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संदेश

सोचते ही पहुंच जाएंगे संदेश प्राचीन भारत की बातें सत्य टेलीपैथी

आने वाले समय में सोचते ही संदेश टेलीपैथी के द्वारा पहुंच जाएंगे यह प्रयोग पहले ही भारत में किया जा चुका है जिसने तिरुवंतपुरम में बैठा व्यक्ति का संदेश 5000 किलोमीटर दूर बैठे फ्रांस में एक व्यक्ति को बिना बताए जो संदेश उसे भेजा गया वह उन्हें डिकोट करके पढ़ लिया जिसमें शोधकर्ता ने इलेक्ट्रोन्सेफेलोग्राफी हेडसेट का प्रयोग करके दिमाग में होला और सिआओ कहने पर न्यू डांस की गतिविधियों की में उनकी इलेक्ट्रिक इक्विटी को रिकॉर्ड किया मैं बायनरी कोर्ट में बदलकर दूसरे व्यक्ति के ब्रेन तक भेज दिया जिससे मात्र महसूस कर डिकोट कर लिया इसमें इलेक्ट्रिक करंट को तमाम तरह के विचारों से जोड़ा जाता है और उसे कंप्यूटर इंटरफेस में डाल दिया जाता है कंप्यूटर इन सिग्नल का विशेषण कर क्रिया को नियंत्रित करता है कंप्यूटर इंटरफेस की जगह आउटपुट के लिए दूसरे व्यक्ति के दिमाग को आईजी से जोड़ दिया जाता है रिसीवर एंड पर बैठे व्यक्ति के पास जब मैसेज पहुंचा पहुंचा तो उसे चमक सी महसूस हुई जब उसने इसे डिकोड किया तो वही संदेश निकला जो संदेश भेजने वालों ने लिखा था इस प्रकार वेदों पुराणों में देवताओं आध्यात्मिक रूप से उन्

नियंडरथल मानव की थी अपनी भाषा

नियंडरथल होमो सेपियंस की एक विलुप्त प्रजाति है जो आधुनिक मानव से कड़ी से संबंध से संबंधित है नियंडरथल और आधुनिक मानव के डीएनए के अध्ययन से यह साफ़ होता है की 300000 से 400000 वर्ष पूर्व एक ही पूर्व से अलग हुए थे हालांकि अभी भी यह रहस्य है कि नियनथंडल कब और क्यों विलुप्त हुए थे यह जीवाश्मों के अध्ययन से यह जाहिर होता है कि नियंडरथल का मस्तिष्क का आकार लगभग आधुनिक मानव के बराबर था उन्नत प्रकार के औजार बनाते थे उनकी अपनी भाषा थी अभी तक यह ज्ञात नहीं था कि वे आधुनिक मानव की तरह बोल सकते थे या नहीं अभी तक यह सिद्धांत प्रचलित था कि भाषा का विकास आधुनिक मानव के उद्गम वह विकास के साथ ही हुआ है लेकिन अब नवीन अनुसंधान यान इशारा करते हैं कि उनकी अपनी भाषा थी और हो सकता है उनके शब्दों में हमारे प्रजाति की भाषा में भी अपना योगदान दिया हो नीदरलैंड के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर साइकोलिंगगुइस्टिक निज़मेगेन के शोधकर्ता डान यू तथा स्टीफन सी लेविंसन ने मानव जीवन का अध्ययन करके बताया कि आधुनिक भाषा और वाणी का उद्गम लगभग 500000 वर्ष पूर्व कि हमारे और नियंडरथल के उभयनिष्ठ पूर्वजो तक खोजा जा

एचआईवी का इलाज मानव जीन से होगा

पूरे विश्व में लगभग तीन करोड़ 40 लाख 98 हज़ार पैदा करने वाले एचआईवी के संक्रमण से पीड़ित है उनमें से एक बड़ी जनसंख्या निर्धन और विकासशील देशों में है एक व्यक्ति में क्रमिक रूप से प्रभाव होते होते प्रतिरोधी तंत्र के कारण जीवन के लिए जोखिम पैदा करने वाले संक्रमण जैसे जीवाणु जाने विसर्जन कवक तथा प्रोटोजोआ अन्य सरकार पूरी तरह से हावी हो जाते हैं और अंत में रोगी की मौत हो जाती है अभी तक कोई प्रभाव की खोज नहीं की जा सकती है उसके लिए दवा का प्रयोग किया जाता है इसका उपयोग की समस्या उत्पन्न हो सकती है अब मानव जीन से एचआईवी का संक्रमण का इलाज संभव है

लैब में तैयार की गई किडनी

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने न केवल लैब में किडनी विकसित करने में सफलता प्राप्त की है बल्कि उसे सफलतापूर्वक एक चूहे में प्रत्यारोपित कर दिया है इस किडनी ने मूत्र बनाना आरंभ कर दिया है और गौरतलब है कि सभी के कई ऐसे हैं जिन्हें लैब में विकसित करके मरीजों को लगाया जा चुका है लेकिन अब तक बनाए गए अंगो में गुर्दा सबसे अधिक शरीर का एक महत्वपूर्णअंग है खून की सफाई करके इसमें फालतू पानी बेकार के तत्वों को निकालता है या रोपण के लिए इसकी मांग भी सबसे ज्यादा है कैसे बनाया जाता है गुर्दा अमेरिका के एक हॉस्पिटल में तैयार किया गया है इसके लिए डाक्टरों ने चूहे की एक किडनी ली और डिटर्जेंट से उसकी सभी पुरानी कोशिकाओं को धो डाला बचे हुए प्रोटीन का जाल हो जो बिलकुल गुर्दे जैसा लग रहा था इसके अंदर खून की कोशिकाओं और निकासी का जटिल भाषा भी मौजूद था प्रोटीन के इस ढांचे को गुर्दे के सभी भाग में सही कोशिका को भेजने के लिए इस्तेमाल किया गया जहां भी पुनर्निर्माण के लिए ढांचे के साथ मिल गए इसके बाद एक खास तरह से रखा गया और तापमान को पैदा किया गया रखा गया जब देखी गई प्राकृतिककिडनी के

अधिक नमक से स्व प्रति रक्षित रोगों का खतरा

वह प्रतिरक्षा विकार एक ऐसी शारीरिक अवस्था है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ ऊतकों पर हमला करके उसे उन्हें नष्ट करने लगती है स्व प्रतिरक्षा विकारों में मल्टीपल स्क्लेरोसिस मायस्थेनिया ग्रेविस ग्रेप्स रोग रूमेटाइड अर्थराइटिस सिस्टमिक लुपस एरिदमेटोसस टाइप 1 डायबिटीज इतिहास शामिल है हाल के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध से इस बात के संकेत मिलते हैं कि बढ़ती स्व प्रति रक्षित रोग दर के पीछे नमक का अधिक उपयोग करना हो सकता है यह खोज शोधकर्ता के विभिन्न दलों द्वारा एक विशेष प्रकार की कोशिकाओं पर किए गए कार्य पर आधारित है जिसे th17 कोशिकाएं कहते हैं यह कोशिकाएं विभिन्न स्व प्रति रक्षित रोगों में लिप्त पाई गई हैं जब हमारा शरीर किसी विशिष्ट रोगाणुओं से संक्रमित होता है तो केवल उसको पहचानने वाली थी वह भी कोशिकाएं ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं यह को शिकायत तेजी से बढ़ती हैं और संक्रमण से लड़ने के लिए अपने जैसी कोशिकाओं की एक फौज तैयार कर लेती है विशेष प्रकार की एटी एवं बी कोशिकाएं आक्रमणकारी रोगाणु की स्मृति बनाए रखती हैं और हमें उनके हक दूसरे हमले से प्रशिक्षित कर देते हैं शोध

आईटी क्षेत्र में भविष्य में होने वाले बदलाव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- इसके क्षेत्र में कई सफल परीक्षण हो चुकी हैं कुछ क्षेत्रों में इसकी सफलता भी प्राप्त की जा चुकी है आने वाले समय में मानव निर्णय और विश्लेषण के आधार पर इसका प्रयोग किए जाने की संभावना हैमशीन विजन इसमें काफी छोड़कर चल रहा है अभी तक निकालने के बाद बहुत बदलाव देखने को मिलेगा जिसमें ड्राइवरलेस कार और अपने से चलने वाले अन्य उपकरण सोमेटिक वेब - आंसरिंग मशीन मीटिंग बेबी आंसरिंग मशीन पर काफी शोध कार्य चल रहा है हालांकि इसको बनाने में सफलता हासिल नहीं हो पाई है आने वाले समय आने वाले इसके आने से सर्च इंजन की जरूरत समाप्त हो जाएगी सॉलि़ड स्टेट ड्राइव -इसे का प्रयास किया जा रहा है सॉलि़ड स्टेट ड्राइव बन जाने के बाद हार्ड ड्राइव की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी इस तकनीक की वजह से हटके लैपटॉप कंप्यूटर और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण संभव हो सकेगा साथ ही तेज और ऊर्जा के के फायदे स्टोरेज सिस्टम भी बनाए जा सकते हैं 3D ऑप्टिकल डाटा स्टोरेज- इस तकनीक के क्षेत्र में काफी कार्य चल रहा है इस तकनीक के आ जाने से मैग्नेटिक टेप स्टोरेज और अन्य मास स्टोरेज उपकरणों की आवश्

रोबोट भी हो जाएंगे धार्मिक..

वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या कृत्रिम बुद्धि से बने एंड्रॉयड्‍स (रोबो) भी धार्मिक हो सकते हैं। उनका कहना है कि संभव है कि एक दिन रोबो की कोई धर्म अपना लें और इसका अर्थ है कि वे मानवता की सेवा कर सकते हैं और इसे नष्ट करने की कोशिश नहीं करेंगे। लेकिन इसका उल्टा भी सच हो सकता है और संभव है कि धार्मिक होने से उनकी ताकत में बढ़ोतरी हो जाए।मैसाचुसेट्‍स इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के मर्विन मिंस्की का कहना है कि किसी दिन कम्प्यूटर्स भी नीति शास्त्र को विकसित कर सकते हैं, लेकिन इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि इन मशीनों को लेकर सारी दुनिया में धार्मिक संघर्ष भी पैदा हो सकता है। डेलीमेल डॉटकॉम के लिए एल्ली जोल्फागारीफार्ड का कहना है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि कृत्रिम बुद्धि (आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस) दशकों की अपेक्षा वर्षों में एक वास्तविकता हो सकती है। हाल ही में एलन मस्क ने चेतावनी दी है कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस मनुष्यता के लिए परमाणु हथियारों की तरह से घातक हो सकती है।डेलीमेल डॉटकॉम में डिलन लव ने हाल ही में एक सारगर्भित रिपोर्ट पेश की थी जिसमें ऐसे ही कुछ सवालों