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2035 तक आदमी की जगह रोबोट मज़दूरी करेंगे

2035  तक आदमी की जगह रोबोट मज़दूरी करेंगे

Photo: EPA


वर्ष 2025 तक विकसित देशों में रोबटों की संख्या उन देशों की जनसंख्या से ज़्यादा होगी और वर्ष 2032

वर्ष 2025 तक विकसित देशों में रोबटों की संख्या उन देशों की जनसंख्या से ज़्यादा होगी और वर्ष 2032 में उनकी बौद्धिक-क्षमता भी मानवीय बौद्धिक-क्षमता से अधिक हो जाएगी। और वर्ष 2035 तक रोबट पूरी तरह से मानव की जगह श्रमिक का काम करने लगेंगे।
मानवजाति अभी भी क्रमिक विकास के दौर से गुज़र रही है। प्रतिरोपण विज्ञान के विकसित होने की वज़ह से मानव की औसत आयु बढ़कर 200 वर्ष तक हो सकती है। मास्को में अमरीकी कम्पनी सिस्को के प्रमुख तक्नीशियन डेव एवन्स ने यह भविष्यवाणी की।
उन्होंने कहा कि यदि बीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक मानवजाति का ज्ञान हर सौ वर्ष में बढकर दुगुना हो जाता था, तो आज हर 2-3 साल में ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि त्रिआयामी (थ्री डी) प्रिन्टर का आविष्कार तक्नोलौजी के क्षेत्र में अभी तक मानवजाति की सबसे ऊँची छलाँग है।
इसका मतलब यह है कि किसी चीज़ को बनाने के लिए उसके त्रिआयामी डिजिटल मॉडल पर विभिन्न प्रकार की सामग्री को परत दर परत चिपकाया या जोड़ा जा सकता है। भविष्य में इंटरनेट से वैसे ही किसी भी वस्तु को निकालना संभव हो जाएगा, जैसे आज संगीत को डाउनलोड किया जाता है।
विशेष त्रिआयामी प्रिन्टरों की सहायता से डॉक्टर प्रत्यारोपण के लिए विभिन्न अंगों को छाप सकेंगे। इंजीनियर इन प्रिन्टरों की सहायता से तरह-तरह के पुर्जे बना सकेंगे और आम लोगों को किसी नई फ़ैशनेबल चीज़ के लिए लाईन में नहीं लगना पड़ेगा। उदाहरण के लिए किसी नवीनतम स्मार्टफ़ोन को कोई भी ग्राहक अपने घर पर ही छाप सकेगा।
इस तरह के प्रिन्टर आज भी काम कर रहे हैं और वे 40 विभिन्न पदार्थों का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं। इन पदार्थों में प्लास्टिक, सोना, चाँदी, शीशा, पोलिकार्बोनेट (हल्का और मज़बूत प्लास्टिक) और ग्राफ़ीन आदि शामिल है।
डेव एवन्स का कहना है कि वर्ष 2025 तक इस तरह के प्रिन्टर घर-घर में होंगे और उनकी क़ीमत पचास-साठ हज़ार रूपए से कम ही होगी। sabhar :http://hindi.ruvr.ru
और पढ़ें: http://hindi.ruvr.ru/2012_11_01/93190039/

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