बहुत अधिक संख्या में ऐसे लोग हैं जो प्राय: अपनी कमजोर स्मरण क्षमता को लेकर चिंतित रहते हैं। जब वे किसी का पक्ष या सामने वाले व्यक्ति का नाम तक भूल जाते हैं तो उन्हें और भी बुरा लगता है। ऐसा उनके साथ भी होता है, जिनके पास पहले अच्छी स्मरण शक्ति थी। हमें याद रखना चाहिए कि स्मरण शक्ति एक बैंक की तरह है। यदि इसमें कुछ डालेंगे, तभी तो निकाल सकेंगे।
यह मान कर चलें कि आपकी स्मरण शक्ति तीव्र है, स्वयं से सकारात्मक अपेक्षा रखें। यदि मानेंगे कि आपका दिमाग काम नहीं करता, याददाश्त हाथ से निकल गई है तो दिमाग भी यही मानने लगेगा। हमारी स्मरण शक्ति इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने पहले किसी घटना को कितनी रुचि व महत्व दिया है। जब हम किसी व्यक्ति या घटना से आकर्षित होते हैं तो उस पर अधिक ध्यान देते हैं। तब ऐसे व्यक्ति या घटना को याद करना आसान हो जाता है।
अच्छी स्मरण शक्ति स्कूल, कॉलेज व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में काम आती है। इसकी मदद से हम नई व उन्नत तकनीकों तथा परिवर्तनों को तेजी से आत्मसात कर पाते हैं। कंप्यूटर में कोई चिप या सॉफ्टवेयर लगा कर उसकी मैमरी सुधार सकते हैं। मस्तिष्क की संरचना कंप्यूटर से कहीं जटिल है, इसके साथ ऐसा नहीं हो सकता।
जिस तरह व्यायाम से शारीरिक क्षमता सुधारी जा सकती है, उसी तरह मस्तिष्क व स्मरण शक्ति में भी सुधार लाया जा सकता है।
शरीर की तरह मस्तिष्क की फिटनेस भी महत्व रखती है। अच्छी स्मरण शक्ति हमें मानसिक रूप से सजग रखती है। यह एक पुरानी कहावत है कि ‘पुराने कुत्ते को नई ट्रिक नहीं सिखा सकते’। वैज्ञानिकों का दावा है कि मस्तिष्क के मामले में ऐसा नहीं है।
मानव मस्तिष्क वृद्धावस्था में भी परिवर्तन के अनुसार समायोजित होने की अद्भुत क्षमता रखता है। इस योग्यता को ‘न्यूरोप्लास्टीसिटी’ कहते हैं। उचित उत्तेजना से यह नए ‘न्यूरल पाथवे’ बना सकता है, मौजूदा स्नायु में बदलाव लाया जा सकता है तथा नए तौर-तरीकों के हिसाब से समायोजन कर, प्रतिक्रिया दे सकता है।
मैमरी या स्मरण शक्ति में सुधार के उपाय निम्नलिखित हैं: अपनी नींद पूरी लें। नींद पूरी होने पर ही मस्तिष्क पूरी क्षमता से कार्य कर पाता है। नींद पूरी न होने का अर्थ होगा कि हम अपनी रचनात्मकता, समस्या-समाधान की योग्यता व आलोचनात्मक चिंतन कौशल से समझौता कर रहे हैं। हम सभी कम समय व अधिक कार्यो के तथ्य से प्रभावित हैं। मैमरी के लिए नींद भी बहुत महत्वपूर्ण है।
अध्ययन यह भी दर्शाते हैं कि गहरी नींद के दौरान स्मृति में सुधार की गतिविधियां भी होती हैं। नींद की कमी एक भयंकर अभाव हो सकती है।
हमें अच्छी नींद व व्यायाम को नहीं भूलना। सेहत ठीक होगी तभी स्मृति भी अच्छी होगी। जब हम व्यायाम करते हैं तो वह शरीर के साथ-साथ मन के लिए भी होता है। व्यायाम सहायक मस्तिष्क कैमिकलों के प्रभाव में वृद्धि व सुरक्षा करता है।
अध्ययन यह भी कहते हैं कि अच्छे सार्थक संबंध व मजबूत समर्थन तंत्र न केवल भावनात्मक सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि मस्तिष्क की सेहत के लिए भी अच्छा माना जा सकता है।
पब्लिक हेल्थ के हेवर्ड स्कूल के अध्ययन के अनुसार पाया गया कि सक्रिय सामाजिक जीवन जीने वालों की स्मरण क्षमता का बहुत कम ह्रास हुआ था। एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया, हंसने व अपने पर भी हंसने की क्षमता को मैमरी में सहायक माना जा सकता है। क्रॉसवर्ड हल करने व मैमरी गेम खेलने से भी दिमाग तेज होता है।
कुछ लोग अच्छी याददाश्त का दावा करते हैं, किन्तु फिर भी उन्हें छोटे टेप-रिकॉर्डर व ई-मेल रिमाइंडर जैसी चीजों के साथ-साथ याद करने का अभ्यास भी अपनाना चाहिए।
हमारे जीवन में समय-समय पर, विभिन्न पदों के अनुसार अच्छी स्मरण शक्ति की आवश्यकताओं में परिवर्तन आता रहता है। एक छात्र होने के नाते हमारे लिए आंकड़े व तिथियां याद करना अनिवार्य था, ताकि हम परीक्षा में अच्छे अंक पा सकें। नौकरी में आने के बाद ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं रही।
हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि बेकार के आंकड़ों, लक्ष्यों व जानकारी से मैमरी पर अतिरिक्त भार न डालें। अच्छी याददाश्त वालों के पास कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जिन्हें हम भी विकसित कर सकते हैं। मदिरा के सेवन से बचें, यह मस्तिष्क की कार्य क्षमता व स्नायु क्षमता को प्रभावित करती है।
टी.वी. देखने की बजाय पुस्तकें पढ़ें। माना जाता है कि मछली जैसे खाद्य पदार्थ व चाय-कॉफी के सीमित मात्रा में सेवन से दिमाग को सजग व चुस्त बना सकते हैं, स्मरण शक्ति में सुधार ला सकते हैं। अपने आंकड़ों को परस्पर संबद्ध करने की कला सीखें। पंजाब में कुछ याद रखने के लिहाज से, कपड़े के छोर में गांठ बांध ली जाती है। यह आंकडमें को संबद्ध करने का देहाती उपाय है।
जो कुछ देखा हो, मन ही मन उसको दोहराएं फिर वास्तविक वस्तु से अपने तथ्यों की तुलना करें। फिर पता चलेगा कि आपको कितना याद रहा। दोहराने से वह तथ्य स्मृति में बस जाएगा।
याद रखें कि शरीर की तरह मस्तिष्क की फिटनेस भी महत्व रखती है। अच्छी स्मरण शक्ति हमें मानसिक रूप से सजग रखती है। यह एक पुरानी कहावत है कि ‘पुराने कुत्ते को नई ट्रिक नहीं सिखा सकते’। वैज्ञानिकों का दावा है कि मस्तिष्क के मामले में ऐसा नहीं है।
(डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित माइंड पॉजिटिव, लाइफ पॉजिटिव से साभार)
(डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित माइंड पॉजिटिव, लाइफ पॉजिटिव से साभार)
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