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इंसान 2040 तक खोज निकालेगा एलियन

न्यूयॉर्क। इंसान आगामी 25 वर्षो के अंदर अंतरिक्ष में एलियन निर्मित विद्युत चुंबकीय तरंगों का पता लगाकर कुशाग्र अलौकिक जीवन को खोज निकालने में सक्षम हो जाएगा। यह दावा एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने किया है। कैलीफोर्निया के माउंटेन व्यू स्थित एसईटीआइ [सर्च फॉर एक्ट्राटरेस्ट्रियल इंटेलीजेंस] इंस्टीट्यूट के सेठ शोस्तक के अनुसार, 2040 या इसके बाद तक खगोलविद एलियन निर्मित विद्युत चुंबकीय तरंगों का पता लगाने के लिए तारा मंडलों की बारीकी से पर्याप्त जांच कर चुके होंगे। उन्होंने यह बात पिछले सप्ताह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में नासा के 2014 अभिनव उन्नत अवधारणा विषयक संगोष्ठी में चर्चा के दौरान कही। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, शोस्तक ने कहा कि मुझे लगता है कि हम इस प्रकार के प्रयोगों का इस्तेमाल कर दो दर्जन सालों के अंदर अलौकिक जीवन का पता लगा लेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक कुछ हजार तारा मंडलों को देखने के बावजूद हमें अब से अगले 24 वर्षो तक हो सकता है कि दस लाख तारा मंडलों पर गौर करना होगा। कुछ पाने के लिए दस लाख की संख्या सही है। शोस्तक की यह भविष्यवाणी नासा के अंतरिक्ष दूरबीन केपलर की

अब जूते बताएंगे सही रास्ता

  यह भी बताते हैं कि कितनी कैलरी खर्च हुई। ये खास जूते सितंबर से बिक्री के लिए बाजार में आएंगे। इनमें ब्लूटूथ ट्रांसरिसीवर लगा है जो पहनने वाले के स्मार्टफोन के ऐप से जुड़ा है। गूगल मैप के जरिए जूते सही दिशा बताने के लिए वाइब्रेट करते हैं और यूजर को बताते हैं कि दांएं या बाएं किस ओर मुड़ना है।  इस तरह के जूते बनाने का आइडिया 30 वर्षीय क्रिस्पियान लॉरेंस और 28 साल के अनिरुद्ध शर्मा को आया। जूते की कीमत 6,000 से लेकर 9,000 रुपये के बीच है। 2011 में दोनों ने एक अपार्टमेंट से छोटी सी टेक कंपनी की स्थापना की और अब इसमें 50 लोग काम करते हैं। लॉरेंस बताते हैं, हमें यह विचार आया और हमने महसूस किया कि यह नेत्रहीन लोगों के लिए काफी मददगार साबित होंगे, यह बिना ऑडियो और फिजिकल डिस्ट्रैक्शन के काम करेगा। sabhar : http://navbharattimes.indiatimes.com/

छिपकली की पूंछ जैसे उगेंगे मनुष्य के अंग!

न्यूयॉर्क। अपनी विशेषता के कारण  छिपकली की पूंछ  प्राचीन समय से मानव जाति के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। विदित हो कि छिपकली की पूंछ का अपने आप अलग हो जाना और फिर इसके स्थान पर नई पूंछ उग आना मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रहा है। लेकिन, अब ऐसा दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने अब इस पहेली का रहस्य सुलझा लिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी हो गई है कि आखिर कैसे छिपकली नई पूंछ उगा सकती है। वैज्ञानिकों ने वह आनुवांशिक नुस्खा खोज निकाला है जो छिपकली में अंग के पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है।  अमेरिका की एरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंसेज की प्रोफेसर डॉ. केनरो कुसुमी का कहना है किछिपकली में भी 326 वही जीन होते हैं जो मनुष्यों में भी पाए जाते हैं। वे मनुष्यों की शारीरिक संरचना से सबसे ज्यादा मेल खाने वाले जीव हैं। जर्नल 'पीएलओएस वन' में बीस अगस्त को प्रकाशित शोध में कहा गया है कि इस खोज से कई रोगों को ठीक करने में मदद मिल सकती है।  इस आनुवांशिक नुस्खे का पता लगाकर उन्हीं जीन को मानव कोशिका में आरोपित कर उपास्थि, मांसपेशी और रीढ़ की हड्डी क

गूगल ड्रोन बदल देंगे दुनिया

गूगल की गुप्त रिसर्च लैब ऐसे ड्रोन डिजाइन करने की कोशिश कर रही है जो शहर के यातायात से बचते हुए लोगों तक माल तेजी से पहुंचा दे. इंटरनेट कंपनी गूगल ग्लास और स्मार्ट वॉच बाजार में पेश कर चुकी है. महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की घोषणा के बाद गूगल और अमेजन डॉट कॉम में तकनीकी रेस और तेज हो जाएगी. अमेजन कुछ महीनों पहले से ड्रोन के जरिए ग्राहकों तक पैकेट पहुंचाने का प्रयोग कर रहा है. अमेजन अमेरिका की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनी है. ऑनलाइन वीडियो, डिजिटल विज्ञापन और मोबाइल कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्र में अमेजन गूगल के सामने बड़ी चुनौती है. इस रेस में एप्पल भी शामिल है. गूगल ने अपने ड्रोन बिजनेस को प्रोजेक्ट विंग नाम दिया है. हालांकि गूगल को उम्मीद है कि ड्रोन के बेड़े को पूरी तरह से तैयार होने में कई साल लगेंगे, कंपनी का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में ड्रोन ने टेस्ट फ्लाइट्स में फर्स्ट एड किट, चॉकलेट और दो किसानों को पानी पहुंचाया. हवाई प्रौद्योगिकी में महारत हासिल करने के साथ ही गूगल और अमेजन को कई देशों में ड्रोन उड़ाने के लिए सरकारी इजाजत चाहिए होगी. अमेरिकी कंपनी अमेजन ने देश के संघीय उड्ड

स्मरण शक्ति में सुधार

बहुत अधिक संख्या में ऐसे लोग हैं जो प्राय: अपनी कमजोर स्मरण क्षमता को लेकर चिंतित रहते हैं। जब वे किसी का पक्ष या सामने वाले व्यक्ति का नाम तक भूल जाते हैं तो उन्हें और भी बुरा लगता है। ऐसा उनके साथ भी होता है, जिनके पास पहले अच्छी स्मरण शक्ति थी। हमें याद रखना चाहिए कि स्मरण शक्ति एक बैंक की तरह है। यदि इसमें कुछ डालेंगे, तभी तो निकाल सकेंगे। यह मान कर चलें कि आपकी स्मरण शक्ति तीव्र है, स्वयं से सकारात्मक अपेक्षा रखें। यदि मानेंगे कि आपका दिमाग काम नहीं करता, याददाश्त हाथ से निकल गई है तो दिमाग भी यही मानने लगेगा। हमारी स्मरण शक्ति इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने पहले किसी घटना को कितनी रुचि व महत्व दिया है। जब हम किसी व्यक्ति या घटना से आकर्षित होते हैं तो उस पर अधिक ध्यान देते हैं। तब ऐसे व्यक्ति या घटना को याद करना आसान हो जाता है। अच्छी स्मरण शक्ति स्कूल, कॉलेज व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में काम आती है। इसकी मदद से हम नई व उन्नत तकनीकों तथा परिवर्तनों को तेजी से आत्मसात कर पाते हैं। कंप्यूटर में कोई चिप या सॉफ्टवेयर लगा कर उसकी मैमरी सुधार सकते हैं। मस्तिष्क की संरचना कं

दिमाग की तरंगों से फ्रांस भेजा संदेश

photo googal मोबाइल या इंटरनेट को भूल जाइए, जल्द आप मस्तिष्क के जरिए दोस्तों और सहकर्मियों को संदेश भेज सकेंगे। वैज्ञानिकों ने तकनीक के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए मस्तिष्क से संदेश भेजने का सफल प्रयोग किया है। इस प्रयोग में एक भारतीय व्यक्ति ने फ्रांस में मौजूद अपने साथी को मस्तिष्क की तरंगों के जरिए संदेश भेजा है। स्पेन के तीन और फ्रांस के एक वैज्ञानिक संस्थान के शोधकर्ता इस प्रयोग पर काम कर रहे हैं। प्लस वन जर्नल में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रयोग मस्तिष्क तंरग संवेदी मशीन पर आधारित था। इससे पहले मस्तिष्क तंरगों से कंप्यूटर गेम खेलने और हेलीकॉप्टर को नियंत्रित करने जैसे प्रयोग हुए हैं, लेकिन पहली बार इसका इस्तेमाल दो मस्तिष्कों के बीच संदेश भेजने में किया गया। ऐसे किया प्रयोग जब हम कुछ सोचते हैं, तो मस्तिष्क में मौजूद न्यूरॉन धीमी विद्युत तरंगों को जन्म देता है। इलेक्ट्रोएनसेफ्लोग्राफी (ईईजी) मशीन इन विद्युत तरंगों को रिकॉर्ड करने में सक्षम होती है। प्रयोग के दौरान भारतीय ने दो शब्द सोचे ‘होला’ और ‘सिआ’। होला फ्रेंच शब्द है, जिसका अर्थ है हैलो।

अन्यग्रहवासियों से मुलाक़ात ज़रूर होगी : रूसी अंतरिक्ष-यात्री

अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिधि पर उपस्थित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष-स्टेशन में काम कर रहे रूसी अंतरिक्ष-यात्री गेन्नादी पदालका का कहना अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिधि पर उपस्थित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष-स्टेशन में काम कर रहे रूसी अंतरिक्ष-यात्री गेन्नादी पदालका का कहना है कि भविष्य में मानव की मुलाक़ात दूसरे ग्रह के निवासियों से ज़रूर होगी। चीन के प्रमुख टेलीविजन चैनल पर दर्शकों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि इस ब्रह्माण्ड में अकेले सिर्फ़ मानवजाति ही रहती हो। गेन्नादी पदालका ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहले से ही अन्यग्रहवासी से मुलाक़ात होने पर उसके साथ सम्पर्क और व्यवहार की हिदायतें तैयार कर रखी हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि ये हिदायतें कैसी हैं। sabhar :http://hindi.ruvr.ru/ और पढ़ें:  http://hindi.ruvr.ru/2012_06_19/78619378/

नैनोकण निकालेंगे तर्कसंगत निष्कर्ष

रूसी विशेषज्ञ अब मेडिकल नैनोरोबोट बनाने की कगार पर पहुँच गए हैं| उन्होंने नैनो और सूक्ष्मकणों को जैव-रासयनिक प्रतिक्रियाओं (बायोकेमिकल रिएक्शनों) की मदद से तर्कसम्मत निष्कर्ष निकालना सिखा दिया है| यह नई पीढी के डाक्टरी उपकरणों की मदद से जैव-प्रक्रियाओं का विश्वसनीय संचालन करने का रास्ता है| ऐसे उपकरण आवश्यक औषधियां ठीक समय पर और ऐन सही ठिकाने पर शरीर में पहुंचाएंगे| ये नैनोरोबोट निर्धारित ठिकाने पर “जादुई गोलियां” “दागेंगे”| स्नाइपरों की तरह बिलकुल सही निशाना लगाने वाली जैव-संरचनाओं (बायोस्ट्रक्चरों) को ही वैज्ञानिक ऐसी “जादुई गोलियां” कहते हैं| ये मानव-शरीर में अणुओं के स्तर पर बिलकुल सही समय पर और सही स्थान पर आवश्यक औषधि पहुंचा सकती हैं| इस प्रकार मानव-शरीर का “संचालन” किया जा सकेगा और उसमें आनेवाली समस्याएं शीघ्रातिशीघ्र हल की जा सकेंगी, साथ ही इस प्रकार मानव-शरीर पर कोई कुप्रभाव भी नहीं पड़ेगा| | रूसी वैज्ञानिकों के दल ने वस्तुतः ऐसे “स्नाइपरी” डाक्टरी उपकरण बना लिए हैं| रूसी विज्ञानं अकादमी के बायो-ऑर्गनिक कैमिस्ट्री इन्स्टीट्यूट और सामान्य भौतिकी इन्स्टीट्यूट तथा मास

टेलिपैथी

एक समय पहले जब विज्ञान और तर्कशास्त्र जैसे विषयों तक सामान्य जनता की पहुंच नहीं थी तब तक हर क्रिया को चमत्कार ही समझा जाता था. लेकिन अब विज्ञान के आविष्कारों और स्थापनाओं ने चमत्कार के सिद्धांत को पूरी तरह नकार दिया है और यह साबित कर दिया है कि सूरज के चमकने से लेकर पृथ्वी पर होने वाली हर हलचल, यहां तक कि इंसानी जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी घटना के तार विज्ञान के साथ जुड़े हैं ना कि चमत्कार के साथ. विज्ञान के आविष्कार ने हमारे जीवन को सहज बना दिया है और इसके कई फायदे भी हैं लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और विज्ञान भी इन सबसे बच नहीं पाया है. टेलिपैथी, विज्ञान की ही एक विधा है, जिसके अंतर्गत शारीरिक रूप से एक दूसरे से मीलों दूर बैठे लोग भी मानसिक रूप से एक दूसरे तक संदेश पहुंचा सकते हैं. टेलिपैथी की सहायता से आप किसी भी व्यक्ति को अपने अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और सबसे खास बात है कि आप दोनों की बात किसी तीसरे के कानों तक नहीं पहुंचेगी. टेलिपैथी के फायदे बहुत हैं लेकिन आज हम आपको इस विधा से जुड़ी एक ऐसी घटना से अवगत करवाने जा रहे हैं जब तुर्की

जापान करेगा इबोला का इलाज

अफ्रीकी देशों में इबोला महामारी के बढ़ते संकट के बीच जापान ने कहा है कि उसने इबोला का इलाज ढूंढ निकाला है और विश्व स्वास्थ्य संगठन की मांग पर दवाएं मुहैया कराने के लिए तैयार है. जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहिदे सूगा ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि कंपनी फुजीफिल्म होल्डिंग्स कॉरपोरेशन की एक शाखा ने इंफ्लुएंजा की दवा तैयार की है, जिसे इबोला के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. फैवीपीरावीर नाम की इस दवा को मार्च में ही जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी दे दी थी. फुजीफिल्म के प्रवक्ता ताकाओ आओकी ने बताया कि इबोला और इंफ्लुएंजा एक ही तरह के वायरस से फैलते हैं, इसलिए दोनों वायरस पर इस दवा का असर दिख सकता है. उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला में चूहों पर टेस्ट किए जा चुके हैं और नतीजे सकारात्मक रहे हैं. कंपनी का कहना है कि उसके पास 20,000 मरीजों के लिए दवा मौजूद है और वह डब्ल्यूएचओ के जवाब का इंतजार कर रही है. साथ ही कंपनी अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के साथ भी संपर्क साधे हुए है. फुजीफिल्म का कहना है कि डब्ल्यूएचओ के जवाब से पहले अगर लोगों ने निजी तौर पर दवा की मांग शुरू