आप लिखी गयी कहानियों की फिल्में देखते रहें, टीवी पर अपना मनपसन्द धारावाहिक देखते हैं, लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि यदि सोते वक्त आपके द्वारा देखे गये सपनों को स्क्रीन पर देखने का मौका मिले तो कैसा लगेगा? बेशक ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। जापानी वैज्ञानिक मानव मसितष्क की अवचेतन अवस्था निद्रा में देखें गये सपनों में घुसपैठ करने और, उनकी यूसबी, फ्लैश ड्राइव या वीडियो डिस्क पर रिकार्डिग करने में जी-जान से जुटें है। कहने-सुनने में में यह काल्पनिक जरूर लग रहा होगा, लेकिन इस समय जापान के नारा नगर के वैज्ञानिक स्वप्नों में घुसपैठ कर उसकी वीडियो रिकार्डिंग की तैयारी में लगे हुए हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल करने में सोये हुये व्यकित को किसी भी प्रकार कोर्इ दिक्कत नहीं होगी।इस विषय पर वहां के तकोलोजी संस्थान के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मनुष्य के अवचेतन में झांककर यह देखा जा सकता है कि सोया हुआ व्यकित किस तरह के सपने देख रहा है। फिलहाल अब उनका अगला टारगेट है कि मनुष्य द्वारा देखे गये सपनों की वीडियो रिकार्डिंग करना। जापानी वैज्ञानिकों का यह शोध अपने-आप में अदभुत है। वें नींद के अन्य चरणों में सपनों की रिकार्डिंग करके उसका अघ्ययन करना चाहते हैं, ताकि बाद में एक ऐसा उपकरण बनाया जा सके, जिसकी सहायता से अवचेतन में दिखार्इ देने वाले इन सपनों का स्क्रीन पर वीडियो प्रसारण करना भी सम्भव हो जाये। रूस के निंद्रा अध्ययन विशेषज्ञों की एसोसियेशन के अध्यक्ष रमान बुजुनफ मानते हैं कि यदि सपनों की रिकार्डिंग करना, उनका स्क्रीन पर ध्वनियों के साथ पूरी तरह से प्रसारण करना सम्भव हो जायेगा तो हकीकत में वह एक सचमुच की फिल्म की तरह होगा। जो वैज्ञानिक सर्वप्रथम इस तकनीक को सफल बनाने में सफल होगा, उसे नोबल पुरस्कार तो जरूर मिलेगा। कैसे होगी सपनों की रिकार्डिंग? जपानी वैज्ञानिकों ने इस दिशा में अध्ययन करने के लिए उन्होंने तीन पुरूषों को आमत्रित किया। जब वे तीनों व्यकित आराम से सो रहें थे तो उनके अवचेतन मन को एक विशेष उपकरण से जोड़ दिया गया। यह उपकरण मसितष्क की गतिविधियों पर नजर रख रहा था। जब तीनों मनुष्य गहरी निंद्रा में थे तो उनकी पलकों के नीचे छुपी पुतलियां तेजी से गतिमान थीं एंव उनके दिमाग में जीवनन्त प्रक्रिया चल रही थी। कुछ समय बाद प्रयोग में शामिल तीनों व्यकितयों को जगाया गया और उनसे पूछा गया कि वे सपनें में क्या देख रहे थे। तत्पश्चात शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने इन तीनों के द्वारा अपने सपनों की कहानियों को उस विशेष उपकरण में रिकार्ड की गयी उनके अवचेतन की गतिविधियों के रिकार्ड से मिलाकर देखा फिर इसके बाद उसका कम्प्यूटर-प्रोग्राम तैयार कर लिया गया जो व्यकित के अवचेतन में होने वाली गतिविधियों की रिकार्डिंग के अनुसार उसकी तस्वीरें बनाकर सामने रख देता है। मालूम चला है कि यह कम्प्यूटर-प्रोग्राम मनुष्य द्वारा देखे जाने वाले सपनों की 80 प्रतिशत तक सटीक रिकार्डिंग प्रस्तुत कर सकता है। खैर ये तो समय के गर्भ में है कि वो खुशनुमा पल कब आयेगा जब आप अपने सपनों की कहानियों को एक सच्ची फिल्म की तरह देख पायेंगे। किन्तु यदि जपानी वैज्ञानिकों ने इस प्रणाली में कामयाबी हासिल कर ली तो सच में विज्ञान प्रकृति की अनमोल कृति की आन्तरिक क्रियाओं की गतिविधियों को काफी हद-तक जान लेगी।
sabhar :http://hindi.oneindia.in
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