारी से निर्मित बिजली घरों द्वारा उत्पादित ऊर्जा से 50 प्रतिशत सस्ती होगी। यह सूचना इंडियान एक्सप्रेस समाचार पत्र द्वारा दी गयी है। उसके अनुसार अगर कुडनकुलम के दूसरे और तीसरे रिएक्टरों का निर्माण किया जायेगा तो उसके द्वारा उत्पादित एक किलोवाट ऊर्जा का दाम केवल 6 रुपये होगा। कुडनकुलम के पहले रिएक्टर को आनेवाले समय में चालू किया जायेगा। दूसरे रिएक्टर का निर्माण पूरा होनेवाला है। तिसरे और चौथे रिएक्टरों के निर्माण के लिये कांट्रेक्ट की तैयारी की जा रही है। sabhar :http://hindi.ruvr.ru/ और पढ़ें:  http://hindi.ruvr.ru/news/2013_09_19/243252388/

गाय का गोबर उड़ाएगा एरोप्लेन

नई दिल्ली.  सबसे तेज सफर कराने वाले हवाई जहाज में खूबियां कितनी हैं, यह हम जानते हैं लेकिन उसकी एक खामी से सभी परेशान रहते हैं. हवाई जहाज की कान फाड़ आवाज. लेकिन जल्द ही इस दिशा में राहत मिल सकती है. चेन्नई के तीन छात्र बहुत जल्द दुनिया की सबसे शांत एयरलाइन की नींव रख सकते हैं. इसके अलावा एयरक्राफ्ट डिजाइनिंग प्रतियोगिता में गाय के गोबर से हवाई जहाज उड़ाने का आइडिया भी शॉर्टलिस्ट किया गया है. ऑस्ट्रेलिया के इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने जो आइडिया सामने रखा है, उसके तहत मवेशियों के वेस्ट से निकलने वाली मीथेन गैस को जेट के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. यह वेस्ट प्लेन के इंजन के पास रेफ्रिजरेटेड पॉड में स्टोर किया जाएगा. टीम का दावा है कि गोबर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 97 फीसदी की कमी कर सकता है. दुनिया की प्रमुख एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एयरबस के चार्ल्स चैम्पियन का कहना है कि इन इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने जीरो प्रोपल्जन नॉइज के साथ भविष्य में हवाई जहाज बनाने की जो महत्वांकाक्षी योजना सामने रखी है, वह व्यावहारिक साबित हो सकती है और कंपनी आगे डेवलपमेंट के लिए इसे अहम आइडिया के

अब दिल की धड़कनों से ऑन-ऑफ होंगे मोबाइल और कंप्यूटर

टोरंटो.  वैज्ञानिकों ने हार्ट बीट और नाड़ी के स्पंदन का ढंग पढ़कर मोबाइल फोन और कंप्यूटर को ऑन करने वाला एक रिस्ट बैंड तैयार किया है. इस रिस्ट बैंड को यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में विकसित किया गया है. इसमें हार्ट बीट को रीड करने के लिए एक वोल्टमीटर है. इसका इस्तेमाल कार को अनलॉक करने और ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट करने के लिए भी किया जा सकता है. इस रिस्ट बैंड को नाइमी नाम दिया गया है. इस डिवाइस के आने से उम्मीद जताई जा रही है कि यह आगे चलकर कंप्यूटर, मोबाइल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के पासवर्ड की जगह ले लेगा. इसकी मार्केटिंग कर रही कंपनी ने शुरुआत में खरीदे गए ढाई लाख नाइमी रिस्ट बैंड की कीमत 50 पौंड रखी है, वहीं इसके बाद कस्टमर्स को हर बैंड के लिए 63 पौंड चुकाना होगा. यह बैंड 2014 की शुरुआत में कस्टमर्स को भेजे जाएंगे. कनाडा की कंपनी बायोनिम ने कंपनी ने हार्ट बीट पढ़ने वाला रिस्ट बैंड तैयार किया है. इसमें हार्ट बीट को रीड करने के लिए हार्ट आईडी है. हर शख्स के फिंगर प्रिंटस की तरह ही हृदय की गति और उसके वाइब्रेशन का तरीका भी अलग होता है. लिहाजा बैंड पहनने वाले व्यक्ति के इलेक्ट्रॉन

AIDS का नया टीका, शरीर से HIV का नामोनिशान मिटा देगा!

वाशिंगटन : एड्स का एक नया टीका शरीर से घातक एचआईवी को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम हो सकता है। एक नए अध्ययन में इस टीके के बारे में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ओरेजोन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में विकसित किए गए एचआईवी एड्स के इस टीके ने वनमानुषों में एड्स फैलाने वाले वायरसों के सभी निशान प्रभावी तरीके से मिटा देने की क्षमता का प्रदर्शन किया। इस टीके का परीक्षण वनमानुषों में पाए जाने वाले एचआईवी की तरह के एक अन्य वायरस एसआईवी पर किया जा रहा है। एसआईवी बंदरों में एड्स फैलाता है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि एचआईवी के लिए ऐसे टीके की जांच जल्दी ही इंसानों पर की जा सकेगी। ओएचएसयू वैक्सीन एंड जीन थरेपी इंस्टीट्यूट के सहायक निदेशक लुईस पिकर ने कहा कि अभी तक एचआईवी संक्रमण का इलाज बहुत कम मामलों में ही किया जा सका है, जिनमें एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एंटी-वायरल दवाइयां संक्रमण के तुरंत बाद दी गईं या जिन्होंने कैंसर पर काबू पाने के लिए सेल ट्रांसप्लांट करवाया। पिकर ने कहा कि हालिया शोध से प्रतीत होता है कि नए टीके से प्राप्त प्रतिरोधन क्षमता की प्रतिक्रियाओं में शरीर से एच

मकड़ी के जाले से बने ट्यूब में दौड़ेगी बिजली!

वांशिगटन: शोध से पता चला है कि मकड़ी के जाले से बने सूक्ष्म ट्यूब में उष्मा व बिजली का संचार हो सकता है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के भौतिकशास्त्री ईडन स्टीवन को मकड़ी के जाले और कार्बन नैनोट्यूब पर किए गए प्रयोग आश्चर्यजनक और पर्यावरण अनुकूल परिणाम मिले। स्टीवन ने कहा कि यदि हम विज्ञान के मूल को समझ जाए और जानें की प्रकृति कैसे काम करती है तो हम इसका प्रयोग करने की विधि समझ सकेंगे। इसके प्रयोग से हम नई स्वच्छ तकनीक का विकास कर सकेंगे। यह नई खोज शोध पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस में ऑनलाइन प्रकाशित हुई है। नैनोट्यूब को कार्बन की एक परमाणु के आकार की मोटाई वाली चादर के तौर पर समझा जा सकता है, जिसे मोर कर गोल कर एक नली बनाई गई है। नैनोट्यूब की चौड़ाई मनुष्य के बाल से 10 हजार गुना कम होती है। भौतिकशास्त्री ने कहा कि जब कोई चीज इतना सूक्ष्म हो, तो यह काफी अजीब व्यवहार करती है। स्टीवन ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस नई खोज को कई जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग ह्यूमिडिटी सेंसर, स्ट्रेन सेंसर, वजन को उठाने और बिजली के तार की तरह किया जा सकता है। (एजेंसी) sabhar : http://zeenews.in