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चुकंदर के रस से रहेँगे जवान

शरीर विज्ञानी कहते हैं कि इंसानी शरीर के लिए फलों और सब्जियों का भोजन ही सबसे बढिया होता है। इस बात को एक हालिया रिसर्च से और भी अधिक बल मिलता है। कुदरत ने हमारी धरती पर एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट और गुणकारी फल और शाक-सब्जियों को पैदा किया है। जमीन के अंदर पैदा होने वाला चुकंदर हमारी सेहत के लिये बेहद गुणकारी कंद है। चुकंदर के गुणों पर किए गए हालिया रिसर्च के नतीजे काफी उत्साहवर्धक हैं।रिसर्च के नतीजों के मुताबिक चुकंदर का रस बुजुर्गो को ऊर्जावान बना सकता है। एक नए अध्ययन के मुताबिक यह रस बुजुर्गो के जीवन में फिर से जवानों के जैसी सक्रियता बढ़ा देता है।अध्ययन के मुताबिक बुजुर्गो को चुकंदर का रस पीने के बाद हल्का-फुल्का व्यायाम करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उन्हें पैदल चलने के लिए जितना प्रयास करना पड़ता है, चुकंदर का रस पीने से उसमें 12 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है।"जर्नल ऑफ एप्लाइड फि जियोलॉजी" में ब्रिटेन के एग्जिटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि चुकंदर का रस पीने के बाद बुजुर्ग वह काम भी कर सकते हैं, जिनके लिए वैसे कोशिश भी नहीं करते हैं।चुक

प्रयोगशाला में कृत्रिम मस्तिष्क कोशिका का निर्माण

यूनिवर्सिटी आफ साउदर्न केलिफोर्निया विटरबी स्कूल आफ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एलिस पार्कर ने कृत्रिम मस्तिष्क कोशिकाओं का निर्माण प्रयोगशाला में किया है मस्तिष्क कोशिका एक प्रकार का तंत्रिकाओं के बीच का जोड़ है जो जिससे होकर विभिन्न रंग या रासायनिक संदेश एक तरीका से दूसरे तक गुजरते हैं कृत्रिम मस्तिष्क कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए प्रोफेसर एलिस पार्क कर और चूने तंत्रिकाओं को जोड़ने वाली डिजाइन नैनो टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ के बनाया है

ऐसा व्यक्ति जिसने दी थी एड्स को मात

अमेरिका के एक ऐसे व्यक्ति ने विश्व की सबसे खतरनाक बीमारी को मात देखकर चिकित्सा जगत को समर्पित कर दिया था वह दुनिया का ऐसा पहला मरीज है जिसके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं 45 वर्षीय तिमोथी रे ब्राउन के लिए इसे किस्मत की ही बात कहेंगे कि दरअसल व एड्स के अलावा एक और प्राण घातक बीमारी एक प्रकार का ब्लड कैंसर से पीड़ित थे के इलाज के लिए उनके शरीर में एक बार बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है उसी के बाद उनका एड्स भी ठीक होने लगा अब उनके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं डॉक्टरों ने इस अनोखी घटना को फंग्शनल चोर का 9995 में ब्राउन के शरीर में एचआईवी वायरस के संक्रमण के बारे में पता लगा था वह ल्यूकेमिया से जूझ रहे थे तब वह जर्मनी में रहते थे बर्लिन में 2007 में हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन ने उनकी जिंदगी बदल दी वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके शरीर में जिसका बोन मैरो प्रस्तावित किया गया उसके अंदर रहे होंगे जो के जरिए पहुंच गए और वह काकेशियाई मूल का रहा होगा यूरोप स्थित काकेशिया पर्वत इसके आसपास रहने वाले लोग के माने जाते हैं होते हैं और उत्तर पश्चिम एशिया

महिला के रक्त की जांच से गर्भस्थ शिशु के लिंग का सटीक निर्धारण

 अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन शोध पत्रिका में प्रकाशित एक अन्वेषण के अनुसार गर्भवती महिलाओं के रुधिर के डीएनए के परीक्षण से 7 सप्ताह के गर्भस्थ शिशु के लिंग का निर्धारण किया जा सकता है और इससे उनको कोई हाथ भी नहीं पहुंचती है शोध में कहा गया है कि यदि एमियों से टेंसेस लिखित या सोनोग्राम आज विधियों की तुलना में अधिक सटीक है तथा गर्भवती महिला के गर्भाशय जहां से अधिक सुरक्षित है गर्भस्थ शिशु का अल्ट्रासाउंड भी 11 से 14 सप्ताह का होने पर ही किया जा सकता है लेकिन रक्त के डीएनए के परीक्षण के साथ सप्ताह के गर्भ में शिशु का लिंग निर्धारित किया जा सकता है

ऐसा जीन किसी भी पौधे को किसी भी मौसम में उगाने में सक्षम

 अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पादपों में एक महत्वपूर्ण अनुसार अनुवांशिक जीन की पहचान की है जो उनकी जैविक घड़ी को गतिशील रखता है det1 नामक इस जीन की मदद से पादपों में कुछ बदलाव लाकर उन्हें भिन्न मौसमों और स्थानों पर उगाया जा सकता है साथ ही इससे वैश्विक खाद्य उत्पादन बढ़ सकता है ज्ञातव्य हो कि करीब करीब सभी जिलों में एक जैविक घड़ी होती है जो दिन और रात के साथ जैविक क्रियाओं के सामान में उन्हें मदद करती है पादपों में या घड़ी वृद्धि को दोनों समय और दिन या सीजन के लिए समायोजित करने में महत्वपूर्ण है यह घड़ी प्रातः जीवन और साय जीन से संबंध है प्रातः जिनके प्रोटीन दिन निकलने पर साय जीन पर हावी हो जाते हैं और शाम होने पर इसका उल्टा होता है अल्बर्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई dt1 नामक जीन जैविक चक्कर में को दबाने में अहम भूमिका निभाता है मुख्य अनुसंधानकर्ता जिंक 1 दिन के अनुसार जो पादप कंपनी dt1 में बनाते हैं उनमें जैविक घड़ी तेज होती है उसमें कम समय में फूल आ जाते हैं beta1 नामक जीन की खोज से विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को दुर्गम स्थानों से इतर सहज और

क्यों होती है इम्यूनिटी कमजोर

शरीर में चर्बी का अनावश्यक रूप से जमा होना- वजन बहुत कम होना फास्टफूड, जंकफूड आदि का ज्यादा सेवन।शरीर को ठीक से पोषण न मिलना- धूम्रपान, शराब, ड्रग आदि का सेवन- पेनकिलर, एंटीबॉयोटिक आदि दवाओं का लंबे समय तक सेवन। लंबे समय तक तनाव में रहना। लंबे समय तक कम नींद लेना अथवा अनावश्यक रूप से देर तक सोना शारीरिक श्रम का अभाव। प्रदूषित वातावरण में लंबे समय तक रहना।- बचपन और बुढ़ापे में रोगप्रतिरोधक शक्ति सामान्य तौर पर कुछ कमजोर होती है, पर खराब जीवनशैली;चलते युवावस्था में भी यह कमजोर हो सकती है।- गर्भवती स्त्री का खान-पान ठीक न हो या वह कुपोषण का शिकार हो तो होने वाले बच्चे की भी रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की संभावना बनी रहत- अगर आप चीनी ज्यादा खाते हैं तो यह इम्यूनिटी के लिए नुकसानदेह है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में छपे एक शोध के अनुसार सौ ग्राम या इससे अधिक शुगर खा लेने की स्थिति में श्वेत रुधिर कणिकाओं की रोगाणुओं को मारने की क्षमतापांच घंटे तक के लिए कमजोर पड़ जाती है। कम पानी पीने से इम्यूनिटी कमजोर पड़ती है, क्योंकि पर्याप्त पानी के अभाव में शरीर सेविजातीय द्रव्यों को बाहर

vigyan kee takneek: न्यूरो चीप बनाने में सफलता

vigyan kee takneek: न्यूरो चीप बनाने में सफलता : इटली के वैज्ञानिको ने न्यूरो चीप बनाने में सफलता हासिल की है जिससे जीवित मस्तिस्क कोशिकाएं सिलिकन सर्कीट से सम्बन्ध की जा सकेगी इसके अतिर...